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बदले समीकरण के साथ बीजेपी को झटका देने की तैयारी में छतीसगढ़ !

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11 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के साथ ही देश में चुनावी दंगल की शुरुआत हो चुकी है. पहले चरण में 18 राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेशों की 91 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. छतीसगढ़ की नक्सल प्रभावित बस्तर लोकसभा सीट भी इसमें शामिल है. अब प्रदेश की तीन सीटों पर मतदान 18 अप्रैल और 7 सीटों पर 23 अप्रैल को वोट पड़ेंगे. 2014 के लोकसभा चुनाव में छतीसगढ़ भी पूर्णतया मोदी लहर पर सवार था. प्रदेश की 10 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था. कांग्रेस के हाथ केवल एक सीट लगी थी जिसपर ताम्रध्वज साहु ने कब्जा जमाया था. कयास लगाए जा रहे हैं कि विधानसभा के बाद अब लोकसभा चुनावों में भी छत्तीसगढ़ में बीजेपी के समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं.

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का दमदार प्रदर्शन

कांग्रेस के हालात इस राज्य के गठन के बाद से ही इतने बदतर रहे है कि पार्टी कई बार इस राज्य में एक लोकसभा सीट से ज्यादा नहीं जीत पायी. लेकिन हालात इस बार विपरीत हैं और शायद झटका खाने की बारी बीजेपी की है. विधानसभा के नतीजे इस ओर इशारा कर रहे है. हाल ही में विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यहां करारी हार का सामना करना पड़ा था. लगभग 15 साल सत्ता में रहने के बाद स्वयं बीजेपी को भी ऐसी करारी हार का अंदाजा नही था. वहीं कांग्रेस खुद चुनाव में जीत को लेकर तो आश्वसत थी लेकिन जीत इतनी बड़ी होगी नतीजे खुद कांग्रेस के लिए चौंकाने वाले थे.

कांग्रेस की मजबूती का अंदाजा इस चुनाव में इससे भी लगाया जा सकता है कि अजित जोगी और बसपा के साथ चुनाव लड़ने के बावजूद कांग्रेस ने बीजेपी को करारी मात दी. कांग्रेस ने प्रदेश की 90 सीटों में से 68 सीटों पर कब्जा किया और बीजेपी 15 सीटों पर ही सिमट कर रह गई. दोनों पार्टियों के वोट शेयर में भी 10 फीसदी का बड़ा अंतर था. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 43 फीसदी तो वहीं भाजपा को 33 फीसदी वोट मिले थे. अब इतने कम समय में इस अंतर को पाटना बीजेपी के लिए लोहे के चने चबाने जैसा ही लग रहा है.

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने किया चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अजित जोगी ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी. यह ऐलान बीजेपी के लिए पहाड़ टूटकर गिरने जैसा है क्योंकि विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी जीते है, उनमें अहम योगदान जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़-बसपा गठबंधन का था. इन सीटों पर जितने वोट से कांग्रेस के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा था. उससे अधिक वोट यहां गठबंधन के प्रत्याशियों को मिले थे.

बता दें, जनता कांग्रेस छतीसगढ़ को विधानसभा चुनाव में 7.6 फीसदी वोट और 5 सीटें हासिल की थी. अब इन वोटों का बड़ा हिस्सा कांग्रेस को मिलने के आसार है. विधानसभा चुनाव में बीजेपी को केवल बिलासपुर लोकसभा सीट पर बढ़त मिली है. बीजेपी ने इस सीट के वर्तमान सांसद लाखन लाल साहू का टिकट काट दिया है. अब इस सीट पर कांग्रेस के अटल श्रीवास्तव का मुकाबला बीजेपी के नए चेहरे अरुण साव से है.

