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मोदी-शाह पर 6 मई तक निर्णय करे चुनाव आयोग : सुप्रीम कोर्ट

Floor Test in Maharashtra
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लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान आदर्श आचार संहिता की कड़ाई से पालना को लेकर निर्वाचन विभाग ने बड़े कदम उठाये हैं, सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस की उस याचिका पर सुनवाई हुई जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा अपने चुनावी सभाओं के भाषणों में आचार संहिता का उल्लंघन करने की बात कही है और इस संबध में निर्वाचन आयोग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 6 मई तक फैसला लेने का आदेश दिया है.

वकील सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि निर्वाचन आयोग में कुल 40 शिकायतें की थी, जिसमें से 20 के ऑर्डर पास हुए जो दूसरे लोगों के खिलाफ थे. लेकिन पीएम मोदी और अमित शाह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं सिंघवी ने कहा कि 6 मई को तो 462 सीटों के लिए मतदान हो चुके होंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने मंगलवार और बुधवार को आदेश दिया था, लेकिन हमें आदेश नहीं मिला. हमे मीडिया से ऑर्डर मिला. इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि आपको मीडिया से ऑर्डर मिला या मीडिया के लिए ऑर्डर मिला.

सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई में कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग 6 मई तक पीएम मोदी और अमित शाह के मामलों का निपटारा करे. याचिकाकर्ता कांग्रेस नेता सुष्मिता देव की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कहा कि 31 दिनों में केवल दो मामलों पर निपटारा किया है. इस रफ्तार से 250 दिनों से ज्यादा का समय लगने वाला है. इसके अलावा जिन शिकायतों का निपटारा किया है उनकी वजह भी सही नहीं बताई गई है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले मंगलवार को सुष्मिता देव की याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था. कोर्ट ने नोटिस में कहा था कि निर्वाचन आयोग आचार संहिता उल्लंघन मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई कर सकता है. जिस पर साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस मसले पर पहले चुनाव आयोग का फैसला सामने आने दें. इसके बाद चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि इस मसले पर अभी उनकी बैठक चल रही है, वह जल्द ही कोई एक्शन लेंगे.

गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी व बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा कथित आचार संहिता उल्लंघन मामले में कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश दे कि वो 24 घंटे के भीतर पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के खिलाफ शिकायतों पर फैसला करे. याचिका में दोनों के खिलाफ हेट स्पीच इस्मेमाल करने व मनाही के बावजूद सशस्त्र बलों का प्रचार में नाम लेने का आरोप लगाया था.

जिसके बाद याचिका स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी करते हुए उचित कार्रवाई को कहा था. याचिकाकर्ता ने बताया था कि शिकायत के बावजूद निर्वाचन आयोग पीएम नरेंद्र मोदी व अमित शाह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. बता दें कि इससे पहले भी अपने भाषण में सेना के इस्तेमाल करने को लेकर चुनाव आयोग से पीएम मोदी की शिकायत की गई थी. हालांकि चुनाव आयोग से पीएम मोदी को क्लीन चीट मिल गई थी.

दौसा के सियासी दंगल में सविता और जसकौर के बीच रोचक जंग

दौसा संसदीय सीट, वह क्षेत्र जिसकी नुमाइंदगी लंबे समय तक कांग्रेस के दिग्गज़ नेता राजेश पायलट ने की. वह इस सीट से पांच बार सांसद चुने गए थे. हालांकि दौसा कांग्रेस का मजबूत किला रहा है लेकिन 2009 में परिसीमन के बाद ये सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गई और तभी से कांग्रेस के लिए यहां से जीत का खाता खुलना बंद हो गया. इस बार दौसा सीट पर सीधा मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है. कांग्रेस ने सविता मीणा और बीजेपी ने जसकौर मीणा को प्रत्याशी बनाया है. अब जनता जनार्दन दोनों की किस्मत का फैसला करेगी.

