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गुजरात: लोकसभा से एक पहले दिन कांग्रेस को झटका, अल्पेश ठाकोर ने दिया इस्तीफा

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देश में गुरूवार से चुनावों का सबसे बड़ा कुंभ लोकसभा चुनाव शुरू होने जा रहे हैं. चुनाव से ऐन वक्त गुजरात कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है. गुजरात में कांग्रेस के युवा चेहरे अल्पेश ठाकोर ने इस्तीफा दे पार्टी को अलविदा कह दिया है. ठाकोर के करीबी धवल झाला ने अल्पेश के कांग्रेस पार्टी छोड़ने की पुष्टि की है. उनके बीजेपी ज्वॉइन करने की पूरी संभावना है. हालांकि उन्होंने पिछले महीने ही बीजेपी में शामिल होने की खबरों का खंडन किया था.

बरहाल, अल्पेश लंबे समय से पार्टी से नाराज बताए जा रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, अल्पेश ठाकोर लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर पार्टी से नाराज थे. उन्होंने राज्य की पाठण, महेसाणा, बनासकांठा और साबरकांठा सहित चार सीटों पर अपने पसंदीदा उम्मीदवार खड़े करने की मांग पार्टी आलाकमान से की थी लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया।

बता दें, एक महीने पहले ऐसी ही खबरों के बीच सुनने में आया कि अल्पेश बीजेपी ज्वॉइन करने जा रहे हैं. हालांकि अल्पेश ने सिरे से इन खबरों का खंडन करते हुए कहा था कि वह पार्टी में बने रहेंगे. अब पार्टी से इस्तीफा देने के बाद उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलों को फिर से हवा मिल रही है. गौरतलब है कि पहले भी गुजरात कांग्रेस के दो विधायक बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.

लोकसभा चुनाव कल से, पहले चरण में 20 राज्यों की 91 सीटों पर होगी वोटिंग

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लोकसभा चुनाव कल यानि 11 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं. देश में 17वीं लोकसभा के लिए कुल 543 सीटों पर होने वाले चुनाव कुल 7 चरणों में संपन्न होंगे. पहले चरण में 20 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की कुल 91 सीटों पर मतदान होगा. राजस्थान में 29 अप्रैल और 6 मई को वोट पड़ेंगे. 29 राज्यों और 7 केन्द्र शासित प्रदेशों में कुल 543 सीटों पर होने वाले लोकसभा चुनाव में देश के 89.71 करोड़ वोटर अपने मतदान का इस्तेमाल करेंगे. इनमें 1.6 करोड़ युवा पहली बार वोट डालेंगे.

सत्ता के 7 चरण
(चरण – तारीख – राज्य – सीटें)

पहला — 11 अप्रैल — 20 — 91
दूसरा — 18 अप्रैल — 13 — 97
तीसरा — 23 अप्रैल — 14 — 115
चौथा — 29 अप्रैल — 09 — 71
पांचवां — 6 मई — 07 — 51
छठा — 12 मई — 07 — 59
सातवां — 19 मई — 08 — 59

इन राज्यों में 11 अप्रैल को होगी वोटिंग

  • आंध्रप्रदेश
  • अरुणाचल प्रदेश
  • मेघालय
  • मिजोरम
  • नगालैंड
  • सिक्किम
  • तेलंगाना
  • उत्तराखंड
  • लक्षद्वीप
  • अंडमान-निकोबार
  • मणिपुर
  • त्रिपुरा
  • कर्नाटक
  • छत्तीसगढ़
  • महाराष्ट्र
  • ओडिशा
  • जम्मू-कश्मीर
  • उत्तरप्रदेश
  • बिहार
  • पं.बंगाल

दौसा सीट पर संस्पेंस बरकरार, जसकौर मीणा के टिकट की घोषणा अटकी

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दौसा लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार को लेकर संस्पेंस बढ़ गया है. बुधवार को मीडिया में यह खबर सामने आई कि पार्टी ने जसकौर मीणा को टिकट दे दिया है, लेकिन इसकी अधिकृत घोषणा नहीं हुई. हालांकि प्रदेश बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर जसकौर मीणा को उम्मीदवार बनाने की सूचना साझा की गई, जिसे बाद में हटा लिया गया.

