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तस्वीरों के साथ मंच से भी गायब हुए वरिष्ठ भाजपायी, अटल-आडवाणी-जोशी नदारद

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बीजेपी पर अकसर आरोप लगता है कि पार्टी वन मैन आर्मी है और इसके कमाण्डर हैं नरेंद्र मोदी. अगर देखा जाए तो यह बात गलत भी नहीं है. कुछ ऐसा ही देखने को मिला आज बीजेपी के दिल्ली मुख्यालय में, जहां पीएम नरेंद्र मोदी सहित पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, राजनाथ सिंह और अरूण जेटली ने भाजपा का चुनावी घोषणा पत्र जारी किया. यहां एक बात तो गौर करने लायक रही, वह थी कि संकल्प पत्र से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की फोटो नदारद थी. फ्रंट पेज पर नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगी थी. यहां तक की बीजेपी के भामाशाह लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी न तो मंच पर दिखाई दिए और न ही या सभागार में उपस्थित थे.

याद दिला दें कि पिछले साल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो चुका है. वहीं आडवाणी और जोशी का लोकसभा टिकट इस बार काट दूसरे नेताओं को दे दिया गया है. संभवत: यह पहला मौका है जब लोकसभा चुनाव के लिए जारी होने वाले बीजेपी के घोषणा पत्र में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी मौजूद नहीं थे. गौर देने वाली बात यह भी है कि पिछले लोकसभा चुनाव तैयार हुआ संकल्प पत्र डॉ. मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई में ही बना था.

यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव: BJP का संकल्प पत्र जारी, राष्ट्रवाद और किसानों पर फोकस

याद दिला दें कि अटल-आडवाणी ने मिलकर बीजेपी पार्टी की स्थापना की थी. कभी दो सीटें जीतने वाली बीजेपी को यहां तक पहुंचाने में लालकृष्ण आडवाणी की संगठन क्षमता और रणनीति का खासा योगदान रहा है. वहीं वाजपेयी अपनी तर्क शक्ति और शब्दों की जादूगरी से राजनीति के सबसे लोकप्रिय नेता बन गए. तीसरी धरोहर के रूप में मुरली मनोहर जोशी का नाम आता था. वह पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं. कुछ सालों पहले तक बीजेपी केवल इन तीन नेताओं की वजह से जानी जाती थी. इन तीनों के लिए बीजेपी का नारा ‘भारत मां के तीन धरोहर, अटल-आडवाणी और मुरली मनोहर’ कार्यकर्ता अभी तक गुनगुनाया करते हैं.

लेकिन आज हो हुआ, उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि जैसे घरों में पुराने फोटो फ्रेम को बदल नया लगा दिया जाता है और उसे उठाकर घर से बाहर फेंक दिया जाता है. उसी तरह पहले इन वरिष्ठ नेताओं का टिकट काट बाहर का रिश्ता दिखाया जा चुका है. उसके बाद अब पार्टी के घोषणा पत्र के साथ मंच और सभागार से भी आउट कर पार्टी से पूरी तरह बेदखल करने का रास्ता भी साफ कर दिया है. कहना गलत न होगा कि अब पार्टी ​पूर्ण रूप से मोदीमय हो चुकी है.

‘हेमा मालिनी ने उज्जवला योजना की पोल खोल दी’

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लोकसभा चुनाव आने के बाद चुनावी प्रत्याशी जनता का अटेंशन पाने के लिए न जाने क्या-क्या कर जाते हैं. हाल में संबित पात्रा ने एक गरीब के घर खाया खाते हुए एक फोटो ट्वीट की थी. अब मथुरा से बीजेपी प्रत्याशी और बॉलीवुड ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी ने सोशल मीडिया को अपना चुनावी प्रचार का अड्डा बनाया है. उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है. एक बुजुर्ग महिला सिर पर लकड़ियां ले जा रही थीं और हेमा मालिनी ने उन्हें रोक साथ में फोटो क्लिक की. इस फोटो के लिए उनका सोशल मीडिया पर जमकर मजाक बनाया जा रहा है.

