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मोदी सरकार ने तीन बड़े अखबारी समूहों के लिए अपने विज्ञापनों के दरवाजे बंद कर दिए हैं. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक द टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे कई बड़े प्रकाशन चलाने वाला टाइम्स ग्रुप, द टेलीग्राफ का प्रकाशक एबीपी ग्रुप और द हिंदू अखबार को अब केंद्र सरकार के विज्ञापन नहीं मिलेंगे. टाइम्स ग्रुप का स्वामित्व रखने वाली बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी के एक अधिकारी ने कहा है कि ऐसा सरकार के कुछ रिपोर्टों के चलते नाराज होने की वजह से हो सकता है. आपको बता दें कि टाइम्स ग्रुप के कुल विज्ञापनों का 15 फीसदी हिस्सा सरकारी विज्ञापनों से आता है.

एबीपी ग्रुप के दो अधिकारियों ने भी कहा है कि पिछले छह महीने से उनको मिलने वाले सरकारी विज्ञापनों में 15 फीसदी की गिरावट आई है. नाम न छापने की शर्त पर उसके एक अधिकारी का कहना था, ‘जब आप सरकार के हिसाब से नहीं चलते और कुछ भी उसके खिलाफ लगते हैं तो जाहिर है कि वे आपको विज्ञापन बंद करके ही इसकी सजा दे सकते हैं.’ एक दूसरे अधिकारी का कहना था कि प्रेस की आजादी बनाए रखना जरूरी है और इन चीजों के बावजूद वह बनाए रखी जाएगी.

द हिंदू अखबार को भी बीते कुछ महीनों के दौरान सरकार से मिलने वाले विज्ञापनों की संख्या में गिरावट आई है. बताया जाता है कि बीते फरवरी से हुआ जब इसने रफाल सौदे पर कथित भ्रष्टाचार की खबरें छापीं. कांग्रेस ने सरकारी विज्ञापनों पर रोक की आलोचना की है. लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस फैसले को अलोकतांत्रिक बताया. उनका कहना था, ‘सरकार इससे मीडिया को यह संदेश देना चाहती है कि वो उसके हिसाब से चले.’

वहीं, केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज किया है कि वह सरकारी विज्ञापनों को बंद करके मीडिया पर नकेल कसना चाहती है. पार्टी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि अखबारों और टीवी चैनलों पर सरकार की खूब आलोचना होती है और यही प्रेस की आजादी का सबूत है. उन्होंने बीजेपी पर प्रेस का गला घोंटने के आरोप को बेतुका बताया.

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