Wednesday, January 15, 2025
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श्रीराम के पुत्र लव ने की थी लाहौर (लव-कोट) की स्थापना, मेवाड़ राजघराने का दावा ‘हम लव के वंशज’

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शनिवार को जयपुर राजघराने की तरफ से दीया कुमारी ने भगवान राम के वंशजों में से कुश का वंशज होने का दावा करने के बाद अब मेवाड़ के पूर्व राजघराने के सदस्यों ने दावा किया है कि वे कुश के भाई लव के वंशज हैं. भगवान श्रीराम के दो पुत्र थे लव और कुश. कुश से कुशवाहा राजपूतों की वंश परंपरा आगे बढ़ी थी. जयपुर का राजगद्दी पर कुछवाहा या कच्छवाहा का अधिकार रहा है.

सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि अयोध्या विवाद मामले में विचाराधीन एक पक्ष रामलला का भी है. रामलला विराजमान नाम से याचिका लगी हुई है. इस पर सुनवाई के दौरान जज ने रामलला के वकील से पूछा था कि राम के कोई वंशज हैं क्या? वकील ने कहा, कोई जानकारी नहीं है. इस पर जयपुर राजपरिवार ने अपने को श्रीराम का वंशज बताते हुए पुराने दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं. इसके तहत जयपुर का राजघराना श्रीराम के पुत्र कुश के वंश से संबंधित है.

मेवाड़ राजघराने के महेन्द्र सिंह ने कहा कि श्रीराम के पुत्र लव ने लव-कोट (लाहौर) की स्थापना की थी, जो कि अब पाकिस्तान में है. समय गुजरने के साथ ही लव के वंशज आहाड़ पहुंचे थे, जो मेवाड़ का पुराना नाम है. यहां उन्होंने सिसोदिया सम्राज्य की स्थापना की थी. इतिहासकारों के मुताबिक मेवाड़ राज परिवार के रीति-रिवाज, शिव उपासक और सूर्यवंशी होना उनके श्रीराम के वंशज होने का प्रमाण है.

महेन्द्र सिंह के मुताबिक मेवाड़ में उनकी 76 पीढ़ियों का इतिहास दर्ज है, जबकि राजघराने का इतिहास और भी पुराना है. मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के लक्ष्य राज सिंह ने भी कहा कि हम लव के वंशज हैं. कर्नल जेम्स टाड की पुस्तक एनल्स एंड एंटीक्वीटीज ऑफ राजस्थान में लिखा है- श्रीराम की राजधानी अयोध्या थी. उनके बेटे लव ने लव-कोट (लाहौर) बसाया था. लव के वंशज कालांतर में गुजरात होते हुए आहाड़ यानी मेवाड़ में आए, जहां सिसोदिया साम्राज्य की स्थापना की. चित्तौड़ के बाद उदयपुर को राजधानी बनाया था. मेवाड़ का राज प्रतीक सूर्य रहा है. श्रीराम शिव उपासक थे और मेवाड़ राज परिवार भी एकलिंगनाथ (शिवजी) का उपासक है. लक्ष्य राज सिंह का कहना है कि ये मेवाड़ राज परिवार के सूर्यवंशी श्रीराम के वंशज होने के पुख्ता प्रमाण हैं.

यह भी पढ़ें: जयपुर राजघराने का दावा- हम राम के वंशज हैं

महेन्द्र सिंह मेवाड़ का सवाल है कि श्रीराम के वंशजों की वंशावली अयोध्या विवाद का मुद्दा है ही नहीं, फिर इसकी मांग क्यों हो रही है? जयपुर राजघराने ने 25 साल पहले भी वंशावली दी थी, उसका क्या हुआ? पूर्व राज परिवार से जुड़े इतिहासकार प्रोफेसर चंद्रशेखर शर्मा और डॉ. अजातशत्रु सिंह शिवरती के अनुसार मेवाड राज परिवार का राज प्रतीक सूर्य है और वे शिव के उपासक रहे हैं. ये दोनों समानताएं श्रीराम के वंश में रही हैं. मेवाड़ राजपरिवार के सूर्यवंशी होने की वंशावली भी मौजूद है. श्रीराम के बड़े पुत्र लव (पाटवी) ने लव कोट (लाहौर) की स्थापना की थी और कालांतर में बप्पा रावल ने रावलपिंडी बसाया था, जो कि अब पाकिस्तान में है. मेवाड़ का साम्राज्य पाकिस्तान तक फैला हुआ था. चतुरसिंह बावजी ने चतुर चिंतामणि में भी महाराणा प्रताप को श्रीराम का पोता (वंशज) और रघुवंशी लिखा है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के मसले पर चल रही सुनवाई के बीच जयपुर के पूर्व राजपरिवार की ओर से श्रीराम का वंशज होने का दावा किया गया है. पूर्व राजपरिवार की सदस्य और भाजपा सांसद दीया कुमारी ने कहा कि वे भगवान राम के वंशज हैं. उन्होंने पोथीखाना में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर इसका दावा किया है. उन्होंने कहा कि जयपुर राजपरिवार की गद्दी भगवान राम के पुत्र कुश के वंशजों की राजधानी है.

वहीं पूर्व राजमाता पद्मनी देवी ने बताया कि साल 1992 में पूर्व महाराजा स्व. भवानी सिंह ने मानचित्र सहित सभी दस्तावेज कोर्ट को सौंप दिए थे. भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज होने से ढूंढाड़ के राजा कछवाहा कहलाने के साथ राम की 309वीं पीढ़ी में मानते हैं. जयपुर के पूर्व राजपरिवार का दावा है कि रामजन्म भूमि को लेकर सिटी पैलेस के कपड़ा द्वारा में सुरक्षित दस्तावेजों आधार पर यह साफ होता है कि अयोध्या में राम मंदिर की भूमि जयपुर रियासत के अधिकार में रही है.

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प्रसिद्ध इतिहासकार प्रोफेसर आरनाथ ने शोध ग्रंथ की पुस्तक स्ट्डीज इन मिडीवल इंडियन आर्केटेक्चर में दस्तावेजों के साथ साबित किया गया है कि अयोध्या में ‘कोट राम’ जन्मस्थान जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई जय सिंह द्धितीय के अधिकार में रहा था।

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