बीजेपी में आंतरिक विरोध की संभावना

बीजेपी आलाकमान ने विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद खास रणनीति अपनाकर अपने सभी सांसदों के टिकट काट दिए हैं. माना जा रहा है कि पार्टी को इनकी ओर से बगावत या भीतरघात का सामना भी करना पड़ सकता है. पार्टी ने जिन नए चेहरों पर दांव खेला है, उनकी मतदाताओं पर कोई खास पकड़ नहीं है. ये सभी प्रत्याशी केवल प्रधाममंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर ही वोट मांगते नजर आएंगे. इसके विपरीत कांग्रेस ने मजबूत प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है.

मोदी बनाम बघेल होगा चुनाव

लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी के प्रत्याशी मोदी सरकार के कामकाज पर छत्तीसगढ़ में वोट मांगते नजर आएंगे. विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने रमन सिंह सरकार के साथ-साथ मोदी सरकार के कामकाज के आधार पर भी वोट मांगे थे. लेकिन पार्टी राज्य की जनता का भरोसा नहीं जीत पाई. बीजेपी का मोदी सरकार के आधार पर वोट मांगना आसान नहीं होगा. इसी साल जनवरी में आदिवासी और वनवासियों को बड़ी संख्या में उनकी जमीन से विस्थापित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश आया था. इस पर केंद्र सरकार के ठंडे रवैए के चलते बीजेपी को आदिवासियों के एक बड़े तबके की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है. इस राज्य में आदिवासियों की संख्या भारी तादाद में है.

वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी भूपेश बघेल प्रदेश सरकार के 6 महीने के कार्यकाल के आधार पर वोट मांगेंगे. कांग्रेस की तरफ से दावा किया गया कि उसने विधानसभा चुनाव में किए गए वादों को पूरा कर दिया है. इनमें किसानों की कर्जमाफी, धान का सर्मथन मूल्य 2500 रू. प्रति क्विंटल करना, बस्तर में टाटा स्टील प्लांट के लिए अधिगृहीत 1764 हेक्टेयर जमीन आदिवासियों को वापस करना शामिल है.

आदिवासी सीटों पर कांग्रेस की पकड़ मजबूत

आदिवासियों के लिए प्रदेश की चार सीटें आरक्षित है जिन पर बीजेपी का कब्जा है. हालांकि विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हालात इन क्षेत्रों में दयनीय रही है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए सुरक्षित 29 में से 25 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. इसके अलावा पार्टी ने आदिवासियों के लिए सुरक्षित इन चार सीटों में पड़ने वाली कुल 32 विधानसभा सीटों में से 31 पर कब्जा किया था. आंकड़ों के अनुसार, इन क्षेत्रों में बीजेपी का सूपड़ा ही साफ हो गया था.

यूपी में बीजेपी ने आठ सीटों पर खोले पत्ते, अभिनेता रवि किशन गोरखपुर प्रत्याशी

देश में चुनावी रंग लगातार और गहरा होता जा रहा है, जैसे-जैसे विभिन्न सीटों पर विभिन्न चरण में मतदान होने वाली तारिखें नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियां अपने पत्ते खोलकर घोड़े दौड़ाने में लग चुकी हैं. इसी क्रम में बीजेपी ने उत्तरप्रदेश में पूर्वांचल की आठ सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. जिसमें योगी आदित्यनाथ ने अपने गृह जनपद गोरखपुर लोकसभा सीट पर एक बार फिर ब्राह्मण दांव खेला है. यहां से भोजपुरी फिल्म स्टार रवि किशन को प्रत्याशी बना मैदान में उतारा है. वहीं अब तक क्यास लगाये जा रहे थे कि गोरखपुर से मौजूदा सांसद प्रवीण निषाद को फिर मौका दिया जाएगा. लेकिन संत कबीरनगर सीट से शरद त्रिपाठी का टिकट काटकर निषाद को उम्मीदवार बनाया है.

बढ़ते सियासी पारे के बीच बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल की आठ लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है. जहां योगी आदित्यनाथ ने अपने गृह जनपद गोरखपुर लोकसभा सीट पर एक बार फिर ब्राह्मण दांव खेलते हुए भोजपुरी फिल्म स्टार रवि किशन उम्मीदवार बनाया है. जबकि पहले ये ही माना जा रहा था कि यहां मौजूदा सांसद प्रवीण निषाद को उम्मीदवार बनाया जाएगा, लेकिन पार्टी ने संतकबीर नगर सीट से शरद त्रिपाठी का टिकट काटकर निषाद को प्रत्याशी बनाया है. बता दें कि, हाल ही में प्रवीण निषाद सपा का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था.

