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BJP विधायक आकाश विजयवर्गीय गिरफ्तार, निगम अधिकारी से की थी मारपीट

इंदौर नगर निगम के अधिकारी से मारपीट करने के मामले में मध्यप्रदेश में बीजेपी के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और इंदौर विधायक आकाश विजयवर्गीय  बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय को मध्यप्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. निगम अधिकारी से मारपीट के मामले में आकाश विजयवर्गीय पर आईपीसी की धारा 353, 294, 323 506, 147, 148 के तहत एफआईआर दर्ज हुई है. आकाश ने अतिक्रमण हटाने गयी नगर निगम की टीम के साथ क्रिकेट के बैट से मारपीट की थी.

बता दें कि आकाश विजयवर्गीय का मारपीट करते हुए एक वीडियो सामने आया था. वीडियो में आकाश निगम अधिकारी से साथ मारपीट करते दिखाई दे रहे है. मामला इंदोर नगर निगम के एक अभियान से जुडा है.  आकाश विजयवर्गीय का आरोप है कि मंत्री सज्जन वर्मा के इशारे पर अतिक्रमण हटाया जा रहा है.

दरअसल, नगर निगम की टीम इंदौर के गंजी कंपाउंड इलाके में जर्जर मकान तोड़ने पहुंची तो लोग इसका विरोध करने लगे. इसी दौरान विधायक आकाश​ विजयवर्गीय अपने समर्थकों के साथ मौके पर पहुंच गए और कार्रवाई का विरोध करने लगे. विजयवर्गीय ने खुलेआम अधिकारियों को अतिक्रमण ना हटाने की चेतावनी दी. इस दौरान विधायक विजयवर्गीय के समर्थक लगातार गुंडागर्दी करते रहे. उन्होंने नगर निगम की जेसीबी मशीन की चाभी निकाल ली. खुद विधायक समर्थकों के साथ जेसीबी मशीन पर चढ़ गए और कार्रवाई का विरोध करने लगे. इस बीच विधायक और निगम अधिकारियों के बीच इस दौरान तीखी बहस हुई.

बहस के बाद आकाश विजयवर्गीय का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उन्होंने नगर निगम की टीम में शामिल एक कर्मचारी को क्रिकेट बैट से पीटना शुरू कर दिया. आकाश देर तक पुलिस और नगर-निगम के स्टाफ से भिड़े रहे. विधायक की इस हरकत को देखकर हंगामा हो गया. बीजेपी विधायक यहां से एमजी रोड थाना पहुंच गए. यहां उनके समर्थकों ने हंगामा किया. उनके समर्थकों ने नारेबाज़ी शुरू कर दी. खबर पाकर पार्टी विधायक और कैलाश विजयवर्गीय के खास रमेश मेंदोला भी थाने पहुंच गए. एसपी यूसुफ कुरैशी भी वहां पहुंच गए.  मारपीट की घटना के तुरंत बाद सरकार के मंत्री जीतु पटवारी ने कह दिय़ा था कि मारपीट के आरोपी विधायक आकाश को पुलिस आज ही गिरफ्तार कर लेगी.

पूर्व लोकसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा किस सीट से लड़ेंगे चुनाव

हरियाणा में विधानसभा चुनाव का ऐलान जल्द होने वाला है. संभावना जताई जा रही है कि चुनाव सितम्बर या अक्टूबर में हो सकते हैं. जिन नेताओं को लोकसभा चुनाव में कामयाबी नहीं मिली है, उनकी अगली आस विधानसभा चुनाव में टिकी है. ऐसे ही नेता हैं रोहतक के पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा.

दीपेंद्र को लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. उनको करीबी मुकाबले में बीजेपी के अरविंद शर्मा ने मात दी है. दीपेंद्र पहली बार 2005 के उपचुनाव में सांसद चुने गए थे जिसके बाद उनकी जीत का क्रम लगातार जारी रहा. 2014 की मोदी लहर में भी वो रोहतक से चुनाव जीतने में कामयाब रहे. लेकिन इस बार दीपेंद्र मोदी की आंधी का मुकाबला नहीं कर पाये और चुनाव हार बैठे.

