महाराष्ट्र में राजनीतिक भूकंप: बीजेपी को लाभ, शिवसेना को तगड़ा झटका

कांग्रेस और मनसे में ठनी तो बीच में कूदे उद्धव जबकि शरद पवार ने खींचे हाथ, नए सियासी समीकरणों की संभावना कम, जिससे गदगद है बीजेपी

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महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर ज्वार की लहरें उठने के लिए तैयार हैं. वजह है महाविकास अघाड़ी में होने वाली संभावित टूट, जिससे सत्तारूढ़ महायुति में शामिल भारतीय जनता पार्टी गदगद हो उठी है. दरअसल, महाराष्ट्र में नगर परिषद व पंचायत चुनावों के तुरंत बाद नगर निगम चुनाव होने की संभावना जताई जा रही है. इस चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में घमासान मचा हुआ है. वहीं मुंबई महानगरपालिका चुनाव में राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) मनसे और उद्धव ठाकरे समर्थित शिवसेना के बीच गठबंधन की संभावना है.

बताया जा रहा है कि महानगरपालिका चुनाव की पृष्ठभूमि में दोनों ठाकरे गुट और मनसे के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है. यहीं से महाविकास अघाड़ी में दरार पड़ गयी है. कांग्रेस ने मनसे के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया है. कांग्रेस ने मुंबई निकाय चुनाव अकेले लड़ने का फैसला लिया है. इसके पीछे का कारण मनसे का बताया जा रहा है. कांग्रेस के इस फैसले से उद्धव ठाकरे खेमे में खलबली मचा दी है. हालांकि उद्धव ने कांग्रेस से इस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. अगर ऐसा नहीं होता है तो महाविकास अघाड़ी में ​निश्चित तौर पर बड़ी समस्या पैदा होना तय है.

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वहीं राष्ट्रवादी पार्टी (NCP-SP) के अध्यक्ष शरद पवार मनसे के साथ गठबंधन को लेकर सकारात्मक रुख अपनाए हुए हैं. महाराष्ट्र में करीब ढाई दशक से कांग्रेस और शरद पवार एक साथ राजनीतिक मंच साझा कर रहे हैं. ऐसे में पवार का यह रवैया भी कांग्रेस के लिए हानिकारक साबित हो रहा है.

बीजेपी और महायुति को मिलेगा लाभ

इधर, कांग्रेस के अकेले मैदान में आने से बीजेपी और महायुति को बड़ा फायदा होने वाला है. वजह है विपक्षी वोटों में बंटवारा. ऐसे में बीजेपी सहित एनडीए गठबंधन को निश्चित तौर पर लाभ पहुंचेगा. मनसे प्रमुख राज ठाकरे पहले से ही बीजेपी पर हमलावर हैं और उन्होंने कोंकण महोत्सव में चुनाव आयोग (ECI) और देवेंद्र फडणवीस सरकार पर हमला बोलते हुए मुंबई महानगरपालिका चुनाव को मराठियों के लिए अंतिम चुनाव बताया है.

राज ठाकरे ने कहा, ‘राज दुशमनों की है, बेपरवाह मत होइए, अपने आस-पास नजर रखिए. जिस तरह से राजनीति चल रही है. मतदाता सूची में क्या चल रहा है, इस पर नजर रखिए. मतदाता असली हैं या नकली? आपको इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है. मराठी लोगों के लिए, यह आगामी मुंबई महानगरपालिका चुनाव आखिरी चुनाव होगा. अगर हम बेपरवाह रहे, तो महानगरपालिका हमारे हाथ से निकल जाएगी. इसलिए बेपरवाह मत होइए, मुझे बस इतना कहना है, अगर मुंबई हमारे हाथ से निकल गई, तो ये लोग हंगामा मचा देंगे.’

चूंकि कांग्रेस के गठबंधन छोड़ अलग मैदान में उतरना मनसे और शिवसेना के लिए भी भारी पड़ रहा है. ऐसे में उद्धव कांग्रेस को मनाने में जुटे हैं. अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ने के लिए तैयार है. अगर ऐसा नहीं होता है तो विपक्षी गठबंधन को नुकसान उठाना तय है.

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