राजस्थान (Rajasthan) की कानून व्यवस्था को लेकर आईजी एवं जिला पुलिस अधीक्षकों की दो दिवसीय कॉफ्रेंस (Confrense) बुधवार को प्रदेश पुलिस मुख्यालय (Police Headquarter) में शुरु हुई. इस कांफ्रेंस में गृहमंत्री का जिम्मा संभाल रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने डीजीपी, आईजी, एसपी सहित गृह सचिव से प्रदेश की कानून व्यवस्था की जानकारी ली.

पुलिस मुख्यालय पर आयोजित इस दो दिवसीय कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री गहलोत ने बुधवार को पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि आज सभी से जिले वार चर्चा की हैं. कल सभी पुलिस अधिक्षकों से वन टु वन चर्चा की जायेगी. सीएम गहलोत ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार की मंशा प्रदेश को पारदर्शी संवेदनशील और जवाबदेही प्रशासन देने की हैं. इस तरह की बैठक प्रदेश में नई शुरुआत हैं. इस बैठक के बाद पुलिस अधिक्षकों की जबाबदेही तय होगी. सरकार चार माह बाद फिर से कानुन व्यवस्था की समीक्षा बैठक करेगी.

सीएम गहलोत ने कहा कि पुलिस विभाग को राजनितिक दखल से अलग रखा जायेगा. पुलिस के कामकाज में राजनीतिक दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं होगी. कुछ फैंसले सरकार पहले ही कर चुकी हैं जिससे लोगों की शिकायतें कम हुई है. आगे जानकारी देते हुए गहलोत ने बताया कि थानेदार द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं करने पर अब कार्रवाई होगी. साथ ही थानेदार द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं करने की दशा में अब एसपी आफिस में एफआईआर दर्ज हो सकेगी.

सीएम गहलोत ने आगे बताया कि पुलिस को संसाधनों की कमी नही आने दी जायेगी. पुलिस बेड़े में नये वाहनों के लिए 70 करोड रुपये के बजट का प्रावधान किया हैं.

पहलू खां मॉब लिंचिंग मामले पर सीएम गहलोत ने कहा कि इस केस में कभी भी एसआईटी की जांच रिपोर्ट आ सकती है. इसके बाद दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी और उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. आगे इस मामले पर बोलते हुए गहलोत ने कहा कि पिछली सरकार में जिस तरह से गलत जांच की गई इससे सभी अभियुक्त बरी हो गए अब ऐसे केसों के अनुसंधान में कोई लापरवाही नहीं हो इसके लिए उच्चाधिकारियों की एक मॉनिटरिंग सेल बनाई जाएगी ताकि अनुसंधान में कोई कमी नहीं रहे.

सीएम गहलोत ने मॉब लिंचिंग और महिला व बाल अपराधों के बारे में कहा कि सभी जिला पुलिस अधीक्षकों की जिम्मेदारी जिले में सबसे बड़ी है. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए फ्री हैंड दिया गया है ऐसे में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए एसपी जिम्मेदारी लेकर मजबूती से कार्रवाई करें.

पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधा के लिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की ओर से लाए गए मंत्री संशोधन विधेयक 2017 को बुधवार को हाईकोर्ट द्वारा अवैध घोषित किए जाने के बारे में गहलोत ने कहा कि उत्तर प्रदेश से शुरू हुई यह कहानी राजस्थान में भी पहुंची है. पिछली भाजपा सरकार पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं के लिए यह कानून लाई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने इसे अवैध घोषित किया है. यह फैसला स्वागत योग्य है.

इसी कड़ी में पत्रकारों द्वारा पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के सरकारी बंगले को खाली करवाये जाने के सवाल पर गहलोत ने स्पष्ट जवाब नहीं देते हुए कहा कि उनका बंगला खाली करवाने का फैसला राज्य सरकार करेगी क्योंकि विधानसभा के सदस्यों की सीनियरिटी के हिसाब से उनके बंगलों का आवंटन किया जाता है. गहलोत ने कहा कि केंद्र में भी वरिष्ठता के आधार पर ही बंगले आवंटित होते हैं उसी प्रकार राज्य में भी वरिष्ठता को ध्यान में ऱखकर ही निर्णय लिया जायेगा. वे दो बार राज्य की मुख्यमंत्री रहीं हैं. फैसला सरकार को करना है, इसलिए वसुंधरा राजे के बंगला खाली करवाने का फैसला राज्य सरकार नियमों को ध्यान में रखकर करेगी.

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