इस फोटो पर रिट्वीट करते हुए एक यूजर ने कहा है – हेमा मालिनी ने उज्जवला योजना की पोल खोल दी’. एक अन्य यूजर ने कहा है – अगर सभी गरीबों को मुफ्त एलपीजी दे दिया गया है तो यह वृद्धा लकड़ी का गठ्ठर लेकर कहां जा रही है. इससे पहले भी वह एक खेत में फसल काटती हुई दिखी थीं. इस फोटो को भी हेमा को जमकर ट्रोल किया था.

@ImranKh90844245

Kartik Chouhan

@DrKumarVishwas

@BelovedPM

राजस्थान: कांग्रेस और बीजेपी में से किसकी लंका लगाएंगे हनुमान?

लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपने अपने दांव खेल दिए हैं. किसी ने वजीर को आगे किया है तो किसी ने प्यादों को आगे बढ़ाकर बिसात बिछाई है. शह और मात के इस खेल राजनीति में राजस्थान भी पीछे नहीं है. आमतौर पर प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही सीधा मुकाबला होता है, लेकिन इस बार बीजेपी गठबंधन के साथ सूबे के सियासी मैदान में है.

दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली बीजेपी ने हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी यानी आरएलपी से गठजोड़ कर जीत की व्यूह रचना तैयार की है. बेनीवाल आरएलपी के सिंबल पर नागौर सीट से मैदान में उतर चुके हैं जबकि बाकी बची 24 सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी मैदान में हैं. आपको बता दें कि बेनीवाल पहले कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहते थे, लेकिन बात नहीं बनी.

‘मिशन-25’ के साथ चुनावी रण में उतरी बीजेपी बेनीवाल के साथ तालमेल को ‘मास्टर स्ट्रोक’ करार दे रही है. बीजेपी के नेता प्रकाश जावड़ेकर ने तो यहां तक दिया कि बेनीवाल की लोकप्रियता राजस्थान ही नहीं, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सहित दूसरे राज्यों में है. बेनीवाल ने भी इस बात की पुष्टि की है कि वे बीजेपी के पक्ष में प्रचार करने के लिए राजस्थान के अलावा दूसरे राज्यों में भी जाएंगे.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि हनुमान बेनीवाल प्रदेश के जाट बेल्ट में खासे लोकप्रिय हैं. विधानसभा चुनाव से पहले हुई रैलियों में उन्हें सुनने के लिए अच्छी खासी भीड़ जुटी. हालांकि यह भीड़ नतीजों में नहीं दिखी. आरएलपी को महज तीन सीटों पर जीत नसीब हुई. अलबत्ता उन्होंने कई सीटों पर हार-जीत के समीकरण जरूर ऊपर-नीचे कर दिए.

खुद हनुमान बेनीवाल को खींवसर सीट पर 82 हजार वोट मिले जबकि उनकी पार्टी को भोपालगढ़ में 67 हजार, मेड़ता में 56 हजार, शिव में 50 हजार, जायल में 49 हजार और सीकर में 28 हजार से अधिक वोट मिले. आरएलपी उम्मीदवारों को कोटपूतली, कपासन, नीमकाथाना, चौहटन में बीस हजार से अधिक और दूदू, चाकसू, बगरु, शेरगढ़, कठूमर व सरदारशहर में 10 हजार से अधिक वोट मिले. पूरे प्रदेश में आरएलपी के खाते में कुल 8 लाख 32 हजार 852 वोट पड़े, जो कुल मतदान का 2.4 प्रतिशत है.

क्या महज 2.4 फीसदी वोट हासिल करने वाली पार्टी राजस्थान में लोकसभा चुनाव के परिणामों को प्रभावित कर सकती है? राजनीति के जानकारों की मानें तो हनुमान बेनीवाल पर इतना बड़ा दांव खेलकर बीजेपी ने बहुत बड़ा खतरा मोल लिया है. पहली बात तो यह कि विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक तर्ज पर नहीं होते और दूसरा बेनीवाल को राज्यव्यापी पकड़ रखने वाला लीडर कहना जल्दबाजी है.

