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राजस्थान में मिशन-25 में जुटी कांग्रेस का खेल उसके अपने ही बिगाड़ सकते हैं. हर लोकसभा सीट पर अपनों की नाराजगी का सामना कांग्रेस प्रत्याशियों को करना पड़ रहा है. एक-दो सीटों पर छोड़कर हर सीट पर कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है. गुटबाजी के चलते ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटों की गाड़ी सरकार बनाने लायक सीटों तक आकर रुक गई थी लेकिन दो धड़ों में बंटी कांग्रेस और टिकट नहीं मिलने से नाराज नेता अंदरखाने हिसाब चुकता करने की तैयारी में बैठे हैं. दिखावे के तौर पर नाराज नेता कांग्रेस प्रत्याशी के साथ मंच जरुर शेयर कर रहे है लेकिन जीत के लिए मेहनत नहीं कर रहे. आइए सिलसिलेवार बताते हैं कि किस सीट पर कांग्रेस में कितने गुट और गुटबाजी हैं.

झुंझुनूं
झुंझुनूं सीट पर कांग्रेस की जीत की राह में अपने ही बाधा बन सकते हैं. श्रवण कुमार को टिकट मिलने से राजबाला ओला और चंद्रभान खुश नहीं है. ओला परिवार के लिए तो यह किसी वज्रपात से कम नहीं है. विधायक बृजेन्द्र ओला और लोकसभा प्रत्याशी श्रवण कुमार की अदावत से तो हर कोई वाकिफ है. बृजेन्द्र ओला के साथ फतहेपुर विधायक हाकमअली टांक भी पाले में है. उधर, श्रवण के पाले में विधायक जितेन्द्र गुर्जर, राजकुमार शर्मा, जेपी चंदेलिया और रीटा कुमारी हैं. ऐसे में श्रवण के सामने फतेहपुर और झुंझुनूं विधानसभा से बढत बनाना लोहे के चने चबाने जैसा साबित हो सकता है.

श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़
इस सुरक्षित सीट पर कांग्रेस को जीत दर्ज करने के लिए सभी नेताओं को एक जाजम पर लाना होगा. भरतराम मेघवाल को टिकट नहीं मिलने से नाराज शंकर पन्नू उनका खेल बिगाड़ सकते हैं. शंकर पन्नू के साथ ललित मेहरा भी टिकट के दावेदार थे. ऐसे में दोनों नेताओं को मनाना कांग्रेस प्रत्याशी और पार्टी के लिए बेहद जरुरी होगा.

बीकानेर
हालांकि अर्जुनराम मेघवाल को बीजेपी से दोबारा टिकट देने पर पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी ने खुलकर मोर्चा खोल दिया है लेकिन यही हालात कांग्रेस में भी हैं. पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी की पसंद पर मदनमोहन मेघवाल को टिकट देने से विरोधी धड़ा तिलमिलाया हुआ है. नाराज गुट में विधायक गोविंद चौहान, पूर्व विधायक वीरेन्द्र बेनीवाल और मंगलाराम गोदारा है. तीनों का लूणकरणसर, श्रीडूंगरगढ़ और खाजूवाला में अच्छा वोट बैंक है.

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नागौर
बीकानेर से सटी नागौर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति मिर्धा के खिलाफ भी यही हाल है. विधायक चेतन डूडी, महेन्द्र चौधरी और रिछपाल मिर्धा कभी नहीं चाहेंगे कि ज्योति चुनाव जीते. तीनों ने ज्योति को टिकट नहीं देने की खुली डिमांड आलाकमान से की थी. ज्योति के पाले में विधायक रामनिवास गावड़िया, मुकेश भाखर, सवाईसिंह और जाकिर हुसैन गैसावत जैसे नेता हैं.

