पॉलिटॉक्स न्यूज/दिल्ली. ‘अगर क्वारंटीन किए गए शख्स में 14 दिन के अंदर कोरोना संक्रमण के लक्षण न दिखाई दें तो उसे इस अवधि के बाद क्वारंटीन से आजाद करने को लेकर जल्द से जल्द फैसला लिया जाना चाहिए. मनमाने ढंग से होम क्वारंटीन करना गलत है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वो क्वारंटीन की समय सीमा तय करे.’ दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका का निपटारा करते हुए सरकार को यह आदेश जारी किया. एक पिज्जा डिलीवरी बॉय की ओर से याचिका पर ये फैसला सुनाया गया है.
हालांकि कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि कोरोना संक्रमण से जुड़े हर मामले में 14 दिन का ही क्वारंटीन होने का आदेश नहीं दिया जा सकता, लेकिन प्रशासन को यह भी देखना चाहिए कि किसी भी नागरिक को मनमाने ढंग से होम क्वारंटीन में रखना भी उचित नहीं है. इसके गलत परिणाम भी हो सकते हैं.
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दरअसल दक्षिण दिल्ली में 14 अप्रैल को एक पिज्जा डिलीवरी बॉय की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद प्रशासन ने डिलीवरी बॉय के संपर्क में आए कुछ लोगों को होम क्वारंटीन कर दिया था. उन्हीं में से एक जो कि 24 मार्च को पिज्जा डिलिवरी बॉय के संपर्क में आया था, ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिका में दिल्ली सरकार की क्वारंटीन से जुड़ी गाइडलाइंस को चुनौती दी गई थी.
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि 20 अप्रैल तक डिलीवरी बॉय के संपर्क में आए 28 दिन का समय बीत जाने के बावजूद उसको घर में क्वारंटीन रहने के लिए कहा गया था. इतना ही नहीं प्रशासन की तरफ से याचिकाकर्ता को 17 अप्रैल को दूसरा नोटिस जारी कर 14 दिन के लिए फिर से क्वारंटीन रहने के लिए कहा गया. 28 अप्रैल तक क्वारंटीन में रहने के बावजूद भी प्रशासन द्वारा उसको घर में ही क्वारंटीन रहने की हिदायत दी, जब कि नोटिस का समय पूरा हो चुका था.
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याचिकाकर्ता ने याचिका में दावा किया कि प्रशासन ने होम क्वारंटीन को लेकर DGHS की गाइडलाइंस और महामारी आपदा कानून का पालन नहीं किया. इसके बाद हाईकोर्ट ने दिल्ली की आप सरकार को निर्देश देते हुए क्वारंटीन की समय सीमा तय करने को कहा. हालांकि अदालत ने अपने आदेश में इस बात को भी शामिल किया कि कोरोना संक्रमण से जुड़े हर मामले में 14 दिन का ही क्वारंटीन होने का आदेश नहीं दिया जा सकता.