दौसा सीट का इतिहास
दौसा लोकसभा सीट का लंबे समय तक राजेश पायलट ने प्रतिनिधित्व किया है. वह यहां से पांच बार सांसद की कुर्सी संभाल चुके हैं और यहीं से कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे. उनकी पॉपुलर्टी यहां इतनी अधिक थी कि 2000 में जटवाड़ा के पास एक सड़क हादसे में उनकी मौत के बाद राजनीति में अनुभवहीन उनकी पत्नी रमा पायलट ने बीजेपी के आर.के. शर्मा को करीब 65 हजार मतों से मात दी. 2004 में राजेश पायलट के सुपुत्र सचिन पायलट ने राजनीति में कदम रखा और एक लाख 15 हजार मतों से यह सीट अपने नाम की. 2009 में परिसीमन के बाद ये सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गई.

उसके बाद हुए दोनों चुनावों में कांग्रेस की हालात बदतर हो गई. 2009 के चुनाव में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मण मीणा के साथ बीजेपी उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई थी. इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी किरोड़ी लाल मीणा ने जीत हासिल की. 2014 के लोकसभा चुनाव में यह सीट मोदी लहर में बह गई और बीजेपी के हरीश मीणा यहां से विजयी हुए. हरीश ने कांग्रेस के नमोनारायण मीणा और तत्कालीन सांसद किरोड़ीलाल मीणा को करीब 45 हजार वोटों से मात दी. कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे. लेकिन विधानसभा चुनावों से पहले हरीश मीणा ने बीजेपी से इस्तीफा देकर कांग्रेस का हाथ थाम लिया और देवली-उनियारा सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बन गए.

दौसा सीट का गठन
दौसा लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती हैं जिनमें दौसा, बस्सी, चाकसु, थानागाजी, बांदीकुई, सिकराय, महुवा और लालसोट शामिल हैं. यहां की चार विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति और दो सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इन क्षेत्रों में आए विधानसभा चुनाव के नतीजे जहां कांग्रेस का मनोबल बढ़ाने वाले हैं, वहीं बीजेपी पर संकट के बादल मंडरा रहे है. इन आठ में से 5 सीटों पर कांग्रेस और शेष 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने कब्जा जमाया है. बीजेपी का खाता भी नहीं खुल सका.

अब बस्सी और थानागाजी विधानसभा से विजयी प्रत्याशियों ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. ऐसे में दौसा संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली अनुसूचित जाति और जनजाति के वोटों की बहुतायत यहां कांग्रेस का दावा क्षेत्र में मजबूत करती है. सचिन पायलट की वजह से गुर्जर वोट बैंक जिस तरह विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में आ गया था, अगर यह साथ लोकसभा चुनाव में भी मिला तो कांग्रेस को यहां बड़े अंतर से जीत मिल सकती है. लेकिन हाल ही में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बीजेपी में शामिल होने के बाद गुर्जर बीजेपी की तरफ अपना रुख करेंगे, इस बात में कोई संशय नहीं है.

जसकौर बनाम सविता मीणा
यहां से बीजेपी उम्मीदवार जसकौर मीणा पूरी तरह मोदी के भरोसे है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर ही वोट मांग रही है. क्षेत्र के दिग्गज़ किरोड़ी लाल मीणा ने उनकी परेशानी बढ़ा रखी है. पूर्व सांसद किरोड़ी लाल मीणा प्रदेश के अन्य हिस्सों में तो पार्टी के प्रत्याशियों का प्रचार करते नजर आ रहे है लेकिन एकआद जनसभाओं को छोड़ अपने गृह क्षेत्र में उनकी कुछ खास सक्रियता देखने को नहीं मिल रही है. असक्रियता का कारण है कि किरोड़ी अपने परिवार में से किसी सदस्य को यहां से टिकट दिलाना चाहते थे लेकिन पार्टी ने उनकी मांग को दरकिनार करते हुए सवाईमाधोपुर की पूर्व सांसद जसकौर मीणा को टिकट थमा दिया.

पार्टी पहले यहां से महुवा विधायक ओमप्रकाश हुड़ला की पत्नी प्रेमप्रकाश हुड़ला को टिकट देना चाहती थी लेकिन किरोड़ी लाल मीणा के दबाव में ऐसा संभव न हो सका. इस बात के चलते मीणा के साथ हुड़ला भी दौसा में असक्रिय हैं. टिकट का देरी से घोषित होना भी जसकौर के लिए परेशानी का सबब है. जसकौर मीणा सवाईमाधोपुर लोकसभा क्षेत्र से 1998 और 1999 में दो बार सांसद और वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुकी है.

