Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के दौरान की गई सियासी बयानबाजी को लेकर अब एक बार फिर से सियासत गर्मा गई है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां के खिलाफ निर्दलीय विधायक संयम लोढा द्वारा पिछले दिनों विधानसभा में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया गया. इसके जवाब में शुक्रवार को भाजपा विधायकों ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव विधानसभा सचिव को दिया है. वहीं भाजपा विधायकों के सीएम गहलोत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव देने बाद एसओजी ने भी मुख्य सचेतक महेश जोशी द्वारा कांग्रेस समर्थित विधायकों की खरीद फरोख्त को लेकर दी गई शिकायत पर एसओजी ने मुकदमा दर्ज कर लिया है.
दरअसल, राज्यसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस व कांग्रेस समर्थित विधायकों की खरीद फरोख्त के लिए 35 करोड रूपये का लालच दिए जाने की बात कही थी. मुख्य सचेतक महेश जोशी ने विधायकों को खरीद फरोख्त का लालच दिए जाने को लेकर एसीबी व एसओजी में शिकायत भी दी थी. इसके बाद राज्यसभा चुनाव संपन्न होने के बाद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने कांग्रेस की बाडाबंदी के दौरान 23 विधायकों को खान आवंटन, रिको में प्लॉट आवंटन, कैश ट्रांसजेक्शन का लालच दिए जाने का कांग्रेस पर आरोप लगाया. इस पर 21 जून को सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढा ने विधानसभा सचिव प्रमिल माथुर को पूनियां के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया था.
संयम लोढा के प्रस्ताव पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने मंगलवार को प्रथम दृष्टया सतीश पूनियां को विशेषाधिकार हनन का दोषी माना. इसके बाद से एक बार फिर से बयानबाजी का दौर गर्म हो गया और भाजपा ने भी सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव की तैयारी की. इसी के तहत शुक्रवार को भाजपा विधायक अशोक लाहोटी, सुभाष पूनियां, रामलाल शर्मा, मदन दिलावर और निर्मल कुमावत ने विधानसभा सचिव को सीएम गहलोत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया.
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भाजपा विधायकों की ओर से सीएम गहलोत के खिलाफ दिए गए विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि कांग्रेस ने जिस खेल की शुरूआत की जब तक यह अंजाम तक नहीं जाएगा खत्म नहीं होगा. मेरे खिलाफ जो विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया गया वह राजनीतिक साजिश थी. विधानसभा के जो नियम व प्रक्रिया है उसका हम पालन करेगें. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 35 करोड के खरीद फरोख्त के आरोप मुझसे बहुत पहले लगाए. सीएम गहलोत ने किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिया तो मैने भी किसी का नाम नहीं लिया. सदन के बाहर दिए गए बयान विशेषाधिकार हनन की परिधी में नहीं आते है. राजनीति में छींटाकशी भी चलती है आरोप प्रत्यारोप भी चलते है और इससे भी बुरी बातें कही जाती है और सुनी जाती है. जिस प्रक्रिया को कांग्रेस ने अपना उसी प्रक्रिया को आधार भाजपा के विधायकों ने बनाया.
उधर एसओजी में मुख्य सचेतक महेश जोशी द्वारा राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस समर्थित विधायकों को खरीद फरोख्त का लालच देने को लेकर की गई शिकायत को लेकर पूनियां ने कहा कि महेश जोशी द्वारा की गई शिकायत आधारहीन शिकायत थी. एसओजी व एसीबी को निर्दलीय विधायकों को डराने के लिए काम में लिया गया था. सीएम गहलोत खुद असुरक्षित और आशंकित थे. कांग्रेस के पास कोई मजबूत आधार नहीं था, अगर होता तो अब तक प्रकट हो जाता किस बात का इंतजार कांग्रेस कर रही है.
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड ने कहा कि विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव कोई भी विधानसभा का सदस्य उसका विशेषाधिकार हनन होने पर रख सकता है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने चहेते निर्दलीय विधायक के कंधे पर बंदूक रखकर हमारे प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां पर जिस तरीके से निशाना साधना चाहा. जिन तथ्यों के आधार पर विधायक संयम लोढा ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव रखा उसी प्रकार के तथ्य और उसी प्रकार की भाषा मुख्यमंत्री गहलोत ने कई बार सार्वजनिक तौर पर बोली. सीएम गहलोत ने कहा कि 35—35 करोड में विधायकों को भाजपा खरीदने की कोशिश कर रही है. यह भी विशेषाधिकार है. इस मामले में निर्णय विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को लेना है. दोनों विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव समान तथ्यों पर हैं.
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भाजपा विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ दिए गए विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने बिना किसी सबूत के सीएम गहलोत पर आरोप लगाए थे. इसके जवाब में निर्दलीय विधायक संयम लोढा ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया था. विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी प्रोफेसर है. सीएम गहलोत के खिलाफ भाजपा विधायकों द्वारा दिए गए विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर विधानसभा की कमेटी दूध का दूध और पानी का पानी कर देगी. सतीश पूनियां को कांग्रेस से माफी मांगनी पडेगी.
वहीं राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायकों को खरीद फरोख्त का लालच दिए जाने को लेकर मुख्य सचेतक महेश जोशी द्वारा एसओजी में दी गई शिकायत पर शुक्रवार को मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. एसओजी ने महेश जोशी द्वारा दिए गए शिकायत पत्र की जांच में कुछ मोबाइल नंबर सामने आए थे. एसओजी ने उन्हीं मोबाइल नंबरों की जांच के बाद महेश जोशी की शिकायत को सही माना है. अब खुद एसओजी की ओर से ही मुकदमा दर्ज किया गया है.
गौरतलब है कि महेश जोशी ने राज्यसभा चुनाव से पहले पुलिस महानिदेशक व एसीबी के अधिकारियों से शिकायत की थी. महेश जोशी ने अपने शिकायत पत्र में कहा था कि हमें अपने विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक की तर्ज पर बीजेपी, कांग्रेस के विधायकों के साथ ही हमारी सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों को लालच देकर राजस्थान में सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है.