देश में एक बार फिर एक देश-एक चुनाव के मुद्दे को लेकर बहुत तेज हो गई है. पीएम नरेन्द्र मोदी ने इसको लेकर दिल्ली में सर्वदलीय बैठक बुलाई. हालांकि कांग्रेस ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया. ऐसा कर कांग्रेस ने साफ जाहिर कर दिया है कि वह एक देश-एक चुनाव के पक्ष में नहीं है. लेकिन कांग्रेस नेता और राहुल गांधी के बेहद करीबी मिलिंद देवड़ा ने इसका समर्थन किया है.

मिलिंद के समर्थन के बाद कांग्रेस में इसे दो फाड़ के रुप में देखा जा रहा है. देवड़ा ने कहा कि हमें इसका समर्थन करना चाहिए. वहीं यूपीए में भी इस मुद्दे पर फूट देखी गई. नेशनल कॉन्फ्रेंस और एनसीपी ने सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लिया.

देवड़ा ने बयान जारी कर असहमति जताई
कांग्रेस नेता देवड़ा ने पत्र में लिखा कि केंद्र सरकार का ‘एक देश एक चुनाव’ प्रपोजल डिबेट लायक है. पूर्व में हुए चुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने अपने लिखित बयान में कहा, ‘हमें यह बिलकुल भी नहीं भूलना चाहिए कि देश में 1967 से पहले देश में एक साथ ही चुनाव होते थे. पूर्व सांसद होने के नाते मैं मानता हूं कि लगातार होने वाले चुनावों की वजह से सरकार चलाने में बहुत दिक्कत आती है. चुनाव के चलते अच्छे से सरकार नहीं चल पाती है.’ हालांकि देवड़ा ने इसे अपना निजी बयान बताया है.

यूपीए भी दो फाड़
इस मुद्दे पर यूपीए में भी फूट देखी गई है. पीएम मोदी ने सभी दलों की बैठक बुलाई थी लेकिन कांग्रेस ने इससे दूरी बना ली थी क्योंकि कांग्रेस ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के पक्ष में नहीं है. हालांकि यूपीए के दो अहम सहयोगी दल एनसीपी और नेशन कॉन्फ्रेंस के नेता
सर्वदलीय बैठक में शामिल हुए.

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