लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद बसपा से गठबंधन टूटने पर अखिलेश यादव ने कहा कि इंजीनियरिंग का एक छात्र होने के नाते प्रयोग किया था, जरूरी नहीं कि यह सफल हो. बुधवार को मीडिया से बातचीत करते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, ‘मायावती जी के लिए जो बात मैंने पहले दिन कही थी कि उनका सम्मान हमारा है, आज भी अपनी वहीं बात कहता हूं. अगर अब रास्ते खुले हैं तो आने वाले उपचुनावों में अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से बात करके आगे की रणनीति पर चर्चा करूंगा. इंजीनियरिंग का छात्र रहा हूं, प्रयोग किया था जरूरी नहीं कि हर एक प्रयोग सफल हो.’
आपको बता दें कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को लोकसभा चुनाव के समय समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल साथ हुए गठबंधन को तोड़ने का एलान किया था. उन्होंने कहा कि चुनाव नतीजों से साफ है कि बेस वोट भी सपा के साथ खड़ा नहीं रह सका है. सपा की यादव बाहुल्य सीटों पर भी सपा उम्मीदवार चुनाव हार गए हैं. कन्नौज में डिंपल यादव और फिरोजबाद में अक्षय यादव का हार जाना हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है. उन्होंने कहा कि बसपा और सपा का बेस वोट जुड़ने के बाद इन उम्मीदवारों को हारना नहीं चाहिए था.
मायावती ने कहा, ‘सपा का बेस वोट ही छिटक गया है तो उन्होंने बसपा को वोट कैसे दिया होगा, यह बात सोचने पर मजबूर करती है. हमने पार्टी की समीक्षा बैठक में पाया कि बसपा काडर आधारित पार्टी है और खास मकसद से सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा गया था, लेकिन हमें सफलता नहीं मिल पाई. सपा के काडर को भी बसपा की तरह किसी भी वक्त के लिए तैयार रहने की जरूरत है. इस बार के चुनाव में सपा ने यह मौका गंवा दिया है.’
बसपा सुप्रीमो ने कहा, ‘उपचुनाव में हमारी पार्टी ने कुछ सीटों पर अकेले लड़ने का फैसला किया है, लेकिन गठबंधन पर फुल ब्रेक नहीं लगा है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल उनका खूब सम्मान करते हैं. वह दोनों मुझे अपना बड़ा और आदर्श मानकर इज्जत देते हैं और मेरी ओर से भी उन्हें परिवार के तरह ही सम्मान दिया गया है. हमारे रिश्ते केवल स्वार्थ के लिए नहीं बने हैं और हमेशा बने भी रहेंगे. निजी रिश्तों से अलग राजनीतिक मजबूरियों को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है.’
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने गठजोड़ किया था. बसपा ने 38 और सपा 37 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे जबकि रालोद के तीन प्रत्याशी चुनाव लड़े. अमेठी और रायबरेली सीट पर महागठबंधन ने प्रत्याशी नहीं उतारे. इस गठजोड़ के बाद यह संभावना जताई जा रही थी कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी को जबरदस्त नुकसान होगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. बीजेपी ने 62 और उसके सहयोगी अपना दल ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि बसपा को 10 और सपा को 5 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. राष्ट्रीय लोकदल को एक भी सीट पर जीत नसीब नहीं हुई और कांग्रेस के खाते में एक सीट गई.