Thursday, February 6, 2025
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कांग्रेस में 13 सीटों के उम्मीदवारों पर बनी सहमति, 12 पर मंथन पर जारी

लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने के बाद राजनीतिक दलों ने उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया तेज कर दी है. राजस्थान की 25 सीटों पर उम्मीदवार तय करने के लिए कांग्रेस का मंथन जारी है. दो दिन आधी रात तक चली स्क्रीनिंग कमेटी की बैठकों के बाद पार्टी ने पहले चरण की 13 लोकसभा सीटों के लिए सिंगल नाम का पैनल तैयार कर लिया है. इस पैनल पर केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में चर्चा होगी, जहां मुहर लगने के बाद उम्मीदवारों की घोषणा होगी.

रविवार और सोमवार को दिल्ली में हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट, प्रदेश प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे के अलावा प्रभारी सचिव विवेक बंसल, काजी निजाम, तरुण कुमार और देवेंद्र यादव ने हिस्सा लिया. बैठक में सभी सीटों पर चर्चा हुई, लेकिन पहली प्राथमिकता पहले चरण की 13 सीटें रही. इन सीटों पर 29 अप्रेल को वोटिंग होगी, लेकिन नामाकंन प्रक्रिया 2 अप्रेल से शुरू हो जाएगी.

गौरतलब है कि प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव दो चरणों में होगा. पहले चरण में टोंक-सवाईमाधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बीकानेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा व झालावाड़-बारां सीटों पर 29 अप्रेल को वोटिंग होगी और दूसरे चरण में जयपुर, जयपुर ग्रामीण, सीकर, चूरू, झुुझुनूं, दौसा, अलवर, नागौर, श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़, बाड़मेर-जैसलमेर, भरतपुर व करौली-धौलपुर सीटों पर वोट डाले जाएंगे.

बता दें कि लोकसभा की 25 सीटों पर कांग्रेस के 2300 नेताओं की दोवदारी सामने आई थी. प्रदेश चुनाव समिति में इनकी छंटनी होने के बाद 26 व 28 फरवरी को दिल्ली में हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में तीन नामों के पैनल तैयार कर लिए थे.स्क्रीनिंग कमेटी इनमें से ही सिंगल नाम का पैनल तैयार कर रही है. उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस पर लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने का दवाब है. पार्टी ने इसके लिए ‘मिशन—25’ तैयार किया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट सभी सीटों पर जीत का दावा कर रहे हैं.

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कोटा सांसद ओम बिरला के टिकट पर मंडरा रहे संकट के बादल

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Politalks News

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी ओम बिरला ने जीत के सूत्र जहां छोड़े थे, 2019 के चुनावों की दौड़ में उन्हें फिर से थामने की जुगत में हैं. लेकिन अबकी बार उनके मंसूबों को निगलने के लिए बजबजाता सियासी अवसरवाद निकल आए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए. यह नौबत दलबदल कर कांग्रेस से भाजपा में आए कोटा के पूर्व राजवंश के उत्तराधिकारी इज्यराज सिंह के उभरते राजनीतिक प्रभुत्व की वजह से आ सकती है.

इज्यराज सिंह में अजातशत्रु बनने की लालसा वसुंधरा राजे की पेरोकारी की वजह से पैदा हुई है. इज्यराज सिंह वसुंधरा राजे के वादे की तुरूप हाथ में लेकर कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र पर उम्मीद की टकटकी लगाए हुए हैं. सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव के दौरान लाडपुरा विधानसभा क्षेत्र से भवानी सिंह राजावत को दरकिनार कर कल्पना सिंह को उम्मीदवार बनाने की सौदेबाजी में वसुंधरा राजे ने इज्यराज सिंह के साथ सवांद की एक नई भाषा गढ़ी. उन्होंने कहा कि यह क्षत्राणी का वादा है, लोकसभा में आप ही भाजपा के प्रत्याशी होंगे.

