बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान में अब केवल एक दिन का वक्त शेष रह गया है. अब विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशी घर घर जाकर मतदाताओं से मान मुनहार करने में जुटे हैं. महागठबंधन और एनडीए सहित सभी पार्टियों ने तरह तरह के वादों की पोटली वोटर्स के कंधों पर बांधने की कोशिश भी की है. इस बीच बिहार की कुछ ऐसी भी हाई प्रोफाइल सीटें हैं, जहां टिकट न मिलने से नाराज निर्दलीय उम्मीदों के किंग मेकर बनने की संभावनाएं बनती दिख रही है. इस बार के चुनाव में करीब 30 से अधिक सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार खेल बिगाड़ने की भूमिका में हैं. इन निर्दलीय के मैदान में होने से कई पार्टियों का खेल बिगड़ने के पूरे पूरे आसार हैं. अगर बहुमत का गेम फंसा तो यही निर्दलीय किंगमेकर भी बन सकते हैं.
नवादा विस सीट: बागी रवि ने मुकाबला बनाया त्रिकोणीय
नवादा विधानसभा सीट पर निर्दलीय रवि सिंह ने मुकाबले को न केवल त्रिकोणीय बना दिया है, बल्कि एनडीए के समीकरणों को हिला दिया है. रवि पहले जदयू से जुड़े थे, लेकिन टिकट कटने के बाद बागी हो गए. उनका प्रभाव हिसुआ, कोइलवर और वारसलीगंज इलाकों में माना जाता है. माना जा रहा है कि रवि सिंह के चुनावी मैदान में होने से मुकाबला सीधा नहीं रहेगा.
जहानाबाद विस सीट: यादव ने उड़ाई राजद की नींद
जहानाबाद में टिकट न मिलने से नाराज मनोज यादव निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं. यादव दो बार पार्टी के ब्लॉक अध्यक्ष रह चुके हैं और यादव समाज में गहरी पकड़ रखते हैं. यहां राजद के लिए ‘यादव वोट बैंक’ बड़ा नुकसान करता दिख रहा है.
सासाराम विस सीट: जदयू के बागी से बीजेपी बेचैन
सासाराम सीट पर निर्दलीय चंद्रभूषण तिवारी ने माहौल को गर्मा दिया है. जदयू के जिला महासचिव रह चुके तिवारी स्थानीय व्यापारिक वर्ग में गहरी पैठ रखते हैं. उनके उतरने से दोनों पार्टियों को नुकसान तो है ही, बीजेपी उम्मीदवार का भी वोट बैंक खिसकने की संभावना जताई जा रही है.
पटना विस सीट: बीजेपी की राह मुश्किल
पटना सिटी में व्यापारी संघ के अध्यक्ष राजकुमार गुप्ता ने बीजेपी की नींद उड़ा रखी है. गुप्ता लंबे समय से टिकट की मांग कर रहे थे. अब वे निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं और जीएसटी सहित छोटे व्यापारियों के मुद्दे उठा रहे हैं. ऐसे में बीजेपी और एनडीए के लिए अब यह सीट आसान नहीं दिख रही है.
कटिहार विस सीट: रहीम लगा रहे मुस्लिम वोटर्स में सेंध
कटिहार में निर्दलीय रहीम खान का उतरना महागठबंधन के लिए परेशानी बना हुआ है. रहीम पहले AIMIM से जुड़े थे लेकिन अब अकेले मैदान में हैं और राजद का ‘माई’ समीकरण बिगाड़ते दिख रहे हैं. जातिगत समीकरणों में शामिल कटिहार विधानसभा सीट पर मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगना निश्चित है. अब यह हाई प्रोफाइल सीट त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गयी है.
सीवान विस सीट: बीजेपी-राजद दोनों को टेंशन
पूर्व सांसद ओम प्रकाश यादव के कट्टर समर्थक सतीश सिंह सीवान सीट पर निर्दलीय मैदान में हैं. उनकी भूमिहार समुदाय में गहरी जड़ें हैं. हालांकि उनकी पैठ इलाके में जीत योग्य नहीं है लेकिन यहां से राजद और भारतीय जनता पार्टी दोनों को नुकसान की संभावना है.



























