चार राज्यों में हुई प्रचार की छुट्टी तो वहीं बंगाल के आठ चरण बने केंद्र और चुनाव आयोग के गले की फांस

एक तरफ पीएम मोदी देश की जनता को इस महामारी से बचने के लिए समय-समय पर आगाह करते रहते हैं, दूसरी ओर लोगों की एक जगह भीड़ बढ़ने पर प्रधानमंत्री मोदी कैसे रोकेंगे? आखिर बंगाल की सत्ता का भी सवाल है, ऐसे में प्रधानमंत्री यह भी नहीं चाहेंगे कि मेरी चुनाव रैलियों में लोगों की संख्या कम हो, देश भर में कोरोना ने मचा रखा है हाहाकार

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Politalks.News/AssemblyElections. असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में चुनाव प्रचार आज खत्म हो गया, इसी के साथ चुनावी जनसभाओं पर भी विराम लग गया. यानी कि इन राज्यों में अब सार्वजनिक मंचों से नेताओं की हुंकार सुनाई नहीं देगी और न एक स्थान पर हजारों, लाखों की संख्या में भीड़ भी मौजूद नजर नहीं आएगी. बता दें कि तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में एक ही चरण में 6 अप्रैल, मंगलवार को वोट डाले जाएंगे. ऐसे ही असाम में भी तीन चरण में मतदान 6 अप्रैल को समाप्त हो जाएंगे. असम में पहले दो चरण 27 मार्च और 1 अप्रैल को वोट डाले गए थे. लेकिन पश्चिम बंगाल में राजनीतिक दलों के नेताओं के भाषण और लोगों की भीड़ 27 अप्रैल तक चलने वाली है, क्योंकि इस राज्य में आठ चरणों में चुनाव आयोजित किए जा रहे हैं.

मौजूदा समय में हमारा देश एक बार फिर कोरोना महामारी की गिरफ्त में आ चुका है. ऐसे में बंगाल का चुनाव प्रचार और जनता की एक जगह इकट्ठा होने वाली भीड़, अब केंद्र सरकार के लिए जरूर ‘सिरदर्द‘ बन गई है. बंगाल में 8 चरणों में विधानसभा चुनाव कराने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने ही निर्वाचन आयोग से जोरदार तरीके से ‘पहल‘ की थी. केंद्र के कहने पर 26 फरवरी दिन शुक्रवार को देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा जब पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर रहे थे तब उन्होंने भी नहीं सोचा था कि बंगाल में 8 चरणों के चुनाव की घोषणा उनके भी ‘गले की फांस‘ बन जाएगी. उस समय तो सुनील अरोड़ा ने मोदी सरकार की बातों में आकर बंगाल में लंबे चुनाव शेड्यूल की लकीर खींच दी थी.

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आज पूरे देश भर में कोरोना ने ‘हाहाकार‘ मचा रखा है. केंद्र से लेकर राज्य सरकारें सहमी हुई सी नजर आ रही हैं. यहां हम आपको बता दें कि जब पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा नहीं हुई थी तब पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह कहते फिर रहे थे कि अगर बंगाल में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने हैं तो 8 चरणों में निर्वाचन आयोग को कराने चाहिए, मोदी और अमित शाह ने ममता बनर्जी पर चुनाव में धांधली कराने के खूब जोर-शोर से आरोप भी लगाए थे. केंद्र सरकार के दबाव में ही निर्वाचन आयोग ने बंगाल का चुनाव कार्यक्रम घोषित किया था? लेकिन अब प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को बंगाल में चुनाव कराए जाने को लेकर निर्वाचन आयोग में हस्तक्षेप करना जरूर ‘अखर‘ रहा होगा.

अगर बंगाल में प्रचार के दौरान कोरोना से हालात बिगड़े तब केंद्र सरकार पर ही सीधे आरोप लगेंगे. क्योंकि पिछले वर्ष जब कोरोना महामारी अपने पीक पर थी तब केंद्र सरकार देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपने मैनेजमेंट का ढिंढोरा भी पीटा था. वैसे यह भी सही है कि किसी भी महामारी को नियंत्रण करने में केंद्र सरकार की बड़ी भूमिका मानी जाती है.

