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‘डिग्री’ के फेर यूपी की अमेठी सीट, राहुल गांधी-स्मृति ईरानी के नामांकन पर आपत्ति

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यूपी की सबसे हॉट और हाई-प्रोफाइल मानी जाने वाली अमेठी संसदीय सीट पर सियासी गर्मागर्मी के चलते चुनाव बेहद दिलचस्प होता जा रहा है. यहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नामांकन में उनके नाम, शैक्षणिक योग्यता व नागरिकता को लेकर आपत्ति जताई गई थी. जिसके बाद अब उनके नामांकन की स्क्रूटनी 22 अप्रैल को होगी. वहीं बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी के नामांकन को लेकर भी सवाल खड़े किये गए हैं. अमेठी से निर्दलीय प्रत्याशी रोहित कुमार ने अपने अधिवक्ता राहुल चंदानी के माध्यम से स्मृति के नामांकन को लेकर निर्वाचन अधिकारी को आपत्ति दर्ज करवाई है.

स्क्रूटनी के दौरान राहुल पर आपत्ति
हुआ यूं कि, यूपी की अमेठी लोकसभा क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिस में स्क्रूटनी की कार्रवाई शुरू हुई तो इस दौरान राहुल गांधी का नाम पुकारा गया. जिसके बाद चार लोगों ने उनके नाम को लेकर आपत्ति दर्ज करा दी. आपत्ति के बाद राहुल गांधी के वकील राहुल कौशिक द्वारा इन आपत्तियों का खंडन करने के लिए समय मांगा गया. जिसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर ने स्क्रूटनी की तारीख आगे बढ़ाते हुए 22 अप्रैल कर दी. अमेठी रिटर्निंग ऑफिसर राम मनोहर मिश्रा ने इस संबंध में एक पत्र जारी कर मामले की जानकारी दी है. जिसमें राहुल गांधी के नामांकन पर अफजाल, सुरेश चंद्र, ध्रुवलाल, सुरेश कुमार द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गई.

plitalks newsबीजेपी ने राहुल पर लगाया आरोप
बीजेपी के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने राहुल गांधी के नाम और उनकी शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाया, साथ ही आरोप भी लगाया कि राहुल ने हर चुनाव में सर्टिफिकेट बदले हैं. बीजेपी प्रवक्ता राव ने कहा कि पूरा देश स्तब्ध है कि जब अमेठी में राहुल गांधी के नामांकन की प्रक्रिया शुरू की गई और उनका नाम पुकारे जाने पर कुछ लोगों की आपत्ति किए जाने के बाद राहुल और उनके वकील राहुल कौशिक स्पष्टीकरण देने के लिए तैयार नहीं थे. वहीं बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि राहुल गांधी की नागरिकता पर यह चौंकाने वाली घटना है. उनसे यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्या वह कभी ब्रिटिश नागरिक थे.

क्योंकि साल 2004 के हलफनामा में राहुल गांधी ने कहा था कि उन्होंने इंग्लैंड की कंपनी में निवेश नहीं किया था जबकि 2005 में कंपनी (बैकऑप्स लिमिटेड) के दस्तावेजों के अनुसार राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताया गया. क्या यह भारतीय नागरिकता कानून का उल्लंघन नहीं है. अगर कोई दूसरे देश का नागरिकता लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता चली जाती है.

स्मृति की डिग्री – राहुल का हल्फनामा
तो वहीं बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी के नामांकन पर भी निर्दल प्रत्याशी रोहित कुमार ने अपने अधिवक्ता राहुल चंदानी के माध्यम से निर्वाचन अधिकारी से आपत्ति की है. राहुल चंदानी ने कहा कि जब 2004 में उन्होंने चांदनी चौक से चुनाव लड़ा तो अपने हलफनामे में सिर्फ और सिर्फ बैचलर ऑफ आर्ट्स 1996 में खत्म कर चुकी हूं लिखा, और उन्होंने किसी और डिग्री के बारे में कोई जानकारी नहीं दी. राहुल गांधी के खिलाफ 2014 में अमेठी से चुनाव लड़ने के दौरान दिया गया हलफनामा 2019 के हलफनामे से अलग था. चंदानी ने स्मृति ईरानी के हलफनामे में गलत जानकारी देने का आरोप लगाते हुए निर्वाचन अधिकारी से शिकायत करते हुए मांग की कि उनका नामांकन रद्द किया जाए.