इस बीच जसकौर ने दावा किया कि पार्टी ने उन्हें चुनाव की तैयारी करने की सूचना के साथ बधाई भी दे दी है. जसकौर ने यह भी कहा कि किरोड़ी लाल मीणा और ओमप्रकाश हुड़ला मेरे भाई हैं, हम तीनों मिलकर तीन गुना ताकत के साथ आएंगे और विश्वास है जीतेंगे. बकौल जसकौर वे चुनाव लड़ रही हैं.

आपको बता दें कि किरोड़ी लाल मीणा अपनी पत्नी गोलमा या परिवार में किसी को टिकट दिलाने चाहते हैं, लेकिन प्रदेश नेतृत्व इससे सहमत नहीं हो पा रहा. वसुंधरा राजे निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुड़ला की पत्नी को टिकट देने के पक्ष में हैं. इस बीच जसकौर मीणा का नाम भी सामने आया.

सभी धड़ों में गतिरोध सुलझाने के लिए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, विधायक ओम प्रकाश हुड़ला व पूर्व केंद्रीय मंत्री जसकौर मीणा को बुलाकर सहमति बनाने का प्रयास किया. तीनों से मुलाकात के बाद जावड़ेकर ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे से भी उनके आवास पर मुलाकात की. इसके बाद शाम को अपनी फाइनल रिपोर्ट पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह को भेज दी.

जसकौर मीणा के बारे में बात करें तो उन्होंने बतौर शिक्षिका अपने करिअर की शुरूआत की थी. बाद में भाजपा की विचारधारा से प्रभावित होकर राजनीति में उतरी और सक्रिय भूमिका निभाई. वह बीजेपी सरकार में केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री रह चुकी हैं. वह 1999-2004 तक केंद्रीय राज्य मंत्री और सवाई माधोपुर से लगातार दो बाद 1998-1999, 1999-2004 तक सांसद रही.

जसकौर मीणा बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रही हैं. मीणा लंबे समय तक केंद्रीय कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष के तौर पर भी कार्यरत रह चुकी हैं. जसकौर मीणा दौसा जिले के लालसोट के मंडावरी गांव की निवासी हैं और वसुन्धरा सरकार में मंत्री रहे वीरेन्द्र मीणा की बुआ हैं.

राजस्थान: दूसरे चरण के मतदान के लिए आज से नामांकन

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राजस्थान में दूसरे चरण के मतदान के लिए नामांकन प्रक्रिया आज से शुरू हो गई है. अधिसूचना जारी होने के बाद प्रदेश में नोमिनेशन शुरू हुआ. दूसरे चरण के लिए 12 लोकसभा सीटों के लिए नामांकन होगा. प्रत्याशी अपना नामांकन 18 अप्रैल तक दाखिल करा सकते हैं. इस सप्ताह के आखिर में तीन छुट्टियां होने से नामांकन के लिए 6 दिन का अतिरिक्त समय दिया गया है. दूसरे चरण के मतदान 6 मई को होंगे. दूसरे चरण में श्रीगंगानगर, बीकानेर, चूरू, झुंझुनू, सीकर, जयपुर, अलवर, भरतपुर, करौली-धोलपुर, दौसा व नागौर में वोटिंग होगी.

