होम ब्लॉग पेज 3273

राजस्थान: अजमेर में कई खेमों में बंटी कांग्रेस झुंझुनवाला के लिए बड़ी चुनौती

अजमेर लोकसभा सीट के लिए भाजपा के भागीरथ चौधरी और कांग्रेस के रिजू झुंझुनवाला के बीच चुनावी दंगल तय हो गया है. उद्योगपति झुंझुनवाला के लिए राजनीति का क्षेत्र बिल्कुल नया है. टिकट की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने जयपुर में रिजू झुंझुनवाला का परिचय अजमेर जिले के कांग्रेसी नेताओं से कराया और उसके साथ ही कांग्रेस उम्मीदवार की चुनावी प्रचार की रेलगाड़ी पटरी पर गति पकड़ने लगी. अजमेर आते ही झुंझुनवाला सबसे पहले पुष्कर गए और बाद में दरगाह पर हाजिरी दी. इस दौरान कांग्रेस के सभी प्रमुख नेता उनके साथ नजर आए.

झुंझुनवाला के अजमेर आने से पहले ही कई प्रोफशनल टीमों ने अजमेर पहुंचकर सोशल साइट सहित अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से उनके चुनावी प्रचार के काम का शुरू कर दिया. इन सबके बीच अजमेर जिले में कई खेमों में बंटी कांग्रेस झुंझुनवाला के लिए खासी समस्या साबित हो रही है. चूंकि झुंझुनवाला राजनीति में नए चावल हैं इसलिए उनके साथ कोई विवाद या नेताओं का पूर्वाग्रह नहीं जुड़ा हुआ है लेकिन जिले के नेताओं के बीच खींचतान और वर्चस्व को लेकर विवाद जगजाहिर है. इतना ही नहीं, झुंझुनवाला के लिए कांग्रेस आलाकमान से भी कमजोर प्रत्याशी होने की शिकायत कर उम्मीदवार बदलने का प्रस्ताव रखा है.

उल्लेखनीय है कि नेताओं की गुटबाजी के चलते पिछले लोकसभा के उपचुनाव में अजमेर सीट पार्टी के खाते में आने के बावजूद, कुछ महीनों बाद हुए विधासभा चुनावों में जिले की आठ में से कांग्रेस को केवल दो सीटों से संतोष करना पड़ा था. इन स्थितियों से निबटने के लिए झुंझुनवाला के चुनाव की कमान पूर्व मंत्री बीना काक ने खुद संभाल रखी है. पूर्व मंत्री बीना काक झुंझुनवाला की करीबी रिश्तेदार हैं. टिकट की घोषणा के तुरंत बाद से काक ने अजमेर में डेरा डाल लिया. बीनाकाक जिले के सभी कांग्रेस नेताओं से अलग-अलग मुलाकात कर उनके क्षेत्रों की राजनीतिक स्थितियों को समझने में जुटी हुई हैं. इसके साथ जिले के प्रभारी मंत्री प्रमोद जैन भाया और मंत्री रघु शर्मा भी लगातार जिले के नेताओं से संपर्क में हैं.

जिले के मतदाताओं की जातिगत स्थिति पर नजर डालें तो जिले में सर्वाधिक मतदाता जाट समुदाय से हैं. इसके बाद राजपूत और रावणा राजपूत, मुस्लिम, ब्राह्मण सहित अन्य जातियां हैं. बीजेपी ने लगातार तीसरी बार जाट उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. इससे पहले भाजपा ने 2014 में कांग्रेस के सचिन पायलट के सामने जाट नेता सांवरलाल जाट को चुनावी मैदान में उतारा था, जिन्होंने पायलट को बड़े वोट अंतर से पटखनी दी थी. कार्यकाल के दौरान सांवरलाल के निधन और उसके बाद हुए उपचुनावों में बीजेपी ने सांवरलाल के पुत्र रामस्वरूप लांबा को चुनावी मैदान में उतारा. हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी रघु शर्मा के सामने लांबा को हार का सामना करना पड़ा था.

लेकिन लोकसभा की तब और अब की राजनीतिक स्थिति बिलकुल ही अलग है. उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की नीतियों के खिलाफ लोगों ने मतदान किया और बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाला राजपूत और ब्राह्मण अलग-अलग कारणों से छिटक गए. परंपरागत जनाधार सरकने का खामियाजा बीजेपी को उठाना पड़ और रघु शर्मा ने जिले की आठ विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल कर भाजपा से अजमेर लोकसभा सीट छीन ली.