बात करें सविता मीणा की तो सविता मीणा इससे पहले बांदीकुई विधानसभा क्षेत्र से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी है. वह दौसा के विधायक मुरारीलाल मीणा का पत्नी है. दौसा विधायक का प्रभाव क्षेत्र में आसानी से देखा जा सकता है. मीणा तीसरी बार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए है. वह एक बार बांदीकुई और दो बार दौसा सीट से विधायक चुने गए है और गहलोत की पिछली सरकार में मंत्री भी चुके हैं. उनकी इस क्षेत्र में पकड़ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह दो बार बसपा के टिकट पर चुनाव जीत चुके है. सविता के चुनाव प्रचार की पूरी जिम्मेदारी मुरारी लाल मीणा ने अपने कंधों पर ले रखी है. अब 23 मई को ये देखना दिलचस्प होगा कि दौसा मोदी लहर पर सवार होगा या कांग्रेस के हाथ को मजबूत करेगा.

राजस्थान: अलवर और भरतपुर में बसपा बिगाड़ सकती है कांग्रेस का खेल

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देश की सियासत में हाथी की चाल हमेशा से हाथ के लिए परेशानी का सबब रही है. इसकी वजह है यूपी में जो दलित वोटर बसपा का वोट बैंक माना जाता है, वही वोटर राजस्थान में कांग्रेस का वोट बैंक है. अब बसपा का प्रभाव राजस्थान की राजनीति पर पड़ता साफ नजर आ रहा है. हाल में संपन्न हुए प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा के उम्मीदवार नगर, किशनगढ़-बास, तिजारा, नदबई, करौली और उदयपुरवाटी सहित छह सीटों पर क​ब्जा जमाने में कामयाब हुए थे.

जिन सीटों पर बसपा के विधायक चुने गए, अब उन इलाकों में कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी टेंशन में दिख रहे हैं. वजह है कि उक्त छह सीटों में से दो सीटें अलवर और दो सीटें भरतपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. अगर विधानसभा चुनावों की तरह बसपा लोकसभा चुनाव में भी दलित वोट बैंक में सेंधमारी करने में सफल होती है तो इसका सीधा खामियाजा कांग्रेस को भरना होगा.

पिछले लोकसभा चुनावों में बसपा ने चूरू लोकसभा सीट पर उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन किया था. इस संसदीय सीट पर बसपा के अभिनेष महर्षि ने मोदी लहर के बाद भी तीन लाख से अधिक वोट हासिल कर कांग्रेसी उम्मीदवार को तीसरे नंबर पर धकेल दिया था. यह परिणाम चौंकाने वाला था. यही वजह है कि बसपा नेता इस बार लोकसभा चुनाव को लेकर उत्साहित हैं. विधानसभा चुनाव के परिणामों ने इस उत्साह में बढ़ोतरी का काम किया है.

विधानसभा चुनाव में बसपा ने कांग्रेस को 6 सीटों पर ही नुकसान नहीं पहुंचाया बल्कि प्रदेश की आहोर, आमेर, बूंदी, धौलपुर, गंगानगर, पीलीबंगा, सुरजगढ़ सीटों पर भी अपना असर दिखाया. ये वो सीटें हैं जिनपर जितने वोटों से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, उससे ज्यादा मत बसपा के उम्मीदवार मार ले गए. बसपा को इस बार अलवर लोकसभा क्षेत्र से सबसे ज्यादा उम्मीद है. बसपा ने विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र की न केवल दो सीटों पर कब्जा किया बल्कि अन्य विधानसभा सीटों पर भी अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रही.

अलवर आठ विधानसभा सीटों से मिलकर बना है जिसमें अलवर शहर, अलवर ग्रामीण, राजगढ़-लक्ष्मणगढ, तिजारा, बहरोड़, मुंडावर, कठुमर,रामगढ़, किशनगढ़-बास शामिल हैं. तिजारा और किशनगढ़-बास सीट पर बसपा के विधायक काबिज़ हैं जबकि मुंडावर में बसपा दूसरे पायदान पर रही थी. क्षेत्र की अन्य सीटों पर भी बसपा का प्रदर्शन कांग्रेस की मुसीबत बढ़ाने वाला रहा है. लोकसभा चुनाव में अलवर सीट पर बसपा ने इमरान खान पर दांव खेला है. इमरान भिवाड़ी के निवासी हैं और पेशे से बिल्डर हैं. बसपा ने इमरान को दलित-मुस्लिम समीकरण साधने के लिए प्रत्याशी बनाया है.

