देश में लोकसभा चुनाव का रण सज चुका है. बस इंतजार है तो युद्ध की शुरूआत यानि मतदान की. पहले चरण के लिए वोट 11 अप्रैल को पड़ेंगे. पहले चरण के मतदान के लिए आज शाम को चुनाव प्रभार का शोर भी थम चुका है. ऐसे में आज राजनेताओं के कुछ खास बयान आए जो दिनभर चर्चा में बने रहे. यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने फिर बार ‘हनुमानजी’ को लेकर बयान दिया. राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी वह इस तरह का विवादित बयान दे चुके हैं. वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर ‘नोट के बदले वोट’ का आरोप लगाया.
‘अगर कांग्रेस सहित सपा-बसपा को ‘अली’ पर विश्वास है तो हमें भी ‘बजरंग बली’ पर विश्वास है’
– योगी आदित्यनाथ, सीएम यूपी
मेरठ की एक जनसभा में विपक्ष पर निशाना साधते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा, ‘अगर कांग्रेस सहित सपा-बसपा को ‘अली’ पर विश्वास है तो हमें भी ‘बजरंग बली’ पर विश्वास है’. राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी वह इस तरह का विवादित बयान दे चुके हैं.
‘क्या अपना पहला वोट शहीदों को समर्पित कर सकते हैं’
– नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
कर्नाटक में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं पहली बार वोट देने जा रहे लोगों से प्रार्थना करता हूं कि बहुत सोच-समझ कर वोट देना है. आप अपना पहला वोट देश के लिए शहीद होने वाले जवानों को समर्पित कर सकते हैं. आपका पहला वोट किसी गरीब को घर, मुफ्त में अस्पताल में इलाज आदि के लिए समर्पित कर सकते हैं.’
‘चौकीदार चोर है लेकिन नोट कहां से निकले’
– नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
विपक्ष पर करारा प्रहार करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘आपने देखा होगा कल परसों कैसे कांग्रेस के दरबारियों के घरों से बक्सों में नोट निकले हैं. नोट से वोट खरीदने का ये पाप कांग्रेस की राजनीतिक संस्कृति रही है. ये पिछले छह महीनों से बोल रहे हैं कि चौकीदार चोर है लेकिन नोट कहां से निकले? असली चोर कौन है?
‘वे चुनाव हारने जा रहे हैं और ये केवल रणनीति है’
कमलनाथ, एमपी मुख्यमंत्री
मध्यप्रदेश में कांग्रेस विधायकों व नेताओं के घरों पर इनकम टैक्स का छापा पड़ने का जवाब देते हुए एपी के सीएम कमलनाथ ने कहा है कि वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे जानते हैं कि वे चुनाव हारने जा रहे हैं. ये केवल रणनीति है। मुझे कोई चिंता नहीं है. मुझे कोई दबा नहीं सकता.
‘कभी नहीं कहा कि 15 लाख खातों में आएंगे’
– राजनाथ सिंह, बीजेपी
लंबे समय से लोगों के खातों में 15 लाख रुपये वाले मुद्दे पर विपक्ष बीजेपी को घेर रहा है. आज राजनाथ सिंह ने इन बातों का जवाब देते हुए कहा कि पार्टी या सरकार ने कभी नहीं कहा कि लोगों के खातों में 15 लाख रुपये आएंगे. उन्होंने एक इंटरव्यू में यह बयान दिया.
देश में 20 राज्यों की 91 सीटों पर होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए चुनाव प्रचार आज शाम 5 बजे समाप्त हो गया है. मतदान 11 अप्रैल को होने हैं. इसके साथ ही 3 राज्यों में गुरूवार को विधानसभा चुनाव भी होने हैं जिनके लिए भी प्रचार कैम्पेन खत्म हो गया है. बता दें, आंध्रप्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम और ओडिसा में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी होंगे.
ओडिसा में 4 चरणों में औेर शेष राज्यों में पहले चरण में चुनाव प्रक्रिया संपन्न होगी. दूसरे चरण के चुनावों के लिए नामांकन की प्रक्रिया कल से शुरू हो रही है. बात करें आंध्रप्रदेश की तो यहां 25 सीटों पर लोकसभा और 175 सीटों पर विधानसभा चुनाव होने हैं. बहुमत के लिए 88 सीटों की जरूरत होगी. यहां सिंगल फेस में मतदान होगा. इसी प्रकार, अरूणाचल प्रदेश में दो लोकसभा और 60 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग होनी है.
सिक्किम की बात करें तो यहां लोकसभा की एक और 32 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होगा. बहुमत के लिए 17 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी. ओडिशा में कुल 147 विधानसभा और 21 लोकसभा सीटों पर चुनाव होंगे. यहां 4 चरणों में चुनाव संपन्न होंगे. बात करें राजस्थान की तो यहां लोकसभा की 25 सीटों के लिए दो चरणों में चुनाव होंगे. पहला मतदान चौथे चरण में (29 अप्रैल) और अगला चरण 6 मई को होगा.
