जम्मू-कश्मीर के कठुआ में हुए बलात्कार और हत्या के मामले में पठानकोट की विशेष अदालत ने फैसला सुना दिया है. सात में से छह आरोपियों को दोषी ठहराया है जबकि एक को बरी कर दिया गया है. आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में खानाबदोश बकरवाल समुदाय की एक आठ वर्षीय बच्ची का बीते साल 10 जनवरी को अपहरण हो गया था. एक हफ्ते बाद जंगल से उसका शव बरामद हुआ था.
क्राइम ब्रांच की चार्जशीट के मुताबिक अपहरण के बाद पीड़ित बच्ची को एक मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया. इस दौरान नशीली दवाएं देकर उसके साथ बार-बार बलात्कार किया गया. पुलिस ने इस मामले में मंदिर के पुजारी सहित सात लोगों को आरोपी बनाया था, जिनमें चार पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. इन पुलिसकर्मियों को भी कोर्ट ने बलात्कार और हत्या का दोषी माना है.
यह बहुचर्चित मामला तत्कालीन पीडीपी-बीजेपी सरकार के लिए विवाद का विषय बन गया था. मामले में क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार लोगों के समर्थन में हिंदू एकता मंच की रैली में भाग लेने के लिए भाजपा को अपने दो मंत्रियों चौधरी लाल सिंह और चंदर प्रकाश गंगा को बर्खास्त करना पड़ा था. मामले में जब पुलिस चार्जशीट दायर करने जा रही थी तो कुछ लोगों ने उसका रास्ता रोक लिया था. अभियुक्तों के पक्ष में तिरंगा यात्रा निकाली गई. इसे देखते हुए मामले में सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा. उसने आदेश दिया कि मामले की सुनवाई जम्मू से बाहर पठानकोट में हो.
अब जब इस मामले में फैसला आ गया है तो बलात्कार और हत्या के आरोपियों का समर्थन करने वाले बीजेपी नेताओं की भी पोल खुल गई है, जिन्होंने इस जघन्य घटना को राजनीतिक रंग दिया. इन नेताओं ने इस घटना को अल्पसंख्यक डोगरा समुदाय के खिलाफ एक बड़ी साजिश बताया. पोल जम्मू और कठुआ की स्थानीय बार एसोसिएशन की भी खुली है, जिसने आश्चर्यजनक रूप से आरोपियों को बचाने के लिए प्रदर्शन किया. उसने पीड़िता का केस नहीं लड़ने का फैसला सुनाया है.
अदालत ने क्राइम ब्रांच की चार्जशीट की सही मानते हुए सात में से छह आरोपियों को दोषी माना है. क्राइम ब्रांच के अनुसार 10 जनवरी की शाम सांझीराम ने अपने नाबालिग भतीजे को जंगल में अक्सर आने वाली आठ साल की बच्ची का अपहरण करने का निर्देश दिया. भजीते ने अपने दोस्त मन्नू के साथ पीड़िता अपहरण किया और सिर पर वार कर बेहोश किया. इसके बाद दोनों ने पीड़िता के साथ बलात्कार किया.
सांझीराम का भतीजा और उसका दोस्त मन्नू यहां से लड़की को मंदिर के परिसर में ले गए, जहां उसे एक स्टोर रूम में बंद कर दिया. यहां आरोपियों से लड़की के साथ कई बार बलात्कार किया. इस बीच सांझीराम ने पुलिस कॉन्सटेबल खजूरिया के साथ मिलकर लड़की की हत्या और लाश को ठिकाने लगाने की योजना बनाई. सांझीराम ने उसे डेढ़ लाख रुपए घूस भी दी. गौरतलब है कि खजूरिया पुलिस द्वारा गठित उस स्पेशल टीम में शामिल था जिसे पीड़िता की खोजबीन के लिए बनाया गया था.
इस बीच एक बार पीड़िता के पिता उसे खोजते हुए 11 तारीख को मंदिर परिसर में भी पहुंचे जहां पीड़िता को नशे की गोलिया देकर छुपाया गया था, लेकिन सांझीराम ने इस बारे में कोई जानकारी न होने की बात कह कर उसे लौटा दिया. एक हफ्ते बाद सभी अभियुक्तों ने लड़की की हत्या की योजना बनाई. उसके साथ बलात्कार के बाद सभी आरोपी उसे जंगल में ले गए. यहां नाबालिग आरोपी ने उसका गला घोंट दिया.
चार्जशीट के मुताबिक जब ये सब हो रहा था तभी आरोपियों के साथ मौजूद पुलिस कॉन्सटेबल दीपक खजूरिया ने कहा कि इसे अभी मत मारो, मुझे भी अपनी हवस मिटानी है. इसके बाद खजूरिया ने भी लड़की से बलात्कार किया. फिर सबने यह सुनिश्चित करने के लिए कि, वो जिंदा न बचे उसके लिए सिर को पत्थरों से कुचला और शव को जंगल में फेंक दिया.
अदालत ने यह माना है कि बकरवाल समुदाय को सबक सिखाने के लिए इस अपराध को अंजाम दिया गया. आपको बता दें कि स्थानीय डोगरा हिंदुओं और बकरवाल समुदाय के बीच काफी समय से टकराव की स्थिति रही है. दोनों ही समुदाय एक दूसरे को फूटी आंख नहीं भाते हैं. आरोपियों के बचाव में सामने आए लोगों का आरोप है कि बकरवाल समुदाय ने उनकी जमीनों पर कब्जा कर रखा है और इनके जानवर उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं.
इस मामले में अदालत ने क्राइम ब्रांच की जांच को सही बताकर बीजेपी और महज धर्म के आधार पर बलात्कार और हत्या के आरोपियों के पक्ष में अभियान चलाने वालों को कठघरे में खड़ा कर दिया है. अदालत ने उस राजनीति को पूरी तरह से पर्दाफाश कर दिया है जो धर्म में नाम पर जघन्य अपराध को राजनीतिक रंग देकर अपराधियों को बचाने की कोशिश करती है.