Politalks.News/NarendraModi. सालभर से कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रही दुनिया को जल्द ही राहत मिलने वाली है. भारत समेत दुनिया के कई देशों में वैक्सीन्स पर तेजी से काम चल रहा है और कई एक्सपर्ट्स का दावा है कि भारत में अगले साल की शुरुआत में लोगों के लिए टीका उपलब्ध भी हो जाएगा. मोदी सरकार ने भी वैक्सीन के वितरण के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं. इसी कड़ी में भारत में कोरोना वायरस की बन रही वैक्सीन के काम का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की तीन प्रयोगशालाओं का दौरा किया. वह शनिवार को सबसे पहले अहमदाबाद पहुंचे और जाइडस कैडिला के प्लांट में कंपनी के टीके की समीक्षा की, यह समीक्षा डेढ़ घंटे चली. पीएम मोदी इसके बात हैदराबाद पहुंचे और भारत बायोटेक के प्लांट में टीके पर काम की समीक्षा की तथा दिन के अंत में वह पुणे पहुंचे.
पीएम मोदी ने सीरम इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों से बात कर वैक्सीन निर्माण के काम की समीक्षा की. बता दें, सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविड-19 टीके के लिए वैश्विक दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी की है.
पीएम मोदी शनिवार को सबसे पहले अहमदाबाद पहुंचे. प्रधानमंत्री मोदी टीका विकास की जानकारी लेने के लिए हवाई अड्डे से अहमदाबाद के नजदीक स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी जाइडस कैडिला के संयत्र में गए और यहां उन्होंने कोरोना वायरस के टीके को लेकर तैयारियों की समीक्षा की. अहमदाबाद शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर चांगोदर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित इस संयंत्र में प्रधानमंत्री का सुबह करीब साढ़े नौ बजे से एक घंटे रहने का कार्यक्रम तय था. इसके बाद पीएम मोदी हैदराबाद के लिए रवाना हो गए. उल्लेखनीय है कि जाइडस कैडिला ने कोविड-19 के खिलाफ जाइकोव-डी नामक संभावित टीके का विकास किया है जिसके पहले चरण का क्लीनिकल परीक्षण पूरा हो चुका है और कंपनी ने अगस्त से दूसरे चरण का परीक्षण शुरू किया था.
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कोविड-19 की रोकथाम के टीके के विकास की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को अहमदाबाद से यहां पहुंचे. हैदराबाद के हकीमपेट वायु सेना केंद्र पर उतरने के बाद तेलंगाना के मुख्य सचिव सोमेश कुमार, पुलिस महानिदेशक और अन्य अधिकारियों ने उनका स्वागत किया. फिर प्रधानमंत्री वायु सेना केंद्र से करीब 20 किलोमीटर दूर जीनोम वैली स्थित भारत बायोटेक की इकाई गए और टीके के विकास के कार्यों का जायजा लिया. गौरतलब है कि भारत बायोटेक कोविड-19 की रोकथाम के लिए संभावित टीके कोवैक्सिन का विकास भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय विषाणुविज्ञान संस्थान के साथ मिलकर कर रहा है, जिसका तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है.
हैदराबाद में जीनोम वैली स्थित भारत बायोटेक की बीएसएल-3 (जैव-सुरक्षा स्तर 3) इकाई में टीके का विकास किया जा रहा है और यहीं इसका उत्पादन किया जाएगा. प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों और कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों से कोवैक्सिन के बारे में जानकारी प्राप्त की. भारत बायोटेक के संयंत्र में करीब एक घंटा बिताने के बाद पीएम मोदी पुणे रवाना हो गए. यहां उन्हें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) जाकर वैज्ञानिकों से टीके के बारे में जानकारी लेनी थी.
भारत और लक्जमबर्ग के बीच डील, उपलब्ध कराएगा रेफ्रीजिरेटर
लक्जमबर्ग के प्रधानमंत्री जेवियर बेटटेल ने गुजरात में वैक्सीन ट्रांसपोर्टेशन प्लांट लगाने का ऑफर दिया, जिसे पीएम मोदी ने स्वीकार कर लिया है. इसके बाद देश के सभी गांवों में वैक्सीन को उपलब्ध कराना और आसान हो जाएगा. दिल्ली और अहमदाबाद में स्थित आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, लक्जमबर्ग फर्म बी मेडिकल सिस्टम्स अगले सप्ताह गुजरात में एक हाई लेवल टीम भेज रही है, जोकि वहां सोलर वैक्सीन रेफ्रीजिरेटर, फ्रीजर और ट्रांसपोर्ट बॉक्स सहित एक वैक्सीन कोल्ड चेन बनाएगी. चूंकि, एक पूरा प्लांट बनाने में लगभग दो साल का समय लग जाएगा, इस वजह से कंपनी ने लक्जमबर्ग से रेफ्रीजिरेशन बॉक्स मंगाकर शुरुआत करने का फैसला किया है. रेफ्रीजिरेटेड ट्रांसपोर्ट बॉक्स के जरिए से चार डिग्री सेल्सियस से लेकर शून्य से 20 डिग्री कम तक वैक्सीन को सुरक्षित किया जा सकेगा. लक्जमबर्ग के प्रस्ताव की विदेश मंत्री एस जयशंकर खुद मॉनिट्रिंग कर रहे हैं.