Politalks.News/Rajasthan. रविवार को 11 नए कैबिनेट मंत्री और 4 राज्य मंत्रियों की शपथग्रहण के साथ गहलोत मंत्रिमंडल का पुनर्गठन हो गया. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित पार्टी के सभी बड़े दिग्गज चाहे कितनी ही वाहवाही इस बात पर लूट लें कि सबकुछ शांति और बढ़िया तरीके से सैटल हो गया, लेकिन मंत्रिमंडल के पुनर्गठन के साथ ही पार्टी में नाराजगी के स्वर भी उठने लगे हैं. पायलट खेमे से आने वाले बृजेन्द्र ओला जहां खुद को राज्यमंत्री बनाए जाने से नाखुश हैं तो वहीं खेरवाड़ा विधायक दयाराम परमार ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर पूछा है कि क्या मंत्री बनने के लिए कोई विशेष योग्यता की आवश्यकता होती है? कृपया हमें भी बताएं. इसके साथ ही बसपा से कांग्रेस में आए राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री बनाने से बाकी के 5 विधायक नाराज हो गए हैं. तो वहीं कई सीनियर दलित नेता भी मंत्रिमंडल में खुद की उपेक्षा से नाराज हो गए हैं.
कांग्रेस विधायक दयाराम परमार ने बाकायदा सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर पूछा है कि, ‘ऐसा लगता है कि मंत्री बनने के लिए कुछ विशेष योग्यताओं की जरूरत होती है. कृपया मुझे बताएं कि वे योग्यताएं और काबलियत हैं और उनको हासिल करने में क्या कुछ करना पड़ता है, ताकि उनको हासिल करने के साथ भविष्य में मंत्री बनने की कोशिश की जा सके.’ आपको बता दें, गहलोत मंत्रिमंडल पुनर्गठन में मेवाड़ से दयाराम परमार का नाम प्रमुखता से चल रहा था लेकिन रविवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में मेवाड़ के बांसवाड़ा के बागीदौरा से विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीय को कैबिनेट में जगह दी गई. लेकिन दयाराम परमार का नंबर नहीं लगा. इससे नाराज विधायक ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख डाला.
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वहीं मंत्रिमंडल पुनर्गठन के बाद सबसे पहले नाराजगी सामने आई राज्यमंत्री बने बृजेन्द्र ओला की. एक सवाल पर ओला ने कहा कि, ‘ पार्टी ने जितना समझा उतना ही ठीक.’ हालांकि ओला ने मीडिया के सामने खुलकर अपनी बात नहीं रखी. लेकिन हालात ये बने कि शपथ ग्रहण समारोह के बाद बृजेंद्र ओला को समझाने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा उन्हें साथ लेकर अजय माकन के पास होटल मैरियट में पहुंचे. अब कहा जा रहा है कि बृजेंद्र ओला को सोनिया गांधी से मिलवाया जाएगा. दरअसल बृजेन्द्र ओला की नाराजगी इस बात से है कि उन्हें तीन बार का विधायक होने के बावजूद राज्य मंत्री बनाया गया. जबकि दो बार के विधायकों को कैबिनेट मंत्री का पद दिया गया है. जानकारों की मानें तो होटल मैरियट में बृजेन्द्र ओला, गोविंद सिंह डोटासरा और अजय माकन के बीच लंबी बात हुई है.
वहीं दूसरी बड़ी नाराजगी सामने आ रही है बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए बाकी 5 विधायकों की, बसपा से कांग्रेस में आए विधायक राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री बनाए जाने से बाकी के 5 विधायक नाराज हो गए. बताया जा रहा है कि बसपा से कांग्रेस में आए इन पांचों विधायकों की नाराजगी दूर करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें मुख्यमंत्री आवास बुलाया. संभवत उन्हें संसदीय सचिव बनाकर उनकी नाराजगी दूर की जाए. आपको याद दिला दें, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को अपने संबोधन में कहा था कि वे बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों और निर्दलीय विधायकों को भुला नहीं सकते हैं, सरकार बचाने के लिए 34 दिन उन्होंने हमारे साथ बिताए.
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उधर, एससी वर्ग से 4 विधायकों को कैबिनेट स्तर के मंत्री बन जाने के बाद भी एससी वर्ग के सीनियर नेता नाराज हैं. बता दें, इनमें परसराम मोरदिया सबसे वरिष्ठ एससी विधायक हैं तो वहीं अशोक बैरवा, खिलाड़ी लाल बैरवा और मंजू मेघवाल को मंत्री नहीं बनाए जाने से इन चारों नेताओं में अंदरखाने नाराजगी है. बताया जा रहा है कि विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने तो इस नाराजगी को अजय माकन के सामने जाहिर भी कर दिया. आपको बता दें, मास्टर भंवरलाल मेघवाल के निधन के बाद एक भी कैबिनेट मंत्री राजस्थान में दलित वर्ग से नहीं था. भले ही वे राज्य मंत्री थे लेकिन कैबिनेट मंत्री नहीं होने से दलित वर्ग में नाराजगी थी. लेकिन अब जब ममता भूपेश, भजन लाल जाटव, गोविंद राम मेघवाल और टीकाराम जूली को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, तो उसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट, अजय माकन और गोविंद सिंह डोटासरा एक सुर में यह कहते नजर आए कि दलितों को पूरा अधिकार इस बार ही मिला है.