पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. प्रदेश की तीन सीटों पर हाल ही में संपन्न हुए राज्यसभा चुनावों के बाद प्रदेश की सियासत में हर दिन कुछ नया देखने को मिल रहा है. शनिवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां द्वारा कांग्रेस पर 23 विधायकों से बडी डील करने का आरोप लगाया गया तो इसको लेकर रविवार को सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढा ने सतीश पूनियां के खिलाफ विधानसभा में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव दिया. आज सोमवार को राज्यसभा चुनाव में पार्टी विचारधारा के विपरीत कांग्रेस प्रत्याशी को वोट देने पर अनुशासनहीनता मानते हुए सीपीएम से भादरा विधायक बलवान पूनियां को पार्टी ने एक साल के लिए सस्पेंड कर दिया और 7 दिन के अंदर जवाब मांगा है.
सीपीएम के राज्य सचिव मंडल की आज जयपुर कार्यालय पर बैठक संपन्न हुई. इस बैठक के दौरान पार्टी राज्य सचिव मंडल ने हाल ही में संपन्न हुए राज्यसभा चुनाव में पार्टी विधायक बलवान पूनिया द्वारा पार्टी अनुशासन भंग कर कार्य करने की भूमिका पर विचार विमर्श किया गया. बैठक में विधायक बलवान पूनियां को पार्टी निर्णय के विपरीत कार्य करने का दोषी मानते हुए पार्टी की सदस्यता से 1 वर्ष के लिए निलंबित करने का निर्णय लिया गया. इस निर्णय की जानकारी देते हुए पार्टी राज्य सचिव कामरेड अमराराम ने बताया कि उन्हें पार्टी की ओर से कारण बताओ नोटिस भी दिया गया है जिसका जवाब उन्हें 7 दिनों की अवधि में देना है.
जानकारी के मुताबिक विधायक बलवान पूनियां पर आरोप है कि बलवान पूनियां ने पार्टी के अनुशासन को बिगाड़ा है. राज्यसभा चुनावों में सीपीएम ने किसी को भी समर्थन करने का निर्णय नहीं किया था. किस पार्टी को समर्थन करना है इसका अंतिम समय तक इंतजार किया जाना था लेकिन उससे पहले ही बलवान पूनियां ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने का निर्णय ले लिया. वहीं सीपीएम के दूसरे विधायक गिरधारी लाल महिया इस चुनाव में वोट डालने नहीं आए थे इसका कारण उन्होंने अस्वस्थ होना बताया था. लेकिन सूत्रों की मानें तो महिया पार्टी विचारधारा के चलते वोट डालने जयपुर नहीं आए थे.
यह भी पढ़ें: कटारिया, पूनियां और राठौड़ चुनाव की हार से बौखला कर, कर रहे हैं झूठी बयानबाजी- खाचरियावास
माकपा पार्टी द्वारा एक साल के लिए सस्पेंड किए जाने पर विधायक बलवान पूनियां ने कहा कि पार्टी का फैसला सर्वोपरि है. मैं अपनी बात पार्टी प्लेटफॉर्म पर रखूंगा. इसके साथ ही पूनियां ने कहा कि पार्टी ने जो निर्देश दिए उसकी पालना करुंगा. मैं पार्टी की विचारधारा का सिपाही हूं. राज्यसभा चुनाव में देश के हालात को देखते हुए मैंने अपना वोट किया. मैं माकपा की विचारधारा से पूरी तरह बंधा हुआ हूं, फिर भी वोट देने को अगर पार्टी अनुशासनहीनता मानती है तो मैं पार्टी प्लेटफार्म पर नोटिस का जवाब दूंगा.