पॉलिटॉक्स ब्यूरो. दिल्ली विधानसभा चुनावों से ऐन वक्त पहले दल बदलकर दूसरी पार्टियों में गए नेताओं के लिए केवल आम आदमी पार्टी ही लॉटरी खोलते हुए दिखी. लेकिन आप को छोड़ जिन नेताओं ने कांग्रेस या बीजेपी का दामन थामा, उन्हें भारी अंतर से हार का सामना करना पड़ा. इस लिस्ट में विधायक अलका लांबा और आदर्श शास्त्री जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं जिन्होंने आप पार्टी की लिस्ट जारी होने के बाद कांग्रेस में शरण ली लेकिन चुनाव हार बैठे. जबकि कांग्रेस से आए नेताओं ने आप के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं.
शुरुआत करते हैं अलका लांबा से. आप पार्टी ने एक साथ जैसे ही 70 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए तो लिस्ट में नाम होने से आप विधायक अलका लांबा ने झाडू छोड़ कांग्रेस का हाथ थामा. उनका स्वागत करते हुए कांग्रेस ने उन्हें चांदनी चौक से टिकट थमा दिया लेकिन प्रहलाद साहनी के सामने उनकी एक न चली और वे तीसरे नंबर पर आईं. हाल इतना बुरा हुआ कि उनकी जमानत तक जब्त हो गई. चांदनी चौक से कांग्रेस उम्मीदवार अलका लांबा को 3881 वोट मिले. वहीं आप के उम्मीदवार प्रहलाद सिंह साहनी ने बीजेपी प्रत्याशी सुमन कुमार गुप्ता को 29584 वोटों से हराया. जबकि पिछली बार अलका लांबा आम आदमी पार्टी के टिकट पर 18287 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.
अब आते हैं लाल बहादुर शास्त्री के पोते आदर्श शास्त्री पर. पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पोते आदर्श शास्त्री 2015 में द्वारका सीट से आप के टिकट पर विधायक बने. लेकिन इस बार टिकट न मिलने पर कांग्रेस में चले गए और इसी सीट पर चुनाव लड़ा. यहां त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद थी लेकिन हुआ कुछ अलग. आदर्श मुकाबले में दूर दूर तक कहीं न दिखे. यहां तक की जमानत भी नहीं बचा सके. आप के विनय मिश्रा पहले और बीजेपी के प्रद्युम्न राजपूत दूसरे नंबर पर रहे.
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आप से निकल बीजेपी में शामिल हुए कपिल मिश्रा को मॉडल टाउन से जीत की पूरी पूरी उम्मीदें थी लेकिन मुकाबला उतार चढ़ाव का रहा. बाद में कपिल मिश्रा आप के अखिलेश पति त्रिपाठी से 12 हजार के अंतर से हार गए. मतदान से पहले तक सोशल मीडिया के जरिए कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा और चुनाव को भारत-पाक का मैच तक बता दिया. माना जा रहा है कि जितना समय उन्होंने केजरीवाल पर निशाना साधने में लगाया, अगर उतना पसीना त्रिपाठी के खिलाफ किया होता तो शायद ये सीट बीजेपी के पाले में लाने में कामयाब हो जाते.
इनके अलावा, आप से बीजेपी में गए पूर्व विधायक सुरेंद्रपाल सिंह बिट्टू भी तिमारपुर विधानसभा सीट से चुनाव हार बैठे. यहां से आप के दिलीप पाण्डेय जीते. कांग्रेस की अमरलता सांगवान तीसरे नंबर पर रहीं.
अब बात करें दूसरी पार्टियों से आप में आए उम्मीदवारों की तो यहां सबसे पहला नाम है प्रहलाद सिंह साहनी की. साहनी तीन बार कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं. ऐन वक्त पर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए साहनी को पार्टी ने चांदनी चौक विधायक अलका लांबा की टिकट काट साहनी को थमाई. लांबा नाराज होकर कांग्रेस में चली गई लेकिन मुकाबला हुआ साहनी और बीजेपी की सुमन गुप्ता के बीच. यहां साहनी ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की.
कांग्रेस से सांसद और विधायक रहे महाबल मिश्र ने अपने बेटे विनय मिश्रा को ऐन वक्त पर आम आदमी पार्टी में शामिल कराया. विनय कांग्रेस के टिकट पर पालम विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं. उन्हें द्वारका सीट से आप ने अपना उम्मीदवार बनाया. इस सीट से आदर्श शास्त्री विधायक थे लेकिन उन्हें विनय मिश्रा पर तरजीह नहीं मिली. केजरीवाल की लहर ने उन्हें इस सीट पर जीत दिला दी.
अगला नाम है हरिनगर वार्ड से कांग्रेस पार्टी की पूर्व पार्षद राजकुमारी ढिल्लो की जिन्होंने लिस्ट आउट होने से केवल 24 घंटे पहले आप की टोपी पहनी. उन्हें हरिनगर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बना मैदान में उतारा. इस सीट पर बीजेपी के सोशल मीडिया स्टार तेजेंद्रपाल बग्गा उनके सामने थे. हालांकि शुरुआत में ढिल्लो थोड़ी पीछे चल रही थी लेकिन बाद में राजकुमारी ने रफ्तार पकड़ी और उस में बग्गा बह गए.
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इसी तरह बवाना विधानसभा के रोहिणी वार्ड से पार्षद और समाजसेवक जय भगवान उपकार भी उसी दिन आप में शामिल हुए. उन्हें बवाना सीट से टिकट मिला और जीतने में कामयाब भी हुए. बीजेपी के रवींद्र कुमार इंद्राज दूसरे और कांग्रेस के सुरेंद्र कुमार तीसरे नंबर पर रहे.
धनवंती चंदेला ने भी आखिरी वक्त पर आप का दामन थामा. पार्टी ने उन्हें राजौरी गार्डन से टिकट थमाया. यहां उन्होंने बीजेपी के रमेश खन्ना को हराया. बदरपुर से रामसिंह नेताजी और गांधी नगर से नवीन चौधरी को हार का सामना करना पड़ा.
अगला नाम है पांच बार के मटिया महल से पांच बार के विधायक और कांग्रेस नेता शोएब इकबाल का, जिन्होंने हाथ का साथ छोड़ झाडू थामी. लिस्ट जारी होने से हफ्तेभर पहले पार्टी में शामिल हुए शोएब इकबाल को आप ने इनाम देते हुए मटिया महल से टिकट थमाया. इस सीट पर हालांकि कांग्रेस ने भी मुस्लिम कार्ड खेलते हुए मिर्जा जावेद अली को अपना प्रत्याशी बनाया. बीजेपी की ओर से रविंद्र गुप्ता मैदान में थे लेकिन एक तरफा मुकाबला बनाते हुए शोएब इकबाल ने ये सीट आप की झोली में डाल दी. हालांकि शोएब इकबाल को पार्टी में लेने की तीखी आलोचना हुई थी लेकिन जीत दर्ज कर शोएब ने सबसे मुंह बंद करा दिए.