राजस्थान में कुल 25 सीटों पर लोकसभा चुनाव होंगे. पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया पहले ही समाप्त हो चुकी है. पहले चरण में प्रदेश की 13 सीटों पर मतदान होने हैं. पहले चरण के लिए 29 अप्रैल को वोट पड़ेंगे. शेष सीटों पर 6 मई को वोटिंग होगी. जयपुर शहर से कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति खंडेलवाल और बीजेपी उम्मीदवार रामचरण बोहरा 11 अप्रैल को नामांकन दाखिल करेंगे. जयपुर ग्रामीण से राज्यवर्धन​ सिंह के 18 अप्रैल को नामांकन दाखिल करने की उम्मीद है.

बता दें, देश में कुल 543 सीटों पर 7 चरणों में मतदान संपन्न होंगे. पहले चरण के मतदान कल यानि 11 अप्रैल से शुरू हैं. पहले चरण में 15 राज्यों एवं 7 केन्द्र शासित प्रदेशों की 181 सीटों पर वोट पड़ेंगे. दूसरे चरण में 97, तीसरे चरण में 115, चौथे चरण में 71, पांचवें चरण में 51, छठे चरण में 59 और अंतिम सातवें चरण में 59 सीटों पर मतदान होंगे. अंतिम मतदान 19 मई को होने हैं.

बीजेपी के हुए किरोड़ी बैंसला, गुर्जर वोट साधने की कोशिश

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बीजेपी के लिए गुर्जर वोट साधने की एक बड़ी कोशिश आज सफल होती दिख रही है. गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी बैंसला आज बीजेपी में शामिल हो गए हैं. इसके साथ ही किरोड़ी की फिर से घर वापसी हुई है. किरोड़ी के साथ उनके सुपुत्र विजय सिंह बैंसला ने भी बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. बीजेपी के दिल्ली मुख्यालय में प्रकाश जावड़ेकर ने दिल्ली बीजेपी मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस संबंध में जानकारी दी.  बैंसला के सहारे बीजपी की कोशिश प्रदेश के गुर्जर वोट बैंक को साधने की होगी. बीजेपी सदस्यता के तुरंत बाद बैंसला और उनके पुत्र विजय बैंसला पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के घर पहुंचे और शाह से मुलाकात की.

हालांकि गुर्जर आंदोलन के दौरान बैंसला की कांग्रेस से नजदीकियां बढ़ने लगी थी. ऐसा भी माना जा रहा था कि किरोड़ी के बेटे विजय बैंसला को लोकसभा से टिकट भी दिया जा सकता है लेकिन अब स्थितियां पूरी तरह साफ हो गई है.  बैंसला के बीजेपी में दोबारा शामिल होने के संबंध में जावडेकर ने बताया कि बैंसला के पार्टी ज्वॉइन करने के बारे में बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह से उनके निवास पर चर्चा हो चुकी है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे से भी इस बारे में मशवरा लिया गया है. बैंसला और हनुमान बेनीवाल के साथ बीजेपी प्रदेश में मजबूत हो गई है और पार्टी सभी 25 सीटों पर अपना कब्जा करने में सफल होगी.

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कर्नल किरोड़ी लाल बैंसला ने कहा कि मैं 14 साल से गुर्जर आंदोलन में लगा हुआ हूं. इन 14 सालों में मैंने दोनों पार्टियों और उनके सीएम को देखा लेकिन मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फैन हूं. मुझे किसी भी पद का कोई लालच नहीं है. बस पिछड़े वर्गोें को उनका हक दिलाना ही मेरा मकसद है.

 

उत्तर प्रदेश: रियासत नहीं रही तो क्या, सियासत तो शेष है

यूपी की सियासत में रियासतों की सक्रियता का लंबा इतिहास रहा है. आजादी के बाद रियासतें तो खत्म हो गई, लेकिन सियासत में शाही परिवारों की खनक आज भी खूब गूंजती है. यूपी की सियासत में रियासत की जुगलबंदी का अपना ही इतिहास है. कुंडा, कालाकांकर, अमेठी, पड़रौना एव भदावर से लेकर परसपुर तक के रजवाड़े राजनीति के बेहद करीब हैं. हालांकि रामपुर का राजघराना पहली बार चुनावी माहौल से दूर है लेकिन भविष्य में फिर से दावेदारी न करे, ऐसा संभव नहीं दिख रहा है. आइए जानते हैं यूपी की कुछ राजघरानों की कहानी जिन्होंने रियासत से सियासत तक का सफर तय किया है.

