केंद्र की कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक नीति पर रूख साफ करे गहलोत सरकार: राजेंद्र राठौड़

मण्डी टेक्स को कम करने और कृषक कल्याण फीस लिए जाने के प्रावधानों को रद्द करने की मांग, राज्य सरकार केंद्र सरकार की नीति को लागू नहीं करने की जताई आशंका

राजेन्द्र राठौड़ और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान
राजेन्द्र राठौड़ और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान

Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर भारत सरकार द्वारा माह जून, 2020 में जारी कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक (संवर्द्धन और सरलीकरण) अध्यादेश-2020 पर सरकार का रूख स्पष्ट करने की मांग की है. राठौड़ ने कहा कि केन्द्र सरकार ने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक (संवर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश 2020 की धारा 6 के अनुसार सभी प्रकार के टेक्स या सैस को राज्य सरकार या केन्द्र सरकार द्वारा वसूल नहीं किये जाने का प्रावधान कर ऐतिहासिक निर्णय लिया है. राठौड़ ने इस फैसले बारे में सरकार की नीति व दृष्टिकोण को स्पष्ट किये जाने की मांग की है. राठौड़ ने राज्य सरकार पर योजना को लागू न करने की आशंका भी जताई है.

राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि केन्द्र सरकार ने देश के किसानों को कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक (संवर्द्धन और सरलीकरण) अध्यादेश 2020 के माध्यम से कृषि क्रय विक्रय के व्यापार क्षेत्र को परिभाषित करते हुए भारत में प्रवृत्त राज्य कृषि उपज मण्डी अधिनियम के लागू होने के क्षेत्र को रोक दिया तथा यह वैधानिक अधिकार भी दे दिया था कि किसान अपनी फसल को देश में किसी भी व्यक्ति, व्यापारी, कंपनी को सीधे या इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के माध्यम से बेच सकता है.

Rajendra Rathore Write To Cm Ashok Gehlot
Rajendra Rathore Write To Cm Ashok Gehlot

उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि देश के किसानों को दशकों बाद अपनी फसल का निर्बाध रूप से कहीं भी बेचने के अधिकार के बारे में केन्द्र सरकार द्वारा दिये गये अधिकार पर राज्य सरकार द्वारा लगभग तीन माह गुजर जाने के पश्चात भी कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया जाना प्रदेश के किसानों में असमंजसता पैदा कर रहा है कि राज्य सरकार इसे लागू करना नहीं चाहती है.

राजेन्द्र राठौड़ ने खेद जताते हुए कहा कि केन्द्र सरकार के कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक (संवर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश, 2020 की मूल भावनाओं के विपरीत सरकार ने इसी 24 जुलाई को विधानसभा में प्रतिपक्ष की अनुपस्थिति में राजस्थान कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक 2020 पारित करवाके यह सिद्ध कर दिया कि सरकार किसान को केन्द्र सरकार द्वारा बिना टेक्स, बिना फीस या सैस से अपनी फसल को देश में कहीं भी बेचान करने के वैधानिक अधिकार को लागू नहीं करना चाहती, क्योंकि सरकार ने राजस्थान कृषि उपज मण्डी विधेयक 1961 में हाल ही में संशोधन कर प्रदेश के किसी भी कृषि मण्डी क्षेत्र या अधिसूचित क्षेत्र या सरकार द्वारा अधिकृत लाईसेंसी व्यापारी के पास किसानों द्वारा मात्र फसल लाये जाने, चाहे फसल का विक्रय हो या न हो पर 2.6 प्रतिशत मण्डी टेक्स वसूल करने का अधिकार प्राप्त कर लिया, वहीं कृषि उपज मण्डी अधिनियम 1961 की धारा 17 में संशोधन कर राजपत्र में दर प्रकाशित कर कृषक कल्याण कोष के नाम जितनी चाहे मनमर्जी तौर पर कृषक कल्याण फीस वसूलने का भी व्यापक अधिकार प्राप्त किया है.

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उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा हाल ही में कृषि उपज मण्डी अधिनियम में किये गये दोनों संशोधन केन्द्र सरकार द्वारा जारी कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक (संवर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश 2020 की मूल भावना के बिल्कुल विपरीत है. केन्द्र सरकार जहां देश के किसानों को बिना किसी कर या फीस या सेस के अपनी उपज को अपनी मर्जी से जहां चाहे वहां किसी भी व्यापारी, संस्थान अथवा कम्पनी को बेचने के उन्मुक्त अधिकार दे रही हैं, वहीं राज्य सरकार संघवाद की भावना के विपरीत कानून बनाकर राज्य के किसानों से मनमाना मंडी टैक्स व कृषक कल्याण फीस वसूल करना चाह रही है.

राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि आज राजस्थान देश में सर्वाधिक मण्डी टेक्स 2.6 प्रतिशत राज्य के किसानों से वसूला जा रहा है जो देश में सर्वाधिक है जिसे निसंदेह कृषि उपज मण्डी कानून में हाल ही में सरकार द्वारा किये गये संशोधन किसान कल्याण फीस के नाम पर और बढ़ाये जाने की प्रबल संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. वहीं हमारे पडोसी राज्यों में जहां मण्डी टेक्स की दरें काफी कम है. हरियाणा में एक फीसदी, गुजरात में 0.5 फीसदी, मध्यप्रदेश में एक फीसदी, महाराष्ट्र में 0.80 फीसदी व कर्नाटक में 0.35 फीसदी है, वहीं राजस्थान में सर्वाधिक 2.6 फीसदी है

उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा संवैधानिक अधिकारों के तहत जारी अध्यादेश कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक (संवर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश 2020 के विरूद्ध राजस्थान कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक 2020 में किया संशोधन लोकतंत्र को न केवल कमजोर करता है बल्कि संघवाद की अवधारणा पर भी सीधा चोट पहुंचाते है.

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राजेन्द्र राठौड़ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग करते हुए कहा कि राज्य सरकार कृषि उपज पर सभी करों, फीस व सेस को तुरंत प्रभाव से वापिस ले ताकि राज्य का व्यापारी उन्मुक्त हो और किसानों की फसल का क्रय, विक्रय कर सके. उन्होंने कहा कि अगर सरकार उचित समझे तो ए.पी.एम.सी. यार्ड के व्यवस्थित करने के लिए मेन्टीनेंस चार्ज के रूप में मात्र 50 पैसा प्रति सैंकड़ा की राशि वसूल करने का प्रावधान कर सकती है.

उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य में केन्द्र सरकार द्वारा जारी कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक (संवर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश 2020 के प्रावधानों को लागू किया जाएं, राज्य में हाल ही में बढ़ाई. एक फीसदी मण्डी टेक्स जो पूर्व में 1.6 फीसदी थी, को राज्य सरकार ने बढ़ाकर 2.6 फीसदी की उसको मात्र 0.5 फीसदी किया जाए और कृषक कल्याण कोष के नाम से जारी अतिरिक्त कृषक कल्याण फीस लिए जाने के प्रावधानों को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाएं.

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