कर्नाटक के मांड्या जिले के बुकानाकेरे में सिद्धलिंगप्पा और पुत्तथयम्मा के घर 27 फरवरी 1943 को जन्मे बीएस येदियुरप्पा ने मात्र 300 रुपए की नौकरी से अपने कैरियर की शुरुआत की थी. येदियुरप्‍पा काफी साधारण परिवार से थे. शुरूआती जिंदगी में संघर्ष करने वाले येदियुरप्‍पा ने एक चावल मील में क्लर्क की नौकरी से अपने जीवन की शुरूआत की. क्‍लर्क की नौकरी और 300 रुपए प्रतिमाह की तनख्‍वाह पाने वाले येदियुरप्‍पा और उनके परिवार का जीवन काफी मुकिश्‍लों से कटता था. लेकिन येदियुरप्पा की जिंदगी बदली और जिस कंपनी में क्‍लर्क थे उसी कंपनी की मालिक की बेटी से उनकी शादी हो गई.

जब येदियुरप्‍पा ने राजनीति में एंट्री की तो उन्‍होंने अपना जीवन चलाने के लिए एक हार्डवेयर की शॉप भी खोली. हार्डवेयर की शॉप चल निकली और उनका राजनीतिक जीवन भी. चावल मिल के क्लर्क और एक किसान नेता से आगे बढ़कर दक्षिण में पहली बार भाजपा की सरकार के रूप में कमल खिलाने वाले बीएस येदियुरप्पा पहली बार 12 नवम्बर 2007 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने.

येदियुरप्पा के पिछले तीनों कार्यकालों की बात करें तो वे अपना कोई भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं. पहली बार येदियुरप्पा ने 12 नवंबर 2007 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और आठवें ही दिन 19 नवंबर 2007 को उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़े देनी पड़ी थी. ये वो वक्त था जब येदियुरप्पा और एचडी कुमारास्वामी को समझौते के तहत बराबर-बराबर अवधि के लिए मुख्यमंत्री पद साझा करना था.

येदियुरप्पा ने एचडी कुमारस्वामी को समर्थन देकर फरवरी 2006 में मुख्यमंत्री पद पर बैठाया था. अक्टूबर 2007 में येदियुरप्पा को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनना था लेकिन कुमारस्वामी ने ऐसा नहीं किया. इस पर येदियुरप्पा ने समर्थन वापस लेते हुए कुमारास्वामी को सीएम की कुर्सी से चलता कर दिया. दोनों नेताओं के रिश्ते में आई दूरी के चलते तब कर्नाटक में तकरीबन एक महीने तक राष्ट्रपति शासन लागू था.

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नवंबर 2007 में कुमारास्वामी ने येदियुरप्पा को समर्थन देने की हामी भरी तब राज्य में राष्ट्रपति शासन खत्म हुआ और 12 नवंबर 2007 को येदियुरप्पा पहली बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने. मुख्यमंत्री के पद पर उनका पहला कार्याकाल ज्यादा दिन तक नहीं चला और मंत्रालयों के बंटवारे में आए मतभेद के चलते येदियुरप्पा ने कु्मारास्वामी से नाता तोड़ 19 नवंबर 2007 को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया.

वर्ष 2008 में येदियुरप्पा की किस्मत एक बार फिर चमकी जब राज्य में भाजपा ने शानदार जीत दर्ज की थी. 30 मई 2008 को येदियुरप्पा ने दूसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इस बार भी येदियुरप्पा मुख्यमंत्री के रूप में पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते येदियुरप्पा को 31 जुलाई 2011 को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा.

तब येदियुरप्पा ने भाजपा से नाता तोड़ अपनी अलग पार्टी तैयार कर ली थी. वर्ष 2014 में येदियुरप्पा ने एक बार फिर भाजपा का दामन थाम लिया और 17 मई 2018 को वे तीसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने. मुख्यमंत्री के रूप में येदियुरप्पा का तीसरा कार्यकाल महज छह दिन 17 मई 2018 से लेकर 23 मई 2018 तक ही रहा और बहुमत के अभाव में येदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा.

पिछले तीनों कार्यकालों में एक बार भी मुख्यमंत्री के रूप में पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को फिर से चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की. बीएस येदियुरप्पा चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. फिलहाल किसी भी विधायक को मंत्री पद की शपथ नहीं दिलाई गयी है. माना जा रहा है कि विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के बाद विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी. येदियुरप्पा सरकार को 31 जुलाई तक अपना बहुमत सदन में पेश करना होगा.

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इससे पहले बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को सुबह 10 बजे राज्यपाल वजुभाई वाला पटेल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया. येदियुरप्पा के सरकार बनाने का दावा पेश करने के पीछे पार्टी आलाकमान से आंतरिक गतिरोध की बात भी चर्चा में रही. हालांकि बीजेपी के पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की ओर से कर्नाटक में येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनाने के सकारात्मक बयान से इस बात को दबाने की कोशिश की गई. बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की. राज्यपाल वजुभाई वाला पटेल ने उन्हें पद व गोपनियता की शपथ दिलाई. इस मौके पर येदियुरप्पा के सुपुत्र विजयेंद्र भी राजभवन में मौजूद रहे.

गौरतलब है कि कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के 15 बागी विधायकों के सदन से इस्तीफा देने के बाद गठबंधन सरकार अल्पमत में आ गई थी. लगभग दो हफ्ते के सियासी ड्रामे के बाद 23 जुलाई को फ्लोर टेस्ट में 6 मत से कुमारस्वामी सरकार गिर गयी. फिलहाल बागी विधायकों के इस्तीफे और अयोग्य होने की कार्यवाही जारी है. गुरुवार को विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार ने तीन बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया है जिनमें एक निर्दलीय विधायक भी शामिल है.

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