कुंडा राजघराना – राजा भैया
कुंडा (प्रतापगढ़) राजघराने की सियासत इस बार चुनावी मैदान में पहले से अधिक सक्रिय दिख रही है. इस राजघराने की सियासत से दोस्ती राजा बजरंग बहादुर सिंह से शुरू हुई थी जो स्वतंत्रता सेनानी थे और बाद में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बने. रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया उन्हीं बजरंग बहादुर के पौत्र हैं. प्रतापगढ़ जिले के साथ ही आस-पास की लोकसभा और विधानसभा सीटों पर भी राजा भैया का खासा दबदबा रहा है. मायावती के कार्यकाल को छोड़ दे तो मुख्यमंत्री चाहे कल्याण सिंह रहे हों, राम प्रकाश गुप्ता हो या फिर मुलायम-अखिलेश रहे हों, राजा भैया उनकी कैबिनेट में मंत्री रहे हैं.

1993 से लेकर 2017 तक राजा भैया निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा पहुंचते रहे हैं, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजा भैया ने जनसत्ता दल नाम से नई पार्टी का गठन कर लिया है और पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लोकसभा की चुनिंदा सीटों पर प्रत्याशी उतार रहे हैं.

अमेठी राजघराना – राजा संजय सिंह
अमेठी रियासत के राजा संजय सिंह वर्तमान में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हैं. कांग्रेस के गढ़ अमेठी में रियासत से सियासत में संजय सिंह 1980 में उतरे. दो बार विधायक बनने के बाद 1989 तक यूपी की कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे. 1990 में उन्हें राज्यसभा भेजा गया. 1998 में निष्ठा बदली और अमेठी से ही भाजपा के टिकट पर सांसद बने. 2003 में पुन: कांग्रेस में लौटे और 2009 में सुल्तानपुर से सांसद बने. कांग्रेस के इस गढ़ में 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपना मास्टर स्ट्रोक खेला और संजय की पहली पत्नी गरिमा सिंह को अमेठी से टिकट देकर मैदान में उतारा.

संजय सिंह ने अपनी दूसरी पत्नी अमीता सिंह को कांग्रेस से चुनाव लड़ाया, लेकिन अपनी पहली पत्नी और भाजपा उम्मीदवार गरिमा सिंह के हाथों हारने से नहीं बचा सके. लोकसभा चुनाव में राजा संजय सिंह और अमिता सिंह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चुनावी मैनेजमेंट में जुटे हैं. बता दें, राहुल गांधी इसी संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ते हैं.

कालाकांकर – राजकुमारी रत्ना सिंह
प्रतागढ़ जिले के कालाकांकर राजघराने के राजा दिनेश सिंह प्रतापगढ़ से चार बार सांसद रहे और इंदिरा सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे. उनके निधन के बाद उनकी छोटी बेटी राजकुमारी रत्ना सिंह रियासत से सियासत में आईं. वह तीन बार प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से सांसद रहीं. आखिरी बार 2009 में वह प्रतापगढ़ से जीती थीं. 2014 में प्रतापगढ़ लोकसभा सीट भाजपा के सहयोगी अपना दल को मिली और अपना दल के कुंवर हरिवंश सिंह ने इस सीट से जीत दर्ज कराई. इस बार की राजकुमारी रत्ना सिंह लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट से एक बार फिर से मैदान में हैं.