जब तक वसुंधरा राजे पार्टी नेतृत्व के निशाने पर रहीं, यह संभावना अटकलों के अंधेरों में ही भटकती रही. लेकिन 6 मार्च को राजे के जलजले के आगे पार्टी नेतृत्व को घुटने टिकाने के बाद लोकसभा चुनावों के मुसाहिबी मुकाबलें में अजेय योद्धा ओम बिरला के खारिज किए जाने की संभावनाओं पर मुंहर लग गई. इस फैसले में भाजपा हाईकमान ने वसुंधरा राजे का राजनीतिक पुर्नवास करते हुए लोकसभा चुनावों के लिए प्रदेश में मुख्य प्रचारक के रूप में प्रस्तुत करने का निर्णय लिया.

यह भी तय हुआ कि टिकट वितरण की कवायद में राजे की रजामंदी ही चलेगी. विश्लेषकों का कहना है कि ओम बिरला के साथ तल्ख रिश्तों को देखते हुए राजे को ऐसे ही किसी मौके की तलाश भी थी. यह मौका उन्हें अनायास ही मिला है, जिसे भुनाने में राजे शायद ही कोई कसर छोड़ें. विश्लेषकों के कहे पर यकीन करें तो अब जब सब कुछ राजे को करना है तो बिरला की सांसदी तो गई.

सूत्र कहते हैं कि बिरला का एक नकारात्मक पहलू भी राजे अपनी मुट्ठी में दबोचे हुए हैं. बताया जाता है कि बिरला भाजपा के कद्दावर नेता प्रमोद महाजन के अंतरंग सखा रहे हैं. कोई अबूझ आर्थिक साझेदारी की खिचड़ी भी उनके बीच पकी थी. कहा जाता है कि समृद्धता के हिंडोले पर बैठे बिरला ने फिल्म ‘मणिकर्णिका’ में अच्छा-खासा निवेश किया.

चर्चा है कि प्रमोद महाजन के पारिवारिक सूत्रों ने ‘मणिकर्णिका’ में निवेश को शिकवा-शिकायत की तर्ज में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह तक पहुंचा दिया. नतीजतन बिरला पर शाह का गुस्सा जमकर बरसा और उनके बीच के सौम्य रिश्ते तीन-तेरह हो गए. इस मुद्दे पर ठंडी कूटनीति ने रोमांच की राह तो नहीं खोली अलबत्ता बिरला केंद्रीय नेतृत्व की विश्वसनीयता के फलक पर जरूर डगमगा गए.

लेकिन बिरला कोई पानी का बुलबुला नहीं कि कोई उन्हें फूंक से उड़ा दे. सियासी उपेक्षा की स्थिति में तटस्थ रहना बिरला के स्वभाव में नहीं है. बिरला के बारे में कहा जाता है कि पार्टी दिग्गजों को चुनावी प्रबंधन की बारीकियों का पाठ पढ़ाकर प्रमोद महाजन की पांत में पहुंचे ओम बिरला मतदाताओं के साथ विजय संपर्क की वजह से एक शक्ति के रूप में उभरे हैं.

चुनाव प्रबंधन की भाषा में कहें तो बिरला ‘क्राउड मैनेजमेंट’ और ‘इलेक्शन मैनेजमेंट’ के मास्टर हैं. उनका अंदाज सधा हुआ है. आवाज में एक खास गूंज है और शब्दों में सोची समझी बुनावट है, जो भीड़ को बखूबी रिझाती है. उम्मीदवारी में फच्चर डालने को लेकर बिरला अगर महाभारत रचते हैं तो उन्हें भवानी सिंह राजावत के रूप में अप्रत्यक्ष सारथी भी हासिल हो सकता है, जो चुनावी दौड़ से बाहर किए जाने के कारण पहले ही जले-भुने बैठे हैं.

