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राहुल ने मोदी पर ली चुटकी, पूछा- क्या बारिश में सभी विमान हो जाते हैं रडार से गायब?

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सियासत में बयानों का बड़ा महत्व है. कई बार ऐसा होता है कि बयान नेता के लिए परेशानी का सबब बन जाता है. ऐसा ही कुछ प्रकरण प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के साथ हुआ है. पीएम मोदी ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान बादल छाए रहने से भारतीय वायुसेना के विमानों को रडार से बचने में मदद मिली थी. उनके इस बयान पर राहुल गांधी ने चुटकी ली है.

राहुल गांधी ने बयान पर कहा, ‘मोदीजी के अनुसार जब भी भारत में तुफान और बारिश आती है तो सारे विमान रडार की रेंज से बाहर हो जाते है.’ अभिनेता अक्षय कुमार को दिए गए इंटरव्यू पर भी निशाना साधते हुए राहुल ने कहा, ‘आजकल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू देखिए. प्रधानमंत्री बता रहे है कि वो आम कैसे खाते हैं. आम को कैसे छीलते हैं. फिर मोदीजी कहेंगे- देखो मेरा कुर्ता देखो. मैंने कुर्ते की स्लीव को काटा क्योंकि मैं सूटकेस में जगह बनाना चाहता था.’

राहुल गांधी ने अपनी तीखी टिप्पणी को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मोदीजी. देश को इससे मतलब नहीं है कि आप आम कैसे खाते है. देश को मतलब इससे है कि आपने बेरोजगार युवाओं के लिए क्या किया? उनको रोजगार के साधन कैसे उपलब्ध कराए जाए? उसके लिए आपने और आपकी सरकार ने पांच साल के दौरान क्या किया?

राहुल ने पीएम को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि मोदी की योजना नोटबंदी और जीएसटी ने देश की अर्थव्यवस्था का बंदर-बाट करके रख दिया है. इन्हीं योजनाओं के कारण देश में बेरोजगारी बढ़ी है. कांग्रेस के न्याय योजना देश के हालातों को ठीक करने का काम करेगी. हम इस योजना के अंदर देश के पांच करोड़ गरीब परिवारों को छह हजार रुपये प्रतिमाह के हिसाब से 72 हजार रुपये सालाना देने का काम करेंगे. इससे न केवल बेरोजगारी दूर होगी वरन् गरीबी को नियंत्रित किया जा सकेगा.

दौसा में बवाल के बाद गिरफ्तार हुए किरोड़ी लाल मीणा और हनुमान बेनीवाल

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दौसा में आज बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने अलवर गैगरेंप मामले को लेकर प्रदर्शन किया लेकिन इस प्रदर्शन में बवाल मच गया और पुलिस ने किरोड़ी लाल मीणा के साथ हनुमान बेनीवाल को गिरफ्तार कर लिया. हालांकि कुछ समय बाद उन्हें छोड़ दिया गया है. इससे पहले पुलिस और मीणा समर्थकों में जमकर पत्थरबाजी हुई. भीड़ को खदेड़ने के लिए पुलिस ने हल्का लाठीचार्ज भी किया.

दरअसल, थानागाजी गैंगरेप मामले को लेकर किरोड़ी लाल ने दौसा में विशाल प्रदर्शन का आयोजन किया. मीणा के इस प्रदर्शन में खींवसर विधायक और नागौर संसदीय सीट से प्रत्याशी हनुमान बेनीवाल के साथ विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ भी शामिल हुए. जनसभा के बाद मीणा ने सैंकड़ों समर्थकों के साथ जयपुर की ओर कूंच किया. दौसा रेलवे स्टेशन पर पहुंचते ही प्रदर्शन में मौजूद लोगों ने पटरियों का रूख किया और एक तरह से रेलवे स्टेशन पर कब्जा करने की कोशिश की.

पुलिस ने हालात को नियंत्रण में करने के लिए भीड़ पर हल्का बल प्रयोग किया. इसके बाद उग्र भीड़ ने पुलिस पर जमकर पत्थरबाजी की. पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए लाठीचार्ज कर प्रदर्शनकारियों को वहां से खदेड़ा.

