सुलह की राह में रोड़ा बना मानसून! टलता दिख रहा पुनर्गठन, बेचैनी बढ़ा रहा दिग्गजों का महामंथन

राजस्थान में गहलोत मंत्रिमंडल पुनर्गठन पर बड़ी खबर ,विदाई वाले मंत्रियों को एक बार और तिरंगा फहराने का मौका मिलना तय, कोरोना, उपचुनाव के बाद अब मानसून बना ढाल, प्रदेश के कई इलाकों में बाढ़ के हालात, इसको देखते हुए आगे बढ़ रहा है मंत्रिमंडल पुनर्गठन!

विदाई वाले मंत्रियों को एक और मौका मिलना तय...
विदाई वाले मंत्रियों को एक और मौका मिलना तय...

Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान में गहलोत मंत्रिमंडल ‘पुनर्गठन‘ को लेकर बड़ी खबर ये हैं कि अब ये 15 अगस्त के बाद होने की ज़्यादा संभावना है. हटने वाले मंत्रियों को एक बार और झंडा फहराने का मौक़ा मिलेगा. रायशुमारी, शैलजा और डीके शिवकुमार के राजस्थान दौरे के बाद अब प्रदेश प्रभारी अजय माकन जयपुर दौरे पर आ रहे हैं. एक बार फिर से गहलोत मंत्रिमंडल में होने वाले पुनर्गठन पर मंथन होगा. पहले कोरोना की पहली लहत, फिर उपचुनाव और फिर दूसरी लहर के बाद अब मानसून ने मंत्रिमंडल पुनर्गठन की राह रोकी है.

सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से यह तर्क दिया गया है कि राजस्थान के कुछ इलाकों में अतिवृष्टि के चलते बाढ़ के हालात हैं. ऐसे समय मे मंत्रिमंडल शपथ का कार्यक्रम रखना ठीक नहीं होगा. फिलहाल मौसम विभाग ने 12 अगस्त तक मौसम का यही हाल बने रहने की आशंका जताई है. खासकर हाड़ौती संभाग में बारिश से हाल बेहाल है. बताया जा रहा है कि इस बात पर पायलट कैंप की ओर से भी सहमति जता दी गई है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सीएम गहलोत पायलट कैंप के सब्र का इम्तिहान ले रहे हैं. हालांकि सिर्फ मानसून को दोषी ठहराना सही नहीं होगा, इस देरी के कई बड़े सियासी कारण और भी हैं, जिनके चलते सुलह नहीं हो पा रही है.

हरियाणा पीसीसी चीफ कुमारी शैलजा और कर्नाटक के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सियासी मुलाकातें कई अहम सवाल छोड़ गई है. राजनीतिक गलियारों में इन मुलाकातों के अलग-अलग मायने निकाल रहे है, लेकिन ये तय है कि कुमारी शैलजा और शिवकुमार की जयपुर परेड सिर्फ निजी यात्रा ही नहीं थी वे इस मुलाकात को लेकर जो भी बातचीत हुई है उसकी रिपोर्ट वे आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को सौंपेंगे. इसके बाद राजस्थान की राजनीति को लेकर फैसले हो सकते हैं ये भी तय है कि जो भी फैसले होंगे उसमें मुख्यमंत्री अशोज गहलोत की बड़ी भूमिका रहेगी. जानकारों का मानना है कि कांग्रेस हाईकमान सीएम गहलोत के फार्मूले को ज्यादा वरीयता देगा. बताया जाता है कि सीएम गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सर्वाधिक विश्वासपात्र नेताओं में हैं और जी 23 जैसे गुट की हवा अशोक गहलोत ने ही निकाली थी. संकट के इस दौर में सीएम गहलोत ही थे जो गांधी परिवार के मुखपत्र बने थे.

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राजस्थान में गहलोत मंत्रिमंडल का पुर्नगठन‘ होना तय है, लेकिंब सबसे बड़ा सवाल यह है कि मंत्री पद किसे दिया जाए. सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलट खेमे के तीन लोगों को अपनी पसंद से ही चयनित करने पर अड़े हैं. इसे लेकर खींचतान बढ़ गई है. सीएम गहलोत से इस बात को लेकर समझाइश चल रही है. उधर गहलोत इस बार भी सचिन पायलट खेमे को रियायत देने को तैयार नहीं है. वे नहीं चाहते कि किसी प्रकार का मैसेज जाए कि गहलोत को झुकना पड़ा. सचिन पायलट खेमे में सीएम गहलोत पहले ही सेंध लगा चुके हैं. अब वे इस खेमे में पूरा बिखराव करने को आमादा हैं. सीएम गहलोत सचिन पायलट खेमे के तीन सिपहसालारों को मंत्री बनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन नाम को लेकर उन्होंने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर कर दी है.

एक के बाद एक कांग्रेस के नेता जयपुर का दौरा कर रहे हैं. दूसरी तरफ सीएम गहलोत है कि झुकने को बिलकुल भी तैयार नजर नहीं आ रहे हैं. आलाकमान भी गहलोत को नाराज करने की स्थिति में नहीं है. ऐसे में बीच का रास्ता निकालने के नए फार्मूले के साथ नेताओं को जयपुर भेजा जा रहा है. अब पार्टी आलाकमान ने प्रदेश प्रभारी अजय माकन को फिर जयपुर भेजने की तैयारी की है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विश्वस्त कुमारी शैलजा और डीके शिवकुमार को जयपुर भेजा. ये दोनों ही दिग्गज नेता गहलोत के करीबी माने जाते हैं. ऐसे में सोनिया गांधी ने इन दोनों को गहलोत को राजी करने के लिए यहां भेजा है. लेकिन सीएम गहलोत को बेहद नजदीक से जानने वाले राजनीति के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी में सीएम गहलोत का कद अब बहुत बड़ा हो चुका है. साथ ही वो उन नेताओं में गिने जाते हैं जिनका खुद का जनाधार है. सीएम गहलोत का यह कद रातों-रात बड़ा नहीं हुआ है. सीएम गहलोत ने बरसों की मेहनत से उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है. ऐसे में सीएम गहलोत पर अब दबाव की राजनीति काम नहीं करती. वे आलाकमान के समक्ष न केवल खुलकर अपनी बात रख सकते हैं. बल्कि उसे मनवाने की हिम्मत भी रखते है.

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एक राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि जिस दिन सीएम गहलोत ने ये कहा था कि अभी पायलट साहब की रगड़ाई नहीं हुई है. उसी दिन तय हो गया था कि सीएम गहलोत सचिन पायलट के सब्र का इम्तिहान लेने वाले हैं. जैसे-जैसे बितता जा रहा है सियासी गलियारों में चर्चाएं जोर पकड़ने लगी है कि कहीं पायलट कैंप कमजोर तो नहीं पड़ता जा रहा है. दूसरी तरफ पंजाब में कांग्रेस आलाकमान की सर्जिकल स्ट्राइक पायलट कैंप को ठंडी हवा का झौंका देती है. पायलट कैंप लगता है जो पंजाब में हुआ है वो राजस्थान में भी दोहराया जाएगा. पायलट कैंप के सिपहसालार इस बात को लेकर आश्वस्त हैं और चुप्पी साधे हुए हैं.

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