बंगाल में आठ चरणों में मतदान का होना पहले से है विवादास्पद, अब बना मुसीबत

आपको बता दें कि 6 अप्रैल को बंगाल में तीसरे चरण का चुनाव पूरा हो जाएगा. उसके बाद पांच चरण के चुनाव रह जाएंगे, वह इस प्रकार हैं- 10 अप्रैल को चौथा, 17 अप्रैल को पांचवां, 22 अप्रैल को छटा, 26 अप्रैल को सातवां और 29 अप्रैल को आठवें चरण के लिए चुनाव होंगे. जब तमिलनाडु में 234 और केरल में 140 सीटों के लिए एक चरण में चुनाव हो सकते हैं तो बंगाल में 3 या 5 चरणों में चुनाव कराए जाने चाहिए थे. वहीं असाम में 126 सीटों पर तीन चरण में चुनाव हो रहे हैं. लेकिन केंद्र सरकार की जिद थी कि बंगाल में 8 चरणों में चुनाव कराए जाएं. अब जैसे-जैसे यह महामारी अपना रौद्र रूप दिखा रही वैसे ही केंद्र सरकार पर सवाल जरूर उठ रहे हैं. यही नहीं अब बंगाल में बचे पांच चरणों के चुनाव प्रचार और रैली करते समय पीएम मोदी और अमित शाह के सामने मौजूद हजारों की संख्या में जनता की भीड़ के सामने संबोधन जरूर ‘कष्ट’ देगा. एक तरफ पीएम मोदी देश की जनता को इस महामारी से बचने के लिए समय-समय पर आगाह करते रहते हैं. दूसरी ओर लोगों की एक जगह भीड़ बढ़ने पर प्रधानमंत्री मोदी कैसे रोकेंगे ? आखिर बंगाल की सत्ता का भी सवाल है. प्रधानमंत्री यह भी नहीं चाहेंगे कि मेरी चुनाव रैलियों में लोगों की संख्या कम हो.

ममता ने बंगाल में 8 चरणों में चुनाव कराए जाने पर केंद्र और आयोग पर उठाए थे सवाल

26 फरवरी को निर्वाचन आयोग के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 8 चरणों में संपन्न कराए जाने की घोषणा के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपना गुस्सा जाहिर किया था. उस समय दीदी ने कहा था दूसरे राज्यों में एक, दो या तीन चरणों में चुनाव हो रहा है तो पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में चुनाव कराने की घोषणा क्यों की गई ? ममता ने सवाल उठाया कि क्या भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए बंगाल में चुनाव को 8 चरणों में बांटा गया है? क्या चुनाव आयोग प्रधानमंत्री के कहने पर ऐसा कर रहा है? ममता ने कहा था केंद्र की भाजपा सरकार ने चुनाव आयोग का इस्तेमाल किया है. ममता ने कहा कि बीजेपी पूरे देश को बांट रही है और यही कोशिश वह पश्चिम बंगाल में भी करेगी.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि गृहमंत्री और पीएम अपनी ताकत का दुरुपयोग न करें. आखिर बंगाल में 8 चरणों में चुनाव क्यों कराए जा रहे हैं? ममता ने यह भी कहा था कि जो बीजेपी ने कहा, वही चुनाव आयोग ने किया. एक जिले में दो-तीन चरणों में चुनाव क्यों?’ ममता ने कहा कि केंद्र अपनी ताकतों का इस तरह दुरुपयोग नहीं कर सकता. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सवाल पर केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग ने चुप्पी साध रखी थी. लेकिन अब भाजपा सरकार और निर्वाचन आयोग पर देश में बढ़ते कोरोना संकट काल को देखते हुए निष्पक्षता प्रणाली पर सवालिया निशान लगना शुरू हो गया है.

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कोरोना के बिगड़ते हालातों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज की हाई लेवल बैठक

देश में बिगड़ते जा रहे हालातों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज अचानक हाई लेवल की मीटिंग भी करनी पड़ी. दिल्ली से लेकर कई राज्यों में बेकाबू होती जा रही महामारी से हाहाकार मचा हुआ है. आज देश भर में कोरोना के 90 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं. कोरोना की बिगड़ती चिंताजनक स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार हाई अलर्ट पर आ गई है. पीएम मोदी ने आज एक उच्च स्तरीय बैठक में देश में कोरोना की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की. इस मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री ने राज्य सरकारों को कोरोना से निपटने की तैयारियों को लेकर जानकारी ली. बता दें कि देश के कई राज्यों में कोरोना के प्रसार पर लगाम लगाने के लिए लॉकडाउन, नाइट कर्फ्यू जैसे कदम उठाए गए हैं. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कई शहरों में लॉकडाउन लगाया गया है. जबकि पुणे, पंजाब, गुजरात, एमपी, राजस्थान समेत कई राज्यों में नाइट कर्फ्यू लगाया गया है. इसके साथ ही देश के कई अन्य राज्यों में सरकारों की ओर से धारा-144 जैसे कदम उठाए गए हैं. अब सरकारें भी लोगों से भीड़-भाड़ में न जाने और एक जगह जमा न होने के लिए सख्त नियम बना दिए गए हैं. ऐसे में बंगाल में बचे चुनाव प्रचार और मतदान को लेकर केंद्र और ममता बनर्जी सरकार के लिए भी कम चुनौती नहीं होगी.

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