पुलिस ने इस मामले में ट्रेक पर मौजूद बीजेपी नेता किरोड़ी लाल मीणा और हनुमान बेनीवाल को गिरफ्तार कर लिया है. बता दें, कुछ दिनों पहले थानागाजी में कुछ युवकों ने एक शादीशुदा जोड़े को रोककर पहले उनके मारपीट की और बाद में महिला के साथ गैंगरेप किया. ​किरोड़ी लाल मीणा ने इस मामले पर राजस्थान सरकार की चुप्पी को राजनीति से प्रेरित बताते हुए पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजे की मांग की है. इसी संबंध में प्रकाश जावड़ेकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस्तीफे की मांग की है.

राजस्थान: निर्दलीय विधायकों को मिलेगा पद का तोहफा

राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों को जल्द ही सत्ता का सुख मिलेगा. लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद इन्हें संसदीय सचिव और निगम-बोर्ड का चैयरमेन बनाया जा सकता है. सूत्रों के अनुसार, जून में इसकी प्रक्रिया शुरू हो सकती है. अधिकतर उन विधायकों को सत्ता में भागीदार बनाया जाएगा जो पहले कांग्रेस में थे, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर बागी हो गए थे. चुनाव जीतने के बाद इन विधायकों ने राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को समर्थन दे दिया.

दरअसल इस बार कांग्रेस के 100 और सहयोगी लोकदल का एक विधायक जीता था. कांग्रेस के पास प्रदेश में अपने दम पर बहुमत है, लेकिन सरकार को कोई आंच नहीं आए इसलिए निर्दलीय विधायकों को सत्ता सुख देने की रणनीति अपनाई जा रही है. आपको बता दें कि अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल में कांग्रेस की 96 सीटें आई थी. तब बसपा के छह विधायकों को कांग्रेस में मर्ज करते हुए उन्हें मंत्री और संसदीय सचिव बनाने का कदम उठाया गया था.

सूत्रों के मुताबिक बाबूलाल नागर, महादेव सिंह खंडेला, राजकुमार गौड़, बलजीत यादव, संयम लोढ़ा, रामकेश मीणा, लक्ष्मण मीणा, आलोक बेनीवाल, रमीला खड़ीया, कांति मीणा और खुशवीर जोजावर को संसदीय सचिव और बोर्ड-निगम चेयरमैन बनाया जा सकता है. ये सभी विधायक कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े हुए तो हैं ही, इनमें से अधिकतर सीएम गहलोत के करीबी भी हैं.

सूत्रों के अनुसार, निर्दलीय विधायकों को सत्ता सुख देने से पहले कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व पहले लोकसभा चुनाव के परिणाम का इंतजार करेगा. केंद्र में सरकार की उठापटक पूरी होने के बाद आलाकमान से इसकी मंजूरी ली जाएगी. आलाकमान से हरी झंडी मिलने के बाद ही कवायद शुरु होगी. चर्चा है कि निर्दलीय विधायकों को सत्ता सुख देने के साथ-साथ मंत्रिमंडल में भी फेरबदल और विस्तार का काम होगा.

मंत्रिमंडल में फेरबदल के लिए लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन को आधार बनाया जा सकता है. जिन मंत्रियों का लोकसभा चुनाव में कमजोर प्रदर्शन रहेगा, उनकी छुट्टी हो सकती है जबकि जिन विधायकों का प्रदर्शन अच्छा रहेगा, उनका प्रमोशन हो सकता है. प्रदेश की गहलोत सरकार को बसपा के छह विधायकों ने भी समर्थन दे रखा है. एक चर्चा यह भी हो रही है कि इन्हें भी सत्ता में भागीदार बनाया जा सकता है.

हालांकि इस पूरी कवायद को लोकसभा चुनाव के परिणाम प्रभावित कर सकते हैं. यदि राजस्थान में कांग्रेस ने आठ से दस सीटों पर जीत हासिल की तो आलाकमान सरकार के काम में दखलंदाजी नहीं करेगा. लेकिन यह आंकड़ा पांच से नीचे गया तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी निगरानी तेज कर सकते हैं.