बीजेपी के राहुल से सवाल
बीजेपी प्रत्याशी व पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के नामांकन को लेकर आपत्ति जताये जाने के बाद बीजेपी ने राहुल गांधी को निशाना बनाया है. बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने उनकी शैक्षणिक योग्यता और नागरिकता पर सवाल उठाते हुए पूछा कि, क्या वह कभी ब्रिटिश नागरिक थे और उन्होंने एक साल के अंतर में बीए और एमफिल की डिग्री कैसे मिल गई. राव ने राहुल की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी शिक्षा पर कुछ संदेह के बादल मंडरा रहे हैं. 2004 में उन्हें सीनियर सेकेंडरी स्कूल का प्रमाणपत्र मिला और इसके बाद उन्होंने कैंब्रिज से एमफिल की डिग्री हासिल कर ली, जबकि इस बीच उन्होंने कुछ नहीं किया.

वहीं बीजेपी प्रवक्ता राव ने कहा कि, साल 2009 में उन्होंने अपनी नई डिग्री फ्लोरिडा से रोलिंग्स कॉलेज से बीए की डिग्री दिखाई. तब डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स से एमफिल किया. 2014 में एमफिल की डिग्री डेवलपमेंट स्टडीज हो गई. उन्होंने कहा कि 2019 में राहुल ने बताया कि उन्होंने 1994 में बीए किया और 1995 में एमफिल. अब कौन सी ऐसी यूनिवर्सिटी है जिसने बैचलर डिग्री हासिल करने के एक साल बाद ही एफफिल की डिग्री दे दी.

गौरतलब है कि 10 अप्रैल को ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेठी संसदीय सीट से नामांकन भरा था और इससे पहले रोड शो भी निकाला था. जिसमें उनके साथ उनका पूरा परिवार था. वहीं, इस बार राहुल गांधी अमेठी के अलावा वायनाड सीट से भी लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. अमेठी लोकसभा सीट पर पांचवे चरण में 6 मई को चुनाव होना है. अमेठी संसदीय सीट को कांग्रेस का दुर्ग कहा जाता है. इस सीट पर अभी तक 16 लोकसभा चुनाव और 2 उपचुनाव हुए हैं. इनमें से कांग्रेस ने 16 बार जीत दर्ज की है. वहीं, 1977 में लोकदल और 1998 में बीजेपी को जीत मिली है. जबकि बसपा और सपा अभी तक अपना खाता नहीं खोल सकी है.

CJI रंजन गोगोई ने नकारा यौन उत्पीड़न का आरोप, खतरे में बताई न्यायपालिका की आजादी

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देश में लंबे समय से खामोश ‘मीटू’ का जिन्न अब न्यायपालिका जा पहुंचा है और इसकी जद में आए हैं देश के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई. उनके घर पर काम कर रही जूनियर असिस्टेंट ने गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. हालांकि गोगोई ने अपने उपर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि न्यायपालिका की आजादी खतरे में पड़ गई है. उन्होंने बताया कि जिस महिला ने उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए, उसका आपराधिक इतिहास रहा है. उसके खिलाफ पहले से दो एफआईआर तक दर्ज हैं. वहीं सुप्रीम कोर्ट के कई वकीलों ने इस मामले की जांच के प्रोसीज़र पर सवाल उठाए हैं.