पडरौना राजपरिवार – आरपीएन सिंह
2014 की मोदी लहर में पराजय का मुंह देख चुके पडरौना की जगदीशपुर रियासत के राजकुमार रतनजीत प्रताप नारायण सिंह (आरपीएन सिंह) इस बार फिर से लोकसभा चुनाव के मैदान में हैं. यूपीए सरकार में गृह राज्यमंत्री रह चुके आरपीएन सिंह पड़रौना सीट से 3 बार कांग्रेसी विधायक भी रह चुके हैं. इससे पहले आरपीएन सिंह के पिता सीपीएन सिंह सियासत में सक्रिय थे. उनका नाम इंदिरा गांधी के करीबियों में शुमार होता था. कुंवर सीपीएन सिंह 1980 और 1984 में पड़रौना लोकसभा सीट से सांसद रहे. उन्होंने केन्द्रीय रक्षा राज्य मंत्री और विज्ञान एवं टेकनेलाजी मंत्री रहते हुए 1982 में सबसे पहले देवरिया जिले में टेलीविजन चालू कराया था. उस समय पूरे प्रदेश में केवल लखनऊ में ही दूरदर्शन देखा जा सकता था.

रामपुर नवाब घराना – इस बार चुनाव से दूर
रामपुर के नवाब घराने का सियासत से गहरा रिश्ता रहा है. रामपुर का नूरमहल कभी रुहेलखंड में कांग्रेस की गतिविधियों का केंद्र होता था. राज परिवार के वारिस नवाब काजिम अली खान उर्फ नवेद मियां रामपुर की स्वार सीट से विधायक रहे. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में कई पार्टियां बदली. 2017 में वह स्वार सीट से बसपा के प्रत्याशी थे, लेकिन आजम खान के बेटे और सपा प्रत्याशी अब्दुल्ला आजम से हार गए. उनके वालिद नवाब जुल्फिकार अली खान उर्फ मिक्की मियां और मां नूरबानो ने नौ बार लोकसभा में रामपुर का प्रतिनिधित्व किया. आजादी के बाद हुए पहले चुनाव को छोड़ दें तो नवाब खानदान के लोग हमेशा ही कांग्रेस के प्रत्याशी बनते रहे. अधिकतर जीते भी लेकिन 2019 का यह पहला आम चुनाव है, जिसमें नवाब खानदान का कोई सदस्य शामिल नहीं है.

राफेल डील मामले में सरकार को झटका, फिर से शुरू होगी सुनवाई

Karnataka
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लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एक बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील के ​लीक दस्तावेजों को वैध माना है. अब इस मामले में नए दस्तावेजों के आधार पर फिर से सुनवाई शुरू होगी. सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय बेंच ने एक मत से दिए फैसले में कहा कि जो नए दस्तावेज डोमेन में आए हैं, उन आधारों पर मामले में रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई होगी। बेंच में सीजेआई के अलावा जस्टिस एस.के.कौल और जस्टिस के.एम.जोसेफ शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट अब रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के लिए नई तारीख तय करेगा।

राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि इससे संबंधित डिफेंस के जो दस्तावेज लीक हुए हैं, उस आधार पर रिव्यू पिटिशन की सुनवाई की जाएगी या नहीं। इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लीक दस्तावेजों के आधार पर रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई का विरोध किया था. सरकार ने कहा था कि दस्तावेज प्रिविलेज्ड (विशेषाधिकार वाला गोपनीय) दस्तावेज है और इस कारण रिव्यू पिटिशन खारिज किया जाना चाहिए. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट जस्टिस के.एम.जोसेफ ने कहा कि आरटीआई एक्ट-2005 में आया है और ये एक क्रांतिकारी कदम था. ऐसे में हम पीछे नहीं जा सकते।

बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मामले में जांच की गुहार से संबंधित अर्जी को 14 दिसंबर, 2018 को खारिज कर दिया था. उसके बाद रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई है जिस पर ओपन कोर्ट में सुनवाई हुई थी। 14 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस ऐतराज पर ऑर्डर रिजर्व कर लिया था कि क्या प्रिविलेज्ड दस्तावेज पर विचार करते हुए रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई हो या नहीं।

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