पॉलिटॉक्स न्यूज/उत्तर प्रदेश. अ.भा.कांग्रेस कमेटी की महासचिव प्रियंका गांधी के आव्हान पर मेरठ से आरक्षण बचाओ यात्रा शुरू की गयी. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आरक्षण बचाओ यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस अवसर पर मौजूद भारी संख्या में जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए यूपी कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने के लिए दृढ़ संकल्पित है. उन्होंने कहा कि वर्तमान बीजेपी सरकार आरक्षण के मौलिक अधिकार पर हमला कर रही है. संविधान में मिले हुए मौलिक अधिकारों पर कुठाराघात करते हुए उ.प्र. लोक सेवा आयोग द्वारा आरक्षण को लेकर जो निर्णय लिया है, उससे दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के लाखों अभ्यर्थी प्रभावित होंगे. आरएसएस और बीजेपी द्वारा आरक्षण के अधिकार छीनने वाले मंसूबे के खिलाफ कांग्रेस पार्टी का 10 दिन की प्रदेशव्यापी आरक्षण बचाओ यात्रा के माध्यम से आम जन मानस के बीच संवाद स्थापित किया जाएगा और बीजेपी की इस कुत्सित विचाराधारा के खिलाफ मजबूती के साथ आवाज उठायी जाएगी.
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प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता डॉ. अनूप पटेल ने बताया कि कि अनु.जाति विभाग के नवनियुक्त प्रान्तीय चेयरमैन आलोक प्रसाद पासी ने सांसद पी.एल.पूनिया, विभाग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद ब्रजलाल खाबरी, राष्ट्रीय प्रभारी प्रदीप नरवाल की मौजूदगी में पदभार ग्रहण किया. पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि विभाग के प्रान्तीय चेयरमैन आलोक प्रसाद पासी के नेतृत्व में शुरू हुई उत्तर प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग द्वारा आरक्षण बचाओ यात्रा 10 जनपदों में 5 मार्च तक निकाली जाएगी. गोरखपुर में इस यात्रा का समापन होगा.
इस मौके पर पूर्व विधायक पंकज मलिक, योगेश दीक्षित, मनिन्दर सूद बाल्मीकि, तनुज पुनिया, विदित चौधरी, मुकेश धनगर, योगी जाटव, कामेश रतन, अरूण जाटव, कमल जाटव, जिलाध्यक्ष अवनीश काजला, शहर अध्यक्ष जाहिद अंसारी सहित कई कांग्रेसी नेता मौजूद रहे.
सरकार पर ग्राम रोजगार सेवकों के दो साल का मानदेय न देने का आरोप लगाया
उत्तर प्रदेश कांग्रेस विधान परिषद दल के नेता दीपक सिंह ने सरकार पर ग्राम रोजगार सेवकों का दो साल का मानदेय न देने का आरोप लगाया है. दीपक सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 2017 से मनरेगा के तहत कार्य करने वाले ग्राम रोजगार सेवकों के मेहनताने का भुगतान न तो वित्तीय वर्ष 2017-18 में हुआ और न ही 2018-19 में किया गया. सरकार द्वारा पास किए गए अनुपूरक बजट के पहले ग्राम विकास आयुक्त ने प्रमुख सचिव ग्राम विकास विभाग के माध्यम से वित्त विभाग को उक्त भुगतान हेतु 170 करोड़ रुपये की मांग का प्रस्ताव भेजा था लेकिन विभाग को एक रुपया भी आवंटित नहीं हुआ.
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इसी बीच सरकार कुछ ने ग्राम पंचायतों को नगर पंचायतों में बदल दिया है. ऐसे में बीते दो सालों से मानदेय के लिए तरस रहे ग्राम रोजगार सेवकों में से कई अब बेरोजगार भी हो रहे हैं. गांवों के शहरी निकाय में आ जाने से दो हजार से अधिक रोजगार सेवक बेरोजगार हो जाएंगे, क्योंकि शहरी निकायों में उक्त पद की कोई व्यवस्था नहीं है. 60 हजार मनरेगा मजदूरों के जाॅब कार्ड खत्म होने से उन्हें बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा. अप्रैल, 2015 के बाद से ग्राम रोजगार सेवकों के लिए ईपीएफ व्यवस्था लागू न होने की बात भी परिषद दल के नेता ने कही. दीपक सिंह ने किसानों को लागत मूल्य न मिल पाने की समस्या का भी जिक्र किया.