राजस्थान की सबसे ‘हॉट सीट’ बन चुकी जोधपुर में कांग्रेस उम्मीदवार वैभव गहलोत ने नामांकन दाखिल किया. इसके बाद आयोजित सभा में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बड़ी बात कही. अपने संबोधन में पायलट ने कहा कि वैभव गहलोत की जीत की जमानत दिल्ली में मैं देकर आया हूं.
पायलट ने कहा, ‘आप अशोक गहलोत को अच्छी तरह जानते हैं. दिल्ली में जब टिकट वितरण को लेकर चर्चा चल रही कि कौन जोधपुर से जीत सकता है तो अशोक गहलोत कुछ नहीं बोले वैभव गहलोत को लेकर. वैभव गहलोत की जीत की जमानत दिल्ली में मैं देकर आया हूं. पांडे जी इस बात के गवाह हैं.’ पायलट के इस बयान का राजनीति के जानकार अपने-अपने ढंग से अर्थ निकाल रहे हैं.
जोधपुर के पावटा चौराहे पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी राजनीति की शुरुआत का जिक्र करते हुए अब तक के सफर का उल्लेख किया. उन्होंने पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार और मोदी सरकार पर जोधपुर की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए तंज कसे. वैभव गहलोत ने भी अपने भाषण में इन्हीं आरोपों को दोहराया. सभा को प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने भी संबोधित किया.
सभा में पूरे प्रदेश के बड़े कांग्रेसी नेता मौजूद रहे. आपको बता दें कि जोधपुर में वैभव गहलोत का मुकाबला बीजेपी के गजेंद्र सिंह शेखावत से है. चुनाव प्रचार के दौरान वैभव अपने पिता की मजबूत छवि को चुनावों में भुनाने में जुटे हैं जबकि गजेंद्र सिंह शेखावत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं.
लंबे समय से देश में चल रहे अयोध्या मामले में अब एक नई याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है. राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में निर्मोही अखाड़ा ने यह याचिका दाखिल की है. याचिका में केंद्र सरकार की अयोध्या में अधिग्रहीत की गई अतिरिक्त जमीन को वापस देने की अर्जी का विरोध किया है. अखाड़ा ने कहा है कि केंद्र के जमीन अधिग्रहण करने से अखाड़ा द्वारा संचालित कई मंदिर नष्ट हो गए. ऐसे में केंद्र को ये जमीन किसी को भी वापस करने के लिए नहीं दी जा सकती. राम जन्मभूमि न्यास को अयोध्या में बहुमत की जमीन नहीं दी जा सकती. सुप्रीम कोर्ट को पहले भूमि विवाद का फैसला करना चाहिए.
अखाड़ा ने ये याचिका केंद्र सरकार की जनवरी की याचिका पर दाखिल की है जिसमें सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि वो विवादित भूमि के अलावा अधिग्रहीत की गई जमीन को वापस लौटाना चाहता है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की अर्जी पर सुनवाई नहीं की है. केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि 67 एकड़ का जमीन सरकार ने अधिग्रहण किया था, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था. सरकार चाहती है कि जमीन का बडा हिस्सा राम जन्भूमि न्यास को दिया जाए और सुप्रीम कोर्ट इसकी इज़ाजत दे.
गौरतलब है कि अयोध्या मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने का फैसला सुनाया था. इसके बाद सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था.
सूर्यनगरी जोधपुर आज कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का गढ़ बनी हुई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, डिप्टी सीएम सचिन पायलट, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, बीडी कल्ला, मानवेंद्र सिंह और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के साथ कई कांग्रेसी नेता और दिव्या मदरेणा सहित कई विधायक यहां मौजूद हैं. मौका है वैभव गहलोत के नामांकन का. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र जोधपुर लोकसभा सीट से कांग्रेसी उम्मीदवार हैं और आज नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं. नामांकन के पहले एक जनसभा रखी गई है जहां सभी राजनेता वैभव गहलोत के पक्ष में जनता से वोट अपील कर रहे हैं.
पावटा चौराहे स्थिति जनसभा को वैभव गहलोत खुद भी संबोधित करेंगे. जोधपुर कांग्रेस का गढ़ है और मुख्यमंत्री खुद यहां से सांसद व विधायक रह रहे हैं. वैभव के सामने बीजेपी की ओर से गजेंद्र सिंह शेखावत मैदान में हैं. अशोक गहलोत की छवि को देखते हुए वैभव की जीत के लिए कोई रोडा नहीं है लेकिन वर्तमान सांसद होने के नाते गजेंद्र सिंह का दाव कमजोर नहीं माना जा सकता है.
