मोदी सरकार की ‘सूटबूट बजट टीम’ हो रही वायरल, राहुल गांधी ने कसा तंज

सोशल मीडिया की आज की हलचल

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. मोदी 2.0 सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करने वाली है. एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी जो उनका दूसरा बजट होगा. इस संबंध में सरकार की ओर से बैठकों का दौर बदस्तूर जारी है. इन बैठकों में उनके अधिकांश अधिकारी कोट-पेंट वाले हैं. इसे लेकर राहुल गांधी ने तंज कसते हुए अपने ट्वीटर हैंडल पर दो तस्वीरें शेयर कीं और लिखा, ‘मोदी सरकार का सूटबूट बजट‘. उसके बाद उनका दिया हैशटैग सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

अपनी ट्वीटर पोस्ट में राहुल गांधी ने तंज कसते हुए लिखा, ‘पीएम मोदी की सबसे व्यापक बजट पर चर्चा सिर्फ कुछ अमीर दोस्तों के साथ ही सीमित है. देश के किसान, युवा, महिला, सरकार की राय लेने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोई इच्छा नहीं है’. पोस्ट के साथ राहुल ने दो फोटो भी शेयर की. एक में पीएम मोदी अंबानी, अडानी और टाटा आदि व्यवसायीओं के साथ खड़े हैं और सभी सूट बूट में हैं. वहीं दूसरी तस्वीर में उनकी सरकार के अधिकारी हैं लेकिन सभी फुल्ली ड्रेस्प में दिख रहे हैं. राहुल गांधी ने #SuitBootBudget का भी इस्तेमाल किया.

उसके ट्वीट के बाद उनकी पोस्ट और हैशटैग ट्वीटर पर वायरल हो रहा है. किसी ने इसे मोदी जी का मॉर्डन इंडिया बताया तो कुछ ने इसे जीडीपी से जोड़ा.

एक अन्य यूजर ने कटाक्ष करते हुए लिखा यह वित्त मंत्रियों के बिना बजट परामर्श है!

एक यूजर ने लिखा, ‘मोदी भक्तों के हाथ में है डन्डा, जाओ मारो JNU वालों को करो धर्म रक्षा, बचे तो मेरी सरकार बनवाओ और केस हुआ तो अन्दर जाओ!’

एक यूजर ने गुस्सा दिखाते हुए लिखा, ‘ये तस्वीर वास्तव में सभी को बताती है कि मोदी ने इस तरह से अपनी अस्पष्टता और अहंकार को दिखाया. देखभाल करने का ढोंग तक नहीं’.

वहीं एक यूजर ने आशंका जताते हुए कहा कि मुझे उम्मीद है कि कि ये भारतीय रेलवे को बेचने की कोशिश हो सकती है.

एक अन्य यूजर ने कहा, ‘2018-19 में 2410 करोड़ तक पहुंचने के लिए भाजपा की आय 135 फीसदी बढ़ी. 1660 करोड़ चुनावी बॉन्ड में मार्च 2018-19 तक, यही कारण है कि मोदी केवल अमीर और क्रोनी कैपिटलिस्ट से मिलते हैं’.

एक यूजर ने लिखा, ‘प्रधानमंत्री मोदी अपने 6 वर्षों के कार्यकाल के दौरान किसानों, गरीब लोगों, मध्यम वर्ग के लोगों, छोटे उद्योगपतियों और युवाओं से कभी नहीं मिले. इस सरकार का हर फैसला अंबानी, अडानी जैसे बड़े उद्योगपतियों के लाभ को ध्यान में रखकर लिया जाता है’.

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