Politalks.News/Rajasthan. हाल ही में हुए गहलोत कैबिनेट (Gehlot Cabinet) फेरबदल के दौरान कैबिनेट मंत्री बने गुड़ामालानी विधायक हेमाराम चौधरी (Hemaram Choudhary) रविवार को मंत्री बनने के बाद पहली बार सिवाना विधानसभा के दौरे पर आए. इस दौरान चौधरी ने कई उद्घाटन कार्यक्रमों में भाग लिया. सिवाना से बीजेपी के विधायक हमीर सिंह भायल और प्रभारी मंत्री सुखराम विश्नोई (Sukhram Vishnoi) की मौजूदगी में पायलट खेमे से मंत्री बने हेमाराम चौधरी ने अपने भाषण के दौरान कई ऐसी बातें कहीं जिन पर वहां मौजूद आम और खास ने जमकर खूब ठहाके तो लगाए ही साथ बातों बातों और मजाक के इस माहौल में हेमाराम चौधरी ने एक किस्से के जरिए अपने मन का मलाल भी बयां कर ही दिया.
दरअसल, अपने सम्बोधन में कैबिनेट मंत्री बने हेमाराम चौधरी ने अपने कई अनुभवों को शेयर किया. इस दौरान हेमाराम चौधरी ने एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि, ‘जब मैं विपक्ष का नेता था और प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी तब विधानसभा में मेरी कोई नहीं सुनता था. उसके बाद जब अगला चुनाव हुआ तो मैंने मजाक-मजाक में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhra raje) को कह दिया कि मैंने तो आपको अपनी कुर्सी पर बैठा दिया लेकिन आपने मुझे अपनी कुर्सी पर नहीं बिठाया.’ हालांकि हेमाराम चौधरी ने यह बात मजाकिया अंदाज में कही, लेकिन सियायी गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं में गिने जाने वाले नेता हेमाराम चौधरी को कहीं न कहीं मुख्यमंत्री नहीं बन पाने का मलाल तो है.
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यही नहीं कैबिनेट मंत्री हेमाराम चौधरी ने अपने विधानसभा चुनाव का एक और किस्सा सुनाते हुए कहा कि एक पोलिंग बूथ पर मुझे महज 40 वोट ही मिले थे जबकि बीजेपी को 500 से ज्यादा वोट मिले थे. जब उस गांव के लोग ग्राम पंचायत बनाने के लिए मेरे पास आए तो मैंने सबसे पहले उनका काम किया और उनकी ग्राम पंचायत बनवा दी. चुनाव जीतने के बाद जिसने आप को वोट दिए हैं उसका काम पहले होना चाहिए लेकिन जिस मतदाता ने वोट नहीं दिया है उसका काम भी जरूर होना चाहिए और यही लोकतंत्र की खूबी है.
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गहलोत सरकार में मंत्री हेमाराम चौधरी ने आगे कहा कि, ‘सत्ता में आने के बाद विधायक और मंत्री सरकार की जय बोलते हैं जबकि जय तो जनता की बोलनी चाहिए. क्योंकि अगर आप ऊपर से टिकट लेकर भी आ जाओगे लेकिन जनता नहीं चाहेगी तो आप जीत ही नहीं पाओगे. उसी का उदाहरण है कि कांग्रेस के सिवाना से प्रत्याशी प्रताप सिंह ऊपर से टिकट तो लेकर आए लेकिन जनता ने नकार दिया.’