योगी सरकार का बड़ा फैसला: स्टूडेंट की तर्ज पर अब प्रवासी मजदूरों को वापस लाने की तैयारियां शुरू

दूसरे राज्यों में 14 दिन का क्वॉरन्टीन पूरा करने वाले मजदूरों को बुलाया जाएगा वापिस, सबसे पहले कोटा से राज्य के करीब 8000 छात्रों को वापस लाने में आगे रहा है यूपी, दूसरी सरकारों के लिए भी अग्रिम कदम साबित हो सकता है यूपी सरकार का ये फैसला

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पॉलिटॉक्स न्यूज/यूपी. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्यों में फंसे यूपी के मजदूरों को चरणबद्ध तरीके से वापिस लाने की तैयारियां शुरु के दीं हैं. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया है कि दूसरे राज्यों में जो यूपी के मजदूर हैं उन्हें चरणबद्ध तरीके से वापस लाया जाएगा. योगी ने कहा कि दूसरे राज्यों में 14 दिन का क्वॉरन्टीन पूरा करने वाले मजदूरों को यूपी वापस लाया जाएगा. इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. वहीं सीएम योगी सूबे में फंसे दूसरे राज्यों के मजदूरों को वापस उनके राज्यों में भेजने के लिए भी तैयार हैं.

इन सभी प्रवासी मजदूरों को उसी तर्ज पर वापिस लाया जाएगा जिस तरह से कोटा से 8000 स्टूडेंट्स को वापिस लाया गया है. इसके लिए यूपी सरकार ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बात करके 252 बसों को कोटा रवाना किया और वहां से पूरी सुरक्षा के साथ सभी स्टूडेंट्स को यूपी के लिए रवाना किया गया. देश में फैसले कोरोना संकट के चलते यूपी सरकार की ये एक अच्छी पहल थी. उसके तुरंत बाद मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार और महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने भी अपने अपने स्टूडेंट्स को वापिस लाने की कार्रवाई शुरु कर दी.

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सीएम गहलोत के मुताबिक, 5 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के करीब 18 हजार स्टूडेंट्स अपने अपने घर पहुंच चुके हैं. इनमें यूपी एवं उत्तराखंड के करीब साढ़े 12 हजार, मध्य प्रदेश के 2800, गुजरात के 350 एवं दादरा एवं नागर हवेली के 50 बच्चे कोटा से रवाना होकर अपने अपने परिवार के पास सकुशल पहुंच चुके हैं. जबकि हरियाणा के 1000, असम के 400 और हिमाचल के 100 बच्चे एक या दो दिन में अपने अपने राज्यों के लिए रवाना होंगे.

दूसरी ओर, देश में कोरोना के प्रकोप और लॉकडाउन के चलते जो जहां था वहीं रह गया और कोई भी अपनी जगह से दूसरी जगह नहीं जा पाया. ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी उन मजदूरों को हुई जो अपने राज्य से दूसरे राज्यों में काम के सिलसिले में मौजूद थे. लॉकडाउन 2.0 से पहले तो बड़े-बड़े शहरों से हजारों मजदूरों की टोली लॉकडाउन के दौरान अपने गांव जाने के लिए हजारों किलोमीटर के सफर पर पैदल ही निकल गई. ऐसे मजदूरों की संख्या लाखों में थी. हाल में मुंबई और अन्य शहरों में हजारों की संख्या में श्रमिक अपने अपने राज्यों में जाने के लिए इक्ट्ठे हो गए थे लेकिन लॉकडाउन के चलते ऐसा हो न सके.

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इन्हीं सब परिस्थितियों से बचने के लिए यूपी सरकार यह बड़ा और अहम कदम उठा रही है. प्रवासी मजदूरों की यह मांग बार बार उठ रही है कि उन्हें इस विकट और संकट की घड़ी में उनके घर जाने दिया जाए. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद भी इस बार को कई बार कह चुके हैं कि मजदूरों को एक बार उनके घर जाने देना चाहिए. इस संबंध में प्रदेश सरकार ने अहम पहल करते हुए मजदूरों को बसों द्वारा उनके राज्यों में पहुंचाना शुरु भी कर दिय था लेकिन केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद इस फैसले को वापिस ले लिया गया. वहीं उद्धव सरकार भी प्रवासी मजदूरों को उनके राज्यों में भेजने के लिए केंद्र को पत्र लिख चुकी है.

हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किसी के भी बाहर से आने वालों पर सख्त रोक लगा रखी है. ये सब बिहार में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए फैसला लिया गया है. बिहार सरकार ने कोटा में अपने प्रवासी छात्रों को भी वापिस बुलाने से मना कर दिया है. कोटा में बिहार के करीब 18 हजार स्टूडेंट मौजूद हैं. झारखंड की सोरेन सरकार ने भी फिलहाल सभी के राज्य की सीमा में प्रवेश पर बैन लगाया हुआ है. ऐसे में यूपी सरकार का ये फैसला दूसरी सरकारों के लिए एक अग्रिम कदम साबित हो सकता है.

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