आरोप लगाने वाली महिला सीजेआई के घर में बतौर जूनियर असिस्टेंट काम करती थी. पिछले साल जब रजिस्ट्री कार्यालय में उसके खिलाफ अनुचित व्यवहार करने की शिकायत हुई, तब उसे नौकरी से निकाल दिया गया था. उसके बाद महिला ने जस्टिस गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए. सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के खिलाफ आरोपों पर सुनवाई पूरी कर ली है. मामला सामने आने के बाद केस की तुरंत सुनवाई के लिए न्यायाधीश अरुण मिश्रा और न्यायाधीश संजीव खन्ना की तीन सदस्यीय पीठ गठित की गई थी.

पीटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता बेहद गंभीर खतरे में है. यह अविश्वसनीय है. मुझे नहीं लगता कि इन आरोपों का खंडन करने के लिए मुझे इतना नीचे उतरना चाहिए. कोई मुझे पैसे के मामले में नहीं पकड़ सकता है. लोग कुछ ढूंढना चाहते हैं और उन्हें यह मिला. इसके पीछे कोई बड़ी ताकत होगी. वे सीजेआई के कार्यालय को निष्क्रिय करना चाहते हैं.

गोगोई के अनुसार, ‘न्यायिक प्रणाली में लोगों के विश्वास को देखते हुए हम सभी न्यायपालिका की स्वंतत्रता को लेकर चिंतित हैं. इस तरह के अनैतिक आरोपों से न्यायपालिका पर से लोगों का विश्वास डगमगाएगा.’ उन्होंने कहा कि मेरी सेवा के अभी सात महीने बचे हैं. मैं अगले हफ्ते एक संवेदनशील मामले की सुनवाई करने जा रहा हूं. इस दौरान मुझे अन्य मामलों की सुनवाई कर फैसले देने हैं.

बता दें, सीजेआई रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली महिला ने सुप्रीम कोर्ट के सभी 22 जजों को एक चिट्ठी भेजी थी. पत्र में गोगोई पर आरोप लगाया गया था कि इस तरह की चीजों के लिए तैयार न होने पर जस्टिस गोगोई ने न सिर्फ उन्हें नौकरी से निकाला, बल्कि उन्हें एवं उनके परिवार को तरह-तरह से प्रताड़ित भी किया. सर्वोच्च न्यायालय के जजों को भेजे महिला के इस हलफनामे के सार्वजनिक होने के बाद प्रधान न्यायाधीश गोगोई की अगुवाई में तीन जजों की पीठ का गठन किया गया.

मामले पर सुनवाई की प्रक्रिया पर सवाल
किसी भी प्रशासनिक जांच के निष्पक्ष होने के लिए ये ज़रूरी है कि जांच करने वाला व्यक्ति आरोपी से पद के मामले में नीचे न हो इसीलिए शिकायत करने वाली महिला ने रिटायर्ड जजों की विशेष जांच कमेटी के गठन की मांग की है. क्योंकि, मौजूदा मामले में काम की जगह सुप्रीम कोर्ट है जहां ‘इंटर्नल कम्प्लेंट्स कमेटी’ मौजूद है जिसके सभी सदस्य मुख्य न्यायाधीश से जूनियर हैं. लेकिन ऐसी किसी कमेटी के गठन से पहले ही मुख्य न्यायधीश ने अपनी अध्यक्षता में इस मामले की सुनवाई की. दिल्ली हाई कोर्ट में वरिष्ठ वकील रेबेका मेमन जॉन इसे ‘एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी क़दम’ बताते हुए कहती हैं कि मुख्य न्यायाधीश पर भी वही क़ायदे लागू होने चाहिए जो आम नागरिकों पर होते हैं.

