होम ब्लॉग पेज 3170

राजस्थान में एक साल बढ़ेगा पंचायत सहायकों का कार्यकाल

PoliTalks news

राजस्थान में पंचायत सहायकों का कार्यकाल एक साल बढ़ाया जाएगा. यह जानकारी प्रदेश के डिप्टी सीएम और ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री सचिन पायलट ने विधानसभा में दी. उन्होंने बताया कि पंचायत सहायकों के कार्यकाल को आगे बढ़ाने के लिए प्रशासनिक स्वीकृति जारी की जा चुकी है. वित्तीय स्वीकृति प्राप्त होते ही कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया जाएगा.

शून्यकाल में इस संबंध में उठाये गये मुद्दे पर हस्तक्षेप करते हुए पायलट ने बताया कि पंचायत सहायकों के लिए जो व्यवस्था दो वर्ष पहले बनाई गई थी, उसको आगे बढ़ाया जाना चाहिए. इसके अनुसार प्रतिवर्ष इनके कार्यकाल को एक-एक वर्ष के लिए बढ़ाया जाता है. पायलट ने जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 26,383 पंचायत सहायक हैं. इन्हें प्रतिमाह 6 हजार रुपये वेतन दिया जा रहा है.

लोकसभा में हार के बाद पहली बार अमेठी पहुंचेंगे राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी कल अमेठी दौरे पर रहेंगे. वे गौरीगंज के एक इंस्टीट्यूट में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर चुनाव में हुई हार की समीक्षा करेंगे. लोकसभा चुनाव हारने के बाद यह उनका पहला अमेठी दौरा है. अमेठी गांधी परिवार की परम्परागत सीट है जहां से राहुल गांधी खुद तीन बार सांसद रहे हैं. हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी की स्मृति ईरानी ने 50 हजार से अधिक वोटों से मात दी है.

राहुल गौरीगंज के निर्मला इंस्टीट्यूट ऑफ वूमेन एजूकेशन एंड टेक्नोलॉजी में दोपहर 12 से तीन बजे तक कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे. इस दौरान राहुल गांधी जिला से लेकर ग्राम स्तर के पदाधिकारियों की राय के विचार लेंगे. इस दौरान यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि चुनाव में किस स्तर पर चूक हुई है. राहुल गांधी के साथ AICC के सेक्रेटरी जुबैद अहमद भी मौजूद रहेंगे.

राहुल के कार्यक्रम की पुष्टि करते हुए जिलाध्यक्ष योगेंद्र मिश्र ने बताया कि बैठक में जिला, विधानसभा क्षेत्र व ब्लॉक कमेटी के अलावा न्याय पंचायत व ग्राम पंचायत अध्यक्ष, फ्रंटल संगठनों के पदाधिकारी तथा लोकसभा क्षेत्र के पार्टी के वरिष्ठ नेता व संभ्रांत लोग मौजूद रहेंगे. राहुल के कार्यक्रम की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया बनेंगे कांग्रेस अध्यक्ष!

भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के खिलाफ योगी का फरमान, 22 को किया जबरन विदा

PoliTalks news

भ्रष्टाचार को कम करने की पीएम नरेंद्र मोदी की मुहिम में एक कदम और आगे बढ़ते हुए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 22 पुलिसकर्मियों को जबरन रिटायरमेंट दे दिया है. ये सभी पुलिसकर्मी वाराणसी के हैं और 50 साल की आयु पूरी कर चुके हैं. इन सभी पुलिसकर्मियों पर अनुशासनहीनता, कदाचार और भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हैं. इनमें कुछ कांस्टेबल और अन्य हेड कांस्टेबल हैं. इन सभी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा रही है.

पिछले दिनों गृह विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्ट और नकारा अफसरों को जबरन सेवानिवृत्ति देने के निर्देश दिए थे. योगी ने कहा था कि उन अधिकारियों और कर्मचारियों की जरूरत नहीं है जो कानून व्यवस्था के प्रति ईमानदार नहीं बरतते. मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अपराधियों से सांठगांठ रखने वाले पुलिसकर्मियों की पहचान की जाए क्योंकि वर्दी के नाम पर कलंक बन चुके लोगों की विभाग में कोई जगह नहीं है.

