पॉलिटॉक्स न्यूज़. राजस्थान विधानसभा बजट सत्र की कार्यवाही तीन दिन के अवकाश के बाद सोमवार को फिर शुरू हुई. इस दौरान नागौर जिले के चौरड़ी थाना इलाके के करनु गांव के दो दलित युवकों के साथ दंबगों द्वारा किए गए अमानवीय कृत्य पर विपक्ष ने हंगामा मचाया. रालोपा से खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल ने इस घटना में नागौर एसपी पर लापरवाही का आरोप लगाकर निलंबित करने और थानागाजी रेप केस की तर्ज पर मुआवजा दिलाने की मांग की तो वहीं नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने भी इस मामले में पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाये.
रालोपा विधायक नारायण बेनीवाल ने शून्यकाल में सदन में कहा कि इस मामले में आरोपी दलित युवकों के साथ 16 तारीख को बर्बर तरीके से मारपीट करते हैं. इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस बजाय आरोपियों को पकडने के समझोते का प्रयास करती है. इसके बाद मारपीट की सामान्य धाराओं में केस दर्ज किया जाता है. एक तरफ सरकार दलित उत्पीडन पर ठोस कार्रवाई की बात करती है वहीं दूसरी तरफ पुलिस अधिकारियों को बचाने के लिए विपक्ष की आवाज को दबाने काम करती है. इस मामले में एसपी को निलंबित किया जाए और थानागाजी रेप केस की तरह पीडितों को मुआवजा दिया जाए. इसके साथ ही नारायण बेनीवाल ने मांग करते हुए कहा कि इस मुद्दे को सदन में चर्चा के लिए रखा जाए अन्यथा हम धरने पर बैठ जाएंगे.
वहीं नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी इस मामले में पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि इतना अमानवीय कृत्य होने के बावजूद पुलिस की हिम्मत कैसे हुई कि वह पीड़ित पर समझौते का दबाव डाले. इस मामले में पुलिस ने हल्की धाराएं लगाकर आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है. कटारिया ने आगे कहा कि सरकार इस मामले में दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई नहीं करके उन्हें बचाने का काम रही है, सरकार को इस पर जवाब देना चाहिए. कटारिया की इस बात को लेकर सदन में जमकर हंगामा हुआ. इस पर नाराज रालोपा के तीनों विधायक जहां वेल में आकर बैठे गए तो बीजेपी विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया. हालांकि कुछ देर बाद बीजेपी विधायक सदन में लौट आए आरएलपी विधायकों ने भी सीपी जोशी के कहने पर वेल से उठकर अपने स्थान पर बैठ गए.
शाम को दुबारा गर्माया मामला
सदन में चल रही बजट बहस के दौरान नागौर मामला शाम को एक बार फिर से गर्माया. रालोपा विधायक नारायण बेनीवाल व पुखराज गर्ग ने एक बार फिर से इस मुददे का उठाया और एसपी को निलंबित करने व उचित मुआवजे की मांग की. इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि इस मामले में पुलिस अधीक्षक ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और मामला दर्ज करने में देरी भी की. ऐसे गैर जिम्मेदार लोगों के विभाग में रहने का कोई हक नहीं है. इस मामले में एसपी को निलंबित करना चाहिए.
इस पर संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने जवाब देते हुए कहा कि एसपी ने इस मामले में कोई लापरवाही नहीं की है. मामला संज्ञान में आते ही एफआईआर भी दर्ज की गई. इस मामले के थानाधिकारी द्वारा हल्की धाराओं में केस दर्ज किया गया है तो उन्हें जल्द हटा दिया जायेगा. इस पर गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि सरकार मान तो रही है कि इस मामले में लापरवाही हुई है लेकिन छोटे अधिकारी पर कार्रवाई करके बडे अधिकारी का बचाव कर रही है. इस मामले में एसपी को निलंबित किया जाना चाहिए. इसके बाद मंत्री के जवाब से असंतुष्ट रालोपा व बीजेपी विधायकों ने हंगामें के बीच नागौर एसपी को हटाने की मांग करते हुए दूसरी बार सदन से वॉकआउट किया.
हनुमान बेनीवाल ने साधा सरकार पर निशाना
वहीं इस पूरे मामले पर नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए कहा कि सरकार ने सदन में यह स्वीकार किया है कि इस घटना में पुलिस ने देरी करते हुए हल्की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया. डीजीपी के निर्देशों के बाद धारा 308 को जोड़ा गया जिससे साफ जाहिर होता है कि स्थानीय पुलिस ने मामले को दबाने का प्रयास किया. सांसद बेनीवाल ने आगे कहा कि थानाधिकारी अपनी मर्जी से इतने बड़े प्रकरण में बिना एसपी की सहमति से हल्का मुकदमा दर्ज नहीं कर सकता. ऐसे में अगर सरकार संवेदनशील होती तो एसपी को एपीओ करके एक संदेश देती. लेकिन सिर्फ थानाधिकारी को अन्यत्र लगाने की बात करके इतिश्री कर लेना गहलोत सरकार के दलित विरोधी होने का प्रमाण है.
गौरतलब है कि 16 फरवरी को दो चचेरे भाईयों को बर्बरतापूर्वक पीटने और गुप्तांग में पेट्रोल डालने का मामला सामने आया था. पीड़ित का कहना था कि वो बाइक की सर्विस करवाने के लिए करणु गांव में एजेंसी पर गया था, वहां भीव सिंह समेत कई अन्य युवकों ने काउंटर से चोरी करने का आरोप लगाया. जब मना किया तो भीव सिंह एजेंसी के पीछे ले गया और बेल्ट और लात-घूसों से उसकी बुरी तरह से पिटाई की. इसके बाद आरोपियों ने पेंचकस पर पेट्रोल से भरा कपड़ा लपेट गुप्तांग में डाला.