ग्राउंड रिपोर्ट: मोदी के भरोसे राहुल, मंडेलिया के सामने हिंदू वोट साधने की चुनौती

बीकानेर संभाग की चूरू संसदीय सीट पर कांग्रेस पिछले दो दशक से जीत को तरस रही है. इसकी वजह है कि अब तक रामसिंह और राहुल कस्वां की बाप-बेटे की जोड़ी कांग्रेस के लिए भारी साबित हुई है. इसके चलते थार मरुस्थल का गेटवे कहे जाने वाले चूरू में कांग्रेस पिछले चार चुनावों से लगातार हार का मुंह देख रही है. यही वजह रही होगी कि वर्तमान चुनावी परिणाम से पहली ही शायद कांग्रेस ने यहां हार का एहसास कर लिया है. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर कांग्रेस जीतने की चाह रखती तो मोदी-हिंदुत्व-राष्ट्रवाद के शोर के बीच एक मुस्लिम प्रत्याशी को उतारने का रिस्क कभी न लेती. ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि अपने परम्परागत मुस्लिम वोट बैंक को रिझाने के लिए कांग्रेस ने ऐसा किया हो.

कांग्रेस ने 2009 में लोकसभा चुनाव हार चुके रफीक मंडेलिया को चूरू से टिकट दिया है. मंडेलिया परिवार का यह पांचवा चुनाव है. दूसरी तरफ, बीजेपी की ओर से बाप-बेटे की जोड़ी अब तक पांच बार संसदीय सफर तय कर चुकी है. यहां पर भाजपा को धुर्वीकरण सियासत के हथखंडे अपनाने की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि विपक्ष ने यह फैक्टर खुद ही अपने हाथों से थाली में परोस दिया है. जाट, मुस्लिम और राजपूत बाहुल्य वाली चूरू सीट पर कांग्रेस के लिए अंतिम बार 1998 में नरेंद्र बुडानिया ने दिल्ली तक का सफर तय किया था. उसके बाद कांग्रेस के कद्दावर नेता बलराम जाखड़ भी पार्टी को कभी विजयश्री नहीं दिला सके.

बीते चार चुनावों में कांग्रेस ने मुस्लिम और जाट उम्मीदवार के सभी दिव्यास्त्र चलाकर देख लिए लेकिन दो दशकों का अपना जीत का सूखा भरने में नाकामयाब रहे. हालांकि सूत्रों के अनुसार, प्रदेश के मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल और विधायक भवंरलाल शर्मा ने इस बार ब्राह्मण प्रत्याशी को मौका दिए जाने का हवाला दिया था लेकिन आलाकमान के सामने उनकी एक न चली. इधर, रफीक मंडेलिया के लिए पार्टी की गुटबाजी सबसे बड़ी समस्या है. कांग्रेस के अन्य नेताओं को पता है कि अगर इस बार मंडेलिया जीत गए तो भविष्य में इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार को ही पार्टी मौका देगी. लिहाजा कांग्रेस नेता दिखावे के तौर पर तो मंडेलिया का प्रचार कर रहे हैं लेकिन अंदर ही अंदर अपनी अलग रोटियां सेंक रहे हैं.

उधर बीजेपी में राहुल कस्वां और राजेंद्र राठौड़ की अदावत से सब वाफिक है. राठौड़ की नाराजगी के बाद भी पिछली बार कस्वां यहां से जीत दर्ज कर चुके हैं. ऐसे में बीजेपी को इस सीट पर तनाव तो बिल्कुल भी नहीं है. पिछले रिकॉर्ड पर एक नजर डालें तो 1977 में बनी चूरू सीट पर अब तक 12 चुनाव हो चुके हैं जिसमें 11 बार जाट और एक बार गैर जाट वर्ग का नेता सांसद बना. कद्दावर किसान नेता दौलतराम सारण इस सीट से पहले सांसद बनें. कांग्रेस ने पहले चुनाव में भी मुस्लिम उम्मीदवार के तौर पर मोहम्मद उस्मान आरिफ को उतारा था. 1980 में सारण फिर एमपी चुने गए. उसके बाद सारण 1984 में कांग्रेस के मोहर सिंह राठौड़ से हार गए. यह पहला मौका था जब कोई गैर जाट चुनाव इस सीट से चुनाव जीत पाया. मोहर सिंह के निधन के बाद हुए उपचुनाव में यहां से कांग्रेस के नरेंद्र बुडानिया ने जीत दर्ज की थी.

