केंद्र में प्रचंड बहुमत हासिल कर लौटी नरेंद्र मोदी सरकार ने जनता से किए वादों पर काम करना शुरू कर दिया है. देश में रोजगार की स्थिति को लेकर मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में बड़ा फैसला लिया है. जिसके चलते सरकार देश में आर्थिक सर्वेक्षण करवाने जा रही है. जिसमें मुख्य तौर से स्वरोजगार के तहत गुजारा करने वाले ठेले, रेहड़ी व छोटी मजदूरी करने वालों को तरजीह दी जाएगी. इस सर्वे के बाद इनके लिए विशेष तौर पर नए अधिकार भी दिए जाएंगे. साथ ही इस सर्वे से सरकार देश में रोजगार के हालात भी जान पाएगी.
देश को आर्थिक मजबूती दिलाने के लिए रोजगार की संभावनाओं पर गौर करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने प्लानिंग शुरू कर दी है. सरकार के देश में आर्थिक सर्वेक्षण करवाने के फैसले के बाद रोजगार की मौजूदा स्थिति और इस पर आगे की योजना बनाने के लिए बेस मिल सकेगा. इस सर्वेक्षण में सरकार द्वारा स्वरोजगार करने वालों पर विशेष फोकस किया जाएगा. इसमें ठेले, रेहड़ी और छोटी मजदूरी कर अपना रोजगार करने वाले सरकार की मेनस्ट्रीम में शामिल रहेंगे. सर्वेक्षण के बाद सरकार इनके लिए नए अधिकार और सुविधाएं तय करने वाली है.
इस सर्वे के बाद सामने आने वाली स्थिति पर सरकार जरूरतमंदों को नए अधिकार व सुविधाएं तय करेगी. माना जा रहा है कि इस आर्थिक सर्वेक्षण में शामिल ठेले, रेहड़ी व अन्य स्वरोजगार वाले कामगारों को सरकार की ओर से कई सुविधाओं का पिटारा मिल सकता है. जिसमें सरकार इनके लिए नए अधिकारों के साथ-साथ अपने स्वरोजगार के विस्तार या अन्य जरूरतों के लिए आसानी से कर्ज मिल सके इसके लिए भी योजना बना रही है.
ऑनलाइन किए जाने वाले इस सर्वेक्षण में ग्रामीण और शहरी इलाकों में अलग-अलग गणनाकार लगाए जाएंगे. ये सर्वेक्षक घर-घर जाकर आर्थिक आधार पर जनगणना करेंगे. पूरी तरह से पेपरलेस होने वाले इस सर्वेक्षण में मोबाइल या टैबलेट प्रयोग में लिए जाएंगे. इनके जरिए गणनाकार सर्वेक्षण की सभी डिटेल अपने हैड को उनके मोबाइल में ऑनलाइन अपलोड कर भेज देगा. इसके लिए शहरी क्षेत्र में दस, अर्द्धशहरी क्षेत्र में सात और ग्रामीण क्षेत्र में पांच गणनाकारों का रजिस्ट्रेशन किया गया है.
मोदी सरकार जून के आखिरी सप्ताह में यह सर्वेक्षण शुरू करवाने जा रही है. इस आर्थिक सर्वेक्षण में देश के करीब 27 करोड़ घर और 7 करोड़ स्थापित स्वरोजगार शामिल रहेंगे. करीब 6 माह में सरकार इस सर्वेक्षण के माध्यम से देश में रोजगार की स्थिति पता लगा पाएगी. गौरतलब है कि साल 2013 में आर्थिक जनगणना की गई थी. यह गणना 5 साल बाद देशभर में की जाती है. इस बार सरकार इस काम के लिए सीएससी एजेंसी को चुना है जबकि पहले परिषदीय स्कूलों के अध्यापकों, आंगनबाड़ी कार्यकत्री, आशा आदि को लगाया जाता था. एजेंसी अपने जनसेवा केंद्र संचालकों के माध्यम से सर्वे करवाएगी.
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