मुख्यमंत्री योगी ने जेलों को अपराधियों के आराम और अपराध संचालन का अड्डा बनने पर नाराजगी जताई थी. उन्होंने निर्देश दिया कि ऐसे लोगों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें. आंकड़े नहीं जनता के भरोसे को कानून-व्यवस्था का पैमाना बनाएं. इस भरोसे से ही जनता में सकारात्मक संदेश जाता है. रेंज स्तर पर ऐसे 10 अपराधियों की सूची बनाकर उनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

क्या वाराणसी से संकट में पड़ेगी नरेंद्र मोदी की जीत? यह है मामला

PoliTalks news

क्या वाराणसी संसदीय सीट से भारी अंतर से जीत दर्ज करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी सीट खोनी पड़ सकती है? क्या लोकसभा चुनाव के परिणाम के दो महीने बाद उन्हें वहां से हारा हुआ घोषित किया जा सकता है? ऐसे कुछ सवाल सभी के दिमाग में चल रहे हैं. अब सवाल ये हैं कि आखिर ऐसे सवाल उठे क्यों? इसका भी जवाब हमारे पास है. दरअसल, सेना के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव ने हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट से सांसद चुने गए पीएम नरेंद्र मोदी के निर्वाचन को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. यादव का मानना है कि अगर वे चुनावी मैदान में होते तो परिणाम कुछ और ही होता.

दायर की गई याचिका में कहा गया है कि वाराणसी के डीएम व रिटर्निंग अफसर ने पीएम नरेंद्र मोदी के दबाव में मनमाने तरीके से उनका नामांकन पत्र खारिज किया था. पर्चा खारिज होने की वजह से वह चुनाव नहीं लड़ सके. तेज बहादुर का दावा है कि अगर वह चुनाव मैदान में होते तो फैसला बदल जाता. ऐसे में वाराणसी सीट पर निष्पक्ष चुनाव नहीं हुआ, इसलिए पीएम मोदी के निर्वाचन को रद्द कर वाराणसी सीट पर नये सिरे से चुनाव कराया जाना चाहिए. यादव ने अर्जी में अपने नामांकन पत्र को खारिज किए जाने को आधार बनाया है.

तेज बहादुर ने अपनी यह अर्जी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के सामने दाखिल की है. हालांकि अभी उनकी यह अर्जी मंजूर नहीं हुई है. उम्मीद है कि तेज बहादुर की इस अर्जी पर अदालत अगले हफ्ते सुनवाई कर सकती है. हालांकि इस तरह का किस्सा कोई नया नहीं है. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी वाराणसी सीट से पीएम मोदी के निर्वाचन को चुनौती दी गई थी. उस वक्त तत्कालीन कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय ने चुनाव याचिका दाखिल कर गंभीर आरोप लगाए थे, जिसे सालों चली सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था.

कर्नाटक विधायकों के इस्तीफे पर स्पीकर आज लेंगे फैसला

मंगलवार को जैसे ही कर्नाटक विधानसभा का द्वार खुलेगा, मुख्यमंत्री कुमार स्वामी और उनकी कांग्रेस गठबंधन सरकार के भविष्य का फैसला हो जायेगा। 13 विधयकों के एक साथ इस्तीफ़ा देने के बाद सरकार पर अल्प मत पर आने का खतरा मंडराने लगा था।

कल शाम 2 निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापसी के बाद कांग्रेस-जेडीएस के पास 104 विधयकों का समर्थन बचा है। अगर आज विधानसभा स्पीकर इन इस्तीफों को स्वीकार करते हैं तो सरकार का गिरना तय है।

बहुमत साबित करने की नोबत अगर आती है तो यहां बीजेपी सीधे तौर पर आसानी से बहुमत साबित कर देगी क्योंकि निर्दलीय विधायक आर शंकर और एच नागेश ने न केवल मंत्री पद से इस्तीफा दिया है बल्कि समर्थन भी वापस ले लिया है। दोनों bjp को समर्थन देंगे, ये पक्का है। ऐसे में येदुरप्पा नई सरकार के मुख्यमंत्री बनेगे।

बैकफुट पर कर्नाटक सरकार, दो निर्दलीय विधायकों ने वापस लिया समर्थन

कर्नाटक सरकार में कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है हाल ही में 13 विधायकों के एक साथ इस्तीफा देने के बाद कर्नाटक सरकार में दो निर्दलीय मंत्रियों ने अपना समर्थन कुमार स्वामी सरकार से वापस ले लिया है। इन दोनों के समर्थन वापिस लेने के बाद में अब कर्नाटक की जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार के कुल विधायकों की संख्या केवल 104 रह गई है। यह संख्या समर्थन से दो विधायक दूर है।

निर्दलीय विधायक एच नागेश ने आज सुबह ही अपना इस्तीफा दिया है। और राज्यपाल को समर्थन वापस लेने के लिए एक चिट्ठी भी लिखी है खबर आई है कि एक अन्य निर्दलीय विधायक और शंकर ने भी अपने इस्तीफे की पेशकश की है और इस्तीफा देने के बाद मुंबई रवाना हो गए हैं।

राजभवन ने एक बयान जारी कर कहा कि कर्नाटक के मंत्री और निर्दलीय विधायक आठ शंकर ने पद से इस्तीफा देकर बीजेपी को समर्थन करने की बात कही है। इस्तीफा देने के बाद आर शंकर मुंबई रवाना हो गए हैं जहां बाकी के अन्य बागी विधायकों के ठहरे होने की सूचना है।

