कई ऐतिहासिक आयोजनों का गवाह रहा संसद का सेंट्रल हॉल किसी जमाने में देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट को ठिकाना भी रहा है. 26 जनवरी, 1950 को सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के बाद 28 जनवरी का विधिवत उद्घाटन सेंट्रल हॉल में ही हुआ. आठ साल तक कोर्ट सेंट्रल हॉल के एक हिस्से में चला. यहीं पर वकील जिरह करते थे और जज फैसले सुनाते थे. 1958 में सुप्रीम कोर्ट उस बिल्डिंग में शिफ्ट हो गया जहां अभी है.
ससद के सेंट्रल हॉल में ही 1947 में अंग्रेजों ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु को सत्ता का हस्तांतरण किया था. कम ही लोगों को पता है कि देश का संविधान भी यहीं बैठकर लिखा गया. संविधान सभा 9 दिसंबर, 1946 को सेंट्रल हॉल में पहली बार मिली. इसके साथ ही यहां पर संविधान के लिखे जाने का काम शुरू हु. 26 नवंबर, 1949 तक यहीं पर संविधान लिखा गया. 1946 तक संसद के सेंट्रल हॉल का प्रयोग लाइब्रेरी के तौर पर होता था, जिसका प्रयोग केंद्रीय संसदीय सभा और कॉउंसिल ऑफ स्टेट्स के सदस्य करते थे.
हर लोकसभा चुनावों के बाद होने वाले पहले सत्र के दौरान इसी हॉल में इकट्ठा सांसदों को राष्ट्रपति संबोधित करते हैं. संसद के सत्र के समय भी इसी हॉल में राष्ट्रपति का संबोधन होता है. यदि कभी संसद का संयुक्त सत्र बुलाने का मौका हो तो इसका आयोजन भी यहीं होता है. नई सरकार के गठन के समय संसदीय दल की बैठक भी यहीं होती है, जिसमें प्रधानमंत्री पद के लिए नेता का चुनाव होता है.
किसी दूसरे देश के प्रमुख जब भारत के दौरे पर आते हैं तो इसी हॉल में उनका सम्मान किया जाता है. यदि उनका संबोधन होना होता है तो यहीं होता है. पिछले कई वर्षों से सेंट्रल हॉल सांसदों के आपस में मिलने—जुलने के ठिकाने के तौर पर चर्चित है. हॉल पूरी तरह से सिम्यूलेंटेनियस इंटरप्रिटेशन सिस्टम से लैस है. इस सिस्टम की बदौलत अलग भाषा के लोग सेंट्रल हॉल में होने वाले संबोधन को अपनी भाषा में सुन सकते हैं.
भवन का केंद्र बिंदु सेंट्रल हॉल का विशाल वृत्ताकार ढांचा है. इसका डिजाइन मशहूर आर्किटेक्ट लुटियंस ने तैयार किया और सर हर्बर्ट बेकर के निरीक्षण में इसे बनाया गया. संसद भवन का शिलान्यास 12 फरवरी, 1921 को ड्यूक आफ कनॉट ने किया और उद्घाटन तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने 18 जनवरी, 1927 को किया. संपूर्ण भवन के निर्माण कार्य में कुल 83 लाख रुपये की लागत आई. अपने डिजाइन के चलते शुरू में इसे सर्कुलर हाउस कहा जाता था.
गोलाकार आकार में निर्मित संसद भवन का व्यास 170.69 मीटर है. इसकी परिधि आधा किमी से अधिक है जो 536.33 मीटर है और करीब 6 एकड़ (24281.16 वर्ग मीटर) में फैला हुआ है. संसद भवन के पहले तल का गलियारा 144 मजबूत खंभों पर टिका है. प्रत्येक खंभे की लम्बाई 27 फीट है. इसकी बाहरी दीवार में मुगलकालीन जालियां हैं. 12 द्वार हैं, जिनमें गेट नम्बर एक मुख्य द्वार है. खंबों तथा गोलाकार बरामदों से निर्मित यह पुर्तगाली स्थापत्यकला का अदभुत नमूना पेश करता है। संसद भवन के निर्माण में भारतीय शैली के स्पष्ट दर्शन मिलते हैं.