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आचार संहिता उल्लंघन मामले में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के सामने 11 पन्नों का जवाब पेश किया है. जिसमें बताया है कि उन्होंने मध्यप्रदेश के शहडोल के बयान में किसी भी प्रकार से आचार संहिता का उल्लघंन नहीं किया है. साथ ही राहुल ने आयोग से कहा कि वो आचार संहिता से जुडे मामले की सुनवाई करते समय निष्पक्ष रहें. वह कांग्रेस के पक्ष में भेदभावपूर्ण रवैया नहीं अपनाए.

आपको बता दें कि शहडोल में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा था कि मोदी सरकार ने ऐसा कानुन बनाया है जिसमें आदिवासियों को गोली मारने की इजाजत दी गई. इस बयान के बाद राहुल गांधी को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया था.

राहुल ने आगे अपने जवाब में कहा कि भारतीय वन कानून में प्रस्तावित संशोधन को वो अपने एक भाषण में आसान तरीके से समझाने की कोशिश कर रहे थे. राहुल गांधी ने आयोग के सामने दलील दी कि वे वन कानून 1927 की धारा 66 में संशोधन के सरकारी प्रस्ताव पर अपने भाषण के फ्लो में बोल रहे थे लेकिन उनकी मंशा लोगों को भड़काने की नहीं थी.

आगे राहुल गांधी ने कहा कि ये शिकायत बीजेपी ने उनको लोकसभा चुनावों में प्रचार से रोकने के लिए की है. मैं मेरी पार्टी का स्टार प्रचारक हूं और सिर्फ चुनाव प्रचार में हमारी पार्टी का विजन बताता हूं. साथ ही मोदी सरकार के दौरान किए गए जनता विरोधी कार्यो को देश की आवाम के सामने रखता हूं. बीजेपी इससे घबरा गई है.

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से कहा कि आयोग पार्टियों के खिलाफ की गई शिकायतों पर कार्रवाई करते वक्त निष्पक्ष, गैर-भेदभावपूर्ण, गैर-मनमाना रवैया अपनाने की गुजारिश की. उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सहित बीजेपी नेताओं द्वारा दिये गए कई बयानों का हवाला दिया, जिनमें नेताओं ने आपत्तिनजक शब्दों का इस्तेमाल किया था. इन सभी मामलों में आयोग ने कोई कारवाई नहीं करते हुए क्लीन चिट दी है.

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