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हालांकि वैभव गहलोत की यह पहली राजनीतिक पारी है लेकिन वह राजनीति के गलियारों में नया नाम नहीं हैं. पिछले लोकसभा चुनाव, पंचायती राज चुनाव और हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में उनकी जोधपुर में सक्रिय भूमिका रही है. वैसे देखा जाए तो अपने पिता की मजबूत छवि को चुनावों में भुनाने से वैभव भी पीछे नहीं हैं. वह खुद अपने पिता के नाम पर जोधपुर की जनता से वोट अपील करते हुए देखे जा सकते हैं. वहीं गजेंद्र सिंह को अच्छी तरह पता है कि वैभव गहलोत के नौसिखिया होने के बावजूद मुकाबला कड़ा है. इस बात का ध्यान रखते हुए वह भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं.
देश में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां अहम चुनाव बता रही हैं. कांग्रेस इन चुनावों में लोकतंत्र और संविधान बचाने की दलील देते हुए भाजपा सरकार को हटाने का आह्वान कर रही है तो भाजपा मजबूत और सशक्त सरकार बनाने के नाम पर एक बार पुनः जनता से वोट मांग रही है. इन सबसे बीच जोधपुर सीट के चुनावी परिणाम राजस्थान की राजनीतिक की दिशा और दशा तय करने वाले साबित होंगे.
जोधपुर सीट से एक ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पुत्र वैभव गहलोत की राजनीतिक लॉन्चिंग की है तो दूसरी तरफ बीजेपी ने एक बार फिर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर दांव खेला है. कहने को तो यह मुकाबला गजेंद्र सिंह शेखावत और वैभव गहलोत के बीच है लेकिन वैभव के पीछे अशोक गहलोत खुद यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. इस वजह से खुद गहलोत की साख इस सीट के चुनावी परिणाम पर टिकी हुई है. इस हिसाब से जोधपुर सीट के चुनावी परिणाम प्रदेश की राजनीति के भविष्य के लिए काफी अहम साबित होंगे.
अशोक गहलोत यदि अपने सुपुत्र वैभव गहलोत को यहां से विजयश्री दिलवाने में सफल रहते हैं तो अशोक गहलोत का न केवल प्रदेश में बल्कि आलाकमान के सामने भी कद बढ़ेगा. साथ ही अपनी ही पार्टी के राजनीतिक विरोधियों के विरोध के स्वर भी धीमे होंगे. अब ऐसा नहीं होता है और वैभव को इस सीट से हार मिलती है तो अशोक गहलोत के राजनीतिक कैरियर में ठहराव आ सकता है. इस पराजय के बाद गहलोत के विरोधी इसे आलाकमान के सामने अशोक गहलोत की असफलता बताएंगे.
इस बार के विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर जिस तरह की कशमकश हुई थी, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अशोक गहलोत का चौथी बार मुख्यतंत्री दावेदार बनना मुमकिन नहीं होगा. पिछले लोकसभा चुनावों में मोदी लहर में बहते हुए गजेंद्र सिंह शेखावत अपनी नैया को पार लगाने में सफल हुए थे. इस बार भी उनके टिकट को लेकर संशय के बादल थे लेकिन कुशल वाकपटुता और संघ के नजदीकी होने का लाभ उन्हें मिला और एक बार फिर वह जोधपुर लोकसभा सीट से मैदान में हैं.
अगर वैभव को पटखनी देकर शेखावत यहां से जीत दर्ज करते हैं तो निश्चित तौर पर न केवल बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने बल्कि प्रदेश में भी उनका राजनीतिक कद ऊंचा होगा. इसके बाद अगर केंद्र में मोदी की सरकार बनती है तो गजेंद्र सिंह को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल सकता है. साथ ही उन्हें प्रदेश का भावी प्रदेशाध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार भी माना जाएगा. वहीं अगर गजेंद्र सिंह यहां से पराजित होते हैं तो उनके राजनीतिक जीवन में ठहराव की स्थिति भी आ सकती है.
पिछले चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह विश्नोई का टिकट काटकर जब उन्हें उम्मीदवार बनाया गया था तो इसका कई जगह पर विरोध हुआ था. इस वजह से गजेंद्र के भविष्य के लिए उन्हें यहां से जीत दर्ज करना जरूरी होगा. यही वजह है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों के स्थानीय कार्यकर्ता और सभी विधायकों ने चुनावी प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. खासतौर पर कांग्रेस विधायकों को इस बात का एहसास है कि यदि वैभव यहां से जीत दर्ज करते हैं तो इसका सीधा लाभ उन्हें मिलेगा. वहीं गजेंद्र को विजयश्री दिलाकर बीजेपी नेता केन्द्रीय नेतृत्व के सामने क्षेत्र में अपनी राजनीतिक शक्ति का एहसास करा सकेंगे जो भविष्य में उनके लिए फायदे का सौदा साबित होगा.