इमरान को मिले वोटों का सीधा नुकसान कांग्रेस प्रत्याशी भंवर जितेन्द्र सिंह को होगा. अगर इमरान दलित-मुस्लिम वोटों में सेंधमारी करने में सफल रहते है तो जितेन्द्र सिंह की नैया भंवर में फंस सकती है. हाल में बसपा सुप्रीमो मायावती ने यहां इमरान खान के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित किया था. बीजेपी ने यहां से महंत बालकनाथ को उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा, भरतपुर संसदीय सीट भी कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है. यहां बसपा ने सूरज जाटव को प्रत्याशी बनाया है. बसपा यहां विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर उत्साहित है.

भरतपुर लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाली नगर विधानसभा से वाजिब अली और डीग-कुम्हेर से जोगिंदर अवाना बसपा प्रत्याशी जीतने में सफल रहे थे. बसपा सुप्रीमो मायावती ने भरतपुर में बसपा प्रत्याशी के समर्थन में चुनावी सभा को संबोधित किया था. बीजेपी ने यहां से वर्तमान सांसद बहादुर सिंह कोली का टिकट काट रंजीता कोली को अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं कांग्रेस ने यहां नए चेहरे अभिजीत जाटव पर दांव खेला है. अब 6 मई को पता चल जाएगा कि अलवर और भरतपुर क्षेत्र की जनता किसके सिर जीत का ताज पहनाने वाली है.

चुनाव प्रचार पर बैन लगा तो योगी के नक्शे कदम पर चली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर

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बाबरी मस्जिद मामले पर विवादित बयान देने के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर चुनाव आयोग ने प्रचार करने पर बैन लगा दिया है. इसके बाद अब साध्वी प्रज्ञा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नक्शे कदम पर चल पड़ी है. चुनाव प्रचार से रोक लगने के बाद साध्वी प्रज्ञा भक्ति की राह पकड़ मंदिर पहुंच गई और हाथों में झाला लेकर भजन कीर्तन में लग गई है. हालांकि इन सबके पीछे केवल और केवल लोगों में बीच पहुंचना है, ज्यादा कुछ नहीं. बता दें कि अली-बजरंगबली पर विवादित टिप्पणी के बाद योगी आदित्यनाथ पर भी चुनाव आयोग ने 48 घंटे तक चुनावी प्रचार पर रोक लगा दी थी. तब वे भी हनुमान मंदिरों में पूजा-अर्चना करने पहुंच गए थे.

बता दें, चुनाव आयोग ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर 72 घंटे का चुनाव प्रचार न करने संबंधी रोक लगा दी है. साध्वी प्रज्ञा ने मुंबई आतंकी हमले में शहीद हेमंत करकरे पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद बाबरी मस्जिद को लेकर विवादित बयान दिया था. साध्वी प्रज्ञा ने कहा था कि बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने पर उन्हें अफसोस नहीं, बल्कि गर्व होता है. उनकी इस विवादित टिप्पणी पर कार्रवाई करते हुए चुनाव आयोग ने यह कदम उठाया है.

प्रचार पर बैन लगने के तुरंत बाद साध्वी प्रज्ञा भोपाल के दुर्गा मंदिर पहुंच गई और पूजा-अर्चना के बाद भजन गायन में भी आज आजमाने लगी. उन्होंने भक्तों के बीच बैठकर न केवल भजन गाया बल्कि हाथ में झाला बजाकर ताल भी बजाई. साध्वी मध्यप्रदेश की हॉट सीट भोपाल संसदीय क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी हैं. उनके सामने कांग्रेस के दिग्विजय सिंह मैदान में हैं.

