Politalks.News/SupremeCourt/NVRamana. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना (NVRamana) ने एक बार फिर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए शुक्रवार को कहा कि न्यायाधीशों को बदनाम करने का एक नया चलन सरकार ने शुरू किया है. सीजेआई ने कहा कि जजों पर आरोप लगाने का प्रयास पहले केवल निजी पार्टियों द्वारा किया जाता था, लेकिन हाल ही में सरकार भी इसमें शामिल हो गई है, जो कि बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और हम इसे अदालत में भी देख रहे हैं.
दरअसल, न्यायमूर्ति मुरारी और हिमा कोहली की पीठ छत्तिसगढ़ हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ अपील की सुनवाई कर रही थी. जानकारी के मुताबिक, इसमें पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के प्रधान सचिव अमन सिंह और पत्नी यास्मीन सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी को खारिज कर दिया गया था. बताया जा रहा है कि इस मामले को बीजेपी सरकार के बाहर होने और कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद खारिज किया गया है.
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जानकारों ने बताया कि राज्य पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने 25 फरवरी 2020 को उचित शर्मा की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की थी. अपनी शिकायत में उचित शर्मा ने पूर्व सीएम रमन सिंह के प्रधान सचिव अमन सिंह और उनकी पत्नी पर आय से अधिक संपत्ति की जांच की मांग की थी. वहीं, 28 फरवरी 2020 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में निर्देश दिया कि अमन सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ कोई कठोर कदम ना उठाया जाए. इसके बाद 10 जनवरी 2022 को हाईकोर्ट ने प्राथमिकी को रद्द करते हुए कहा कि, याचिकाकर्ता के लगाए गए सभी आरोप संभावनाओं पर आधारित हैं और किसी भी व्यक्ति पर मुकदमा संभावना के तौर पर नहीं चलाया जा सकता है.
हाइकोर्ट के फैसले के इस खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी (Justice Krishana Murari) और न्यायमूर्ति हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) की पीठ इस मामले में न्यायपालिका के खिलाफ लगाए गए कुछ आरोपों पर भी उलझी रही. इस पर अपने बेबाक विचारों के विख्यात सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने कहा कि कहा, “आप जो भी लड़ाई लड़ें, वह ठीक है. लेकिन अदालतों को बदनाम करने की कोशिश न करें. मैं इस अदालत में भी देख रहा हूं, यह एक नया चलन है.”
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सीजेआई एनवी रमना ने कहा “पहले केवल निजी पार्टियां जजों के खिलाफ ऐसा करती थीं. अब हम इसे हर दिन देखते हैं … आप एक वरिष्ठ वकील हैं, आपने इसे हमसे ज्यादा देखा है. यह एक नया चलन है. सरकार ने जजों को बदनाम करना शुरू कर दिया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.” इसी बीच हाईकोर्ट के एफआईआर निरस्त करने के आदेश के खिलाफ कोर्ट आए भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि उन्होंने जजों को बदनाम नहीं किया है. यदि ऐसी प्रवृत्ति है तो उसे खारिज करना चाहिए. अंतत: कोर्ट ने मामले को 18 अप्रैल के लिए स्थगित कर दिया.