पॉलिटॉक्स न्यूज/दिल्ली. निर्भया के गुनहगारों को आखिरकार उनके घृणित अपराध का दंड मिलने जा रहा है. चारों दोषियों पवन वर्मा, अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह और विनय शर्मा को शुक्रवार को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दी जाएगी. 16 दिसम्बर, 2012 की रात एक पैरामैडिकल छात्रा के साथ दरिंदगी के चारों दोषियों ने फांसी से बचने की हर मुमकिन कोशिश की लेकिन उन्हें अब जाकर अपने कर्मों का दंड मिलने जा रहा है. एक दोषी नाबालिग होने की वजह से 19 माह बाल सुधार गृह में बिताकर 2016 में रिहा हो चुका है जबकि एक दोषी रामसिंह ने जेल में खुदखुशी कर दी थी. खैर ये तो थी घटना की लेकिन लोगों में ये भी बड़ी उत्सुकता है कि आखिर फांसी दी कैसे जाएंगी क्योंकि भारत जैसे देश में फांसी दिए जाने के किस्से कभी कभार ही होते हैं. अंतिम बार फांसी 7 साल पहले दी गई थी जब 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमलों के मुख्य आरोपी मोहम्मद अफज़ल गुरु को 9 फ़रवरी, 2013 को फांसी पर लटकाया गया था.
लोगों की जिज्ञासा शांत करने के लिए पॉलिटॉक्स बताने जा रहा है कि आखिर फांसी कैसे दी जाती है और उससे पहले क्या क्या होता है. आइए डालते हैं एक नजर.
फांसी से पहले मुजरिम को 14 दिन का वक़्त दिया जाता है ताकि वो चाहे तो अपने परिवार वालों से मिल लें और मानसिक रूप से अपने आप को तैयार कर ले. जेल में उसकी काउंसलिंग भी की जाती है. अगर कैदी अपनी वसीयत भी तैयार कराना चाहे तो इसकी भी इजाजत दी जाती है. इसमें वो अपनी अंतिम इच्छा लिख सकता है. अगर मुजरिम चाहता है कि उसकी फांसी के वक़्त वहां पंडित, मौलवी या पादरी मौजूद हो तो जेल सुप्रिटेंडेंट इसका इंतजाम करते हैं. फांसी की तैयारी की पूरी ज़िम्मेदारी सुपरिटेंडेंट की होती है. फांसी का तख़्ता, रस्सी, नक़ाब समेत फांसी का तख्ता ठीक से लगा हुआ है या नहीं, लीवर में तेल डला हुआ है या नहीं, सफ़ाई है या नहीं और रस्सी ठीक हालत में है या नहीं इत्यादि का निरीक्षण उसे करना होता है. ये सब काम पहले से हो चुके हैं.
अब आते हैं फांसी से एक दिन यानि आज शाम को क्या क्या होगा. चूंकि कल सुबह फांसी है तो आज की रात कैदियों की आखिरी रात है. ऐसे में सभी कैदियों को अलग अलग एक स्पेशल वॉर्ड की सेल में रखा जाएगा. उनकी अंतिम इच्छा के बारे में पूछा जाएगा. आज ही फांसी के तख़्ते और रस्सियों की फिर से जांच की जाएगी. रिहसल के तौर पर फंदे से रेत के बोरे को लटकाकर देखा जाता है जिसका वज़न कैदी के वजन से डेढ़ गुना ज़्यादा होता है. जल्लाद फांसी वाले दिन से दो दिन पहले ही जेल आ जाता है और वहीं रहता है. निर्भया मामले में जल्लाद तीन दिन पहले से ही तिहाड़ तेल में है और लगातार फांसी दी जाने की रिहसल हो रही है.
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फांसी देने से कुछ समय पहले यानि करीब 4:30 बजे जेल सूपरिटेंडेंट और डेप्युटी सूपरिटेंडेंट चारों कैदियों के अलग अलग सेल में जाएंगे. सबसे पहले चारों दोषियों की पहचान की जाएगी जिनका नाम डेथ वारंट में है. उसके बाद चारों को मातृभाषा में वारंट पढ़कर सुनाया जाएगा और सूपरिटेंडेंट की ही मौजूदगी में मुजरिम की बातें रिकॉर्ड की जाएंगी. उक्त कैदियों का वजन भी कराया जाएगा और नहला धुलाकर कपड़े बदलाए जाएंगे.