इस बार लोकसभा चुनाव में एक बार फिर नए सिरे से राजनीतिक समीकरण बनने शुरू हो गए हैं. कांग्रेस प्रत्याशी रिजु झुंझुनवाला वैश्य समाज से है. वैश्य समाज भाजपा का परंपरागत वोट बैंक है. ऐसे में कांग्रेस के रणनीतिकार झुंझुनवाला के नाम पर वैश्य समाज में सेंध लगाने के काम में जुट गए है. कांग्रेस नेता मुस्लिम, एससी-एसटी वर्ग सहित पिछले चुनाव में कांग्रेस का साथ देने वाले राजपूत और ब्राह्मण समाज को भी साध रहे हैं.

झारखंड: चुनावी मौसम में ब्यूरोक्रेट्स परेशान, विपक्ष से साध रहे संपर्क

PoliTalks news

झारखंड के ब्यूरोक्रेट्स के बारे में कहावत है कि वे नेताओं के भी नेता हैं. यहां के कई आईएएस और आईपीएस राज्य में सरकार बनाने के खेल में भी शामिल रहे हैं. इसके बदले नेताओं द्वारा उन्हें मलाईदार विभाग में तैनाती मिलती रही है लेकिन लगता है इस चुनावी मौसम में राज्य के ब्यूरोक्रेट्स के ग्रह-नक्षत्रों की चाल ठीक नहीं है. मुख्यमंत्री रघुवर दास के आंखों का तारा माने जाने वाले भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी अनुराग गुप्ता को चुनाव आयोग ने राज्य से तड़ीपार कर दिया है. आयोग ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि अपर पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता को नई दिल्ली भवन स्थित झारखंड भवन में तैनात किया जाए. इतना ही नहीं, 23 मई यानी चुनाव परिणाम तक झारखंड के किसी भी हिस्से में जाने पर पाबंदी लगा दी गई.

अनुराग गुप्ता पर 2016 में हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार का आरोप है. इस मामले में चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अजय कुमार और अनुराग गुप्ता पर केस दर्ज करने का आदेश पूर्व में दिया था लेकिन सत्ता का संरक्षण प्राप्त होने के कारण उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. विपक्ष चुनाव आयोग के इस फैसले से खुश है क्योंकि उसे लग रहा था कि गुप्ता लोकसभा चुनाव के दौरान गड़बड़ी कर सकते हैं. इसको लेकर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा रांची से लेकर नई दिल्ली तक चुनाव आयोग से शिकायत हुई थी.

चुनाव आयोग के संकेत के बाद एक्सटेंशन पर चल रहे झारखंड के मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी की विदाई हो गई. आयोग के नियमानुसार एक्सटेंशन पर चल रहे किसी व्यक्ति को चुनाव कार्य में नहीं लगाया जा सकता इसलिए राज्य सरकार ने 31 मार्च के बाद उन्हे एक्सटेंशन नहीं देने का फैसला लिया. उनकी जगह देवेंद्र कुमार तिवारी को नया मुख्य सचिव बनाया गया है. सत्ता से जुड़े सूत्रों की मानें तो एडिशनल चीफ सेक्रेट्री केके खंडेलवाल इस पद की दौड़ में थे. खंडेलवाल फिलहाल राज्य में कार्मिक प्रशासनिक विभाग में तैनात हैं और मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके खास सिपेहसालारों के पसंदीदा माने जाते हैं.

मुख्य सचिव बनने के लिए केके खंडेलवाल ने नई दिल्ली में भाजपा के बड़े नेताओं से मुलाकात की और अपने लिए समर्थन मांगा. खबर है कि उन्हें दिल्ली का आशीर्वाद तो प्राप्त हो गया लेकिन चुनाव आयोग उनके नाम पर सहमत नहीं था. दरअसल खंडेलवाल पर पूर्व में चुनाव ड्यूटी ठीक से नहीं निभाने का आरोप लगा था. हालांकि इस मामले में उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है. इसके बाद भी आयोग का रुख उनके नाम पर सकारात्मक नहीं था. इस वजह से राज्य सरकार को 1986 बैच के आईएएस देवेंद्र कुमार तिवारी के नाम पर सहमत होना पड़ा.

