राजस्थान में मीसाबंदी पेंशन योजना बंद, भाजपा ने बताया तानाशाही निर्णय

गहलोत सरकार मीसा बंदियों को स्वतंत्रता सेनानी नहीं मानती इसलिए उनकी सभी सुविधाएं बंद करने का निर्णय लिया है: शांति धारीवाल

Misabandi
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पॉलिटॉक्स ब्यूरो. मध्यप्रदेश के बाद अब राजस्थान की गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने भी आपातकाल के दौरान जेल में बंद रहे मीसा बंदियों की पेंशन योजना (Misabandi Pension Scheme) सहित अन्य सुविधाएं बंद कर दी हैं. पिछली वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) सरकार ने मीसा व डीआरआई बंदियों को ‘लोकतंत्र रक्षक’ का नाम देते हुए उन्हें पेंशन, निशुल्क चिकित्सा, निशुल्क बस सुविधा सहित कई अन्य तरह की सुविधाएं प्रदान की थी. सोमवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री गहलोत (Ashok Gehlot) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की अहम बैठक में रोक लगा दी. प्रदेश सरकार के इस कदम को बीजेपी ने औछी मानसिकता का उदाहरण बताते हुए तानाशाही निर्णय बताया.

मीसा बंदियों की सभी सुविधाएं होगी बंद

बैठक के बाद यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल (Shanti Dhariwal) ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए साफ शब्दों मेें कहा कि हम मीसा बंदियों को स्वतंत्रता सेनानी नहीं मानते हैं. इसलिए उनकी सभी सुविधाएं बंद करने का निर्णय लिया गया है. मंत्री धारीवाल ने बताया कि गहलोत सरकार मीसा बंदियों को स्वतंत्रता सैनानी या लोकतंत्र का प्रहरी नहीं मानती. अगर उन्हें स्वच्छ राजनीति करनी थी या कानून के साथ चलना था तो लिखित में माफी मांगनी चाहिए थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. धारीवाल ने वीर सावरकर का उदाहरण देते हुए कहा कि सावरकर ने 9 बार लिखित में माफी मांगी थी.

भाजपा नेताओं का हमला बोल

मीसा बंदियों की पेंशन बंद करने पर राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने सरकार के इस फैसले को गहलोत सरकार की औछी मानसिकता का उदाहरण बताते हुए कहा कि आजादी के बाद जो दूसरा बडा आंदोलन तानाशाही के खिलाफ हुआ जिसमें असंख्य साम्यवादी, राष्ट्रवादी विचारों के लोग जो आपातकाल के समय जेलों में बंद रहे जिन्होंने यातनाए झेली. उनके परिवारों पर रोजी रोटी का संकट खडा हुआ तो वाजपेयी जी से लेकर प्रदेश की भाजपा सरकारों ने ऐसे लोगो को संबल देने के लिए पेंशन योजना की शुरूआत की थी जिसे बंद कर द्वेश की राजनीति मौजूदा सरकार कर रही है.

प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री कालीचरण सर्राफ ने पेंशन बंद किये जाने को सरकार का तानाशाही फैसला बताते हुए कहा कि लोकतंत्र को बचाने का यह सबसे बडा आंदोलन था. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक तरफ कहा था कि आपातकाल लगाना कांग्रेस की सबसे बडी भूल थी इस पर उन्होंने माफी भी मांगी थी वहीं दूसरी तरफ सरकार का मीसा बंदियों की पेंशन योजना (Misabandi Pension Scheme) बंद करने का सरकार यह निर्णय तानाशाह पूर्ण है.

पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मीसा बंदियो की पेंशन (Misabandi Pension Scheme) बंद कर लोकतंत्र के सेनानियों का अपमान किया गया है. कांग्रेस ने साबित किया उसकी मानसिकता अभी भी आपातकाल जैसी है. सरकार आपातकाल का विरोध करने वालों से अब दुश्मनी निकाल रही है.

ये बड़े नेता हो गये वंचित

कैबिनेट की बैठक के बाद मीसा बंदियो की पेंशन बंद करने का सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा के नेताओं को होने वाला है. राजस्थान में मीसा बंदियों की पेंशन योजना बंद होने से भाजपा के वरिष्ठ नेता व नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, पूर्व मंत्री कैलाश मेघवाल सहित कुछ अन्य मंत्री भी अब इस नए फ़ैसले के तहत पेंशन पाने के हकदार नहीं होंगे. इंदिरा गांधी के शासनकाल में आपातकाल के दौरान जेल में डाले गए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी और स्वयंसेवकों के लिए भाजपा सरकार ने इस योजना की शुरुआत की थी.

वसुंधरा राजे ने की थी योजना लागू

वसुंधरा राजे सरकार ने मीसा और डीआरआई बंदियों को 20 हजार रूपए मासिक पेंशन, नि:शुल्क बस यात्रा और नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा देने की योजना प्रदेश में लागू की थी. आपातकाल के समय जेल में रहे मीसा बंदियों को ‘लोकतंत्र रक्षक’ बताते हुए ये पेंशन दी जा रही थी. इन्हें स्वतंत्रता सेनानी की तरह लोकतंत्र सेनानी नाम एवं सम्मान दिया गया था. वर्तमान में प्रदेश में 1120 मीसा और डीआरआई बंदी हैं.

क्या है मीसाबंदी पेंशन योजना

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान साल 1975 से 1977 के बीच आपातकाल लगा था. इस दौरान कई लोगों को जेल में डाला गया था. वहीं वे 19 महीने तक नजरबंद भी रहे और इंदिरा गांधी की सरकार के कारण उन्हें बिना कारण जेल में भी रहना पड़ा था. जेल में डाले गए लोगों को मीसाबंदी पेंशन योजना (Misabandi Pension Scheme) के तहत मासिक पेंशन सहित अन्य सुविधाएं दी जाती है.

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