सोमवार को राज्यसभा में पारित हुआ ऐतिहासिक ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक-2019’ मंगलवार को लोकसभा में भी पास हो गया. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक-2019 को पेश किया जो वोटिंग के बाद पास हो गया. दिनभर चले हंगामे के बाद शाम को हुई वोटिंग में विधेयक के पक्ष में 367 और विपक्ष में 67 वोट पड़े. सदन में मौजूद सदस्यों की कुल संख्या 434 रही. समाजवादी पार्टी ने इस दौरान सदन से वॉकआउट किया. बिल में जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने तथा अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को समाप्त करने के प्रस्ताव हैं.
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक-2019 बिल राज्यसभा में सोमवार को 61 के मुकाबले 125 वोटों से पहले ही पास हो चुका है. अब इसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा जाएगा. उनकी सहमति के साथ ही इसे कानून का दर्जा प्राप्त हो जाएगा. गृह मंत्री ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक भी पेश किया.
इससे पहले आज सदन में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच तीखी बहस हुई. कांग्रेस ने जब इस बिल और घाटी में धारा 370 की समाप्ति पर सवाल खड़े किए तो अमित शाह भड़क गए और उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे कश्मीर के लिए जान भी दे देंगे.
इतना ही नहीं, शाह ने ये तक कह दिया कि जब मैं जम्मू-कश्मीर बोलता हूं तो उसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) भी आता है और अक्साई चीन भी. दोनों ही देश के अभिन्न अंग हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर की भलाई के लिए विपक्ष को भी साथ देना चाहिए. अमित शाह ने आगे कहा कि हमारी पार्टी इतिहास में की गई गलती को नहीं दोहराएगी. साथ ही ये भी कहा कि लद्दाख के बारे में बाद में सोच समझकर विचार किया जाएगा.
अंत में लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने लोकसभा के सम्पूर्ण बजट सत्र की कार्यवाही का विवरण पेश करते हुए लोकसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की.