इस ताजपोशी के बाद खंडेलवाल बेहद दुखी हैं. दुखड़ा इसलिए भी बड़ा है क्योंकि मुख्य सचिव बनने की उम्मीद में उन्होंने पिछले साल बीआरएस स्वीकृत होने के बाद नौकरी नहीं छोड़ी थी. नए बदलाव में उन्हें वित्त और योजना का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है लेकिन इससे वह संतुष्ट नहीं हैं. फिलहाल सरकार के दुलारे ब्यूरोक्रेट्स के दिन खराब होने से मलाईदार विभाग में तैनात कुछ अधिकारी विपक्ष के नेताओं से भी संपर्क साध रहे हैं ताकि उनकी कुर्सी सलामत रह सके.

‘आडवाणी जी को स्टेज से लात मारकर उतार दिया’

PoliTalks news

लोकसभा चुनाव में अब चंद दिन रह गए हैं. ऐसे में आरोप-प्रत्यारोपों का दौर तेज होता जा रहा है. आज बीजेपी के 39वें स्थापना दिवस पर राहुल गांधी ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आड़वाणी के कंधे का सहारा लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साध दिया. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ​तुरंत राहुल गांधी को इसका काउंटर एटैक कर जवाब दिया. वहीं पीएम मोदी का कांग्रेस सिक्यूरिटी वाला बयान भी दिनभर छाया रहा. शत्रुध्न सिंहा का बीजेपी फाउंडेशन डे पर विश करना चर्चा में रहा.

‘आडवाणी जी को स्टेज से लात मारकर उतार दिया’
— राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हरिद्वार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विवादास्पद बयान देते हुए लालकृष्ण आडवाणी को आधार बनाते हुए बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. राहुल ने कहा कि मोदीजी हिंदू धर्म की बात करते हैं. हिंदू धर्म में सबसे जरूरी चीज होती है ‘गुरू’. आडवाणी जी मोदी के गुरू हैं. आडवाणीजी की हालत देखी है आपने? आडवाणी जी को लात मारकर स्टेज से उतार दिया गया है. बता दें, लोकसभा चुनाव में आडवाणी का गांधीनगर से टिकट काट अमित शाह को दिया है.

‘आपके बयान ने आहत किया, भाषा की मर्यादा रखें’
– सुषमा स्वराज, विदेश मंत्री

आडवाणी वाले बयान पर काउंटर अटैक करते हुए भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है, ‘राहुल जी – अडवाणी जी हमारे पिता तुल्य हैं. आपके बयान ने हमें बहुत आहत किया है. कृपया भाषा की मर्यादा रखने की कोशिश करें.’

‘जरा एक बार खुद की सिक्यूरिटी कवर से निकलकर देखो जरा’
– नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

छत्तीसगढ़ के बालोड़ में एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमद पटेल के सेना को लेकर दिए गए बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मैं जरा कांग्रेस वालों को कहता हूं कि ये सेना के जवानों को तुम निहत्थे बना रहे हो, जरा एक बार खुद तो सारी सिक्यूरिटी कवर से निकल कर दिखाओ जरा.

‘भाजपा एक आदमी शो, दो पुरूष सेना, निरंकुश सरकार’
– शुत्रध्न सिंहा, सांसद

बॉलीवुड अभिनेता शत्रुध्न सिंहा ने आज कांग्रेस पार्टी में शामिल होते हुए बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि मैंने रातों रात बीजेपी छोड़ने का फैसला नहीं लिया। मैं 25 साल से पार्टी में था। मैंने देखा कि यह (भाजपा) सरकार एक आदमी शो और दो पुरुष सेना थी. यह निरंकुश हो गई थी.

‘राजनीति को युवा की जरूरत, हम जैसों को बैकफुट पर आ जाना चाहिए’
– सैम पित्रोदा, कांग्रेस नेता

युवा पीढ़ी को राजनीति में आगे बढ़ने की हिदायत देते हुए सैम पित्रोदा ने कहा कि मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना ​​है कि हमें राजनीति में युवा लोगों की जरूरत है। हम जैसे लोगों को बैकफुट पर आना चाहिए। अगर कोई मुझसे सरकार में होने के लिए कहता है तो मैं इसे स्वीकार नहीं करूंगा। मेरे दिन खत्म हो गए और कभी-कभी लोगों को जाने देना कठिन होता है।