राजावत पहले ही राजे से भिन्नाए हुए बैठे हैं. क्या वो इस मौके को गंवाने की चूक करेंगे? बिरला और राजावत दोनों ही चुनावी घोड़ों की रास खींचने में माहिर हैं. विश्लेषक कहते है कि बिरला को अगर उम्मीदवारी नहीं मिलती है तो इज्यराज सिंह को भी कौन जीत का रथ पकड़ने देगा. बहरहाल, यह मोका कांग्रेस के चाणक्य शांति धारीवाल बखूबी निभाएंगे और जीत के सिकंदर भी वही होंगे. उनके पास चुनावी तुरूप का कौनसा पत्ता है, इससे लोग बेखबर नहीं हैं.

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‘इंदिरा इज इंडिया से वैभव इज कांग्रेस तक पहुंची देश की सबसे पुरानी पार्टी’

लोकसभा चुनाव के एलान के साथ ही नेताओं ने एक-दूसरे पर जुबानी हमले तेज कर दिए हैं. सोमवार को भाजपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी प्रवक्ता व आमेर विधायक सतीश पूनिया ने वैभव गहलोत को कांग्रेस का पर्याय बताने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि पहले तो कांग्रेस के लोग इंदिरा इज इंडिया का नारा लगते थे. फिर राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाला हर उम्मीदवार राहुल गांधी है. पूनिया ने कहा कि यहां तक तो ठीक था मगर अब तो हर प्रत्याशी वैभव गहलोत का रुप होगा.

गौरतलब है कि रविवार को सिरोही जिले के बामणवाडजी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा था कि वे पिछले चुनाव में वैभव गहलोत को जालोर-सिरोही से चुनाव लड़वाना चाहते थे मगर हाईकमान ने टिकट नही दिया. इस बार अगर हाईकमान टिकट देती है तो कार्यकर्ताओं की मंशा के अुनरूप जालोर-सिरोही से चुनाव लडेंगे. उन्होंने कहा कि टिकट चाहे वैभव को मिले या किसी ओर को कांग्रेस के उम्मीदवार को वैभव मान कर कार्य करना होगा.

वैभव के जालोर-सिरोही से चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर है. यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी, लेकिन पिछले तीन चुनावों से यहां भाजपा बाजी मार रही है. ऐसे में यदि वैभव इस सीट से चुनावी मैदान में उतरते हैं तो उन्हें जीतने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी. संभवत: इसी वजह से मुख्यमंत्री गहलोत स्थानीय नेताओं को एक जाजम पर लाने की कोशिश में जुटे हैं. वे यहां के समीकरणों को साधने के लिए एक महीने में दो बार दौरा कर चुके हैं.

हाईकोर्ट का गुर्जर आरक्षण पर रोक से इंकार, मुख्य सचिव को नोटिस जारी

राजस्थान हाइकोर्ट ने गुर्जर सहित पांच जातियों को गहलोत सरकार की ओर से दिए गए पांच फीसदी आरक्षण पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार ​कर दिया है. अलबत्ता मुख्य सचिव और प्रमुख कार्मिक सचिव को नोटिस जारी कर 25 मार्च तक जवाब देने का आदेश जरूर दिया है.

मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांद्रजोग और न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने यह आदेश अरविंद शर्मा और अन्य की जनहित याचिका सुनवाई करते हुए दिया है. कोर्ट ने याचिका में पार्टी बनाए गए गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला और हिम्मत सिंह को नोटिस जारी करने से मना कर दिया है.

याचिका में राजस्थान पिछड़ा वर्ग संशोधन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने आपात स्थितियों का हवाला देते हुए इन जातियों को शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी सेवाओं में पांच फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया है. मामले की अगली सुनवाई 2 अप्रेल को होगी.

