Politalks.News/Rajasthan/Private School Fee. प्रदेश में निजी स्कूलों की फीस मामले को लेकर अब निजी स्कूल संघ और अभिभावक संघ खुलकर आमने-सामने हो गए हैं. पिछले 7 महीनों से दोनों के बीच चली आ रही रार के बाद अब प्रदेश के करीब 50 हजार से ज्यादा निजी स्कूल एकजुट हो गए हैं. निजी स्कूलों ने 5 नवम्बर से सम्पूर्ण राजस्थान में अनिश्चितकालीन स्कूल बंद की चेतावनी देते हुए ऑनलाइन पढ़ाई को बंद करने का फैसला लिया है. इसके साथ ही फीस का भुगतान नहीं होने पर प्रदेश स्तर पर एक बड़े आंदोलन की भी निजी स्कूलों ने चेतावनी दी है. तो दूसरी तरफ अभिभावकों ने भी फीस को लेकर बड़े आंदोलन की चेतावनी दे डाली है.
इसी बीच निजी स्कूलों की ओर से फीस वसूली के मामले में राजस्थान सरकार की ओर से सोमवार को हाईकोर्ट में शपथ पत्र पेश किया गया है. शपथ पत्र में अदालती आदेश के पालन में सत्र 2020-21 की फीस वसूलने का ब्यौरा पेश किया गया. मामले में हाईकोर्ट की खंडपीठ राज्य सरकार व अन्य की अपील पर मंगलवार को सुनवाई करेगी. जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र पेश कर कहा गया कि गत 28 अक्टूबर को शिक्षा विभाग की ओर से आदेश जारी कर स्कूल फीस निर्धारित की गई है. इसके तहत सीबीएसई (CBSE) की कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों की ट्यूशन फीस में तीस फीसदी की छूट दी गई है. राजस्थान बोर्ड की इन कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए ट्यूशन फीस में चालीस फीसदी की कटौती की गई है. इसके अलावा कक्षा एक से आठ के विद्यार्थियों को स्कूल बुलाने का निर्णय लेते समय पाठ्यक्रम में कटौती के आधार पर फीस निर्धारित की जाएगी.
बता दें, कोरोना के चलते मार्च में स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया गया था और उसके बाद से ही फीस को लेकर अभिभावकों और निजी स्कूलों में फसाद देखने को मिल रहा है. जहां अभिभावक लॉक डाउन के दौरान की फीस माफ करने पर अडे हैं तो वहीं ऑनलाइन एज्युकेशन की फीस भी आधी करने की मांग कर रहे हैं. ऐसे में अब फीस नहीं मिलने से निजी स्कूल भी आंदोलन की राह पर निकल चुके हैं.
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निजी विद्यालय एकता मंच की ओर से पिछले दिनों शिक्षा विभाग की ओर से जारी फीस मॉडल को लेकर आपत्ति जताई गई है. निजी विद्यालय एकता मंच की ओर से इस आदेश के विरोध में 5 नवम्बर से स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया गया है. मंच के संदीप बख्शी का कहना है कि “फीस का मामला अभी कोर्ट में पैंडिंग चल रहा है. ऐसे में 7 सितम्बर को एकलपीठ ने जो निजी स्कूलों के पक्ष में फैसला दिया था. उसके अनुसार फीस का भुगतान सरकार करवाए और अगर सरकार फीस का भुगतान नहीं करती है तो सरकार की ओर से निजी स्कूलों के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा करनी चाहिए, जिससे निजी स्कूलों के स्टाफ की फीस का भुगतान किया जा सके.”
वहीं दूसरी ओर शिक्षा विभाग की ओर से जारी फीस निर्धारण के आदेश को अभिभावकों ने भी मानने से साफ इनकार कर दिया है और नए सिरे से फीस तय करने के साथ ही ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर 20 से 25 फीसदी से ज्यादा फीस नहीं होने की मांग रखी है. बता दें, फीस के मामले पर संयुक्त अभिभावक समिति को अंतर्राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा और करणी सेना राजस्थान का भी समर्थन दिया गया है. इस संदर्भ में संयुक्त अभिभावक समिति की ओर से प्रेसवार्ता आयोजित कर अभिभावकों ने चेतावनी देते हुए कहा कि ‘निदेशालय की ओर से जारी की गई फीस भी अभिभावकों के लिए बहुत ज्यादा है. ऐसे में बंद स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर 20 से 25 फीसदी से ज्यादा की फीस नहीं होनी चाहिए.’
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बहरहाल, फीस का भुगतान नहीं होने से आर्थिक तंगी से गुजर रहे निजी स्कूलों ने आंदोलन का बिगुल बजा दिया है. 5 नवम्बर से जहां पूरे प्रदेश के स्कूलों को ऑनलाइन और फिजिकल एज्युकेशन को बंद करने की चेतावनी दी है, तो वहीं जल्द समाधान नहीं होने पर प्रदेश स्तरीय बडे़ आंदोलन की भी चेतावनी दे डाली है. उधर अभिभावक संघ ने भी निजी स्कूलों के खिलाफ आंदोलन करने की चेतावनी दे दी है, ऐसे में अब प्रदेश सरकार के लिए यह मसला एक चुनौती बन गया है.