बीजेपी द्वारा घोषित आठ लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों में प्रतापगढ़ सीट से संगम लाल गुप्ता, अंबेडकर नगर से मुक्त बिहारी, संतकबीर नगर से प्रवीण निषाद, गोरखपुर से रवि किशन, देवरिया से रमापति राम त्रिपाठी, जौनपुर से केपी सिंह और भदोही से रमेश बिंद पर भरोसा जता चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं इसमें खास और दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी ने संतकबीर नगर सीट से मौजूदा सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट काट दिया है. हालांकि पार्टी ने उनकी जगह उनके पिता रमापति राम त्रिपाठी को देवरिया सीट से प्रत्याशी बनाया है.

बता दें कि, देवरिया से मौजूदा सांसद कलराज मिश्र ने पहले ही लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. इसी को ध्यान में रख कर पार्टी ने रमापति राम त्रिपाठी पर भरोसा जताते हुए दांव खेला है. इसके अलावा अंबेडकर नगर सीट से मौजूदा सांसद हरिओम पांडेय का टिकट काट मुक्त बिहारी को उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं, भदोही सीट के मौजूदा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त को पहले ही पार्टी बलिया से उतार चुकी है. तो अब भदोही से रमेश बिंद को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है.

वहीं बात करें प्रतापगढ़ लोकसभा सीट की तो यह पिछले चुनाव में अपना दल के खाते में चली गई थी. इस बार अपना दल के संगम लाल गुप्ता कमल के निशान पर चुनावी मैदान में उतरने वाले हैं. संगम लाल अनुप्रिया के करीबियों में शामिल हैं, जबकि 2014 में अपना दल से हरिवंश सिंह प्रतापगढ़ से सांसद चुने गए थे. बता दें कि, संगम लाल गुप्ता फिलहाल प्रतापगढ़ सदर से अपना दल के विधायक हैं.

हुड़ला कुछ नहीं, वसुंधरा के इशारे पर हुआ मेरा विरोध: डॉ. किरोड़ी लाल मीणा

दौसा के टिकट पर बीजेपी के भीतर हुए दंगल पर राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने पॉलिटॉक्स से खुलकर बातचीत की. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर निशाना साधते हुए पार्टी उम्मीदवार जसकौर मीणा के लिए प्रचार करने की बात कही. कई दिनों तक चले संस्पेंस के बाद बीजेपी ने जसकौर मीणा को दौसा सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया है. इस सीट पर राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा अपनी पत्नी गोलमा देवी, भाई जगमोहन मीणा या अपनी पसंद के किसी दूसरे नेता को टिकट दिलवाना चाहते थे जबकि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे विधायक ओमप्रकाश हुड़ला की पत्नी को उम्मीदवार बनाने के पक्ष में थीं. दोनों में से किसी को पीछे नहीं हटता देख पार्टी ने जसकौर मीणा को प्रत्याशी बनाया है. इस मामले पर डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने पॉलिटॉक्स के साथ खुलकर बातचीत की. पेश हैं संपादित अंश-

-दौसा सीट पर बीजेपी ने आपकी पसंद से उम्मीदवार नहीं उतारा.
– अपना पराया कोई नहीं होता. पार्टी ने अब जो तय कर दिया है, वो ही हमारी उम्मीदवार है. पार्टी का निर्णय ही अहम होता है.

– लेकिन आपकी जिद के चलते ही टिकट घोषणा काफी देरी से हुई.
– हां, यह सही है. मैंने मेरी राय रखी थी. सारे समीकरण बताए थे पार्टी के आला नेताओं को. यह पार्टी की मर्जी थी किसे टिकट दी गई और किसे नहीं दी गई.

– पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की चली दौसा टिकट वितरण में तो.
– वसुंधरा राजे दस साल राजस्थान की सीएम रही हैं. पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. उनकी क्यों नहीं चलेगी? चलनी भी चाहिए उनकी. दौसा के टिकट में उन्हीं की चली है.

– वसुंधरा राजे के बारे में आप फिर खुलकर बयानबाजी करने लगे हैं.
– मैंने कहा था कि विधानसभा चुनाव से पहले वसुंधरा राजे को फेस घोषित करना गलता था, क्योंकि सत्ता विरोधी लहर बहुत थी. ऐसे में राजे को चेहरा घोषित करने पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा. राजे खेमे के लोगों ने मेरे नाम को लेकर दुष्प्राचर किया कि मेरे कहने पर 17 से 22 टिकटें विधानसभा चुनाव के दौरान बांटी गईं, लेकिन सच्चाई है कि कोई टिकट मेरे कहने पर नहीं बांटी गई. गोलमा ने भी मना किया था चुनाव लड़ने के लिए. मैं साजिश का शिकार हुआ हूं.

– अब जसकौर और पार्टी का प्रचार करना ही होगा आपको.
– बिल्कुल मैं जसकौर का प्रचार करुूंगा. उनके लिए वोट भी मांगूगा. साथ ही सात-आठ सीटों पर भी प्रचार करने जाऊंगा. जहां पार्टी कहेगी वहां प्रचार के लिए जरूर जाऊंगा.

– क्या केंद्र में मोदी फिर से आएंगे?
– पूरे देश में भाजपा के पक्ष में माहौल है. लोग चाहते है कि मोदी जी एक बार फिर देश के पीएम बनें.

– फिर राजस्थान में विधानसभा चुनाव क्यों हारी भाजपा?
– राजस्थान में विधानसभा चुनाव के दौरान यह देखने को मिला कि लोग मोदी और पार्टी से नाराज नहीं थे, बल्कि जो भी नाराजगी थी वो वसुंधरा राजे से थी.

– ओमप्रकाश हुड़ला को लेकर क्या कहना है आपको.
– हुड़ला क्या है? वो तो कुछ भी नहीं है. मैं उसकी चर्चा तक नहीं करना चाहता. हुड़ला तो वसुंधरा राजे का एक पैदा किया गया विरोध था महज.

– आप अपने समर्थकों को चुप रहने और राष्ट्र प्रथम की घुट्टी पिला रहे हैं.
– बिल्कुल, मेरे लिए सबसे पहले है राष्ट्र है, फिर आती है पार्टी और लास्ट में मेरे लिए है मेरा समाज.

चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, योगी-मायावती नहीं कर सकेंगे प्रचार

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चुनाव आयोग ने आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में बड़ा एक्शन लेते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और बसपा सुप्रीमो मायावती पर प्रचार पर रोक लगाने को कहा है. 16 अप्रैल को सुबह 6 बजे से शुरू होने वाली चुनाव आयोग ये रोक योगी आदित्यनाथ के लिए 72 घंटे और मायावती के लिए 48 घंटे के लिए लागू होगी. आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में चुनाव आयोग ने यह सख्त कदम उठाया है. इस दौरान योगी आदित्यनाथ और मायावती ना ही कोई रैली को संबोधित कर पाएंगे, ना ही सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर पाएंगे. इसके अलावा दोनों नेता किसी को इंटरव्यू भी नहीं दे पाएंगे.

बता दें कि, चुनाव आयोग की सख्ती के बाद अब दोनों नेताओं के प्रचार में सीधी रूकावट आने वाली है, चुनाव आयोग के इस फैसले से साफ हो गया है कि योगी आदित्यनाथ 16, 17 और 18 अप्रैल को कोई प्रचार नहीं कर पाएंगे. तो वहीं मायावती 16 और 17 अप्रैल को कोई चुनाव प्रचार का कार्यक्रम नहीं सकेंगी. बता दें कि सोमवार सुबह ही सुप्रीम कोर्ट ने मायावती के देवबंद रैली में दिए गए भाषण पर आपत्ति जताई थी. अदालत की तरफ से चुनाव आयोग को फटकार लगाई गई थी कि आयोग ने अभी तक इस मामले में क्या कार्रवाई की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आयोग अभी तक सिर्फ नोटिस ही जारी कर रहा है, कोई सख्त एक्शन क्यों नहीं ले रहा है. इसके बाद अब चुनाव आयोग का ये बड़ा एक्शन सामने आया है.