लोकसभा चुनाव में हार के बाद दीपेंद्र हुड्डा अब प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होना चाह रहे हैं. दीपेंद्र ने इसके लिए विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बना लिया है. यह तो सुनिश्चित है कि दीपेंद्र विधानसभा चुनाव में भाग लेंगे, लेकिन अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि वो किस सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे. दीपेंद्र के पिता भूपेन्द्र हुड्डा भी उनको चुनाव लड़ाने के पक्ष में है. भूपेन्द्र हुड्डा, दीपेंद्र को चुनाव लड़ाने के लिए रोहतक लोकसभा की दो सीटों पर विचार कर रहे है.

रोहतक जिले में करीब दो दशक से कांग्रेस का एक-क्षत्र राज है. लेकिन करीब से देखा जाये तो यह राज कांग्रेस का नहीं अपितु भूपेन्द्र हुड्डा का है. भूपेन्द्र हुड्डा रोहतक लोकसभा सीट से चार बार सांसद चुने गए. तीन बार उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री और दिग्गज़ नेता देवीलाल को मात दी.

2014 के विधानसभा चुनाव में पूरे हरियाणा में कांग्रेस का सफाया हुआ, लेकिन हुड्डा फिर भी अपने गढ़ में कमजोर नहीं हुए. रोहतक जिले में कांग्रेस का प्रदर्शन शानदार रहा. हालांकि लोकसभा चुनाव में उनके पुत्र रोहतक से चुनाव हार गए. लेकिन नतीजों का अगर बारीकी से अवलोकन किया जाये तो दीपेंद्र सिंह हारकर भी जीते हैं. इस तथ्य का कारण है कि जब विपक्षी पार्टियों के उम्मीदवार बीजेपी प्रत्याशियों के सामने लाखों के अंतर से चुनाव हार रहे थे, वहां दीपेंद्र हुड्डा की हार का अंतर केवल सात हजार रहा.

अपने पिता की सीट से चुनाव लड़ेंगे हुड्डा

भूपेन्द्र हुड्डा अपने पुत्र दीपेंद्र हुड्डा को स्वयं की परम्परागत सीट गढ़ी सांपला किलोई चुनाव लड़ा सकते हैं. किलोई से चुनाव लड़ाने का उद्धेश्य यह है कि भूपेन्द्र हुड्डा का मानना है कि दीपेंद्र यहां आसानी से चुनाव जीतने में कामयाब हो जाएंगे. भूपेन्द्र हुड्डा किलोई विधानसभा से 1999 से लगातार विधायक चुनते आ रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने इनेलो के सतीश नांदल को करीब 47 हजार वोटों से धूल चटाई थी. हरियाणा के हिसाब से जीत का यह अंतर काफी बड़ा है क्योंकि यहां विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या कम होती है.

अब सवाल यह है कि अगर दीपेंद्र किलोई से चुनाव लड़ेंगे तो भूपेन्द्र हुड्डा किस सीट से चुनाव लड़ेगे. भूपेन्द्र हुड्डा का भी विधानसभा चुनाव लड़ना जरुरी है क्योंकि हरियाणा की राजनीति में जीवित रहने के लिए भूपेन्द्र हुड्डा का चुनाव लड़ना आवश्यक है. दीपेंद्र के किलोई सीट से चुनाव लड़ने पर संभव है कि भूपेन्द्र हुड्डा बेरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते दिखें.

बेरी भी किलोई की तरह कांग्रेस का मजबूत क्षेत्र है. पिछले चार चुनाव से बेरी में कांग्रेस जीतती आ रही है. बेरी के विधायक रघुवीर सिंह कादियान भी भूपेन्द्र हुड्डा के विश्वस्त माने जाते हैं. ऐसे में अगर भूपेन्द्र हुड्डा उनसे आग्रह करेंगे तो रघुवीर सिंह खुशी-खुशी मैदान खाली कर देंगे.