राजस्थान: कमजोर उम्मीदवारों से राहुल गांधी नाराज, कई सीटों पर बदलेंगे चेहरे

PoliTalks news

प्रदेश में मिशन-25 में जुटी कांग्रेस के लिए कुछ सीटों पर कमजोर चेहरे परेशानी का सबब बन सकते हैं. आलाकमान को जैसे ही इसकी भनक लगी, तुरंत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, डिप्टी सीएम सचिन पायलट और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय को दिल्ली तलब कर लिया. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को राजस्थान में कईं प्रत्याशियों के बेहद कमजोर रहने की रिपोर्ट मिली है. रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि बारां-झालावाड़, भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण और चूरु सीटें बेहद कमजोर है. इन सीटों पर प्रत्याशी मुकाबले तक में नजर नहीं आ रहे. इसके बाद राहुल गांधी ने प्रदेश के आला नेताओं से सीटों पर उम्मीदवार बदलने की संभावना पर मंथन किया. इस बात के पूरे आसार है कि बारां-झालावाड़ और अजमेर से कांग्रेस पार्टी अपने प्रत्याशी बदल सकती है.

प्रमोद शर्मा सहित छह प्रत्याशियों को लेकर हुआ मंथन

दिल्ली में राहुल गांधी ने करीब छह सीटों को लेकर गहलोत, पायलट औऱ पांडेय से चर्चा की. इस दौरान प्रियंका गांधी भी बैठक में मौजूद रही. कयास शुरु हो गए कि प्रियंका के बेहद करीबी राजस्थान के एक नेता ने भी उनको कमजोर प्रत्याशी उतारने का फीडबैक दिया. हालांकि भीलवाड़ा से मौजूदा प्रत्याशी को बदलने की संभावना बेहद कम है लेकिन आलाकमान बारां-झालावाड़ से वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह के सामने प्रमोद शर्मा को बेहद कमजोर उम्मीदवार मान रहा है. ऐसे में उन्हें रिप्लेस करते हुए उर्मिला या प्रमोद जैन भाया को प्रत्याशी बनाए जाने के पूरे आसार हैं. स्थानीय कांग्रेस नेता भी प्रमोद शर्मा का विरोध कर रहे हैं.

अजमेर से रिजु झुंझुनवाला के भागीरथ चौधरी के सामने बेहद कमजोर होने की रिपोर्ट भी राहुल गांधी को मिली है. लिहाजा इस बात की भी पूरी संभावना है कि अगर सचिन पायलट मान गए तो फिर रिजु को बदला जा सकता है. इसके अलावा, स्टिंग ऑपरेशन और स्थानीय दिग्गज नेताओं की नाराजगी के चलते ज्योति खंडेलवाल को लेकर भी मंथन किया गया. हालांकि लग यही रहा है कि ज्योति को जीवनदान मिल जाएगा.

भीलवाड़ा, जयपुर ग्रामीण औऱ चूरु के उम्मीदवारों पर भी मंथन किया गया लेकिन मुस्लिम को टिकट देने की मजबूरी के चलते चूरु सीट से प्रत्याशी बदलाव नहीं करने पर मुहर लग गई है. भीलवाड़ा से मजबूत प्रत्याशी नहीं मिलने पर रामपाल शर्मा को ही बरकरार रखने पर सहमति बनी है. इसी तरह का फैसला जयपुर देहात से कृष्णा पूनिया को लड़ाने पर भी बना है.

बड़े नेता नहीं कर रहे पुष्टि

आलाकमान के दखल के बाद क्या वाकई कांग्रेस एक-दो सीटों पर प्रत्याशी बदलेगी, इसको लेकर कोई नेता पुष्टि नहीं कर रहा है. हालांकि मीडिया के सामने प्रभारी अविनाश पांडेय ने किसी भी तरह के बदलाव से इंकार किया है लेकिन पॉलिटॉक्स न्यूज के सूत्रों के मुताबिक एक या दो मौजूदा प्रत्याशियों का बदला जाना लगभग तय है. हालांकि सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने इस बारे में अभी तक कोई बयान नहीं दिया है लेकिन प्रत्याशी बदले जाने की पूरी संभावना इसलिए भी है क्योंकि चुनावी प्रचार को बीच में छोड़कर अचानक ये नेता दिल्ली फिर क्यों पहुंचे?

राजस्थान: बीजेपी ने घोषित किए 4 उम्मीदवार, दौसा पर पेंच फंसा

PoliTalks news

बीजेपी ने राजस्थान में शेष रही पांच लोकसभा सीटों में से चार पर अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं. दौसा सीट पर प्रत्याशी का नाम की घोषणा अभी नहीं हो पाई ह़ै. जैसी की संभावना थी, राजसमंद लोकसभा सीट से पूर्व विधायक दीया कुमारी को टिकट दिया है. भरतपुर सीट से रंजीता कोली को उतारा गया है. बाड़मेर से कैलाश चौधरी और करौली-धौलपुर से मनोज राजौरिया को बीजेपी चेहरा बनाया है. नागौर सीट से हनुमान बेनीवाल बीजेपी के पक्ष में बतौर आरएलपी प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरेंगे.