उसके बाद चारों को सूपरिटेंडेंट फांसी वाले फांसी कोठी जहां फांसी दी जानी है, वहां चले जाएंगे. फांसी वाली कोठी के आस पास की कोठियों को पहले ही खाली करा लिया जाएगा. डिप्टी सूपरिटेंडेंट की मौजूदगी में मुजरिम को काले कपड़े पहनाकर उसके हाथ पीछे से बांध दिए जाएंगे. अगर पैरों में बेड़ियां हैं तो वो भी खोल दी जाएंगी. फिर चारों को फांसी के तख्ते की तरफ़ ले जाया जाएगा. उस वक़्त डेप्युटी सूपरिटेंडेंट, हेड वॉर्डन और छह वॉर्डन साथ होंगे. दो वॉर्डन आगे, दो पीछे और एक-एक अगल-बगल में होंगे. जब मुजरिम फांसी वाली जगह पहुंचेंगे तो उस जगह सूपरिटेंडेंट, मैजिस्ट्रेट और मेडिकल ऑफ़िसर पहले से मौजूद होंगे.
इसके बाद सूपरिटेंडेंट वहां उपस्थित मैजिस्ट्रेट को चारों कैदियों की तमाम डिटेज सौंपते हुए बताएगा कि उन्होंने क़ैदी की पहचान कर ली है और वारंट उसकी मातृभाषा में पढ़कर सुना दिया है. उसके बाद चारों को जल्लाद (हैंगमैन) के हवाले कर दिया जाएगा. उसके बाद जल्लाद चारों को फांसी के तख्ते तक चढ़ाएगा. पहले एक फांसी देने का नियम था लेकिन अब चार फांसी एक साथ देने का तख्ता तैयार करा लिया गया है. अब चारों को फांसी के फंदे के ठीक नीचे खड़ा किया जाएगा. उस वक़्त तक वॉर्डन दोषियों की बांहे पकड़कर रखेंगे.
इसके बाद जल्लाद उन सभी के दोनों पैरों को टाइट बांध देगा और उनके चेहरों पर काले नकाब डाल देगा. फिर उन्हें फांसी का फंदा पहनाएगा. अब जितने भी वॉर्डन खड़े होंगे, वे पीछे हट जाएंगे. ठीक सुबह 5:30 बजे जैसे ही जेल सूपरिटेंडेंट इशारा करेगा, जल्लाद लीवर को खींच देगा. लीवर खीचते ही जिन दो फट्टों पर कैदी खड़े होते हैं, वो नीचे वेल में गिर जाएगा और मुजरिम फंदे से लटक जाएंगे.
चारों की बॉडी आधे घंटे तक वहीं लटकती रहेगी. आधे घंटे के बाद चारों का मैडिकल चैकअप होगा और जैसे ही उन्हें मरा घोषित किया जाएगा, बॉडी को नीचे उतार पोस्टमार्टन के लिए भेजा जाएगा. उसके बाद सुपरिटेंडेंट मजिस्ट्रेट को फांसी का वारंट लौटा देगा और कन्फर्म कर देगा कि फांसी की सजा पूरी हो गई है. फांसी के बाद सुपरिटेंडेंट इंस्पेक्टर जनरल को फांसी दी जाने की रिपोर्ट करेगा. उसके बाद इंस्पेक्टर जनरल वारंट को पटियाला हाउस कोर्ट को वापस लौटा देगा क्योंकि वहीं से डेथ वारंट जारी किया गया था.
पोस्टमॉर्टम के बाद मृतक की बॉडी को परिजनों को सौंप दी जाएगी. अगर कोई सुरक्षा कारण है तो जेल सुपरिटेंडेंट की मौजूदगी में शव को जलाया या दफनाया जाएगा. इस तरह फांसी की सभी प्रकियाओं को अंजाम दिया जाता है. बॉडी सौंपने के साथ ही फांसी की प्रक्रिया समाप्त होती है. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि किसी भी जेल में फांसी की सजा सरकारी छुट्टी के दिन नहीं होती. सभी फांसी वर्किंग डेज में ही दी जाती है.