Politalks.News/Rajasthan. केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में देशभर में ‘किसान अधिकार दिवस’ के रूप में कांग्रेस के धरने प्रदर्शन के बीच प्रदेश कांग्रेस ने शुक्रवार को राजधानी जयपुर में राजभवन का घेराव किया और सिविल लाइंस फाटक पर एक सभा का आयोजन किया गया. किसान आंदोलन के समर्थन में आयोजित इस सभा को कांग्रेस के कई नेताओं ने संबोधित किया और केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. वहीं कांग्रेस के इस धरना-प्रदर्शन पर सवाल उठाए. नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने इसे नाटक करार देते हुए लोकतंत्र के लिए ऐसी स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया, तो वहीं राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस का धरना-प्रदर्शन व राजभवन घेराव की नौटंकी संविधान की मर्यादाओं को तार-तार करने के समान है.
किसान आंदोलन के समर्थन में हुए कांग्रेस के प्रदर्शन पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने सवाल उठाए हैं. कटारिया ने कहा कि जो पार्टी 54 साल दिल्ली में सत्ता में रही, वह अगर किसानों के लिए अच्छे काम कर देती तो आज किसानों के रोने की स्थिति नहीं होती. कटारिया ने आगे कहा कि कांग्रेस के राज में किसान बर्बाद हुआ. कांग्रेस राज में ही स्वामीनाथन आयोग का गठन हुआ और उसी आयोग की सिफारिशों को मौजूदा सरकार ने लागू किया है.
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नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि मौजूदा मोदी सरकार ने किसान की लगातार पैरवी की है, इसीलिए किसान को आज इन कानूनों से लाभ की स्थिति हुई है लेकिन कांग्रेस किसानों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहा रही है. कटारिया ने कहा कि जिसको लॉ एंड ऑर्डर बनाना है, उसी सरकार की उपस्थिति में राज्यपाल का घेराव करने की कोशिश की गई, लोकतंत्र के लिए ऐसी स्थिति बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.
वहीं विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा स्वयंभू किसान हितैषी बनकर केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ राजभवन का घेराव करना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. राठौड़ ने कहा कि कृषि कानूनों के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय ने 4 सदस्यीय कमेटी गठित की है जो सरकार और किसानों का पक्ष समझते हुए न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. इसके पश्चात् भी कांग्रेस पार्टी राजभवन का घेराव कर संविधान को न केवल गहरी चोट पहुंचाने का काम कर रही है बल्कि न्यायपालिका के फैसले पर भी प्रश्नचिन्ह भी लगा रही है.
राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि केन्द्रीय कृषि कानूनों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सर्वोच्च न्यायालय से कई बार हस्तक्षेप करने की गुहार लगा चुके हैं. जब सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान प्रदत्त अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए कृषि कानूनों के संबंध में कमेटी गठित कर दी है तो अब कांग्रेस का धरने-प्रदर्शन का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. कांग्रेस के इस कृत्य से यह सिद्ध होता है कि उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा ही नहीं है. राठौड़ ने कहा कि न्यायपालिका के फैसले के विपरीत कांग्रेस का धरना-प्रदर्शन व राजभवन घेराव की नौटंकी संविधान की मर्यादाओं को तार-तार करने के समान है.
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उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि देश में 52 वर्षों तक शासन करने वाली कांग्रेस ने किसानों के अधिकार व उनके हितों के बारे में कुछ नहीं किया है. अगर कांग्रेस पार्टी किसानों के हितों के बारे में सोचती तो उन्हें आज किसान अधिकार दिवस का आयोजन कर स्वयं को किसान हितैषी सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं पड़ती. राठौड़ ने कहा किसानों को धोखा दे रही कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में किसानों के बारे में की गई घोषणाओं पर अब यू-टर्न लेते हुए अपने ही घोषणा पत्र को गलत साबित करने में लगी हुई है.
वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करते हुए राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि एनडीए सरकार ने किसानों के हित में इतने क्रांतिकारी व कल्याणकारी कदम उठाए हैं, जितने पहले किसी सरकार ने नहीं उठाए. वर्ष 2008 में तत्कालीन यूपीए शासन के कालखंड में किसानों पर 6 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था लेकिन किसानों को अंधेरे में रखते हुए महज 52 हजार करोड़ रुपये की ही कर्जमाफी की गई वह भी भारी अनियमितता की भेंट चढ़ गई थी. कांग्रेस ने किसानों को कर्जमाफी के नाम पर सिर्फ धोखा देने का ही काम किया है जो आज भी अनवरत् जारी है. वहीं दूसरी तरफ वर्तमान में केन्द्र सरकार पीएम किसान सम्मान निधि के तहत बिचौलियों को समाप्त कर किसानों को सीधे बैंक खातों में 6 हजार रुपये प्रतिवर्ष प्रदान कर उन्हें स्वावलंबी और सशक्त बनाने का प्रयास कर रही है.