बता दें, बीजेपी इससे पहले 19 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है. नई सूची के मुताबिक राजसमंद सीट पर दीया कुमारी के सामने कांग्रेस के देवकीनंदन गुर्जर होंगे. इसी प्रकार, भरतपुर में रंजीता कोली के सामने कांग्रेस के अभिजीत जाटव, बाड़मेर में कैलाश चौधरी के सामने मानवेंद्र सिंह और करौली—धौलपुर से मनोज राजौरिया के सामने संजय कुमार जाटव चुनौती पेश करेंगे. नागौर सीट पर हनुमान बेनीवाल के सामने कांग्रेस की ज्योति मिर्धा होंगी.

कांग्रेस का कैसे होगा मिशन-25 पूरा, हर सीट पर नेताओं के हैं कई गुट

PoliTalks news

राजस्थान में मिशन-25 में जुटी कांग्रेस का खेल उसके अपने ही बिगाड़ सकते हैं. हर लोकसभा सीट पर अपनों की नाराजगी का सामना कांग्रेस प्रत्याशियों को करना पड़ रहा है. एक-दो सीटों पर छोड़कर हर सीट पर कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है. गुटबाजी के चलते ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटों की गाड़ी सरकार बनाने लायक सीटों तक आकर रुक गई थी लेकिन दो धड़ों में बंटी कांग्रेस और टिकट नहीं मिलने से नाराज नेता अंदरखाने हिसाब चुकता करने की तैयारी में बैठे हैं. दिखावे के तौर पर नाराज नेता कांग्रेस प्रत्याशी के साथ मंच जरुर शेयर कर रहे है लेकिन जीत के लिए मेहनत नहीं कर रहे. आइए सिलसिलेवार बताते हैं कि किस सीट पर कांग्रेस में कितने गुट और गुटबाजी हैं.

झुंझुनूं
झुंझुनूं सीट पर कांग्रेस की जीत की राह में अपने ही बाधा बन सकते हैं. श्रवण कुमार को टिकट मिलने से राजबाला ओला और चंद्रभान खुश नहीं है. ओला परिवार के लिए तो यह किसी वज्रपात से कम नहीं है. विधायक बृजेन्द्र ओला और लोकसभा प्रत्याशी श्रवण कुमार की अदावत से तो हर कोई वाकिफ है. बृजेन्द्र ओला के साथ फतहेपुर विधायक हाकमअली टांक भी पाले में है. उधर, श्रवण के पाले में विधायक जितेन्द्र गुर्जर, राजकुमार शर्मा, जेपी चंदेलिया और रीटा कुमारी हैं. ऐसे में श्रवण के सामने फतेहपुर और झुंझुनूं विधानसभा से बढत बनाना लोहे के चने चबाने जैसा साबित हो सकता है.

श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़
इस सुरक्षित सीट पर कांग्रेस को जीत दर्ज करने के लिए सभी नेताओं को एक जाजम पर लाना होगा. भरतराम मेघवाल को टिकट नहीं मिलने से नाराज शंकर पन्नू उनका खेल बिगाड़ सकते हैं. शंकर पन्नू के साथ ललित मेहरा भी टिकट के दावेदार थे. ऐसे में दोनों नेताओं को मनाना कांग्रेस प्रत्याशी और पार्टी के लिए बेहद जरुरी होगा.

बीकानेर
हालांकि अर्जुनराम मेघवाल को बीजेपी से दोबारा टिकट देने पर पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी ने खुलकर मोर्चा खोल दिया है लेकिन यही हालात कांग्रेस में भी हैं. पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी की पसंद पर मदनमोहन मेघवाल को टिकट देने से विरोधी धड़ा तिलमिलाया हुआ है. नाराज गुट में विधायक गोविंद चौहान, पूर्व विधायक वीरेन्द्र बेनीवाल और मंगलाराम गोदारा है. तीनों का लूणकरणसर, श्रीडूंगरगढ़ और खाजूवाला में अच्छा वोट बैंक है.

नागौर
बीकानेर से सटी नागौर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति मिर्धा के खिलाफ भी यही हाल है. विधायक चेतन डूडी, महेन्द्र चौधरी और रिछपाल मिर्धा कभी नहीं चाहेंगे कि ज्योति चुनाव जीते. तीनों ने ज्योति को टिकट नहीं देने की खुली डिमांड आलाकमान से की थी. ज्योति के पाले में विधायक रामनिवास गावड़िया, मुकेश भाखर, सवाईसिंह और जाकिर हुसैन गैसावत जैसे नेता हैं.