क्या कहकर किया आचार संहिता का उल्लंघन ?

बता दें कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी के देवबंद में चुनावी सभा के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों से महागठबंधन को वोट देने के लिए अपील की थी और अपने बयान में कहा था कि मुस्लिम समुदाय के लोग अपना वोट बंटने ना दें और सिर्फ महागठबंधन को ही अपना वोट दें. जिसके बाद मायावती के इस बयान को धर्म के नाम पर वोट मांगने के नियम के उल्लंघन के रूप में माना गया. तो वहीं यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने भी प्रचार के दौरान अपने संबोधन में मायावती पर हमला करते हुए कहा था कि अगर विपक्ष को अली पसंद है, तो हमें बजरंग बली पसंद हैं. दोनों नेताओं के इन बयानों पर चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया था और दोनों नेताओं को हिदायत दी थी.

यूपी में राहुल-प्रियंका गांधी ने शुरू ​की ‘न्याय यात्रा’

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी पार्टी की महत्वकांक्षी ‘न्याय योजना’ की शुरूआत आज उत्तरप्रदेश के आगरा से कर दी है. यह यात्रा यूपी की सभी 80 संसदीय क्षेत्रों में जाएगी और लोगों को इस योजना के बारे में अवगत कराया जाएगा. योजना के तहत, गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी. इस मौके पर ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद रहे.

बता दें, न्याय योजना को कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया है. घोषणा के अनुसार, अगर केन्द्र में कांग्रेस की सरकार बनती है तो गरीब परिवारों को मासिक 6 हजार रुपये के हिसाब से सालाना 72 हजार रुपये खाते में जमा कराए जाएंगे. यह आर्थिक मदद परिवार की महिला मुखिया के खाते में जमा कराए जाएंगे. यह योजना देश से गरीबी को मिटाने के लिए चलाई जाएगी जिसके दायरे में देश के पांच करोड़ सबसे गरीब परिवारों को लाया जाएगा.

बात करें, न्याय यात्रा की तो इस यात्रा के दौरान प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में छोटी-छोटी सभाएं आयोजित की जाएंगी जिससे योजना की जानकारी प्रत्येक व्यक्ति, परिवार और घर तक पहुचायी जा सके. सभाओं में योजना की जानकारी के पर्चे भी वितरित किए जाएंगे. यात्रा के प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया अभियान भी चलाया जाएगा. प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी भारतीय युवा कांग्रेस को दी गई है.

न्याय यात्रा पर लग रहा जुमलेबाजी का आरोप

न्याय स्कीम को लेकर विपक्ष कांग्रेस पर आरोप लगा रहा हैं कि राहुल गांधी ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ में सरकार बनने पर पूर्ण कर्जमाफी का वादा किया था लेकिन बाद में सिर्फ डिफाल्टर किसानों का ही ऋण माफ करने का ऐलान किया. इसी तरह कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए जनता से झूठे वादे कर रही है.

फतेहपुर-सीकरी से राजबब्बर हैं कांग्रेस उम्मीदवार

कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर फतेहपुर-सीकरी से अपनी किस्मत आजमा रहे है. उनका सामना भाजपा के राजकुमार चाहर और बसपा के श्रीभगवान शर्मा उर्फ गुड्डु पंडित से है. गुड्डु पंडित बाहुबली नेता हैं और अलीगढ़ की डिबाई सीट से दो बार विधायक रह चुके है. गुड्डु ने यहां से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह को दो बार मात दी थी. अब देखना दिलचस्प होगा कि राजबब्बर गठबंधन और बीजेपी की चुनौती से कैसे पार पाते हैं.

