Politalks.News/Bihar. साल की शुरुआत से ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जुबानी वार कर रहे लोजपा प्रमुख चिराग पासवान का गुस्सा ठंडा तब पड़ा जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बिहार आए. यहां उन्होंने जदयू प्रमुख और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की और दोनों के मन मिलवा दिए. बाद में चिराग ने भी अपने सुर बदले और कहा कि एनडीए में सब कुछ ठीक चल रहा है और जैसा बीजेपी कहेगी, वैसा ही करेंग़े. लेकिन लगता है कि अब जूनियर पासवान बीजेपी के दिए ‘ऑफर 25‘ से खुश नहीं हैं. यही वजह है कि वे रूठकर फिर से जदयू के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. माना ये भी जा रहा है कि वे अपने आपको बिहार के भावी मुख्यमंत्री के तौर पर प्रस्तुत करेंगे और सांसद पद से इस्तीफा देकर खुद भी चुनावी मैदान में उतरेंगे.
यहां यह बात भी गौर करने वाली है कि जैसे चिराग एनडीए में खुश नहीं, वैसे ही रालोसपा भी महागठबंधन से संतुष्ठ नहीं है. हालांकि दोनों के साथ रहकर चुनाव लड़ने की संभावना कम है. अगर दोनों साथ आ भी जाते हैं तो भी थर्ड फ्रंट बनाना हंसी मजाक का खेल नहीं है. इधर, एनडीए से नाराज लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के प्रमुख चिराग पासवान को राजद नेता तेजप्रताप यादव ने महागठबंधन में आने का न्यौता दिया है. तेजप्रताप ने कहा कि राजनीति में कोई दोस्त-दुश्मन नहीं होता. अगर वे आना चाहें तो उनका स्वागत है. तेजप्रताप के इस बयान के बाद एनडीए में भी खलबली मच गई है. वहीं लोजपा अकेले 143 सीटों पर भाग्य आजमाने का संकेत दे रही है.
दरअसल, एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर बीजेपी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव, जेडीयू के आरसीपी सिंह और राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह की गुप्त मुलाकात हुई है. इस मुलाकात के बाद बीजेपी ने लोजपा को साफ कर दिया है कि वह उन्हें 25 से ज्यादा सीटें नहीं देगी जबकि चिराग बार बार 43 सीटों का दावा कर रहे हैं. इस बात से चिराग पासवान नाराज हो गए और बताया जा रहा है कि वे एनडीए छोड़ने का मन बना रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग एंड पार्टी 43 सीटों पर लड़ी लेकिन केवल दो सीट पर ही कब्जा कर सकी थी.
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लोजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चिराग पासवान ने पार्टी नेताओं से 143 सीटों पर उम्मीदवार उतारने के हिसाब से तैयारी करने की बात कही है. हालांकि आधिकारिक तौर पर कोई बयान अभी तक नहीं आया है. सूत्रों का कहना है कि चिराग पासवान खुद भी सांसद पद से इस्तीफा देकर विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमा सकते हैं.
वहीं राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चिराग पासवान सीएम नीतीश कुमार को असली आईना दिखाना चाहते हैं. इसलिए वे जदयू द्वारा खड़े किए जा रहे 143 उम्मीदवारों के सामने ही प्रत्याशी खड़े करेंगे और जदयू की काट करेंगे. ये भी बताया जा रहा है कि चिराग पासवान उसी रणनीति को अपनाना चाहते हैं जिस पर 2005 के विधानसभा चुनाव में उनके पिता चले थे. ऐसे में वे किंगमेकर की भूमिका के लिए जाएंगे ताकि सरकार बनाने की चाबी उनकी जेब में आ सके. अगर ऐसा होता है तो महागठबंधन हो या एनडीए, दोनों की तरफ से डिप्टी सीएम का पद तो उन्हें आसानी से ऑफर हो जाएगा, साथ ही सरकार में हस्तक्षेप भी रहेगा.
अब बात आती है कि आखिर राम विलास पासवान ने 15 साल पहले ऐसी कौनसी रणनीति बनाई कि जूनियर पासवान भी उसे फोलो करने जा रहे हैं. असल में 2005 के विधानसभा चुनाव में चिराग के पिता राम विलास पासवान ने दलित + मुस्लिम + फॉरर्वड जाति भूमिहारों को लेकर एक कॉबिनेशन बनाया था. इसके बूते एलजेपी को विधानसभा चुनाव में 29 सीटें हासिल हुई थी और सत्ता की चाबी रामविलास पासवान के पास आ गई. हालांकि मुस्लिम मुख्यमंत्री के मुद्दे पर उन्होंने न तो नीतीश कुमार को समर्थन दिया और न ही लालू प्रसाद यादव को, जिसके बाद लोजपा में तोड़फोड़ की घटनाएं शुरू हो गई. इसके बाद बिहार में मध्यावधि चुनाव हुआ था. अब एक बार फिर से अनुमान लगाया जा रहा है कि लोजपा प्रमुख चिराग पासवान सत्ता की चाबी हासिल करने की सोच रहे हैं.
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इधर, तेजप्रताप के बयान को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता. बिहार की हसनपुर विधानसभा सीट से कथित तौर पर उम्मीदवार तेजप्रताप उर्फ तेजू भईया ने गुरुवार को यहां अपनी रैली निकाली. करीब करीब तय है कि वे यहां से वि.स. में महागठबंधन की ओर से उम्मीदवार होंगे. यहां उन्होंने मीडिया से कहा कि चिराग की एनडीए में नाराजगी सर्वजाहिर है. ऐसे में अगर वे महागठबंधन में आते हैं तो उनका स्वागत है.
वैसे चिराग के आने से गठबंधन मजबूत होगा, इसके कोई शक नहीं लेकिन सीट बंटवारे को लेकर यहां भी बात अटक सकती है. ऐसे में पप्पू यादव की राह अभी भी उनके लिए खुली है. जपा, लोजपा और रालोसपा का त्रिगुट मिले तो 12 से 15 सीटों पर तो विजयी दांव लग रही सकता है.