बाड़मेर-जैसलमेर
मंत्री हरीश चौधरी ने मानवेन्द्र सिंह को कांग्रेस से टिकट नहीं मिले, इसके लिए दिल्ली में डेरा डाल लिया था. आलाकमान तक टिकट के लिए चौधरी ने एड़ी चोटी का पूरा जोर लगा दिया था लेकिन मानवेन्द्र टिकट लाने में कामयाब रहे. ऐसे में अब यहां से जाट वोट बैंक भाजपा के पाले में जा सकता है.

करौली-धौलपुर
संजय कुमार जाटव को प्रत्याशी बनाने पर विधायक खिलाड़ी बैरवा बेहद नाराज हैं. उन्होंने तो खुलकर टिकट नहीं बदलने पर इस्तीफे तक की चेतावनी तक दे डाली थी. सबसे ज्यादा नाराजगी इसी सीट पर देखी जा रही है.

अजमेर
रिजु झुंझुनवाला को टिकट देने पर कोई स्थानीय कांग्रेस नेता खुश नजर नहीं आ रहा. रिजु को पैराशूटर उम्मीदवार बताते हुए कईं पार्टी पदाधिकारियों ने फैसले पर खुलकर नाराजगी जताई थी..इसके बावजूद रिजु को टिकट दिया गया. अब औपचारिकता के नाते अनमने मन से नेता उनके साथ जुटे हुए हैं.

भीलवाड़ा
कांग्रेस ने सीपी जोशी के खास रामपाल शर्मा को यहां से टिकट दिया है. इससे दूसरे गुट के नेता विधायक रामलाल जाट और धीरज गुर्जर इससे काफी खफा है. दोनों मुश्किल ही रामपाल शर्मा के लिए वोट मांगेंगे.

जयपुर शहर
जयपुर शहर में तमाव विरोध के बावजूद ज्योति खंडेलवाल टिकट लेने में तो कामयाब हो गई लेकिन महेश जोशी, अमीन कागजी और अर्चना शर्मा की नाराजगी ज्योति की जीत की राह में बाधा बने हुए हैं.

डूंगरपुर-बांसवाड़ा
ताराचंद भगौरा को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है. विधायक महेन्द्रजीत सिंह मालवीय से उनकी अनबन जगजाहिर है. मालवीय इस सीट से अपनी पत्नी को फिर से टिकट दिलाना चाहते थे.

उदयपुर
कांग्रेस प्रत्याशी रघुवीर मीणा का गिरिजा व्यास औऱ सीपी जोशी खेल बिगाड़ सकते हैं. विधानसभा चुनाव में दोनों के चलते ही हार का मुहं देखना पड़ था.जीत के लिए मीणा को हर हाल में दोनों को साथ लेना होगा.

चूरु
रफीक मंडेलिया को टिकट देने के पक्ष में मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल औऱ विधायक भंवरलाल शर्मा बिलकुल भी नहीं थे लेकिन फिर भी रफीक को टिकट मिल गया. लिहाजा दोनों नेता नाराजगी के चलते कतई नहीं चाहेंगे मंडेलिया चुनाव जीते.

सीकर
यहां सुभाष महरिया थोड़े से कंफर्ट जोन में है लेकिन मंत्री गोविंद डोटासरा से उनका छत्तीस का आंकड़ा रहा है. लिहाजा डोटासरा मंत्री पद पर बरकरार रहे, इसके चलते जरुर महरिया साथ दे सकते हैं.

टोंक-सवाईमाधोपुर
नमोनारायण मीणा की टिकट के खिलाफ एकमात्र नेता थी विधायक इंद्रा मीणा जो कभी नमोनारयण के साथ नहीं हो सकती. नमोनारायण मीणा ने नवल मीणा के लिए बामनवास से खुलकर वोट मांगे थे.

तो इन सीटों पर कांग्रेस की गुटबाजी उनके मिशन-25 को पूरा करने में ब्रेक लगा सकती है. इन नेताओं की एक-दूसरे से अदावत से आला नेता भी परिचित है. हालांकि खुलकर तो वह कारसेवा नहीं करेंगे लेकिन कांग्रेस को जिताने के लिए खुले दिल से भी नहीं जुटेंगे.

Evden eve nakliyat şehirler arası nakliyat