हरियाणाः विधानसभा चुनाव से पहले इनेलो को बड़ा झटका, दो विधायक बीजेपी में शामिल

हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले इंडियन नेशनल लोकदल में मची भगदड़ थमने का नाम नहीं रही है. लोकसभा चुनाव में इनेलो की बुरी हार और पार्टी के गिरते जनाधार के बीच जुलाना विधायक जाकिर हुसैन और नूह विधायक परमिंदर डुल बीजेपी में शामिल हो गए.
चंडीगढ़ बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने दोनों इनेलो विधायकों को केसरी पट्टा पहनाकर औपचारिक रूप से बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करायी. जुलाना विधायक जाकिर हुसैन के बीजेपी में शामिल होने से बीजेपी को मेवात क्षेत्र में फायदा होने की उम्मीद है.

दोनों विधायकों ने बीजेपी में शामिल होने के बाद कहा, ‘सारा देश अपने भविष्य के रुप में बीजेपी को देख रहा है. हमने भी देश का अनुसरण किया है.’ इनसे पहले इनेलो विधायक रणबीर सिंह गंगवा, केहर सिंह रावत और बलवान सिंह दौलतपुरिया भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.

दुष्यंत चौटाला को पार्टी से बाहर करने पर पार्टी के चार विधायक पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं. इन विधायकों में नरवाना के विधायक पिरथी सिंह नंबरदार, उकलाना से विधायक अनूप धानक, चरखी-दादरी के विधायक राजवीर फोगाट और डववाली की विधायक नैना चौटाला शामिल है. इनेवो को 2014 के विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. लेकिन अब पार्टी के विधायकों की संख्या सात पर आकर रह गई है.

US के विदेश मंत्री पॉम्पियो ने की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात

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अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो दिल्ली पहुंच चुके हैं. पॉम्पियो ने दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. अमेरिकी विदेश मंत्री आज भारतीय सुरक्षा सलाहाकार अजित डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मुलाकात करेंगे. पॉम्पियो ऐसे समय में भारत आए हैं जब भारत रूस से S400 मिसाइल खरीद रहा है जबकि अमेरिका रूस से एंटी मिसाइल सिस्टम S400 खरीदने की भारत की कोशिशों का विरोध कर रहा है. उसने इस मामले में भारत को प्रतिबंधित करने की धमकी भी दे रखी है.

पॉम्पियो की भारत यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात जी-20 शिखर सम्मेलन में होने वाली है. इस बार जी-20 शिखर सम्मेलन 28 जून को प्रारम्भ हो रहा है. यह सम्मेलन जापान के ओसाका में होगा.

अमेरिकी विदेश मंत्री पॉम्पियो, एस जयशंकर और अजित डोभाल अपनी मुलाकात में भारत द्वारा रूस से एस 400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद, आतंकवाद, एच1बी वीजा, व्यापार और ईरान से तेल खरीद पर अमेरिकी प्रतिबंधों से उत्पन्न होने वाली स्थिति सहित विभिन्न मुद्दों पर बातचीत करेंगे.

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव इन दिनों चरम पर है. ईरान के द्वारा अमेरिकी ड्रोन को मार गिराए जाने के बाद अमेरिका ने ईरान पर कई प्रतिबंध लगाए हैं. अमेरिका ने सभी देशों को ईरान से तेल खरीदने को मना किया है.

राहुल गांधी की अध्यक्ष पद के लिए फिर ‘ना’ कहा-गैर गांधी नेता को बनाएं अध्यक्ष

राहुल गांधी के इस्तीफे को लेकर कांग्रेस के नेताओं की अंतिम कोशिश आज फैल हो गई है. आज यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस सांसदों की एक बैठक में पार्टी के सभी सांसदों ने एक स्वर में राहुल गांधी से इस्तीफा वापिस लेने की गुजारिश की लेकिन राहुल नहीं माने. उन्होंने साफ तौर पर पार्टी सांसदों और यूपीए चैयरपर्सन से कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष नहीं रहेंगे.