लोकसभा सीट पर करीब 20 लाख मतदाता है जिनमें 10.49 लाख पुरुष और 9.52 लाख महिला मतदाता है। पिछले चुनावों में राहुल कस्वां ने बसपा के अभिनेष महर्षि को 2 लाख 94 हजार वोटों से हराया था। वर्तमान लोकसभा चुनावों में देखा जाए तो कांग्रेस को मुस्लिम, राजपूत और दलित वोट बैंक से जीत की उम्मीद है, वहीं बीजेपी जाट वोट बैंक के जरिए लगातार पांचवी बार जीत की लहर में बहने की उम्मीद कर रही है.

पश्चिम बंगाल में गरजे मोदी, कहा- जनता को मूर्ख बना रहीं ममता दीदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में चुनावी रैली के दौरान टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी पर जमकर निशाना साधा. संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों के बाद ‘स्पीड ब्रेकर दीदी’ की नींद उड़ गई है. दिनाजपुर की इस रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने ममता बनर्जी पर पश्चिम बंगाल के लोगों को मां माटी मानुष के नाम पर मूर्ख बनाने का आरोप लगाया.

बनर्जी द्वारा बालाकोट एयर स्ट्राइक के सबूत मांगने पर भी पीएम मोदी ने कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि यहां की मुख्यमंत्री को सेना पर भरोसा नहीं है. ये मुख्यमंत्री देश के जांबाज जवानों की वीरता के भी सबूत मांगती हैं. पीएम ने बहुचर्चित सारदा चिटफंड घोटाले को लेकर ममता को घेरते हुए कहा कि यहां की सरकार ने गरीबों के पैसों पर डाका डाला है. अब जनता इनको इन चुनावों में जवाब देगी.

पीएम मोदी ने ममता बनर्जी द्वारा इन लोकसभा चुनाव के प्रचार में बाहरी कलाकारों को शामिल करने पर भी निशाना साधा है. पीएम बोले, ‘यह शर्मनाक है कि पड़ोसी देश के लोग टीएमसी के लिए प्रचार कर रहे हैं. पार्टी ने अल्पसंख्यक समुदाय को खुश करने के लिए यह किया है. ममता बनर्जी तुष्टिकरण की राजनीति को बढावा दे रही है’. बता दें कि हाल ही में पश्चिम बंगाल में टीएमसी की रैली में बांग्लादेशी फिल्म स्टार फरदौस अहमद व टीवी एक्टर गाजी अब्दुल नूर ने शामिल होकर वोट मांगे थे.

गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की कुल 42 संसदीय सीटों में से 34 पर ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. मात्र दो सीटों परबीजेपी के प्रत्याशी जीत हासिल कर पाए थे. अन्य चार सीटों पर कांग्रेस और दो पर सीपीएम ने कब्जा जमाया. अब इन चुनावों में बीजेपी को यहां से ज्यादा सीटों की उम्मीद है तो वहीं टीएमसी भी पिछले आंकड़ों से आगे बढ़त बनाने की जुगत में जुटी है.

यूपी: महागठबंधन की संयुक्त जनसभा रामपुर-फिरोजाबाद में, शिवपाल यादव होंगे निशाने पर

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उत्तरप्रदेश में बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव फिरोजाबाद और रामपुर में आज साझा रैली करेंगे. फिरोजाबाद में मायावती और अखिलेश बसपा-सपा गठबंधन प्रत्याशी अक्षय यादव के लिए वोट मागेंगे. अक्षय मुलायम के भाई रामगोपाल के पुत्र हैं जिनका मुकाबला उनके चाचा शिवपाल यादव से होगा. फिरोजाबाद जनसभा में सपा-बसपा के निशाने पर मुख्य तौर पर शिवपाल यादव ही होंगे. अखिलेश से अदावत के बाद शिवपाल ने चुनाव से पूर्व प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया है. शिवपाल ने प्रदेश की अन्य सीटों पर भी अपने प्रत्याशी खड़े किए है. बीजेपी ने यहां से चन्द्रसेन चादौन को अपना प्रत्याशी बनाया है.