‘मोदी को जिताने के लिए जवान को अयोग्य घोषित कर दिया’

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इन दिनों सोशल मीडिया राजनीति का अखाड़ा बन चुका है. बने भी क्यूं न, आखिर इस बार का लोकसभा चुनाव सोशल मीडिया पर ही तो लड़ा जा रहा है. इस तेज और वायरल माध्यम से आमजन खुद राजनीति के मैदान में एक लड़ाई ही तो लड़ रहा है. फिर क्या फर्क पड़ता है कि वह प्रत्यक्ष तौर पर चुनावी मैदान में नहीं है लेकिन अपनी भड़ास तो सबसे सामने निकाल ही सकता है और उसे नोटिस भी किया जाता है. आज सोशल मीडिया पर जो हलचल बनी रही, वह है तेज बहादुर यादव. यह वही तेज बहादुर है जिसने कुछ सालों पहले बॉर्डर से एक वीडियो वायरल किया था जिसमें उसने टिफिन में दाल दिखाते हुए कहा था कि आर्मी में जवानों को इस तरह का खाना खिलाया जाता है. उसके बाद आर्मी की बातों को सार्वजनिक करने के चलते उन्हें फौज से बर्खास्त कर दिया गया था. अब उन्हें वाराणसी से सपा-बसपा गठबंधन ने नरेंद्र मोदी के सामने टिकट लेकर चुनावी लड़ाई लड़ने के लिए उतारा है. चुनाव आयोग ने तेजबहादुर यादव द्वारा दी गई गलत सूचना (दो अलग-अलग नामांकन पत्रों में) के आधार पर नामांकन पत्र खारिज किया है. अब यह मामला सोशल मीडिया पर बहस की वजह बना हुआ है. कुछ बीजेपी समर्थकों ने कई दलीलें देकर आयोग के इस फैसले को सही बताया है.

रमन शर्मा | @sarvmanglamcom

चुनाव आयोग ने तेजबहादुर की उम्मीदवारी रद्द कर दी है. मोदी को जिताने के लिए ‘जवान’ को अयोग्य घोषित कर दिया!

Ajay Anand I Facebook

इस देश मे दो क़ानून है. एक प्रज्ञा ठाकुर और स्मृति ईरानी के लिए. दूसरा हार्दिक पटेल और तेज बहादुर यादव के लिए. वैसे मोदी जी ने अपनी डिग्री नहीं दिखाई है…

रमन शर्मा | @sarvmanglamcom

सैनिक बॉर्डर पर लड़ सकता है, बनारस में नहीं.

सुयश सुप्रभ | facebook

तेजबहादुर यादव का नाम किसी आतंकी घटना में शामिल नहीं है. होता तो आसानी से चुनाव लड़ लेते. न्यू इंडिया में आपका स्वागत है.

आयरनी मैन | @karanku100

चुनाव आयोग ने आतंकवाद के आरोपित (प्रज्ञा ठाकुर) का नामांकन रद्द नहीं किया. बलात्कार के आरोपित (निहालचंद), दंगे के आरोपित (संजीव बालयान) का भी नामांकन रद्द नहीं किया लेकिन बीएसएफ के पूर्व जवान का नामांकन रद्द कर दिया. यही है न्यू इंडिया!

 

 

 

राजस्थान: कांग्रेस का पूरा फोकस अब दूसरे चरण की सीटों पर

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राजस्थान में लोकसभा चुनाव के पहले चरण की सीटों पर मिले फीडबैक के बाद अब कांग्रेस ने पूरा फोकस दूसरे चरण की सीटों के चुनाव पर कर लिया है. इसके तहत कांग्रेस ने अब आक्रामक प्रचार की रणनीति बनाई है. दूसरे चरण की 12 लोकसभा सीटों में कांग्रेस ने कमजोर विधानसभा क्षेत्र में माहौल बनाने की रणनीति अपनाई है और सभी प्रत्याशियों से कमजोर स्थिति वाली विधानसभाओं की बाकायदा लिस्ट भी मंगाई है. उदाहरण के तौर पर सीकर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस चौमूं से बेहद कमजोर है. लिहाजा कल इसकी भरपाई के लिए राहुल गांधी की सभा कराई जा रही है. वहीं सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम एवं पीसीसी चीफ सचिन पायलट भी ताबड़तोड़ सभा करने में जुट गए हैं.