दोनों विधायकों को मिलाकर अब तक 15 विधायकों ने कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार से अपना समर्थन वापस लिया है जिससे सरकार पर संकट गहरा गया है। सभी इस्तीफा के स्वीकार होने पर सत्तारूढ़ गठबंधन के बहुमत गंवाने का खतरा है।

राजस्थान विधानसभा में गूंजा शास्त्रीनगर मामला, गहलोत पर उठे सवाल

फिर से शुरू हुई राजस्थान विधानसभा में आज जयपुर के शास्त्रीनगर इलाके में मासूमों को 9 दिन के अंतराल में अगवा कर दुष्कर्म करने का मामला गूंज उठा. सांगानेर से विधायक अशोक लाहोटी ने इस मामले में सरकार पर जमकर निशाना साधा. बजट सत्र के दौरान उन्होंने कहा कि अपराधी 65 बार दुष्कर्म की घटनाओं में वांछित है. मुख्यमंत्री को दिल्ली से फुर्सत नहीं है. वे अपने पार्टी के मुखिया को मनाने के लिए 65 बार दिल्ली की यात्रा कर चुके हैं.अपराधी सात दिन तक पुलिस की गिरफ्त से दूर रहा. पूरे प्रदेश में दुष्कर्म की घटना बढ़ी हैं. वहीं प्रताप सिंह खाचरियावास ने लाहोटी पर राजनीति करने का आरोप लगाया.

चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह ने विधानसभा में उठाया हिंदूस्तान जिंक का मुद्दा

राजस्थान विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव 50 के अंतर्गत बोलते हुए आज चित्तौड़गढ़ के बीजेपी विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने हिंदूस्तान जिंक प्लांट और उसके कारण आसपास फैल रहे प्रदूषण का मुद्दा सदन में उठाया. उन्होंने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में हिंदूस्तान जिंक का एक प्लांट है. इस प्लांट के होने से आसपास वायु प्रदूषण तो फैल ही रहा है, प्लांट से निकलने वाले एसिड के प्रभाव से आसपास का पानी भी दूषित हो रहा है. प्लांट के पास एक नदी निकलती है और प्लांट का एसिड उसी नदी में छोड़ दिया जाता है जिससे नदी में मछलियां तो दम तोड़ ही रही हैं, उस प्रदूषित पानी को पानी से जानवार भी मर रहे हैं.

चंद्रभान ने अपने विधानसभा क्षेत्र के बिलिया गांव की स्थिति साझा करते हुए बताया कि इस गांव में 300-400 मीटर तक खोदने पर भी पीने लायक पानी उपलब्ध नहीं है. कई-कई किमी.तक केवल पीने का पानी लाने जाना पड़ता है. यहां कोई भी जानवर दो महीने से ज्यादा जीवित नहीं रहता और यह सब इस प्लांट और इससे हो रहे प्रदूषण की वजह से है.

चित्तौड़गढ़ विधायक ने यह भी कहा कि इस बारे मेें शिकायत करने पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि शायद हिंदूस्तान जिंक की जड़े इतनी गहरी हैं जो सरकार से भी मिली हुई हों, इसलिए कोई सुनवाई नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि हालात इस कदर बिगड़े हुए हैं कि यहां के लोग पलायन करने पर बेबस हैं.

उन्होंने विधानसभा में मांग की कि यही से एक समिति गठि​त कर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से रिपोर्ट तैयार की जाए ताकि सारी स्थिति का सच पता चल सके. उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से रिपोर्ट कराने का कोई फायदा अभी तक नहीं हुआ क्योंकि वे वास्तविक रिपोर्ट दबा जाते हैं. इस दौरान उन्होंने स्थानीय चारागाह पर कब्जा करने की बात भी बताई. इस मसले पर उन्होंने सरकार से भी जवाब दिलाने की पेशकश की.

ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथ आएगी कांग्रेस की कमान!

राहुल गांधी के इस्तीफे के सार्वजनिक होने के बाद कांग्रेस में इस्तीफों का दौर जारी है. कल मुम्बई कांग्रेसाध्यक्ष मिलिंद देवड़ा के अपने पद से इस्तीफा देने की कुछ समय बाद ही कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिमी उत्तरप्रदेश के प्रभारी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कल शाम अपने पद इस्तीफा दे दिया. दोनों ही कांग्रेस के युवा नेता हैं.

हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए बयान दिया कि ‘अब कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में एक गतिशील युवा नेता की उम्मीद है. CWC से आग्रह है कि युवा भारत की युवा आबादी के लिए युवा नेता की जरूरत पर ध्यान दें.’ कैप्टन के इस ताजा बयान के बाद से कांग्रेस के नए अध्यक्ष के तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम की अटकलें शुरू हो गई हैं. हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को हाल में हुए लोकसभा चुनाव में गुना सीट से हार का सामना करना पड़ा है.