वहीं अखिलेश और मायावती जनसभा रामपुर में भी जनसभा करेंगे और यहां से प्रत्याशी आजम खान को समर्थन की अपील करेंगे. रामपुर लोकसभा सीट इन दिनों विवादित बयानों के कारण चर्चा में है. आजम खान के सामने बीजेपी ने जया प्रदा को उम्मीदवार बनाया है. जया सपा से 2004 और 2009 में इस सीट से सांसद रह चुकी है. 2014 में ये सीट बीजेपी के खाते में गई थी. उस समय मोदी लहर में बीजेपी के नेपाल सिंह यहां से सांसद चुने गए थे. आजम खान यहां के कद्दावर नेता है और रामपुर सीट से नौ बार विधायक रहे हैं. वर्तमान में उनके बेटे अब्दुल्ला आजम रामपुर जिले की स्वार टांडा सीट से विधायक हैं.

बता दें, फिरोजाबाद संसदीय सीट से अखिलेश यादव 2009 में सांसद चुने गए थे. लेकिन उपचुनाव में सपा प्रमुख की पत्नी डिंपल यादव को राजबब्बर के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. अखिलेश यादव इस बार आजमगढ़ से चुनावी मैदान में है जबकि डिंपल यादव कन्नौज सीट से चुनाव लड़ रही हैं.

साध्वी प्रज्ञा के बचाव में उतरे मोदी-योगी, कहा- विरोधी नेताओं से कभी सवाल नहीं किए

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मुंबई हमले में शहीद और अशोक चक्र से सम्मानित हेमंत करकरे पर विवादास्पद बयान देने वाली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का चहुंओर विरोध हो रहा है. यहां तक की बीजेपी ने खुद अधिकारिक तौर पर यह कहा है कि इस बयान से पार्टी का कोई लेना देना नहीं है. यह उनका निजी बयान हैं. खुद साध्वी प्रज्ञा ने भी अपना बयान वापिस लेने की बात कही थी. ऐसे समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बचाव में आगे आए हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साक्षात्कार में कहा कि ज्ञा सिंह की उम्मीदवारी को लेकर इतना हल्ला क्यों है, जबकि गंभीर आरोपों का सामना कर रहे विपक्ष के नेताओं से कभी सवाल नहीं किए गए. उन्होंने यह भी कहा कि जब प्रज्ञा सिंह को हिरासत में प्रताड़ित किया गया और इसे लेकर कांग्रेस पर अपनी सुविधा के हिसाब से प्रॉपेगैंडा सेट करने के आरोप लगे, तब क्यों किसी ने सवाल नहीं उठाए.

इसी तरह योगी आदित्यनाथ ने भी साध्वी प्रज्ञा का समर्थन करते हुए कांग्रेस पर आरोप मढ़ दिए. योगी ने कहा कि मैं निजी तौर पर साध्वी प्रज्ञा का समर्थन करता हूं. कांग्रेस को साध्वी को प्रताड़ित करने का पाप किया है इसलिए उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास न नीति है ना नियती. कांग्रेस ने केवल चुनावी फायदे के लिए ‘हिन्दू आतंकवाद’ का नाम लिया है. योगी ने यह भी कहा कि अगर पार्टी कहेगी तो वह साध्वी प्रज्ञा के समर्थन में प्रचार भी करेंगे.

बता दें, कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मध्यप्रदेश की भोपाल संसदीय सीट से बीजेपी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ने हेमंत करकरे के बारे में कहा था, ‘मैंने हेमंत करकरे को कहा था कि तेरा सर्वनाश होगा और उसे आतंकियों ने मार डाला. उन्हें उनके कर्मों की सजा मिली है. उन्होंने मुझे गलत तरीके से फंसाया था. हेमंत करकरे मुझे किसी भी तरह से आतंकवादी घोषित करना चाहते थे. उसने मुझे गालियां दी. मुझे रोकने के लिए षड्यंत्र किया और 9 साल जेल में बंद रखा. इस कारण मैं 20 साल पीछे चली गई.’ साध्वी के इस बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित अन्य नेताओं ने अपना रूख प्रकट किया था.

