साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव पूरी तरह से गायब रहे. न सियासी मैदान में और न ही पोस्टर में. नतीजा – हवा होने के बावजूद महागठबंधन को मुंह की खानी पड़ी. शायद यही सोचकर राजद ने इस गलती को फिर नहीं दोहराया और वर्तमान बिहार विधानसभा चुनाव में लालू की एंट्री आखिरकार हो ही गयी. बिहार के सियासी घमासान के बीच राजद सुप्रीमो दानापुर सीट से पार्टी प्रत्याशी रीतालाल यादव के लिए चुनावी मैदान में उतरे. इस दौरान लालू ने 15 किमी. का रोड शो किया. हालांकि स्वास्थ्य कारणों के चलते वाहन से नहीं उतरे लेकिन हाथ हिलाकर सभी का अभिभावक किया और वोट अपील की. इसके बाद लालू ने फुलवारी-शरीफ में महागठबंधन के भाकपा माले प्रत्याशी गोपाल रविदास के पक्ष में रोड शो किया. इन दोनों रोड शो ने बिहार के राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है.
लालू के रोड शो में उमड़ी भारी भीड़ को देखते हुए सियासत के जानकर मान रहे हैं कि लालू की चुनावी मैदान में एंट्री से एनडीए गुट में भी हलचल है. जैसे ही लालू ने तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने और 14 नवंबर को सरकार बदलने का दावा किया, महागठबंधन में जान आ गयी और एनडीए के पसीने छूटने लगे हैं. बता दें कि रीतालाल यादव का मुकाबला बीजेपी के रामकृपाल यादव से है और यादव समाज में लालू की पैठ सबसे मजबूत है. दानापुर में पहले चरण में ही मतदान हो रहा है.
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दानापुर विधानसभा क्षेत्र लालू प्रसाद के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके उम्मीदवार जेल में हैं और भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव रहे पूर्व सांसद रामकृपाल यादव एक दौर में उनके बेहद करीबी रहे हैं. इस साल लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद की बड़ी बेटी डॉ. मीसा भारती ने रामकृपाल को दानापुर लोकसभा क्षेत्र में पराजित किया था. मीसा इस चुनाव में भी रामकृपाल की हार के लिए जी तोड मेहनत कर रही हैं. लालू प्रसाद स्वयं भी 1995 में दानापुर से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. उस समय वे राज्य के मुख्यमंत्री थे.
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लोकसभा चुनाव में मीसा भारती की जीत में भी लालू का बड़ा हाथ रहा था. मीसा के लिए खुद लालू सक्रिय तरीके से मैदान में उतरे थे और करीब करीब हारी हुई बाजी को जीत में बदल दिया था. इस बार भी लालू से कुछ इसी तरह के करिश्मे की उम्मीद जताई जा रही है. काफी दिनों बाद लालू को अपने बीच देख पार्टी एवं महागठबंधन कार्यकर्ताओं में भी उत्साह भर गया है. अब देखना ये होगा कि लालू बिहार विधानसभा चुनावों में किस तरह का प्रभाव डालने में कामयाब होते हैं.



