राहुल की सभाओं पर जोर ज्यादा
दूसरे चरण की 12 लोकसभा सीटों को जीतने के लिए कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा राहुल गांधी की सभा कराने जा रही है. चार मई को प्रचार समाप्त होने से पहले राहुल गांधी अब हर दिन राजस्थान में इस रणनीति के तहत प्रचार करते दिखेंगे. राहुल दो मई को चौमूं आएंगे तो फिर अगले दिन भरतपुर में सभा करेंगे. चार मई को जयपुर में रोड़ शो का कार्यक्रम भी रखा गया है.

गहलोत और पायलट की हर दिन में तीन सभाएं
राहुल गांधी के अलावा सचिन पायलट और अशोक गहलोत ने भी ताबड़तोड़ सभाएं शुरु कर दी है. दोनों नेता हर दिन करीब तीन-तीन सभाएं कर रहे हैं. ज्यादा से ज्यादा सीटें कवर करने के लिए अब दोनों ने अलग-अलग सभाएं शुरु करने की रणनीति बनाई है जिससे कि एक दिन में तीन—तीन लोकसभा सीटों पर प्रचार हो जाए. पायलट को अधिकतर गुर्जर बाहुल्य वाली क्षेत्र में प्रचार में भेजा जा रहा है.

स्टार प्रचारकों के दौरे हुए तेज
इन तीनों के अलावा अब स्टार प्रचारकों के दौरे भी शुरु हो गए हैं. आनंद शर्मा ने श्रीगंगानगर में प्रचार की शुरुआत की तो राजबब्बर भी धौलपुर और भरतपुर में सभा करने आ रहे हैं.

कांग्रेसी मुझे मारने के सपने देख रहे हैं: मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के इटारसी में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाया कि कांग्रेसी मुझसे नफरत करने लगे है और वो मुझे मारने के के सपने देख रहे है. प्रधानमंत्री मोदी ने भोपाल संसदीय सीट से कांग्रेसी उम्मीदवार दिग्विजय सिंह पर हमला बोलते हुए कहा कि जो व्यक्ति (जाकिर नाईक) देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त है, कांग्रेस के दिग्गी राजा उनकी तारीफ में खुलेआम कसीदे पढ़ते हैं.

एयर स्ट्राइक का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि आतंक के आकाओं को हमने ऐसा घाव दिया है, जो उनसे न बताते बन रहा है न छिपाते बन रहा है. कांग्रेस उनके साथ खड़ी है जो जम्मु-कश्मीर के लिए अलग प्रधानमंत्री चाहते है. कांग्रेस कश्मीर से सेना हटाना चाहती है ताकि वहां के हालात फिर से आतंकवादियों के लिए सुगम हो जाए. मोदी ने चुनावी सभा में कमलनाथ सरकार पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने किसानों को कर्जमाफी के नाम पर गुमराह करके वोट तो लिए सरकार बनने के बाद वह उन किसानों की सुध नहीं ले रही है.

आतंकी देश में कमजोर सरकार बनाने की फिराक में बैठे हैं: मोदी

इससे पहले उन्होंने यूपी के अयोध्या के पास आंबेडकर नगर में एक जनसभा को भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि हमारा देश हमारी राष्ट्रीय धरोहर है और हमने हमारी धरोहर को हमने आस्था से ही नहीं बल्कि आर्थिक स्तर से भी जोड़ा. उन्होंने आस्था और पर्यटन पर आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि श्रीलंका में जो हुआ, 2014 से पहले भारत में भी यही माहौल था. हम कैसे भूल सकते हैं कि देश में हर दिन कहीं न कहीं धमाकों की खबरे आती रहती थी लेकिन पिछले पांच साल में ऐसी खबरे कम हो गई है. उन्होंने आतंकवाद के मुद्दे पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि हमारे पड़ौस में तो आतंकवादियों की एक्सपोर्ट फैक्ट्री लगी हुई है. आतंकवादी तो देश में कमजोर सरकार बनने के लिए मौके की ताक में बैठे हैं लेकिन आपको उन्हें ऐसा मौका नहीं देना है.