क्या हुआ जब बैलगाड़ी में प्रचार करने पहुंची दीया कुमारी

लोकसभा चुनाव शुरू हो चुके हैं और इस चुनावी भंवर में राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी मतदाताओं को लुभाने के लिए अजीबोगरीब तरीके इस्तेमाल करने में भी पीछे नहीं रहते. ऐसा ही कुछ नजारा देखने को मिला राजसमंद के को​ठारिया में जहां जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया कुमारी बैलगाड़ी में बैठकर जनसंपर्क कर रही थीं. करोड़ों की संपत्ति की मालकिन दीया कुमारी का इस तरह प्रचार करना अपने आप में एक रोचक एक्सपेरिमेंट था. हालांकि उन्होंने अपने हलफनामे में कोई वाहन न होने का जिक्र किया है. ऐसे में अगर वह बैलगाड़ी में बैठ प्रचार कर रही हैं तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. गौरतलब है कि दीया कुमारी बीजेपी के टिकट पर राजसमंद से चुनावी मैदान में हैं. उनके सामने कांग्रेस के देवकीनंदन गुर्जर हैं.

‘मैंने हेमंत करकरे को कहा था कि तेरा सर्वनाश होगा’

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लोकसभा चुनावों में सियासी बयान या यूं कहें विवादित बयान देना कोई नई बात नहीं है. आज बीजेपी की भोपाल संसदीय प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का बयान चर्चा में छाया रहा. उन्होंने मुंबई हमले में शहीद एटीसी चीफ हेमंत करकरे के खिलाफ विवादित बयान देकर सभी राजनेताओं के निशाने पर आ गई. यहां तक की उन्हें अपना बयान वापस तक लेना पड़ा. वहीं यूपी के मैनपुरी में मायावती का सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के पक्ष और पीएम मोदी के विरोध में कहा गया बयान भी चर्चा में बना रहा.

‘मैंने हेमंत करकरे को कहा था कि तेरा सर्वनाश होगा’
– साध्वी प्रज्ञा, भोपाल बीजेपी प्रत्याशी

आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि मैंने हेमंत करकरे को कहा था कि तेरा सर्वनाश होगा और उसे आतंकियों ने मार डाला. उन्हें उनके कर्मों की सजा मिली है. उन्होंने मुझे गलत तरीके से फंसाया था. हेमंत करकरे मुझे किसी भी तरह से आतंकवादी घोषित करना चाहते थे. उसने मुझे गालियां दी. मुझे रोकने के लिए षड्यंत्र किया और 9 साल जेल में बंद रखा. इस कारण मैं 20 साल पीछे चली गई. बता दें, 26 नवंबर, 2009 में करकरे को भारत सरकार ने मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया था. हालांकि बीजेपी ने प्रज्ञा के बयान को निजी करार दिया है. वहीं प्रज्ञा ने बाद में अपना बयान वापिस लेने की बात कही.

‘हमने कब्रिस्तान के लिए ही नहीं बल्कि श्मशान घाटों के लिए भी पैसा दिया है’
– योगी आदित्यनाथ, यूपी सीएम

चुनाव आयोग की तरफ से प्रचार पर लगाई गई पाबंदी की मियाद खत्म होने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक चुनावी रैली में राज्य की पूर्व सरकारों पर भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सपा के लोग कहते थे कि वे कब्रिस्तानों की चारदीवारी बनाने के लिए तो पैसा देंगे लेकिन श्मशान घाटों के लिए नहीं देंगे. हमारी सरकार ने इस भेदभाव को खत्म किया. अगर कब्रिस्तान को पैसा मिलेगा तो श्मशान घाट के लिए भी हम बजट से पैसा देंगे.