विधानसभा चुनाव में ज्यादातर जाट बाहुल्य सीटों पर हनुमान बेनीवाल की पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. आरएलपी को खाजूवाला में नौ हजार, लूणकरनसर में 2300, श्रीडूंगरगढ़ में एक हजार, पीलीबंगा में 1600, झुंझुनूं में 1500 और नागौर में महज चार हजार वोट मिले. चुनाव में हनुमान बेनीवाल के अलावा जिन दो उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की, वे दोनों ही अनुसूचित जाति के हैं. यानी इन सीटों पर आरएलपी उम्मीदवार अपनी जाति और बेनीवाल की वजह से जाट वोट के गठजोड़ से जीते. वह भी तब जब मुकाबला त्रिकोणीय था.

बीजेपी भले ही आरएलपी से गठबंधन कर लोकसभा चुनाव में राज्यव्यापी फायदा देख रही हो, लेकिन राजनीति के जानकारों की मानें तो खुद हनुमान बेनीवाल के लिए नागौर से चुनाव जीतना बड़ी चुनौती है. एक तो उनका मुकाबला मिर्धा परिवार की बेटी ज्योति मिर्धा से है और दूसरा विधानसभा चुनावों में आरएलपी कई सीटों पर धराशायी हुई थी. आरएलपी को नागौर से महज चार हजार वोट मिले जबकि लाडनूं में पार्टी के उम्मीदवार को 19 हजार वोटों से संतोष करना पड़ा.

नागौर में हनुमान बेनीवाल के सामने आरएलपी का वोट बैंक बढ़ाना बड़ी समस्या है. बेनीवाल को जानने वाले कहते हैं कि उनकी राजनीति विरोध पर आधारित है, चाहे वह वसुंधरा राजे का विरोध हो या फिर अशोक गहलोत का. उनकी यही खासियत लोकप्रियता की वजह भी है, लेकिन बीजेपी के साथ गठबंधन उनकी इस पहचान को परेशानी में डाल सकता है. अब वे चाहकर भी वसुंधरा राजे के खिलाफ नहीं बोल पाएंगे. उनके भाषणों में अब एक ही सामग्री होगी- पीएम मोदी की तारीफ. इसे सुनकर बेनीवाल के प्रसंशकों में ​कितना जोश जागेगा, यह आने वाला वक्त ही बताएगा.

राजनीति के जानकारों का मानना है कि बेनीवाल की एंट्री से बीजेपी के मूल वोट बैंक राजपूत और ओबीसी पर सीधा असर पड़ेगा. कहा जाता है कि जब नागौर से हवा चलती है तो राजनीतिक मौसम पूरे मारवाड़ का बदलता है. ऐसे में बेनीवाल के बीजेपी के साथ जाने का असर जोधपुर और बाड़मेर सीट पर भी होगा. आपको बता दें कि अशोक गहलोत से व्यक्तिगत रिश्तों के बावजूद जोधपुर में राजपूत अभी तक कांग्रेस के साथ खड़ा नजर नहीं आ रहा था, लेकिन अब जब बीजेपी ने अपने तुरुप के पत्ते को जनता को दिखा दिया है, तो वे अपना रुख मोड़ सकते हैं.

हनुमान बेनीवाल के बीजेपी में जाने का सबसे बड़ा फायदा मानवेंद्र सिंह को होगा. राजपूत– मुस्लिम–दलित वोटों की गणित कागज पर तो अब तक सुहानी नजर आ रही थी पर हकीकत में उसका साकार होना मुश्किल था. मगर बदले हुए हालात में बाड़मेर में न केवल राजपूत पूरी तरह से मानवेंद्र सिंह के साथ खड़ा हो गया है, बल्कि मूल ओबीसी और सामान्य वर्ग भी भाजपा से छिटका हुआ नजर आ रहा है.

कुल मिलाकर बीजेपी के हनुमान बेनीवाल से गठबंधन से नागौर ही नहीं बल्कि समूचे मारवाड़ के सियासी समीकरण गड़बड़ा गए हैं. यदि दोनों ने इसकी काट नहीं ढूंढ़ी तो लोकसभा चुनाव के परिणाम निराश कर सकते हैं. वहीं, कांग्रेस यहां नए सिरे से रणनीति बनाने में जुटी है. पार्टी के नेताओं को लगता है कि बीजेपी-आरएलपी के बीच हुए गठबंधन ने उनके लिए संभावना के दरवाजे खोल दिए हैं. यह देखना रोचक होगा कि ऊंट आखिरकार किस करवट बैठता है.

