CM Gehlot’s New Year Gift to State Employees. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने साल के अंतिम दिन 31 दिसंबर को अपना नया मास्टर कार्ड तैयार कर लिया है. गहलोत सरकार राज्य के करीब एक लाख कर्मचारियों को नए साल का गिफ्ट देते हुए क्लर्क ग्रेड कर्मचारियों की 20 साल से चली आ रही सबसे बड़ी मांग को पूरा करने की पूरी तैयारी कर ली है. राज्य की गहलोत सरकार प्रदेश के एक लाख से ज्यादा क्लर्क ग्रेड वाले कर्मचारियों को सचिवालय सर्विसेज के बराबर वेतन और प्रमोशन देने की तैयारी में है. स्टेट फाइनेंस डिपार्टमेंट ने इस डिमांड को लेकर स्टडी भी शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि इसके लिए सीएम ने 28 दिसंबर को कुछ कर्मचारी नेताओं को मिलने के लिए अपने घर (सीएमआर) पर बुलाया था. इस मौके पर राजस्थान टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के चेयरमैन धर्मेन्द्र राठौड़ और गहलोत के प्रमुख शासन सचिव (सीएमओ) कुलदीप रांका भी मौजूद थे.
आपको बता दें कि देश में केवल प्रधानमंत्री कार्यालय ही है जहां राजस्थान के सचिवालय से बेहतर वेतन और पदोन्नति मिलती है, अन्यथा देश में और कहीं नहीं. ऐसे में गहलोत की यह सौगात प्रदेश के करीब एक लाख मंत्रालयिक (लिपिक वर्ग) कर्मचारियों के लिए निश्चित तौर पर नए साल के बड़े तोहफे से कम नहीं, इसके बाद कर्मचारियों की शायद ही कोई महत्वपूर्ण मांग बाकी रह जाए. मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा यह घोषणा करने पर राज्य सरकार पर करीब 1100 करोड़ रुपए वार्षिक का अतिरिक्त भार पड़ेगा.
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संभावना बन रही है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कर्मचारी हित की इस घोषणा को बजट से पहले घोषित कर सकते हैं. इस संबंध में प्रदेश के साढ़े सात लाख कर्मचारियों और तीन लाख पेंशनर्स के विभिन्न मुद्दों पर विचार करने वाली पूर्व कार्मिक सचिव खेमराज चौधरी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने भी सीएम गहलोत को शनिवार शाम को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.
20 साल से क्लर्क ग्रेड की ओर से की जा रही थी मांग
सामान्य विभागीय सेवाओं में सबसे बड़ा पद है संस्थापन अधिकारी, सचिवालय सेवा से बहुत पीछे. मांग है कि सचिवालय सेवा के सीनियर डीएस के बराबर डिप्टी डायरेक्टर का पद दिया जाए. क्लर्क ग्रेड के लगभग एक लाख कर्मचारियों की पिछले 20 सालों से मांग की जा रही थी कि संस्थापन अधिकारी को सचिवालय सेवा के डिप्टी सेक्रेटरी के बराबर किया जाए. उनकी सैलरी और प्रमोशन के अवसर भी बराबर किए जाएं. इसके ऊपर फिर एक पद और गठित कर डिप्टी डायरेक्टर का पद विभागों में बनाया किया जाए, जिसे सचिवालय सेवा के सीनियर डिप्टी सेक्रेटरी के बराबर वेतन मिले. संस्थापन अधिकारी बनने पर करीब एक लाख रुपए मासिक का वेतन मिलता है, जो सचिवालय सेवा के टॉप पद से 25 से 40 हजार रुपए मासिक कम है. वेतन का फर्क जीवन भर पेंशन में भी बना रहता है, जो अब हमेशा के लिए दूर हो जाएगा.
किसानों के बाद सबसे बड़ा वोट बैंक है राज्य कर्मचारी वर्ग
किसानों के बाद कर्मचारी वर्ग राजस्थान ही नहीं देश भर में सबसे बड़ा वोट बैंक है. सरकार की योजनाओं को फेल और पास करने की ताकत उनके पास होती है. सरकार की योजनाओं के प्रति माहौल बनाने का काम भी कर्मचारी करते हैं. प्रदेश की सभी 200 विधानसभा सीटों में वे, उनके परिजन और उनसे प्रभावित लोग रहते हैं. ऐसे में सीएम गहलोत चाहते हैं कि यह वर्ग उनकी सरकार के प्रति सकारात्मक बना रहे. वर्ष 2013 में उन्होंने करीब 10 साल पहले सामान्य विभागों के लिपिकों को सचिवालय सेवा के बराबर वेतन व पदोन्नति देने का निर्णय लगभग कर ही लिया था, लेकिन उसे लागू नहीं कर पाए थे.