जया प्रदा पर टिप्पणी के लिए आजम खान पर FIR, महिला आयोग ने भी नोटिस भेजा

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समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान अभिनेत्री जया प्रदा पर ‘खाकी अंडरवियर’ वाले बयान पर फंसते नजर आ रहे हैं. आजम के बयान पर संज्ञान लेते हुए क्षेत्रीय मजिस्ट्रेट ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी वरिष्ठ सपा नेता को नोटिस भेजा है. महिला आयोग ने चुनाव आयोग को भी चिट्ठी लिख कर आजम के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. हालांकि आजम खान ने टिप्पणी पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने फिल्म अभिनेत्री और बीजेपी उम्मीदवार जयाप्रदा के खिलाफ किसी तरह की आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं की है.

दरअसल रविवार को आजम खान ने जनसभा के दौरान जयाप्रदा पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘जिसको हम ऊंगली पकड़कर रामपुर लाए, आपने 10 साल जिससे अपना प्रतिनिधित्व कराया… उनकी असलियत समझने में आपको 17 बरस लगे, मैं 17 दिन में पहचान गया कि इनके नीचे का अंडरवियर खाकी रंग का है.’ हालांकि, उन्होंने इस बयान में जयाप्रदा का नाम नहीं लिया था.

इसके बाद जयाप्रदा ने एक न्यूज एजेंसी को बताया, ‘यह मेरे लिए नया नहीं है. आपको याद होगा कि मैं 2009 में उनके पार्टी की उम्मीदवार थी, जब उन्होंने मेरे खिलाफ टिप्पणी की तो किसी ने भी मेरा समर्थन नहीं किया. मैं एक महिला हूं और जो उन्होंने कहा वह मैं दोहरा भी नहीं सकती. मुझे नहीं पता कि मैंने उनके साथ क्या किया है, जो वे ऐसी बातें कह रहे हैं.’

अब जया प्रदा के बचाव में कई कांग्रेसी-भाजपायी नेता सामने आ गए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर कहा, ‘जया प्रदा पर आजम खान की टिप्पणी का स्तर भद्दा और तुच्छ है. ऐसे बयान एक जीवंत लोकतंत्र के लिए अपमानजनक है… आशा करता हूं कि चुनाव आयोग और अखिलेश यादव इसका संज्ञान लेंगे तथा कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे.’ उन्होंने यह भी कहा कि निश्चित तौर पर आजम खान का बयान निंदनीय है. राजनीति में उन लोगों के लिए कोई जगह नहीं है जो विरोधियों की आलोचना करते हुए मर्यादित विमर्श बरकरार नहीं रख सकते हैं.

वहीं केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने बीजेपी नेता और रामपुर से उम्मीदवार जयाप्रदा के खिलाफ आजम खान की वाहियात टिप्पणी की आलोचना की है. उन्होंने इस बयान के लिए मुलायम सिंह यादव पर हमला बोला है और उन्हें भीष्म की तरह मौन साधने की गलती न करने की सलाह दी है.

सुषमा स्वराज ने अपने ट्विटर हैंडल पर मुलायम सिंह यादव का नाम लेकर लिखा, ‘मुलायम भाई, आप पितामह हैं समाजवादी पार्टी के. आपके सामने रामपुर में द्रौपदी का चीर हरण हो रहा है. आप भीष्म की तरह मौन साधने की गलती मत करिये.’ सुषमा स्वराज ने अपने ट्वीट में अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव और जया बच्चन के नाम का भी उल्लेख किया है और इस मसले पर ध्यान आकर्षित कराने की कोशिश की है.

लेखी की शिकायत पर राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट ने थमाया अवमानना नोटिस

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लोकसभा चुनाव अभी शुरू ही हुए हैं लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी​ फिर एक बार मुसीबत में फंसते नजर आ रहे हें. दरअसल, भारतीय जनता पार्टी की (बीजेपी) सांसद मीनाक्षी लेखी ने शुक्रवार को राफेल डील मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने की अपील की थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को अवमानना प्रकरण में नोटिस जारी किया है.

