Politalks.News/Rajasthan-Delhi. 10 महीने के लंबे इंतजार के बाद टूटे पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के सब्र ने एक बार फिर प्रदेश की सियासत को हिलाकर रख दिया है. हालांकि, पायलट ने बीजेपी में जाने या पार्टी लाइन के खिलाफ जाने की किसी भी सम्भावना से साफ इंकार कर दिया है. इसी बीच प्रदेश में एक बार फिर मचे इस सियासी बवाल की गूंज अब दिल्ली तक पहुंच गई है. प्रियंका गांधी से फोन पर बात होने के बाद हमेशा की तरह वीकेंड पर दिल्ली पहुंचे सचिन पायलट की अब दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की बात कही जा रही है. वहीं पायलट के दिल्ली जाने के बाद आज सुबह कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी अब दिल्ली पहुंच गए हैं. हालांकि डोटासरा ने कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और राजस्थान के सहप्रभारी रह चुके काजी निजामुद्दीन की मां के निधन पर संवेदना जताने के लिए जाने की बात कही है, लेकिन पब्लिक है ये सब जानती है, बता दें, गोविंद सिंह डोटासरा यहां प्रदेश प्रभारी अजय माकन से पूरे मसले पर चर्चा कर पायलट मामले में सरकार और संगठन का फीडबैक देंगे.
आपके बता दें, सचिन पायलट अब अपने 10 महीने पुराने मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जिनमें उनके समर्थक विधायकों को मंत्री बनाने और राजनीतिक नियुक्तियों में भागीदारी के अलावा सरकार में काम करने में भी प्राथमिकता सहित कई मुद्दे शामिल हैं. पायलट गुट की शिकायत है कि गहलोत राज में उनके साथ ऐसा विपक्षी जैसा बर्ताव हो रहा है. सचिन पायलट खेमे की ताजा नाराजगी के बीच एक बार फिर दिल्ली में चर्चाएं तेज हैं. सचिन पायलट अपने शुभचिंतक कांग्रेस नेताओं से भी समर्थन जुटाकर अपने मुद्दों का हल करने की कवायद में जुट गए हैं. बता दें, सचिन पायलट लगातार प्रभारी अजय माकन के सम्पर्क में हैं और आज-कल में प्रियंका गांधी सहित पार्टी के अन्य बड़े नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं. वहीं अशोक गहलोत गुट की पायलट के हर कदम पर पैनी निगाहें हैं, यही कारण है कि पायलट के पीछे-पीछे डोटासरा दिल्ली पहुंच गए हैं.
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सचिन पायलट कैंप के उठाए गए मुद्दों का 10 माह बाद भी समाधान नहीं होने से नाराज सचिन पायलट के बयान के चार दिन बाद राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन ने शुक्रवार को दिल्ली में मीडिया से बातचीत में कहा कि, ‘सचिन पायलट से तो रोज बात हो रही है, अगर नाराज होते तो मेरे बात होती क्या? इसके साथ ही अजय माकन ने जल्द कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां करने का भी दावा किया है.
वहीं सचिन बपायलट समर्थक विधायकों की सुनवाई नहीं होने के सवाल पर अजय माकन ने कहा कि, ‘ऐसा कुछ नहीं है जब मैं यहां पर हूं तो कैसे किसकी नहीं सुनी जाएगी. सबकी सुनी जा रही है, सबसे बात करके सबसे मिलकर हम आगे की कार्यवाही कर रहे हैं. जो रिक्त पद हैं चाहे वह कैबिनेट के हों, चाहे सरकार के अंदर बोर्ड और कमिशन के हों, सब जगह सब लोगों से बात करके जल्द अपोइंटमेंट कर रहे हैं.’ राजस्थान कांग्रेस की सुलह कमेटी की 10 माह बाद भी रिपोर्ट नहीं आने और पंजाब में 10 दिन में ही असंतुष्ट नेताओं की सुनवाई के सवाल पर अजय माकन ने कहा कि, क्या पंजाब की कमेटी की रिपोर्ट इंप्लीमेंट हो गई? माकन के इस तर्क को राजस्थान की कमेटी की ढिलाई को बचाने की कवायद बताया जा रहा है, दूसरी तरफ संकेत ये भी कि पंजाब की कमेटी का हश्र भी राजस्थान जैसा हो सकता है.
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माकन पहले भी कई बार दे चुके हैं तारीखें
अजय माकन पिछले नवंबर से लेकर अब तक कई बार राजनीतिक नियुक्तियों के लिए कई बार तारीख दे चुके लेकिन आज तक नहीं हुईं. अब फिर से जल्द कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों का बयान दिया है. माकन ने पहले पिछले साल दिसंबर में 31 जनवरी तक राजनीतिक नियुक्तियां करने का बयान दिया. फिर उस बयान से यू-टर्न लेते हुए कहा कि राजनीति में डेडलाइन जैसा कुछ नहीं होता. 3 फरवरी को प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक के बाद माकन ने 15 फरवरी तक जिला- ब्लॉक स्तर की छोटी राजनीतिक नियुक्तियां करने का दावा किया. बाद में यह तारीख भी निकल गई. फिर कहा कि बजट सत्र में न कैबिनेट विस्तार हािे सकता न नियुक्तियां. बजट सत्र भी निकल गया. बाद में उपचुनाव के बाद की तारीख दी गई वह डेडलाइन भी निकल गई.
आपको बता दें, पंजाब में उठे असंतोष पर तत्काल एक्शन लेने के बाद कांग्रेस हाईकमान पर अब राजस्थान में भी उसी तर्ज पर सचिन पायलट गुट की नाराजगी दूर करने का दबाव बनाया जा रहा है. सचिन पायलट गुट की पिछले साल जुलाई में बगावत के बाद 11 अगस्त को बनाई गई सुलह कमेटी का फिलहाल कोई नतीजा नहीं निकला. बस पायलट गुट के विधायकों ने इसी को मुद्दा बनाया हुआ है और सवाल उठा रहे हैं कि जब पंजाब में 10 दिन में विरोधी धड़े को सुना जा सकता है, तो राजस्थान में 10 महीने बाद भी क्यों नहीं सुना जा रहा?