हालांकि कांग्रेस सांसद शशि थरूर और मनीष तिवारी ने राहुल को अध्यक्ष बने रहने के पक्ष में तर्क दिया कि हार सिर्फ आपकी जिम्मेदारी नहीं बल्कि सामूहिक है. इसके बाद भी राहुल गांधी ने हार की नैतिक जिम्मेदारी स्वयं की मानते हुए अध्यक्ष नहीं बल्कि एक सामान्य कार्यकर्ता रहते हुए पार्टी की सेवा करने की बात कही. बता दें, इस बैठक में सभी 52 सांसदों ने शिरकत की थी लेकिन इन सबकी अपील का राहुल गांधी पर कोई असर नहीं हुआ.

राहुल गांधी के इस फैसले के बाद अब पार्टी के नए अध्यक्ष की खोज फिर से तेज हो गई है. इस पद के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, ऐके.एंटनी और केसी वेणुगोपाल सहित कई नेताओं के नाम सामने आए थे. हालांकि एंटनी और वेणुगोपाल इस जिम्मेदारी लेने के लिए पहले ही साफ तौर पर मना कर चुके हैं. प्रियंका गांधी के अध्यक्ष पद की दावेदारी के लिए राहुल गांधी खुद इंकार कर चुके हैं.

हरियाणा में सुरक्षित सीट की तलाश में दुष्यंत चौटाला

भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने मायावती पर लगाया परिवारवाद का आरोप

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बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी संगठन में बीते दिनों बड़े फेरबदल किए. उन्होंने अपने भाई आनंद कुमार को एक बार फिर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और भतीजे आकाश आनंद को राष्ट्रीय संयोजक बनाया है. भाई और भतीजे को पार्टी में अहम पद दिए जाने के बाद मायावती के परिवारवाद को लेकर आलोचना हो रही है.

इसी संबंध में भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने ट्वीट कर मायावती पर परिवारवाद की राजनीति करने का आरोप लगाया है. चंद्रशेखर ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘कांशीराम राजनीति राजकुमार बनाने की नहीं बल्कि राजकुमारों के, रजवाड़ो को गिराने की थी, पंक्ति में आखिरी में खड़े बहुजन समाज के व्यक्ति को नेता बनाने की थी. चाहते तो वो भी अपनी विरासत अपने परिवार को दे सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया था. उन्होंने बसपा के विरासत आपको सौंपी थी लेकिन आपने तो बहुत गलत किया है. बाकी कहने को ज्यादा कुछ बचा नहीं है. बस आकाश आनंदजी को बधाई.’

इसके बाद चंद्रशेखर ने कहा कि मैंने चुनाव से पहले बार-बार कहा था कि पदोन्नति में आरक्षण बिल पर अखिलेश यादव को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए, लेकिन चुनाव के समय आप शांत रही. अब जब आपको चुनाव में हार का सामना करना पड़ा तो आपको वापस प्रमोशन में रिजर्वेशन बिल याद आ रहा है. बहुजन समाज आपको अच्छी तरह से जान चुका है. वो अब आपके बहकावे में नहीं आने वाला है.

बता दें, लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद हाल ही में ट्वीट करते हुए बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा था कि सपा और अखिलेश यादव के व्यवहार के चलते उन्हें ऐसा करना पड़ रहा है.

मंडावा और खींवसर के उपचुनाव में इन नेताओं को मिल सकता है मौका

Politalks News

आने वाले दिनों में झुंझुनूं की मंडावा और नागौर की खींवसर विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना तय है. मंडावा विधायक नरेंद्र खींचड़ झुंझुनूं से और खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल नागौर से सांसद बन चुके हैं. अगले कुछ दिनों में खींचड़ और बेनीवाल विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे. इस्तीफा देने के बाद मंडावा और खींवसर में उपचुनाव होगा. कांग्रेस और बीजेपी के करीब एक दर्जन नेताओं ने इन सीटों पर टिकट हासिल करने के लिए भागदौड़ शुरू कर दी है. आइए नजर दौड़ाते हैं दोनों सीटों पर दावेदार नेताओं पर-