स्व. माधवराव सिंधिया के पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया को राजनीति की सौगात विरासत में मिली है. उनके पिता 9 बार लगातार सांसद रहे और कभी चुनाव नहीं हारे. फिर चाहे उन्होंने चुनाव निर्दलीय लड़ा हो या फिर कांग्रेस के झंडे के नीचे. अपने पिता के निधन के बाद हावर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2002 में पहली बार राजनीति में कदम रखा और मध्यप्रदेश की गुना लोकसभा सीट से जीत हासिल की. उन्होंने अपने प्रतिद्धंदी बीजेपी के देशराज सिंह यादव को करीब साढ़े 4 लाख वोटों से मात दी. 2014 में मोदी लहर के बावजूद उन्होंने गुना संसदीय सीट से एक लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी.

उनके राजनीतिक सोच और रणनीति का ही नतीजा था कि 2018 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में उनके नेतृत्व में बीजेपी के शिवराजसिंह चौहान की प्रभुता समाप्त हुई और सत्ता की बागड़ौर कांग्रेस के हाथ में आई. उस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी जताई थी. हालांकि गांधी परिवार का नजदीकी होने का फायदा उठा कमलनाथ सीएम की कुर्सी पर काबिज हो गए, लेकिन इस घटना से ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजनीतिक कद का अहसास लोगों को भलीभांति हो गया.

राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद सियासी गलियारों में उनका नाम कहीं शामिल नहीं था लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरिन्दर सिंह के किसी युवा हाथों में पार्टी की कमान सौंपने संबंधित हालिया बयान के बाद अचानक से कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल भी हुए और सबसे आगे वाले पायदान पर आकर खड़े हो गए. मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तर के बाहर पोस्टर लगाकर राहुल गांधी से की जा रही अध्यक्ष बनाने की मांग ज्योतिरादित्य सिंधिया के बढ़ते राजनीतिक कद और लोकप्रियता को बयां करती है.

सिंधिया के समर्थन में जो पोस्टर लगा है, उस पर लिखा है, ‘आदरणीय राहुल गांधी जी से अपील, हमारे देश के गौरव एवं मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनकी कार्यशैली के अनुरूप राष्ट्रीय नेतृत्व देने की अपील.’ हालांकि इस पोस्टर पर किसी नेता का नाम नहीं है. पोस्टर पर समस्त कार्यकर्ता मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी लिखा है. ये काम किसी ने भी किया हो लेकिन केंद्रीय संगठन में चल रही उठापटक के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया का इस तरह लोकमत हासिल करना उन्हें मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ के बराबर लाकर खड़ा कर रहा है.

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश विधानसभा से ही प्रदेश में सिंधिया और कमलनाथ के दो धड़े बन गए थे. चुनाव परिणाम के बाद दोनों धड़ों ने अपने-अपने नेता को सीएम कुर्सी संभलवाने की बात आलाकमान तक पहुंचाई थी. मामला उलझते देख राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य को बहला-फुसला कर बड़ी चालाकी से कमलनाथ को सत्ता की बागड़ौर संभला दी. लेकिन टकराव यहां खत्म नहीं हुआ और लोकसभा में फिर से ये धड़ा अलग-अलग राजनीति करते नजर आया.

हालांकि खामियाजा ज्योतिरादित्य सिंधिया को हुआ और गुना लोकसभा सीट से उन्हें अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा. दूसरी ओर, कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ को छिंदवाड़ा से एकमात्र जीत हासिल हुई. हालांकि इस जीत का नकुलनाथ और कमलनाथ को कितना फायदा हुआ, इसका तो पता नहीं लेकिन यह हार भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए फायदे का सौदा लेकर आती दिख रही है.

यह तो तय है कि राहुल गांधी अब अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा वापिस नहीं लेंगे. अब कै.अमरिन्दर सिंह के बयान और सीनियर नेताओं को खुद ही रास्ता साफ कर देने की नसीयत के बाद आलाकमान भी इस बारे में विचार कर रहा है. राहुल भी युवा चेहरे को बागड़ौर संभलाने में इच्छुक हैं. ऐसे में युवा चेहरे के तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट का नाम सबसे पहले आता है. लेकिन इस रैस में सिंधिया आगे माने जा रहे हैं. अगर आलाकमान युवा चेहरे को मौका देता है तो ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस का नया कप्तान बनना तय है. साथ ही मिलिंद देवड़ा को केंद्र में नई जिम्मेदारी मिल जाए तो इसमें ताज्जुब की कोई बात नहीं होगी.

Evden eve nakliyat şehirler arası nakliyat