‘बाहर से लाएंगे, बसाएंगे और हम सोते रहेंगे’

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बीजेपी ने आज दिल्ली मुख्यालय में अपना चुनावी संकल्प पत्र जारी कर दिया. 30 सूची घोषणा पत्र में जम्मू-कश्मीर में धारा 370 समाप्त किए जाने का भी जि​क्र किया गया है. इसके बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूख अब्दुल्ला ने जो साम्प्रदायिक बयान दिया, वह दिनभर चर्चा का विषय बना रहा. घोषणा पत्र पर ही अहमद पटेल ने निशाना साधते हुए कांग्रेस-भाजपा के घोषणा में अंतर बताया. वहीं यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ का राहुल-प्रियंका पर दिया बयान छाया रहा.

‘बाहर से लाएंगे, बसाएंगे और हम सोते रहेंगे’
– फारूख अब्दुल्ला

जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूख अब्दुल्ला फिर से अपनी तीखे बोल से चर्चा में हैं. बीजेपी के संकल्प पत्र में धारा 370 समाप्त करने के बारे में सुनकर अब्दुल्ला ने तैश में आकर पीएम मोदी को आड़े हाथ ले लिया. उन्होंने कहा, ‘बाहर से लाएंगे, बसाएंगे और हम सोते रहेंगे? हम इसका मुकाबला करेंगे, 370 को कैसे खत्म करोगे. अल्लाह की कसम खाता हूं, अल्लाह को यही मंजूर होगा. हम इनसे आजाद हो जाएंगे. करें, हम भी देखते हैं. देखता हूं फिर कौन इनका झंडा खड़ा करने के लिए तैयार होगा.’ इससे पहले रविवार को फारूख अब्दुल्ला ने बयान दिया था कि केंद्र सरकार पुलवामा हमले के बारे में जानती थी, लेकिन नरेंद्र मोदी को चुनाव जीतने में मदद करने के लिए ऐसा होने दिया.

‘घोषणा पत्र की जगह बीजेपी को माफीनामा लेकर आना चाहिए था’
– अहमद पटेल, कांग्रेस नेता

राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता अहमदभाई मोहम्मदभाई पटेल ने बीजेपी के चुनावी संकल्प पत्र को माफीनामा की संज्ञा दे दी. उन्होंने भाजपा-कांग्रेस के घोषणा पत्रों में अंतर दिखाते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘भाजपा के घोषणापत्र और कांग्रेस के घोषणा पत्र के बीच का अंतर सबसे पहले कवर पेज से देखा जा सकता है. हमारे लोगों की भीड़ है और भाजपा के घोषणापत्र में सिर्फ एक आदमी का चेहरा है. घोषणापत्र के बजाय बीजेपी को ‘माफ़ीनामा’ लेकर आना चाहिए था.’

‘बापू के सपने को साकार करने भाई-बहिन आ गए हैं’
– योगी आदित्यनाथ, यूपी सीएम

बिजनौर में एक आम सभा को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी यूपी महासचिव प्रियंका गांधी को लेकर निशाना साधा. आदित्यनाथ ने कहा, ‘बापू ने 1947 में कहा था कि कांग्रेस का काम समाप्त हो गया है. अब कांग्रेस का विसर्जन कर दो. वो जानते थे कि कांग्रेस का मतलब अब एक परिवार होने जा रहा है. बापू के सपने को सकार करने के लिए भाई-बहिन (राहुल गांधी व प्रियंका गांधी) आ चुके हैं.’

आगे उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि उन्होंने जो प्रत्याशी दिया है वो तो उससे भी बड़ा बागी है. भाई-बहिन को जो प्रत्याशी हैं यहां पर, पिछली बार बहिनजी (मायावती)  को 0 पर पहुंचा दिया. अगर इस बार भाई-बहिन को भी 0 पर पहुंचा देंगे तो कोई संदेह नहीं होगा.

