Politalks.News/Loksabha. स्पीकर ओम बिरला के प्रयासों के बाद बीते शुक्रवार तक विपक्ष के भारी हंगामे के चलते चंद मिनिटों तक चलने वाली लोकसभा सोमवार को बजट सत्र के सातवें दिन रात 12 बजे तक चली. इस दौरान लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर लालकिला पर हुए उपद्रव को किसान आंदोलन को छल बल से तोड़ने की साजिश करार दिया और कहा कि इस पूरे प्रकरण की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराई जानी चाहिए. राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए नेता प्रतिपक्ष ने अधीर रंजन ने कहा कि दिल्ली में 26 जनवरी को किसान आंदोलन के दौरान जो कुछ हुआ वह सोची समझी साजिश है और किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए हुई इस साजिश में सरकार शामिल रही है.
आंदोलन को खत्म करने के लिए सरकार ने लिया छल-बल का सहारा
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह कैसे हो सकता है कि जिस सरकार को पाकिस्तान में क्या हो रहा है इसकी जानकारी है उसे दिल्ली में होने वाले उपद्रव की जानकारी नहीं थी. चौधरी ने इस साजिश को सरकार की सोची विचारी रणनीति का हिस्सा बताया और कहा कि सरकार किसानों के आंदोलन को बलपूर्वक खत्म करने में असफल रही है इसलिए उसने छल बल का सहारा लिया और गणतंत्र दिवस पर उपद्रव होने दिया.
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कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में कहा कि आपने (सरकार) किसानों को ट्रैक्टर रैली निकालने की अनुमति देने का फैसला किया और आपने ही मार्ग भी तय किया .. फिर उधमी लाल किले तक कैसे पहुंचे? यह पूरी घटना संदिग्ध लगती है, इसलिए इसकी गहन जांच की जरूरत है. चौधरी ने कहा कि हिंसा की योजना उन लोगों द्वारा बनाई गई थी जो सरकार के करीबी प्रतीत होते हैं. बता दें, इस दौरान लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी मौजूद थे.
बालाकोट एयर स्ट्राइक की जानकारी एक पत्रकार तक कैसे पहुंची, जांच होनी चाहिए
यही नहीं कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने बालाकोट एयर स्ट्राइक का जिक्र करते हुए सरकार में शीर्ष पदों पर बेठै लोगों पर गोपनीय कानून को तोडने का आरोप लगाया और कहा कि बालाकोट हवाई हमले की जानकारी एक पत्रकार को लीक होना गंभीर अपराध है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत खतरनाक भी है. बालाकोट में जो हमला हुआ है ऐसे फैसलों की जानकारी प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अलावा और किसी को नहीं होती है तो एक पत्रकार को यह जानकारी कैसे पहुंची, इसकी भी गहन जांच होनी चाहिए.
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एक बच्ची के ट्वीट से इतनी चिंता क्यों?
इसके साथ ही युवा पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के विवादास्पद ट्वीट के बाद हाल के ट्विटर युद्ध को रेखांकित करते हुए सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया पर सरकार और उसके सक्रिय समर्थकों को 18 वर्षीय लड़की के पीछे पड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है, जो केवल किसानों का समर्थन कर रही थी. चौधरी ने कहा कि इन दिनों दुनिया बहुत बदल गई है और लोग दुनिया भर में होने वाली घटनाओं पर राय देते हैं. ग्रेटा केवल किसानों के मुद्दे का समर्थन कर रहीं हैं. कांग्रेस सांसद ने कहा कि जब हमारे प्रधानमंत्री अमेरिका जाते हैं और कहते हैं कि ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’, तब इसका कोई विरोध नहीं करता, तो फिर हम किसानों के समर्थन में एक बच्ची के ट्वीट के बारे में चिंतित क्यों हैं?