मीनाक्षी लेखी ने अपनी याचिका में कहा, ‘राहुल गांधी ने अपनी निजी टिप्पणियों को शीर्ष न्यायालय द्वारा किया गया बताया और लोगों के मन में गलत धारणा पैदा करने की कोशिश की. मीनाक्षी लेखी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने टिप्पणी की थी कि अब सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया, चौकीदार चोर है.’ बता दें, 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील मामले में केंद्र सरकार को झटका देते हुए राफेल दस्तावेज से जुड़ी आपत्तियों को खारिज कर दिया. कोर्ट के फैसले के मुताबिक याचिकाकर्ता के दिए दस्तावेज अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के हिस्सा होंगे. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा राफेल पर पुनर्विचार याचिका को स्वीकार करने का भी तर्क दिया. ऐसे में राफेल मामले में फिर से सुनवाई हो सकती है.

इस फैसले के बाद कांग्रेस इस मुद्दे पर फिर से हमलावर हो गई तो राहुल गांधी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार ने चोरी की है. इसके तुरंत बाद मीनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने की अपील कर दी जिसे मुख्य न्यायाधीस जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्वीकार कर लिया था.

आज नामांकन दाखिल करेंगे भाजपा-कांग्रेस के कई दिग्गज

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दो दिन की छुट्टी के बाद सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी नामांकन दाखिल कराने की होड़ में लग गए हैं. राजस्थान में भी दिग्गजों के नामांकन दाखिल कराने का सिलसिला बदस्तूर जारी है. इस सूची में जयपुर शहर से बीजेपी प्रत्याशी रामचरण बोहरा रामचरण बोहरा और कृष्णा पूनिया सहित कई दिग्गज शामिल हैं जो आज अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे. सबसे पहले बात करें बोहरा की तो नामांकन से पहले उनके समर्थन में बीजेपी मुख्यालय में एक जनसभा रखी गई है जिसे पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सहित अन्य बीजेपी नेताओं ने सभा को संबोधित किया. यहां राजे ने कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा. सभा के बाद बोहरा अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे. जयपुर शहर लोकसभा सीट पर बोहरा के सामने कांग्रेस की ज्योति खंडेलवाल चुनौती पेश करेंगी. ज्योति शहर की पूर्व मेयर रह चुकी हैं जबकि बोहरा लगातार दूसरी बार सीट पर जीत की ताल ठोक रहे हैं. बोहरा ने इससे पहले पूजा-अर्चना कर भगवान का आशीर्वाद ग्रहण किया.

आज के दूसरे नामांकन कराने वाले दिग्गजों में जयपुर ग्रामीण से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्णा पूनिया भी हैं. कृष्णा पूनिया के समर्थन में शहर में एक जनसभा भी रखी गई है जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, डिप्टी सीएम सचिन पायलट और पार्टी प्रभारी अविनाश पांडे्य मौजूद रहेंगे. इस सीट पर मौजूदा सांसद और केबिनेट मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ उन्हें चुनौती दे रहे हैं. दोनों प्रत्याशी ओलंपिक मेडलिस्ट हैं और खेल जग​त से जुड़े हुए हैं. यह सीट बीजेपी की सुरक्षित सीट मानी जा रही थी लेकिन कांग्रेस ने कृष्णा पूनिया को उतार एक खिलाड़ी से खिलाड़ी की टक्कर करा मुकाबला रोचक बना दिया है. राज्यवर्धन सिंह कल अपना नामांकन दाखिल करेंगे.

अलवर में बीजेपी प्रत्याशी बाबा बालकनाथ भी आज ही नामांकन दाखिल कर रहे हैं. उनके सामने कांग्रेस के भंवर जितेंद्र सिंह टक्कर दे रहे हें. इसके अलावा, भरतपुर से बीजेपी प्रत्याशी रंजीता कोहली और करौली से कांग्रेस प्रत्याशी संजय जाटव भी आज ही नामांकन दाखिल करने वाले हैं.

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