परवान चढ़ रही ममता-बीजेपी की अदावत, अमित शाह की रैली पर फिर अडंगा

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लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की राजनीतिक पार्टी टीएमसी और बीजेपी के बीच अदावत ​किसी से छिपी हुई नहीं है. बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और बीजेपी नेताओं के बीच शब्दों के तीखे हमले इस बात को साफ तौर पर बयां करते हैं. हाल में ममता सरकार ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के हेलीकॉप्टर को लैंड नहीं करने दिया था. साथ ही रैली से ऐन वक्त पहले परमिशन देने से मना कर दिया था. अब फिर से अमित की जनसभा पर कोलकत्ता पुलिस ने अडंगा लगा दिया है.

यूं कुछ यूं कि आज शाम अमित शाह का कोलकाता में एक रोड शो और उसके बाद रैली का आयोजन है. उससे पहले ही यहां बवाल हो गया. कोलकाता पुलिस रैली स्थल पर पहुंची और वहां रैली के परमिशन के कागज मांगे. पेपर न देने पर पुलिस ने मंच को तोड़ने को कहा है जिसे लेकर सभा स्थल पर विवाद बढ़ गया है.

इस मामले में बीजेपी प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट कर कहा कि अमित शाह जी की रैली में अड़ंगेबाजी, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने भाजपा को परेशान करने के लिए प्रशासन को खुला छोड़ रखा है. अमित शाह जी की रैली में अड़चन डालने के लिए लाऊडस्पीकर को पुलिस ने मुद्दा बना लिया है. ये चुनाव आचार संहिता है या ममता सरकार की हठधर्मी?

कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट में एक विडियो भी जारी किया है. इसमें वो पुलिस अधिकारी के साथ चर्चा करते नजर आ रहे है. जिसमें पुलिस अधिकारी कैलाश से कह रहे है कि वो आचार संहिता का पालन कर रहे है. बता दें कि सोमवार को भी पश्चिम बंगाल में अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की कुछ रैलियों को रद्द कर दिया गया था.

बता दें, पश्चिम बंगाल में बीजेपी और टीएमसी के बीच चुनावी नोकझोंक जोर पकड़ती जा रही है. एक ओर जहां ममता पर पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने जमकर तलवार खिंची है तो ममता बनर्जी ने बीजेपी सहित पीएम मोदी पर हवाई फायर किए हैं. अमित शाह की जनसभा से पहले यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की रैली भी यहां ममता सरकार ने रद्द करा दी थी.

यूपी में महागठबंधन की गांठ बने बागी

ममता बनर्जी की फोटो से छेड़छाड़ करने वाली BJP नेता को कोर्ट से जमानत

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पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की फोटो से छेड़छाड़ (मॉर्फ) से तैयार फोटो को सोशल मीडिया पर शेयर करने के मामले में गिरफ्तार बीजेपी नेता प्रियंका शर्मा की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर ली है. ममता बनर्जी की फोटो के साथ छेड़छाड़ कर उसे सोशल मिडिया पर शेयर करने के आरोप में प्रियंका को जेल में बंद कर दिया गया था. अब उन्हें सशर्त बैल मिल गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर प्रियंका शर्मा फेसबुक पोस्ट पर माफी मांगती हैं तो ही उन्हें जमानत दी जाएगी. उन्हें तुरंत जमानत पर रिहा किया जाए. बाहर आते ही उन्हें मांफी मांगनी होगी. कोर्ट के इस फैसले को प्रियंका शर्मा ने मान लिया है.

मामले में सुनवाई के दौरान प्रियंका के वकील ने कहा कि यह मामला कानून के उल्लंघन से जुड़ा है. एक मीम के लिए किसी व्यक्ति को 14 दिन तक हिरासत मे रखना कहां तक जायज है. वकील की इस दलील पर जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा कि प्रियंका शर्मा को इस तस्वीर के लिए माफी मांगनी ही चाहिए. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तभी खत्म हो जाती है जब यह किसी के अधिकारों का उल्लंघन करती हो.

