पॉलिटॉक्स ब्यूरो. इसे पीएम मोदी का बड़प्पन कहें या कुछ और! रविवार को पुणे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अस्पताल में भर्ती अरूण शौरी से मुलाकात की, बिना तय कार्यक्रम के एयरपोर्ट जाते समय पीएम मोदी का अस्पताल जाकर अपने राजनीतिक शत्रु माने जाने वाले अरुण शौरी (Arun Shourie) से 45 मिनट की मुलाकात करना हलकों में बन गया चर्चा का विषय. बता दें, कभी भाजपा के बड़े खैरख्वाह और कभी बड़े वाले आलोचक रहे हैं शौरी.
2015 में अरुण शौरी (Arun Shourie) ने लगाए थे मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार पर अर्थव्यवस्था खराब करने का आरोप. भारत की गिरती अर्थव्यवस्था को न सुधार पाने का आरोप, तब अरूण शौरी ने कहा था “भाजपा की आर्थिक नीतियां दिशाहीन हैं” कभी भाजपा सरकार में मंत्री रहे शौरी एक अच्छे अर्थशास्त्री भी माने जाते हैं.
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गौरतलब है कि भाजपा में इन दिनों सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है वहीं आर्थिक मंदी से भारत को उबारने में मोदी सरकार को नहीं मिली अपेक्षाकृत सफलता. पहले पीयूष गोयल और अब निर्मला सीतारमण का होमवर्क और नीतियां भी नहीं आ रहीं हैं काम. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी की अरूण शौरी से मुलाकात के निकाले जा रहे कई मायने. क्या शौरी के अर्थशास्त्री के तौर पर लम्बे अनुभव का फिर से लाभ पाना चाहते मोदी ? बहरहाल किसी के मन में क्या चल रहा है ये तो वो ही जाने या फिर ईश्वर ? लेकिन इस मुलाकात के दूरगामी परिणाम आ सकते हैं सामने
क्योंकि भाजपा का अच्छे अर्थशास्त्री के मामले में है “तंग है हाथ“.
Politalks Bureau. Call it the nobility of PM Modi or something! On Sunday, Prime Minister Narendra Modi met hospitalized Arun Shourie in Pune, 45 minutes of PM Modi’s visit to the hospital, Arun Shourie, who is considered a political enemy, became a topic of discussion while going to the airport without a schedule. . Let me tell you, Shourie has been a critic of BJP’s big boss and sometimes elder.
In 2015, Arun Shourie accused the Modi-led central government of destroying the economy. Accused of not reforming India’s declining economy, then Arun Shourie said “BJP’s economic policies are directionless”. Shourie, who was once a minister in the BJP government, is also considered a good economist.
Significantly, everything is not going well in the BJP these days, but the Modi government did not get success in salvaging India from the economic downturn. First Piyush Goyal and now Nirmala Sitharaman’s homework and policies are also not working. In such a situation, the meaning of Prime Minister Modi’s meeting with Arun Shourie is being removed. Does Modi want to reap the benefits of Shourie’s long experience as an economist? However, what is going on in someone’s mind, is he only known or God? But far-reaching results can come from this meeting
Because in the case of the good economist of the BJP, “the hand is tight“.