मंडावा
झुंझुनूं जिले की मंडावा सीट से बीजेपी और कांग्रेस के करीब दस नेता दावेदारी जता सकते हैं. बीजेपी से सांसद का चुनाव जीते नरेंद्र खीचड़ के बेटे अतुल खींचड़, राजेंद्र ठेकेदार, राजेश बाबल, महादेव पूनिया और जाकिर झुंझुनवाला दावेदारी कर सकते हैं. वहीं, सुनने में आ रहा है कि सुशीला सीगड़ा और प्यारेलाल डूकिया बीजेपी का दामन थाम चुनावी रण में उतर सकते हैं. कांग्रेस की ओर से विधानसभा चुनाव में बेहद कम अंतर से हारने वाली रीटा कुमारी प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं. उनके अलावा उनके भाई और पूर्व उप जिला प्रमुख राजेंद्र चौधरी टिकट मांग सकते हैं. पूर्व पीसीसी चीफ डॉ. चंद्रभान भी दावेदारी जता सकते हैं. पूर्व छात्रनेता दौलताराम का नाम भी चर्चा में है.

खींवसर
खींवसर सीट पर होने वाले उपचुनाव पर सबकी नजरें रहेंगी, क्योंकि विधानसभा चुनाव में यहां से आरएलपी के हनुमान बेनीवाल चुनाव जीते थे. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उनकी पार्टी से गठबंधन किया. पार्टी का यह दांव सीधा पड़ा और बेनीवाल चुनाव जीत गए. देखने वाली बात यह होगी कि बीजेपी और आरएलपी का गठबंधन उपचुनाव में जारी रहता है या नहीं. जानकार मान रहे हैं कि बीजेपी यह सीट आरएलपी को ही देगी. इस स्थिति में हनुमान की पत्नी और भाई को बड़ा दावेदार माना जा रहा है. कांग्रेस की ओर से विधानसभा चुनाव लड़ चुके पूर्व आईपीएस अधिकारी सवाई सिंह गोदारा, हरेंद्र मिर्धा और डॉ. सहदेव चौधरी दावेदारों में शामिल हैं.

कांग्रेस के पास दो सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में खोने के लिए कुछ नहीं होगा, क्योंकि विधानसभा चुनाव के समय मंडावा और खींवसर में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. फिर भी कांग्रेस दोनों सीटों पर जीत के लिए पसीना बहाएगी. यदि इनमें से एक भी सीट कांग्रेस जीत जाती है तो पार्टी को अपने बूते बहुमत का आंकड़ा पार कर लेगी. आपको बता दें कि राजस्थान में अभी कांग्रेस के 100 विधायक हैं जबकि एक विधायक सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल का है.

हालांकि कांग्रेस को अभी भी बहुमत की कोई समस्या नहीं है. अशोक गहलोत सरकार को बसपा के छह और 11 निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है जबकि बीजेपी के राज्य में 73 विधायक हैं. यानी दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस का फोकस बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने का नहीं, ब​ल्कि लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार से मिले जख्मों को भरने पर होगा. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा-साफ हो गया था. पार्टी का एक भी उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल नहीं रहा.

आप विधायक को सरकारी कार्य में बाधा डालने के मामले में तीन साल की सजा

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दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी की मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही है. अब पार्टी पर ताजा आफत एक विधायक को मिली सजा के रुप में आई है. दिल्ली की एक अदालत ने पार्टी के कोंडली विधायक मनोज कुमार को तीन महीने कारावास की सजा सुनाई है. मनोज कुमार को यह सजा चुनाव प्रकिया में बाधा डालने के मामले में सुनाई गई है. यह मामला 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में कल्याणपुरी थाने में दर्ज कराया गया था.

राउज एवेन्यू अदालत के एसीएमएम समर विशाल ने मनोज कुमार को सरकारी काम में बाधा डालने, चुनाव केंद्र में माहौल खराब करने की धाराओं में 4 जून को दोषी करार दिया था. आज उसी मामले में आप विधायक मनोज कुमार को तीन साल की सजा सुनाई गई है.

पुलिस के मुताबिक मतदान समाप्त होने के बाद जैसे ही मतदानकर्मी मतपेटियों को लेकर जा रहे थे. उसी समय आप प्रत्याशी मनोज कुमार और उनके समर्थकों ने गेट बंद करकर उसके सामने बैठ गए. इसके बाद मतपेटियों को दूसरे रास्ते से बाहर निकाला गया था. हालांकि मनोज कुमार ने कोर्ट में पुलिस के लगाए गए आरोपों को खारिज किया था.