बता दें कि बीजेपी युवा मोर्चा की नेता प्रियंका शर्मा ने फेसबुक पर एक ऐसी फोटो कथित रूप से शेयर की थी जिसमें न्यूयॉर्क में ‘मेट गाला’ समारोह में मौजूद एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा की तस्वीर में छेड़छाड़ कर उसमें प्रियंका की जगह ममता बनर्जी का चेहरा लगाया गया था. बाद में तृणमूल कांग्रेस के नेता विभास हाजरा की शिकायत पर प्रियंका शर्मा को पश्चिम बंगाल पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि) और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत 10 मई को गिरफ्तार किया था. इसके बाद हावड़ा की स्थानीय अदालत ने 11 मई को प्रियंका को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दिए थे.

क्या गोरखपुर में ‘मुनियाद’ गठ़जोड़ को पार कर पाएंगे योगी आदित्यनाथ

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गोरखपुर की सियासत की बात हो और चर्चा के केंद्र में ‘मठ’ न हो, ऐसा होना मुनासिब नहीं. गोरखपुर की तो सियासत ही मठ के इर्द-गिर्द घूमती है. चाहे समय हो महंत दिग्विजयनाथ का या फिर महंत अवैधनाथ का, मठ ने कई बार गोरखपुर को उसका सांसद दिया है. 1991 से लेकर 2018 तक तो गोरखपुर की सियासत पर मठ का एकछत्र राज रहा है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस सीट से 6 बार लगातार सांसद चुने गए.

योगी के यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी को यहां 27 साल के बाद हार का सामना करना पड़ा. वो भी उस समय जब देश और प्रदेश में बीजेपी अपने स्वर्णिम दौर से गुजर रही थी. इस बार बीजेपी की हालात यहां चिंताजनक है क्योंकि योगी को इस बार महागठबंधन की ताकत से भिड़ना होगा.

यूपी में बसपा-सपा-रालोद गठबंधन में चुनाव लड़ रही हैं. गोरखपुर सीट गठबंधन में सपा के हिस्से में आई है. सपा पहले यहां से वर्तमान सांसद प्रवीण निषाद को टिकट देने वाली थी लेकिन प्रवीण चुनाव से ऐन वक्त पहले बीजेपी में शामिल हो गए. ऐसे में पार्टी ने रामभुआल निषाद को चुनावी समर में उतार दिया. शुरुआत में बीजेपी ने भी यहां से किसी निषाद चेहरे पर दांव लगाने का मन बनाया था लेकिन बाद में महागठबंधन से निषाद उम्मीदवार घोषित होने के बाद भोजपुरी अभिनेता रविकिशन को अपना उम्मीदवार बनाया.

उपचुनाव में सपा ने मुनियाद ( मुस्लिम, यादव, निषाद, दलित) गठजोड़ के सहारे योगी के किले (गोरखपुर) को ढहा दिया था. महागठबंधन इस चुनाव में भी उसी रणनीति पर काम कर रहा है और यादव, मुस्लिम, दलितों को अपने पक्ष में मानकर चल रही है. अगर यह समीकरण उपचुनाव की तरह साकार होता है तो चुनाव बहुत करीबी होगा. इस तरह बीजेपी को हार भी झेलनी पड़ सकती है. अब योगी आदित्यनाथ के लिए सपा का मुनियाद गठजोड़ उनकी पेशानी पर बल लाता दिखाई दे रहा है.

हालांकि योगी आदित्यनाथ ने निषाद मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद को बीजेपी में शामिल कराकर उन्हें संतकबीरनगर से प्रत्याशी बनाया है. संजय निषाद समाज के बड़े नेता माने जाते है और निषाद पार्टी (निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. गोरखपुर में हुए उपचुनाव में प्रवीण निषाद ही सपा के उम्मीदवार थे जिन्होंने बीजेपी के उपेंद्र शुक्ला को हराया था.

पूर्वांचल में ब्राह्मण और राजपूत की अदावत से सभी राजनीतिक जानकार वाकिफ हैं. यह अदावत बीजेपी के लिए गोरखपुर में बड़ी समस्या है. भोजपुरी अभिनेता रविकिशन ब्राह्मण जाति से आते है. अब क्या राजपूत उसी लामबंदी के साथ रविकिशन को वोट देंगे, यह देखने की बात होगी. हालांकि राजपूत अन्य सीटों पर बीजेपी के साथ खड़े हैं. हालांकि पूरी स्थिति 23 मई को ही साफ हो पाएगी.

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