‘मुलायम सिंह पिछड़ों के असली नेता, मोदी झूठे’
– मायावती

24 साल के लंबे अंतराल के बाद बसपा चीफ मायावती और सपा संस्थापक मुलायम सिंह एक मंच पर दिखे. मंच को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि मुलायम सिंह पिछड़ों के ​अच्छी नेता हैं. नरेंद्र मोदी फर्जी ओबीसी हैं. उन्होंने कहा कि यह चुनाव में असली और नकली के बीच पहचान जरूरत है. इस बार चौकीदारी की नई नाटकबाजी बीजेपी को नहीं बचा पाएगी.

‘बीजेपी पर अंगुली उठाई तो सलामत नहीं रहेगी’
– मनोज सिन्हा, केंद्रीय मंत्री

गाजीपुर से कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बीजेपी सरकार में केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि पार्टी का कार्यकर्ता अपराध और भष्ट्राचार को खत्म करने के लिए तैयार है. मैं कहना चाहता हूं कि अगर किसी की अंगुली बीजेपी के कार्यकर्ता की तरफ लिखी तो भरोसा रखिए, चार घंटों में वह अंगुली सलामत नहीं रहेगी.

नहीं थम रहे नेताओं के बिगड़े बोल, जुबेर व बलजीत के बयानों पर बवाल

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देश में जारी लोकसभा चुनाव के लिए चल रहे प्रचार में आए दिन विभिन्न पार्टियों के नेताओं द्वारा अनर्गल बयान दिये जा रहे हैं. देश की सियासत राजनीतिक अखाड़ा बनता जा रहा है. योगी, मायावती, आजम व मेनका के बयानों पर निर्वाचन विभाग की सख्ती के बावजूद ये सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. इसी क्रम में राजस्थान के अलवर में कांग्रेस नेताओं के बिगड़े बोल सामने आए हैं. यहां गुरुवार को कांग्रेस राष्ट्रीय सचिव जुबेर खान व बहरोड़ विधायक ने एक से मंच से पीएम मोदी के निजी जीवन पर हमला किया. इनके द्वारा पीएम मोदी पर अर्मयादित टिप्पणी के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी ने नोटिस थमा दिया है.

अलवर में गुरुवार को कांग्रेस प्रत्याशी जितेंद्र सिंह की सभा में कांग्रेस नेताओं ने एक के बाद एक बिगड़े बोल बोलकर पीएम मोदी के निजी जीवन पर हमला करते हुए मंच से जमकर अमर्यादित टिप्पणियां की. इस पर संज्ञान लेते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव जुबेर खान और बहरोड़ विधायक बलजीत यादव को नोटिस थमा दिया है.

कांग्रेस प्रत्याशी जितेंद्र सिंह के नामांकन के बाद आयोजित जनसभा में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव जुबेर खान ने पीएम नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए बिगड़े हुए बोल बोले थे. सभा को संबोधित करते हुए जुबेर खान ने मर्यादा को लांघते हुए पीएम के निजी जीवन हमला किया था. जुबेर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पत्नी के साथ एक दिन भी नहीं बिता पाए और विदेशों में अन्य महिलाओं के गले लग रहे हैं.

इसी सभा में बहरोड़ विधायक बलजीत ने भी अधिकारियों और कर्मचारियों पर जमकर अभद्र टिप्पणियां की थी. विधायक यादव ने कहा कि अगर कोई भी बिजली वाला किसी से पैसा मांगे तो मुझे बता देना. बिजली वाले को वहीं बीच चौराहे पर उल्टा लटका दूंगा. बलजीत यादव पूर्व में भी कई बार विवादित बयान दे चुके हैं. जिला निर्वाचन अधिकारी इंद्रजीत सिंह ने बताया कि कांग्रेस प्रत्याशी जितेंद्र की जनसभा में विवादित बयानबाजी की गई है. उन्हें नोटिस जारी किया गया है. वीडियो फुटेज के आधार पर नोटिस जारी किया गया है.

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