बता दें कि गुर्जर सहित पांच जातियों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने के लिए राजस्थान सरकार पिछले महीने ‘राजस्थान पिछड़ा वर्ग विधेयक—2017’ में संशोधन लेकर आई थी, जिसके सर्वसम्मति से पारित होने के बाद यह आरक्षण प्रभावी हो गया था. सरकार यह संशोधन किरोड़ी सिंह बैंसला के साथ हुए उस समझौते के तहत लेकर आई, जो आठ तक चले आंदोलन के बाद हुआ था.

कोटा में 29 अप्रेल और जयपुर में 6 मई को होगी वोटिंग, पढ़ें पूरी लिस्ट

लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है. राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर चुनाव दो चरणों में होगा. पहले चरण में 29 अप्रेल को 13 सीटों पर और दूसरे चरण में 6 मई को 12 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. किस सीट पर ​कब वोटिंग होगी, पढ़िए पूरी लिस्ट—

इन सीटों पर 29 अप्रेल को वोटिंग:
1. टोंक-सवाईमाधोपुर
2. अजमेर
3. पाली
4. जोधपुर
5. बीकानेर
6. जालोर
7. उदयपुर
8. बांसवाड़ा
9. चित्तौड़गढ़
10. राजसमंद
11. भीलवाड़ा
12. कोटा
13. झालावाड़-बारां

इन सीटों पर 6 मई को वोटिंग:
1. जयपुर
2. जयपुर ग्रामीण
3. सीकर
4. चूरू
5. झुुझुनूं
6. दौसा
7. अलवर
8. नागौर
9. श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़
10. बाड़मेर-जैसलमेर
11. भरतपुर
12. करौली-धौलपुर

गौरतलब है कि नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आज मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने लोकसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया. इस दौरान चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्र भी मौजूद थे. इस बार सात चरणों में चुनाव होगा. पहले चरण का मतदान 11 अप्रेल को होगा और आखिरी चरण के वोट 19 मई को डाले जाएंगे जबकि 23 मई को नतीजे आएंगे. अरोड़ा ने कहा कि चुनाव की तारीखों में फसल की कटाई और परीक्षाओं का भी ध्यान रखा गया है ताकि किसी को दिक्कत न हो. उन्होंने बताया कि पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 8.43 करोड़ मतदाता बढ़े हैं. कुल मतदाताओं की संख्या करीब 90 करोड़ है.

देश भर में मतदान के लिए 10 लाख बूथ बनाए गए हैं. सभी बूथों पर ईवीएम के साथ वीवीपैट लगाए जाएंगे. इस बार ईवीएम पर उम्मीदवार के नाम और चुनाव चिह्न के साथ उसका फोटो भी लगा होगा. देश के चुनावी इतिहास में यह प्रयोग पहली बार हो रहा है. चुनाव आयोग ने ईवीएम की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन्हें ले जाने वाली पोलिंग पार्टियों की सभी गाड़ियों में जीपीएस लगाने का फैसला किया है. इसके अलावा पूरी चुनावी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी होगी. आयोग ने लोकसभा चुनाव के लिए हेल्पलाइन नंबर 1950 और एक एप जारी किया है. इन दोनों पर कोई भी मतदाता शिकायत दर्ज करवा सकता है. शिकायत मिलने पर चुनाव आयोग 100 घंटे के भीतर कार्रवाई करेगा.

चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि आचार संहिता तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी. चुनाव आयोग इस बार सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार पर भी कड़ी नजर रखेगा. उम्मीदवारों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी.

राजस्थान में दो चरणों में होगा चुनाव, 29 अप्रेल और 6 मई को होगी वोटिंग

लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है. इस बार सात चरणों में चुनाव होगा. पहले चरण का मतदान 11 अप्रेल को होगा और आखिरी चरण के वोट 19 मई को डाले जाएंगे जबकि 23 मई को नतीजे आएंगे. राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर चुनाव दो चरणों में होगा. 29 अप्रेल को 13 सीटों पर और 06 मई को 12 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. प्रदेश में 2014 का लोकसभा चुनाव भी दो चरणों में हुआ था. पहले चरण में 17 अप्रेल को 20 सीटों और दूसरे चरण में 24 अप्रेल को पांच सीटों पर मतदान हुआ था.