बाड़मेर-जैसलमेर
मंत्री हरीश चौधरी ने मानवेन्द्र सिंह को कांग्रेस से टिकट नहीं मिले, इसके लिए दिल्ली में डेरा डाल लिया था. आलाकमान तक टिकट के लिए चौधरी ने एड़ी चोटी का पूरा जोर लगा दिया था लेकिन मानवेन्द्र टिकट लाने में कामयाब रहे. ऐसे में अब यहां से जाट वोट बैंक भाजपा के पाले में जा सकता है.

करौली-धौलपुर
संजय कुमार जाटव को प्रत्याशी बनाने पर विधायक खिलाड़ी बैरवा बेहद नाराज हैं. उन्होंने तो खुलकर टिकट नहीं बदलने पर इस्तीफे तक की चेतावनी तक दे डाली थी. सबसे ज्यादा नाराजगी इसी सीट पर देखी जा रही है.

अजमेर
रिजु झुंझुनवाला को टिकट देने पर कोई स्थानीय कांग्रेस नेता खुश नजर नहीं आ रहा. रिजु को पैराशूटर उम्मीदवार बताते हुए कईं पार्टी पदाधिकारियों ने फैसले पर खुलकर नाराजगी जताई थी..इसके बावजूद रिजु को टिकट दिया गया. अब औपचारिकता के नाते अनमने मन से नेता उनके साथ जुटे हुए हैं.

भीलवाड़ा
कांग्रेस ने सीपी जोशी के खास रामपाल शर्मा को यहां से टिकट दिया है. इससे दूसरे गुट के नेता विधायक रामलाल जाट और धीरज गुर्जर इससे काफी खफा है. दोनों मुश्किल ही रामपाल शर्मा के लिए वोट मांगेंगे.

जयपुर शहर
जयपुर शहर में तमाव विरोध के बावजूद ज्योति खंडेलवाल टिकट लेने में तो कामयाब हो गई लेकिन महेश जोशी, अमीन कागजी और अर्चना शर्मा की नाराजगी ज्योति की जीत की राह में बाधा बने हुए हैं.

डूंगरपुर-बांसवाड़ा
ताराचंद भगौरा को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है. विधायक महेन्द्रजीत सिंह मालवीय से उनकी अनबन जगजाहिर है. मालवीय इस सीट से अपनी पत्नी को फिर से टिकट दिलाना चाहते थे.

उदयपुर
कांग्रेस प्रत्याशी रघुवीर मीणा का गिरिजा व्यास औऱ सीपी जोशी खेल बिगाड़ सकते हैं. विधानसभा चुनाव में दोनों के चलते ही हार का मुहं देखना पड़ था.जीत के लिए मीणा को हर हाल में दोनों को साथ लेना होगा.

चूरु
रफीक मंडेलिया को टिकट देने के पक्ष में मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल औऱ विधायक भंवरलाल शर्मा बिलकुल भी नहीं थे लेकिन फिर भी रफीक को टिकट मिल गया. लिहाजा दोनों नेता नाराजगी के चलते कतई नहीं चाहेंगे मंडेलिया चुनाव जीते.

सीकर
यहां सुभाष महरिया थोड़े से कंफर्ट जोन में है लेकिन मंत्री गोविंद डोटासरा से उनका छत्तीस का आंकड़ा रहा है. लिहाजा डोटासरा मंत्री पद पर बरकरार रहे, इसके चलते जरुर महरिया साथ दे सकते हैं.

टोंक-सवाईमाधोपुर
नमोनारायण मीणा की टिकट के खिलाफ एकमात्र नेता थी विधायक इंद्रा मीणा जो कभी नमोनारयण के साथ नहीं हो सकती. नमोनारायण मीणा ने नवल मीणा के लिए बामनवास से खुलकर वोट मांगे थे.

तो इन सीटों पर कांग्रेस की गुटबाजी उनके मिशन-25 को पूरा करने में ब्रेक लगा सकती है. इन नेताओं की एक-दूसरे से अदावत से आला नेता भी परिचित है. हालांकि खुलकर तो वह कारसेवा नहीं करेंगे लेकिन कांग्रेस को जिताने के लिए खुले दिल से भी नहीं जुटेंगे.

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