 

विजय माल्या को बड़ा झटका, प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर याचिका खारिज

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भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को लंदन के हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने माल्या की ओर से प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट के इस आदेश के बाद माल्या के भारत आने की उम्मीद बढ़ी है. आपको बता दें कि लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने 10 दिसंबर 2018 को माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था.

प्रत्यर्पण संधि की प्रक्रियाओं के तहत चीफ मजिस्ट्रेट का फैसला गृह मंत्री जावीद को भेजा गया था, क्योंकि सिर्फ गृह मंत्री ही माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश देने के लिए अधिकृत हैं. इसके बाद ब्रिटेन के गृह मंत्री ब्रिटेन के गृह मंत्री साजिद जावीद ने माल्या को भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश दिया था. माल्या ने गृह मंत्री के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है.

गौरतलब है कि अप्रैल 2017 में स्कॉटलैंड यार्ड की ओर से तामील कराए गए प्रत्यर्पण वॉरंट पर माल्या जमानत पर है. यह वॉरंट उस वक्त तामील कराया गया था जब भारतीय अधिकारियों ने किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व प्रमुख माल्या को 9,000 करोड़ रुपए की रकम की धोखाधड़ी और मनी लॉन्डरिंग के मामले में आरोपी बनाया था.

सुप्रीम कोर्ट ने EVM-VVPAT पर्ची मिलान का दायरा बढ़ाने को कहा

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सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को ईवीएम और वीवीपैट के मिलान का दायरा बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को आदेश दिया है कि लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली सभी विधानसभाओं के पांच बूथों पर ईवीएम और वीवीपैट का मिलान किया जाए। इससे पहले हर विधानसभा के एक पोलिंग बूथ पर ही पर्चियों का मिलान होता था। इस व्यवस्था के खिलाफ 21 विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इससे पहले तक सभी विधानसभा क्षेत्रों के केवल एक पोलिंग बूथ पर ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों का मिलान होता रहा है.

इससे पहले चन्द्रबाबू नायडू के अलावा शरद पवार, केसी वेणुगोपाल, डेरेक ऑब्रान, अखिलेश यादव, सतीश चंद्र मिश्रा, एमके स्टालिन, टीके रंगराजन, मनोज कुमार झा, फारुख अब्दुल्ला, एस एस रेड्डी, कुमार दानिश अली, अजीत सिंह, मोहम्मद बदरुद्दीन अजमल, जीतन राम मांझी, प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. याचिका में लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले 50 फीसदी ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करने की मांग गई थी.

इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से 25 मार्च को जवाब मांगा था. चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कहा कि ‘वीवीपैट की पर्चियों के मिलान का वर्तमान तरीका सबसे उपयुक्त है. हर विधानसभा क्षेत्र में 50 फ़ीसदी ईवीएम के वोटों की गणना वीवीपैट पर्चियों से करने में लोकसभा चुनाव के नतीजे पांच दिन की देरी से आएंगे. कई विधानसभा क्षेत्रों में 400 पोलिंग बूथ है. जिनके वीवीपैट पर्ची से मिलान करने में आठ से नौ दिनों का वक़्त लग सकता है.’ बता दें कि 11 अप्रैल से देश में लोकसभा चुनाव शुरू हो रहे हैं. कुल 543 सीटों पर होने वाले चुनाव सात चरणों में संपन्न होंगे.

लोकसभा चुनाव: BJP का संकल्प पत्र जारी, राष्ट्रवाद और किसानों पर फोकस

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लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी का अपना संकल्प पत्र जारी कर दिया है. इस घोषणा पत्र का नाम ‘संकल्पित भारत सशक्त भारत’ दिया है. 48 पन्नों के संकल्प पत्र को 12 श्रेणियों में बांटा गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी कार्यालय दिल्ली में इस संकल्प पत्र का उदघाटन किया. कार्यक्रम में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, अरूण जेटली और राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे. राजनाथ सिंह की अगुवाई में संकल्प पत्र को तैयार किया गया है. मंच को सबसे पहले अमित शाह, राजनाथ सिंह, अरूण जेटली और सुषमा स्वराज ने संबोधित किया.

राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में संकल्प पत्र पर प्रकाश डालते हुए इसे प्रेक्टिकल दस्तावेज बताया. उन्होंने बताया कि ‘संकल्पित भारत सशक्त भारत’ को 6 करोड़ लोगों से चर्चा कर तैयार किया गया है. घोषणा पत्र में सर्जिकल स्ट्राइक का भी जिक्र किया गया है. साथ ही आर्मी को फ्री हैंड देने की बात भी कही गई है. इससे पहले अमित शाह ने अपने संबोधन में केन्द्र सरकार की पिछली 5 साल की सफलताओं को गिनाया. उन्होंने बताया कि 30 साल बाद देश में 2014 में पहली बार बीजेपी की पूर्ण बहुमत सरकार बनी. साथ को ध्यान में रखते हुए पूर्ण बहुमत के बावजूद हमने एनडीए की सरकार बनाई.

मिशन 2019 के लिए बीजेपी का वादा
टॉप 3 देशों में आने का संकल्प
2022 तक 75 संकल्प पूरे करेंगे
संकल्पित भारत सशक्त भारत का संकल्प, राष्ट्रवाद पर फोकस
आतंकवाद के लिए जीरो टॉलरेंस नीति
समान आचार संहिता लागू होगी
राम मंदिर का जल्दी से जल्दी सौहार्दपूर्ण ढंग से निर्माण
किसानों को आसानी से कर्ज मिलेगा
25 लाख करोड़ रुपये किसानों के लिए खर्च होंगे

मायावती के ‘मुस्लिम बयान’ पर चुनाव आयोग सख्त, रिपोर्ट मांगी

सहारनपुर के देवबंद में आयोजित महागठबंधन की चुनावी रैली में बसपा प्रमुख मायावती के ‘मुस्लिम बयान’ को लेकर चुनाव आयोग सख्त नजर आ रहा है. उन्होंने इस संबंध में जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है. चुनाव आयोग ने कहा है कि मायावती के इस बयान पर कई शिकायतें मिली थी, जिसके बाद आयोग ने यह कदम उठाया है. दरअसल देवबंद में सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन की पहली चुनावी रैली में रविवार को मायावती ने मुस्लिम मतदाताओं का आह्वान करते हुए कहा था, ‘भाजपा को कांग्रेस नहीं हरा सकती. उसे सिर्फ महागठबंधन हरा सकता है. लिहाजा मुस्लिम मतदाता कांग्रेस को वोट देकर उसे ज़ाया करने के बजाय महागठबंधन प्रत्याशियों के पक्ष में एक तरफा मतदान करें.’ मायावती के इस बयान पर भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर ने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की है.

राठौड़ का कहना है कि मायावती द्वारा मुसलमानों से एक राजनीतिक दल को वोट न देने की अपील करना धार्मिक उन्माद फैलाने वाला है. साथ ही यह चुनाव आचार संहिता का खुला उल्लंघन भी है, लिहाजा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. वहीं दूसरी ओर मायावती का ऐसा बयान ध्रुवीकरण को भी बढ़ावा दे सकता है जिसका नुकसान महागठबंधन को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उठाना पड़ सकता है क्योंकि मुस्लिमों से एकतरफा वोट की अपील पर हिंदू वोटरों पर इसका उल्टा असर हो सकता है.

इस चुनावी रैली में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, ‘हमारी सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं. हमारे जवान मर रहे हैं बीजेपी की ज़िम्मेदारी है. ये महापरिवर्तन का चुनाव है. ये दूरियों को मिटाने का चुनाव है. हमें नफ़रत की दीवार गिरानी है. उन्होंने कहा कि जो कांग्रेस है वही बीजेपी है, जो बीजेपी है वही कांग्रेस है. कांग्रेस परिवर्तन नहीं चाहती वो अपनी पार्टी बनाना चाहती है. आपको देखना होगा कि कौन परिवर्तन लाएगा.’

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