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आज मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने लोकसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया. इस दौरान चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्र भी मौजूद थे. अरोड़ा ने कहा कि चुनाव की तारीखों में फसल की कटाई और परीक्षाओं का भी ध्यान रखा गया है ताकि किसी को दिक्कत न हो. उन्होंने बताया कि पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 8.43 करोड़ मतदाता बढ़े हैं. कुल मतदाताओं की संख्या करीब 90 करोड़ है. देश भर में मतदान के लिए 10 लाख बूथ बनाए गए हैं. सभी बूथों पर ईवीएम के साथ वीवीपैट लगाए जाएंगे.

इस बार ईवीएम पर उम्मीदवार के नाम और चुनाव चिह्न के साथ उसका फोटो भी लगा होगा. देश के चुनावी इतिहास में यह प्रयोग पहली बार हो रहा है. चुनाव आयोग ने ईवीएम की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन्हें ले जाने वाली पोलिंग पार्टियों की सभी गाड़ियों में जीपीएस लगाने का फैसला किया है. इसके अलावा पूरी चुनावी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी होगी. आयोग ने लोकसभा चुनाव के लिए हेल्पलाइन नंबर 1950 और एक एप जारी किया है. इन दोनों पर कोई भी मतदाता शिकायत दर्ज करवा सकता है. शिकायत मिलने पर चुनाव आयोग 100 घंटे के भीतर कार्रवाई करेगा.

चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि आचार संहिता तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी. चुनाव आयोग इस बार सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार पर भी कड़ी नजर रखेगा. उम्मीदवारों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी.

सात चरणों में होंगे लोकसभा चुनाव, 23 मई को आएंगे नतीजे

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा

लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है. इस बार सात चरणों में चुनाव होगा. पहले चरण का मतदान 11 अप्रेल को होगा और आखिरी चरण के वोट 19 मई को डाले जाएंगे जबकि 23 मई को नतीजे आएंगे. लोकसभा चुनाव के साथ आंध्रप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा के विधानसभा चुनाव भी होंगे. इनकी मतगणना भी 23 मई को होगी. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में इसकी घोषणा की. इस दौरान चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्र भी मौजूद थे.

अरोड़ा ने कहा कि चुनाव की तारीखों में फसल की कटाई और परीक्षाओं का भी ध्यान रखा गया है ताकि किसी को दिक्कत न हो. उन्होंने बताया कि पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 8.43 करोड़ मतदाता बढ़े हैं. कुल मतदाताओं की संख्या करीब 90 करोड़ है. देश भर में मतदान के लिए 10 लाख बूथ बनाए गए हैं. सभी बूथों पर ईवीएम के साथ वीवीपैट लगाए जाएंगे. साथ ही इस बार ईवीएम पर उम्मीदवार के नाम और चुनाव चिह्न के साथ उसका फोटो भी लगा होगा. देश के चुनावी इतिहास में यह प्रयोग पहली बार हो रहा है.

चुनाव आयोग ने ईवीएम की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन्हें ले जाने वाली पोलिंग पार्टियों की सभी गाड़ियों में जीपीएस लगाने का फैसला किया है. इसके अलावा पूरी चुनावी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी होगी. आयोग ने लोकसभा चुनाव के लिए हेल्पलाइन नंबर 1950 और एक एप जारी किया है. इन दोनों पर कोई भी मतदाता शिकायत दर्ज करवा सकता है. शिकायत मिलने पर चुनाव आयोग 100 घंटे के भीतर कार्रवाई करेगा.

चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि आचार संहिता तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी. चुनाव आयोग इस बार सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार पर भी कड़ी नजर रखेगा. उम्मीदवारों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी.

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