जजपा नेता दुष्यंत चौटाला किस सीट से लड़ेंगे विधानसभा चुनाव

हरियाणा में सितम्बर-अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. चुनाव की तैयारियों को लेकर सभी पार्टियों ने अपनी रणनीति पर काम करना शुरु कर दिया है. बीजेपी लोकसभा चुनाव में मिली भारी जीत के बाद आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रही है. वहीं विपक्षी दल उम्मीद कर रहे है कि विधानसभा चुनाव के परिणाम लोकसभा चुनाव से बिल्कुल विपरित होंगे. इसी आस में जजपा नेता दुष्यंत चौटाला इन दिनों अपने लिए सुरक्षित सीट की तलाश में लगे हैं.

दुष्यंत चौटाला ने लोकसभा चुनाव में हिसार सीट से चुनाव लड़ा था. यहां उनको बीजेपी के बृजेंद्र सिंह के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा. बृजेंद्र पूर्व केन्द्रीय मंत्री वीरेन्द्र सिंह के पुत्र हैं. लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने आईएस के पद से वीआरएस देकर चुनाव लड़ा था. लोकसभा चुनाव में हार के बाद दुष्यंत अपनी जगह विधानसभा में सुनिश्चित करना चाहते हैं. फिलहाल दुष्यंत का ध्यान दो सीटों पर है.

उचाना कलां:
दुष्यंत जींद जिले की इस सीट से इस बार अपना भाग्य आजमा सकते हैं. हालांकि जाट बाहुल्य मानी जानी वाली इस सीट पर दुष्यंत 2014 में भी चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन तब वो चुनाव नहीं जीत पाये थे. उनको वीरेन्द्र सिंह की पत्नी प्रेमलता ने करीब 7 हजार वोटों से मात दी थी. पिछले चुनाव में हार के बावजूद दुष्यंत इस सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.

दुष्यंत के इस सीट से चुनाव लड़ने के पीछे बड़ा कारण यह है कि इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला स्वयं उचाना कला से विधायक रह चुके हैं. दुष्यंत यहां से चुनाव लड़कर हरियाणा को यह संदेश देना चाहते है कि चौटाला परिवार की राजनीतिक विरासत के असली वारिस वो स्वयं ही हैं.

इस सीट के चुनाव का दूसरा बड़ा कारण बृजेन्द्र सिंह का हिसार लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुना जाना है. दुष्यंत को हराकर बृजेंद्र लोकसभा सांसद बन चुके हैं. पिता पहले ही राज्यसभा सांसद है तो इस बार विधानसभा चुनाव में मुमकिन है कि बीजेपी वर्तमान विधायक और वीरेन्द्र की पत्नी प्रेमलता की जगह किसी अन्य उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारे. अगर बीजेपी उम्मीदवार वीरेन्द्र सिंह के परिवार से बाहर का होगा तो चुनाव में दुष्यंत के जीतने की संभावना ज्यादा होगी.

डबवालीः
2009 विधानसभा चुनाव में इस सीट से दुष्यंत के पिता अजय चौटाला विधायक चुने गए थे. लेकिन शिक्षक भर्ती घोटाले में सजा होने के बाद दुष्यत की मां नैना चौटाला ने मोर्चा संभाला और पहली बार चुनाव मैदान में उतरी. उन्होंने कांग्रेस नेता कर्मवीर सिंह को करीब 9 हजार वोटों से मात दी.

अगर बीजेपी वीरेन्द्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को उचाना कला से चुनाव लड़वाती है तो संभव है दुष्यंत अपनी मां नैना चौटाला की सीट डबवाली से भाग्य आजमाएं. इंडियन नेशनल लोकदल पिछले चार चुनाव से यहां अपराजय है. लेकिन दुष्यंत इस बार इनेलो के टिकट पर नहीं बल्कि जननायक जनता पार्टी के बैनर पर चुनाव लडते नजर आएंगे.

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