उन्होंने कहा कि ये देश के स्वाभिमान की धरती है. यही स्वाभिमान पिछले पांच साल में काफी बढ़ा है. हम देश में हर किसी को साथ लेकर चले हैं जिसके बूते हम नए भारत का सपना साकार करने की ओर बढ़ रहे हैं. पीएम ने कहा कि देश को सपा-बसपा-कांग्रेस की सच्चाई जानना जरूरी है. मायावती ने बाबा साहेब के नाम का इस्तेमाल किया लेकिन उनका आदर्शों का पालन नहीं किया. समाजवादी पार्टी पर उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि इन्होंने भी राम मनोहर लोहिया के आदर्शों को मिट्टी में मिला दिया.

अपने शासन में होने वाले परिवर्तनों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि हमारी बीजेपी सरकार से पहले चल रही पेंशन योजना में किसी को 50 तो किसी को 70 रुपया मिल रहा था. आने-जाने का खर्चा अलग से. 2014 में आने के बाद हमारी सरकार ने यह सब कुछ बंद करके तय किया कि पेंशन के तहत सभी को कम से कम एक हजार रुपया मिलेगा. हमने सत्ता में आने के बाद जो हजारों करोड़ रुपये का कर्ज पूर्व सरकार छोड़कर गई थी, उपर पर नियंत्रण किया. बीजेपी सरकार ने न केवल भारत के मूल को संरक्षित किया, इसे पूरी ​दुनिया में प्रसारित भी किया. उन्होंने कहा कि योग को देश के साथ पूरी दुनिया में प्रसारित करने का काम भी इस चौकीदार ने किया है.

अपने संबोधन में उन्होंने प्रयागराज में कुंभ और अयोध्या में भव्य दीपावली का भी जिक्र करते हुए कहा कि ये दोनों आयोजन देश में मनाए तो काफी सालों से जा रहे हैं लेकिन पिछले पांच सालों में इतनी भव्यता देखी न कहीं. नेपाल से अयोध्या तक के लिए सीधी बस सेवा शुरू भी हमारी सरकार ने की. ऐसे में हमारी सरकार को एक और मौका देना चाहिए.

पीएम मोदी के सामने सपा के तेज बहादुर यादव का नामांकन रद्द

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वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से पीएम मोदी के सामने सपा प्रत्याशी तेज बहादुर यादव का नामांकन चुनाव आयोग ने खारिज किया है. यानी वो अब चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. बता दें कि तेज बहादुर की तरफ से दाखिल नामांकन में गड़बडी पाई गई थी. जिसे लेकर निर्वाचन अधिकारी ने उन्हें उचित प्रमाण पत्र जमा करने को कहा गया था, लेकिन वो प्रमाण पत्र दाखिल नहीं कर पाए जिससे उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी है. यहां कांग्रेस ने अजय राय को फिर से मैदान में उतारा है.

निर्वाचन आयोग द्वारा उनके नामांकन को रद्द करने से नाराज तेज बहादुर यादव ने कहा कि वे इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. बता दें कि तेज बहादुर बीएसएफ से बर्खास्त जवान हैं. उन्होंने पहले ही प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ वाराणसी से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. साथ ही पर्चा भी दाखिल किया था लेकिन बाद में उन्हें सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के हिस्से सपा की टिकट पर प्रत्याशी बनाया गया.

तेज बहादुर यादव के नामांकन पर पहले से ही संकट के बादल मंडरा रहे थे. क्योंकि उनकी तरफ से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर दाखिल नामांकन में उन्होंने बताया था कि उन्हें बीएसएफ से भ्रष्टाचार के कारण बर्खास्त किया गया था. लेकिन दूसरे नामांकन में उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं दी. इसे लेकर आयोग ने उनसे उचित प्रमाण पत्र दाखिल करने को कहा था.

गौरतलब है कि साल 2017 में तेज बहादुर यादव एक वीडियो को लेकर चर्चा में आए थे. जिसमें बताया गया था कि विषम हालात में देश की सुरक्षा करने वाले सैनिकों को मिलने वाले खाने की क्वालिटी कितनी घटिया है. इस वीडियो के कारण सेना ने तेज बहादुर को अनुशासनहीनता का दोषी मानते हुए बर्खास्त किया था. जिसके बाद से ही वो सरकार के प्रति आक्रामक रूख अख्तियार किए हुए हैं.

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